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मेलबर्न में चौथी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का उद्घाटन भाषण

फरवरी 11, 2022

धन्यवाद मारिस!

प्रिय साथियों और टीम के सदस्यों, चौथी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के असवर पर ऑस्ट्रेलिया आने की मुझे बेहद खुशी है। मैं इस बात की सराहना करता हूं कि यह हमारे लिए अपनी द्विपक्षीय बैठकें करने का भी एक अवसर है। मारिस, मेलबर्न के इस प्यारे शहर में जहां मैं पहली बार आया हूं, हमारी मेजबानी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की सरकार और गर्मजोशी से किए गए आपके आतिथ्य सत्कार की भी मैं सराहना करता हूं।

फरवरी 2021, में हमारी पिछली वार्ता के बाद से, भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वैश्विक परिदृश्य काफी जटिल हो चुका है। प्रमुख लोकत्रांतिक व्यवस्थाओं के रूप में, हम क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, कानून के शासन, पारदर्शिता, अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्रों में आवागमन की स्वतंत्रता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के अपने साझा दृष्टिकोण का अनुसरण करते हैं।

क्वाड फ्रेमवर्क के तहत हमारा जुड़ाव बहुत उपयोगी रहा है। पिछले साल नेताओं के दो शिखर सम्मेलन के बाद से इसने प्रमुखता और गति हासिल कर ली है। हमने एक महत्वाकांक्षी और रचनात्मक एजेंडा अपनाया है जो हमारे समय की और खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण समकालीन चुनौतियों का समाधान करता है। यह शिखर सम्मेलन में हमारे नेताओं की सकारात्मक दृष्टि और उस समय व्यक्त की गई आकांक्षाओं में बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है।

जिस तरह से कोविड महामारी हमें प्रभावित कर रही है, हमने वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को बेहतर करने के लिए सामूहिक प्रयास किए हैं। क्वाड वैक्सीन पहल और हमारी सामूहिक वैक्सीन आपूर्ति, जिसका मारिस,आपने उल्लेख किया है, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देशों में, चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम लचीली आपूर्ति श्रृंखला और विश्वसनीय महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, जलवायु कार्रवाई, शैक्षिक संपर्कों की पहल और प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे लिए मानवीय सहायता और आपदा राहत देने,आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और दुष्प्रचार जैसे वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए मिलकर काम करने की पर्याप्त गुंजाइश है।

भारत एक द्विपक्षीय फ्रेमवर्क के माध्यम से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक सशक्त और बहुआयामी रणनीति का अनुसरण कर रहा है, लेकिन साथ ही आसियान जैसे क्षेत्रीय संगठनों के साथ भी सहयोग कर रहा है, जो हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में खासा मायने रखते हैं। यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के बाहर के देश भी इस क्षेत्र पर काफी ध्यान दे रहे हैं।

मैं आज होने वाली हमारी चर्चाओं को लेकर उत्सुक हूं और यह अवसर देने के लिए एक बार फिर से मारिस, आपको धन्यवाद देता हूं।



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