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5वें बिम्सटेक वर्चुअल शिखर सम्मेलन पर विशेष ब्रीफिंग का मूलपाठ (30 मार्च, 2022)

मार्च 30, 2022

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता : शुभ दिवस! आज सुबह वर्चुअल रूप से आयोजित 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के अवसर पर विशेष मीडिया ब्रीफिंग में हमारे साथ शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद! आपने यह भी देखा होगा कि सम्मेलन की कुछ कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी किया गया। इसमें की गई चर्चा तथा उसकी पृष्ठभूमि और विशेष रूप से चार्टर के संबंध में लिए गए ऐतिहासिक निर्णयों की बेहतर जानकारी देने के लिए, इस समय हमारे साथ बिम्सटेक और सार्क डिवीजनों की देखरेख करने वाले अतिरिक्त सचिव श्री रुद्रेंद्र टंडन उपस्थित हैं। हम उनकी आरंभिक टिप्‍पणी सुनेंगें और फिर कुछ प्रश्‍न पूछेंगे। तो बिना देर किए, मैं श्री टंडन को यह मंच सौंपता हूं।

श्री रुद्रेन्द्र टंडन : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार। श्रीलंका द्वारा आयोजित पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने अभी हाल ही में भाग लिया था। शिखर सम्मेलन से पहले विदेश मंत्री स्तर की और वरिष्ठ अधिकारी स्तर की बैठकें हुई हैं। ये बैठकें सोमवार और मंगलवार को हुईं। सचिव सौरभ कुमार और विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कोलंबो में इन बैठकों में भाग लिया। इस बार इस शिखर सम्मेलन का विषय एक क्षमतावान क्षेत्र की ओर, समृद्ध अर्थव्यवस्था, और स्वस्थ लोग था। यह अध्यक्ष की ओर से चुना गया विषय था क्योंकि इसे चुनने का अधिकार अध्यक्ष को ही है। इसका लक्ष्य इस क्षेत्र के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व की सोच में केन्द्रित समृद्धि, लचीलापन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे हैं। ये हमारे प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए हस्तक्षेपों सहित कई और हस्तक्षेपों का भी संदर्भ लिए रहे।

संदर्भ का चौथा तत्व चार्टर पर हस्ताक्षर करने की महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। यह कुछ अर्थों में इस समूह को एक उचित क्षेत्रीय संगठन का औपचारिक रूप देने की प्रक्रिया को पूरा करता है। यह इस शिखर सम्मेलन की मुख्य उपलब्धि रही। चार्टर के साथ, बिम्सटेक को अब एक अंतरराष्ट्रीय रूप मिल गया है। इसका अब अपना एक प्रतीक चिन्ह है, एक झंडा है, औपचारिक रूप से सूचीबद्ध उद्देश्य और सिद्धांत हैं जिनका वह पालन करने जा रहा है, और एक संगठनात्मक ढ़ांचा है। यह इस समूह को जोड़ने की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण विकास का प्रतिनिधित्व करता है जो 2004 या उसके बाद से निरंतर होता रहा है लेकिन वास्तव में 2014 के बाद इसे बहुत अधिक गति मिली।

हमारे दृष्टिकोण से इस शिखर सम्मेलन की तीसरी बड़ी उप​लब्धि परिवहन संपर्क पर तैयार किया गया मास्टर प्लान रहा। यह कई वर्षों से बिम्सटेक का प्रमुख एजेंडा रहा है। लेकिन 2018 के शिखर सम्मेलन में, यह निर्णय लिया गया कि हम इस मुद्दे पर अधिक व्यवस्थित रूप से विचार करेंगे। मुझे लगता है कि मास्टर प्लान बनाना थाईलैंड से आया एक सुझाव था, जिस पर पिछले दो वर्षों से एशियाई विकास बैंक के सहयोग से काम किया गया था, और इसे इस शिखर सम्मेलन के समय अंतिम रूप दिया गया। तो इस तरह से इस शिखर सम्मेलन में जो कुछ किया गया वह यह था कि नेताओं ने इसे उस प्रकार के सहयोग के लिए एक रूपरेखा या मार्गदर्शन के रूप में अपनाया जिसकी भविष्य में संपर्क क्षेत्र में हमारे द्वारा किए जाने की संभावना है।

इन तीन प्रमुख उपलब्धियों के अलावा जिसमें नेतागण सीधे तौर पर शामिल थे,तीन महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए। यह एक तरह से एक ऐसी प्रगति का प्रतिनिधित्व कर रहा है जो सतत रूप से आगे बढ़ रही है और सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में इस मंच पर हासिल की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें आपराधिक मामलों पर एमएलएटी भी शामिल था। यह पूर्व में सुरक्षा पर हो रही चर्चाओं से निकला है। तो यह एक तरह से तय एजेंडे पर प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक केंद्र बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन भी किया गया। इसे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा कहा गया है, जिसे कोलंबो में स्थापित किया जाएगा। तीसरा राजनयिक अकादमियों के बीच सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन था। इन सभी उपलब्धियों को नेताओं ने देखा जो इस मंच पर प्राप्त की जा रही सतत प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जीवंतता और इस मंच की आगे बढ़ने की क्षमता के संदर्भ में एक अच्छा संकेत है और एजेंडे पर आगे बढ़ने का प्रतिनिधित्व करता है।

अब हम शिखर सम्मेलन के बारे में हमारे दृष्टिकोण और विशेष रूप से प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण पर आते हैं। आपने सुना होगा कि उन्होंने सम्मेलन में अपनी ओर से कई चीजों के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने सबसे पहले बिम्सटेक को और विकसित करने के एजेंडे पर ज्यादा जोर दिया। यह इस शिखर सम्मेलन में सबसे महत्वपूर्ण प्रासंगिक बात की तरह लग रही थी, क्योंकि इसके पहले हम इस समूह को एक औपचारिक रूप देने के लिए चार्टर पर हस्ताक्षर कर रहे थे जिसका प्रयास लंबे समय से किया जा रहा था। प्रधानमंत्री का कहना था कि हमें इस औपचारिकता की प्रक्रिया को गति देने की आवश्यकता है, और हमें केवल चार्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद आराम से नहीं बैठ जाना चाहिए। उन्होंने कनेक्टिविटी एजेंडा, आपदा प्रबंधन एजेंडा, समुद्री सहयोग एजेंडा, आर्थिक एकीकरण एजेंडा और निश्चित तौर पर हमारे सुरक्षा एजेंडे के कुछ हिस्सों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में भी बात की, जो किसी भी प्रकार के रचनात्मक, आर्थिक और विकासात्मक सहयोग के लिए एक आवश्यक शर्त है।

बिम्सटेक के मंच को और विकसित करने के लिए भारत की विशेष प्रतिबद्धता को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर का उपयोग भारत की ओर से की जाने वाली पहलों की घोषणा के लिए किया,जिसको लेकर हमें उम्मीद है कि यह बिम्सटेक के एजेंडा को और अधिक त्वरित तरीके से आगे बढ़ाएंगी। इस संबंध में, उन्होंने बिम्सटेक सचिवालय के परिचालन बजट के लिए दस लाख डालर के तदर्थ अनुदान की घोषणा की। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि संस्थागत निर्माण के जो भी लंबित कार्य हैं, उन्हें तीव्र गति से आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने बिम्सटेक के मौसम और जलवायु केंद्र को पुनर्जीवित करने के लिए 30 लाख डॉलर के अनुदान की भी घोषणा की, जो आपदा प्रबंधन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण एजेंडा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे आर्थिक एकीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने एक कार्यक्रम की भी घोषणा की जो भारत में आईसीआरआईईआर की परिधि से बाहर होगा और जिसका उद्देश्य व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मानकों और मानदंडों को अपनाने का प्रयास करना होगा। यह मैं आप में से कुछ ऐसे लोगों के लिए बाद में समझा सकता हूं जो इसका महत्व नहीं देख पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन अभ्यासों को संस्थागत रूप देने का भी सुझाव दिया, जिसे भारत इस मंच पर अपने दम पर कर रहा है यह देखते हुए कि इस मंच पर सामान्य रूप से आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाती है।

कुल मिलाकर मेरे विचार से यह सम्मेलन काफी सकारात्मक और परिणामोन्मुख रहा क्योंकि इसमें बिम्सटेक के एजेंडे को आगे बढ़ोने के प्रयास किए गए और हम उन पहलों की घोषणा करने में सक्षम हुए जो इस प्रक्रिया को गति देंगे। इस सम्मेलन के बारे में हमारा समग्र निष्कर्ष यह रहा कि बिम्सटेक के सदस्य देशों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें ध्यान में रखते हुए शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर बिम्सटेक एजेंडे को आगे बढ़ाने की इच्छा शक्ति है।धन्यवाद!

श्री अरिंदम बागची, अधिकारिक प्रवक्ता: आपक सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद! अब आपलोग प्रश्न पूछ सकते हैं। रिकॉर्ड के लिए कृपया अपना और अपने संगठन का परिचय दें।

यशी: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से मैं यशी हूं। कल, विदेश मंत्री ने कहा था कि, आप सभी जानते हैं कि सम्मेलन में आतंकवाद का मुकाबला करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था। तो जो कहा गया था उस पर प्रकाश डालें और साथ ही यह भी बताएं कि बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच आर्थिक गठजोड़ की प्रक्रिया को कैसे मजबूत बनाया जाएगा ?

मेघना डे: महोदय, डीडी न्यूज से मैं मेघना डे हूं। मेरा सवाल है कि, मास्टर प्लान के तहत कितनी परियोजनाएं हैं और इनपर कितनी लागत आएगी? साथ ही मास्टर प्लान के तहत किन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है?

हसन: हिंदुस्तान टाइम्स से मैं,रेज़ौल हसन हूं। श्रीमान सचिव महोदय, मैं सोच रहा था कि जब आपने उल्लेख किया कि भारत सुरक्षा मामलों के संदर्भ में नेतृत्व की भूमिका निभाने जा रहा है तो क्या इस बारे में हमें कुछ वि​शेष जानकारी मिल सकती है? मेरा मतलब है कि हम किस पर ध्यान केन्द्रित करने जा रहे हैं,कार्यक्रम क्या हैं, और एमएलएटी को लेकर अलग-अलग देशों के साथ क्या व्यवस्था होगी और यह कैसे काम करेगा?

सिद्धांत: महोदय, संगठन में म्यांमार की उपस्थिति पर कुछ सवाल उठाए गए हैं, यह समूह का सदस्य है लेकिन वहां नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, हम जानते हैं कि तख्तापलट हुआ है। तो बिम्सटेक में म्यांमार के नेतृत्व की उपस्थिति के बारे में भारतीय दृष्टिकोण क्या रहा है?

श्री रुद्रेन्द्र टंडन: तो सबसे पहले मैं ऐजेंडा कार्यक्रम के बारे में बता दूं! आतंकवाद का मुकाबला करने के संबंध में, विदेश मंत्री ने किस बारे में बात की, और सुरक्षा एजेंडा के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होगा, इस प्रश्न का भी उल्लेख किया गया है। हम इस मंच की क्षमताओं और सामर्थ्य के अनुरूप अपनी गतिविधियों का चयन करते हैं। ऐसे में हमें इस मंच की क्षमता के हिसाब से अपनी पहलों का मेल बैठाना होगा। इसलिए वर्तमान में, सुरक्षा मामलों पर हमारा दृष्टिकोण दो चीजों पर आधारित है - पहला, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध और अन्य गैर-पारंपरिक अपराधों का मुकाबला करने के लिए उच्चतम गुणवत्ता मानदंड स्थापित करना।साथ ही, हमारी कानून लागू करने वाली एजेंसियों को इन अपराधों से निपटने के लिए यथासंभव सहयोग करने के लिए आवश्यक सभी कानूनी तंत्र स्थापित करना। यह हमारा व्यापक दृष्टिकोण है। अब हम एमएलएटी जैस समझौते करके ऐसा करते हैं। भविष्य में ऐसा एक और समझौता भी होने जा रहा है। हम इसे कानून लागू किए जाने के स्तर पर प्रशिक्षण सहयोग स्थापित करके प्राप्त करते हैं, जो कि, प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सुझावों में से एक था, सुरक्षा उपायों के बारे में यह हमारा सामान्य दृष्टिकोण है।

आर्थिक एकीकरण की बात करें तो, मुझे पता है कि आर्थिक एकीकरण के स्तर पर उपलब्धियों के बारे में बहुत संदेह है क्योंकि 2004 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। अब इसमें प्रगति हुई है, लेकिन यह बताना बहुत मुश्किल है कि कितनी प्रगति हुई है। इसलिए इस मंच पर हमने जिस व्यावहारिक दृष्टिकोण का पालन करने का फैसला किया है , वह व्यापार सुविधा एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करना है। आर्थिक एकीकरण क्षेत्र में व्यापार सुविधा एक तरह से जल्दी मिल सकते वाले लाभ जैसा है यह बिम्सटेक के सदस्यों देशों के बीच व्यापार को फलने-फूलने और क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं के निर्माण में सक्षम बनाता है, जो कि इस आर्थिक एकीकरण एजेंडे का उद्देश्य है।

कनेक्टिविटी के लिए मास्टर प्लान पर - कनेक्टिविटी के लिए मास्टर प्लान में सूचीबद्ध परियोजनाएं हैं, जो अगर शुरू की जाती हैं, तो क्षेत्र के लॉजिस्टिक एकीकरण पर एक गुणक प्रभाव पड़ेगा, यह सच है। लेकिन मास्टर प्लान के पीछे विचार यह है कि यह एक प्रकार का ढांचा प्रदान करता है जिसे सदस्य देश अपनी व्यक्तिगत राष्ट्रीय कनेक्टिविटी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार करेंगे और आशा है कि यदि हम सभी इसका एक तरह के ढांचे या मार्गदर्शन के रूप में पालन करते हैं, तो हमारी कनेक्टिविटी योजनाएं जुड़ जाएंगी और इस क्षेत्र को कम लागत वाले लॉजिस्टिक्स से लाभ होगा।

आपने एमएलएटी के बारे में बात की - मुझे लगता है कि मैंने उस प्रश्न का उत्तर दे दिया है। यह कई समझौतों में से एक है जो कानून लागू किए जाने के साथ बातचीत की सुविधा भी प्रदान करता है। वे किसी भी द्विपक्षीय एमएलएटी को लेकर कोइ परस्पर विरोध नहीं करें, हम हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं। वे एक तरह से पूरक होंगे या संभवत उन दूसरी द्विपक्षीय व्यवस्थाओं से बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

म्यांमार पर - सबसे पहले, आपको याद रखना चाहिए कि बिम्सटेक एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय सहयोग मंच है और इसका उद्देश्य आर्थिक और विकास सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना है, जो वास्तव में लोगों को मूल्यवान सेवाएं प्रदान करता है। इस मंच के सदस्य वे देश हैं जो या तो भौगोलिक दृष्टि से बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित हैं या उस पर निर्भर हैं। इस मंच पर सभी देशों की उपस्थिति और सहयोग गतिविधियों में भाग लेने की आवश्यकता है। म्यांमार बिम्सटेक का एक महत्वपूर्ण घटक सदस्य है और उसकी भौगोलिक स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण है।

अखिलेश सुमन: मैं संसद टीवी से अखिलेश सुमन हूं। महोदय, चूंकि आप का कहना है कि शायद बिम्सटेक को पूरी तरह से बदल दिया जाएगा, तो क्या बिम्सटेक का नाम बदलने का कोई प्रस्ताव है ताकि इसका नाम सार्क और आसियान की तरह अधिक आकर्षक हो सके? इसके साथ ही एक सवाल यह भी है कि श्रीलंका आर्थिक रूप से एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। आज भी, उन्होंने घोषणा की है कि 10 घंटे, देश में कोई लाइट नहीं जलाई जाएगी। क्या बिम्सटेक अपने समूह के भीतर ऐसे देश को मदद करने के बारे में सोच रहा है?

श्री रुद्रेंद्र टंडन: नाम बदलने पर - मुझे लगता है कि आप जो बात कर रहे हैं वह यह है कि इस क्षेत्र के लोगों के बीच बिम्सटेक अपेक्षाकृत एक कम सुना हुआ नाम है। और अभी भी इसके बारे में क्षेत्र के लोगों की जानकारी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। मेरा मतलब है, है कि हमें व्यावहारिक सेाच रखनी होगी कि चूंकि इसकी क्षमता सीमित है इसलिए क्षेत्र के लोगों को मूल्यवान सेवाएं दे सकने की इसकी क्षमता भी सीमित है, इसलिए इसके बारे में जागरूकता भी सीमित है। लेकिन उम्मीद है कि हम जो पहल कर रहे हैं, उसके साथ; जो काम चल रहा है, जैसा कि मैंने 2014 से आपको बताया था, बिम्सटेक अपने सदस्यों के लिए उपयोगी सहयोग गतिविधियों को बढ़ाने का काम करेगा जो इन सदस्य देशों के लोगों को मूल्यवान सेवाएं देने में सक्षम बनाएगा जिससे लोगों के बीच उनके बारे में जागरुकता बढ़ेगी।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: विस्तृत ब्रीफिंग के लिए रुद्रेंद्र का बहुत-बहुत धन्यवाद। इसके साथ ही 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन पर यह विशेष ब्रीफिंग समाप्त होती है। हम शीघ्र ही राष्ट्रपति की तुर्कमेनिस्तान और नीदरलैंड की आगामी यात्रा के संबंध में एक और विशेष ब्रीफिंग करेंगे। कृपया हमारे साथ जुड़े रहें, हम बस कुछ मिनटों के लिए कार्यक्रम स्थगित कर रहे और फिर इसे दोबारा शुरु करेंगे।

 



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