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सेंट क्वीन किटेवन के पुरावशेषों को सौंपने के समारोह में विदेश मंत्री का भाषण

जुलाई 10, 2021

मेट्रोपॉलिटन शियो, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रेवरेंड्स, मेरे जॉर्जियाई भाइयों और बहनों,

गमारजोबा (नमस्कार)!


आज का दिन बहुत ही विशिष्ट दिन है, न केवल जॉर्जिया के लिए बल्कि भारत के लिए भी। मुझे सेंट क्वीन किटेवन के पवित्र अवशेषों को जॉर्जिया के लोगों को सौंपने का सम्मान मिला है। मैं खुद को धन्य मानता हूं कि जॉर्जिया की मेरी पहली यात्रा का उद्देश्य इतना शुभ है।

ये पवित्र पुरावशेष 17वीं शताब्दी से ही गोवा के सेंट ऑगस्टाइन चर्च में संरक्षित थे। इन पुरावशेष के प्रति जॉर्जिया के लोगों के मन में अपार आध्यात्मिक मूल्य को देखते हुए, हमने इस पवित्र विरासत को अपने पास सहेज कर रखा था। इसकी वापसी हमारे मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रमाण है। मैं विशेष रूप से गोवा के अच्छे लोगों को धन्यवाद देता हूं जो इस पवित्र खजाने के इतने सम्माननीय संरक्षक बने रहे हैं। उन्होंने आस्थाओं का सम्मान करने की हमारी परंपरा के प्रति सच्चे रहकर भारत को गौरवान्वित किया है।

सेंट क्वीन किटेवन की शहादत साहस और बलिदान की कहानी है। उनके अवशेषों को दो समर्पित ऑगस्टिनियन भिक्षु भारत लेकर आए, जिन्होंने उनके जीवन के अंतिम वर्षों को देखा था। पवित्र अवशेषों का एक हिस्सा अभी भी हमारे साझा अतीत की याद के रूप में भारत में बना हुआ है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के एक फैसले के बाद जो हिस्सा अब स्थायी रूप से जॉर्जिया वापस आ गया है, वह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों को इस धरती पर आने के लिए प्रेरित करेगा।

भारत और जॉर्जिया में कुछ अवशेषों की मौजूदगी दोनों देशों के बीच आस्था का पुल है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में, दोनों देशों के लोग आध्यात्मिकता और दोस्ती के उस पुल को पार करेंगे। मुझे इस पवित्र अवसर में शामिल होने की अनुमति देने के लिए मैं एक बार फिर मेट्रोपॉलिटन शियो को धन्यवाद देता हूं।

दीदीमादलोबा (धन्यवाद)



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