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Detail
ग्लासगो में कॉप-26 शिखर सम्मेलन में 'रेसिलिएंट द्वीप देशों के लिए बुनियादी ढांचे' पहल के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री का संबोधन
नवम्बर 02, 2021
Excellencies,
‘इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेसिलिएंट आइलैंड स्टेट्स’ – आइरिस, का launch एक नयी आशा जगाता है, नया विश्वास देता है। ये सबसे वल्नरेबल देशों के लिए कुछ करने का संतोष देता है।
मैं इसके लिए Coalition for Disaster Resilient Infrastructure CDRI को बधाई देता हूं।
इस महत्वपूर्ण मंच पर मैं Australia और UK समेत सभी सहयोगी देशों, और विशेषकर मॉरिशस और जमैका समेत छोटे द्वीप समूहों के लीडर्स का स्वागत करता हूँ, उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
मैं UN Secretary General का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने इस launch के लिए अपना बहुमूल्य समय दिया।
Excellencies,
पिछले कुछ दशकों ने सिद्ध किया है कि climate change के प्रकोप से कोई भी अछूता नहीं है। चाहे वो विकसित देश हों या फिर प्राकृतिक संसाधनों से धनी देश हों सभी के लिए ये बहुत बड़ा खतरा है।
लेकिन इसमें भी climate change से सब से अधिक खतरा Small Island Developing States- सिड्स को है। ये उनके लिए जीवन-मृत्यु की बात है, ये उनके अस्तित्व के लिए चुनौती है। Climate Change की वजह से आई आपदाएं, उनके लिए सचमुच प्रलय का रूप ले सकती हैं।
ऐसे देशों में, climate change न सिर्फ उनके जीवन की सुरक्षा के लिए, बल्कि उनकी अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी बड़ी चुनौती है।
ऐसे देश टूरिज्म पर बहुत निर्भर रहते हैं लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के चलते टूरिस्ट भी उनके पास आने से घबराते हैं।
Friends,
वैसे तो सिड्स देश सदियों से Nature के साथ समन्वय में जीते रहे हैं, वे प्रकृति के स्वाभाविक cycles के साथ अडैप्ट करना जानते हैं।
लेकिन पिछले कई दशकों में हुए स्वार्थपूर्ण व्यवहार की वजह से प्रकृति का जो अस्वाभाविक रूप सामने आया है, उसका परिणाम आज निर्दोष Small Island States झेल रहे हैं।
और इसलिए, मेरे लिए CDRI या IRIS सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर की बात नहीं है बल्कि ये मानव कल्याण के अत्यंत संवेदनशील दायित्व का हिस्सा है।
ये मानव जाति के प्रति हम सभी की कलेक्टिव जिम्मेदारी है।
ये एक तरह से हमारे पापों का साझा प्रायश्चित भी है ।
Friends,
CDRI किसी सेमीनार से निकली कल्पना नहीं है बल्कि CDRI का जन्म, बरसों के मंथन और अनुभव का परिणाम है।
छोटे द्वीप देशों पर मंडरा रहे Climate Change के खतरे को भांपते हुए भारत ने पैसिफिक islands और Caricom देशों के साथ सहयोग के लिए विशेष व्यवस्थाएं बनाईं।
हमने उनके नागरिकों को सोलर तकनीकों में ट्रेन किया, वहां infrastructure के विकास के लिए निरंतर योगदान दिया।
इसी कड़ी में, आज इस प्लेटफार्म पर मैं भारत की ओर से एक और नयी पहल की घोषणा कर रहा हूं।
भारत की स्पेस एजेंसी इसरो, सिड्स के लिए एक स्पेशल डेटा विंडो का निर्माण करेगी।
इससे सिड्स को सैटेलाइट के माध्यम से सायक्लोन, कोरल-रीफ मॉनीटरिंग, कोस्ट-लाइन मॉनीटरिंग आदि के बारे में timely जानकारी मिलती रहेगी।
Friends,
IRIS को साकार करने में CDRI और सिड्स दोनों ने मिल कर काम किया है - यह co-creation और co-benefits का अच्छा उदहारण है।
इसलिए मैं आज IRIS के लॉन्च को बहुत अहम मानता हूं।
IRIS के माध्यम से सिड्स को technology, finance, जरूरी जानकारी तेजी से mobilise करने में आसानी होगी। Small Island States में क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहन मिलने से वहां जीवन और आजीविका दोनों को लाभ मिलेगा।
मैंने पहले भी कहा है कि दुनिया इन देशों को कम जनसंख्या वाले Small Islands के रूप में देखती है लेकिन मैं इन देशों को बड़े सामर्थ्य वाले Large Ocean States के रूप में देखता हूं। जैसे समुद्र से निकले मोतियों की माला सबकी शोभा बढ़ाती है, वैसे ही समुद्र से घिरे सिड्स, विश्व की की शोभा बढ़ाते हैं।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत इस नयी परियोजना को पूरा सहयोग देगा, और इसकी सफलता के लिए CDRI, अन्य partner देशों और संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करेगा।
CDRI और सभी छोटे द्वीप समूहों को इस नयी पहल के लिए फिर से बधाई और शुभकामनाएं।
बहुत बहुत धन्यवाद।
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