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आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया वार्ता का प्रतिलेख (25 अप्रैल, 2024)

अप्रैल 25, 2024

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: देवियो और सज्जनों, शुभ मध्याह्न। इस प्रेस वार्ता में आपका स्वागत है। मैं आपके प्रश्न आमंत्रित करता हूँ।

आयुषी: महोदय, मैं ANI से आयुषी अग्रवाल हूँ। महोदय, फ़िलिस्तीन के समर्थन में कुछ विरोध प्रदर्शन हुए हैं जो अब अमेरिका के कई कॉलेज परिसरों तक फैल गए हैं। वे गाजा में बढ़ती मृत्यु संख्या की निंदा कर रहे हैं। इस स्थिति पर आपकी क्या टिप्पणी है, तथा यह भारत के लिए कितनी चिंता का विषय है क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका जाते हैं?

सुधि: महोदय, मैं ब्लूमबर्ग से सुधि रंजन हूँ। तिब्बत के निर्वासित प्रशासन ने कुछ वक्तव्य जारी किए हैं, जिनमें चीन के साथ वार्ताओं, बैक चैनल चर्चाओं पर बात की गई है। क्या सरकार को इन चर्चाओं की जानकारी है और वह भी इन चर्चाओं में शामिल है? और इस बारे में सरकार का क्या दृष्टिकोण है महोदय?

सुहासिनी: मैं द हिंदू से सुहासिनी हैदर हूँ। भारत-रूस संबंधों पर मेरा प्रश्न दो-भागों में है। सबसे पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रूस में हैं, उन्होंने रूस में स्टेट काउंसिल के सेक्रेटरी, जनरल पेत्रुशेव से भेंट की। मैं यह जानना चाहती थी कि क्या उन्होंने उन भारतीयों के मुद्दे पर चर्चा की थी जो रूस से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि रूसी सेना में भर्ती थे, लेकिन अब उन्हें रूसी अधिकारी मुक्त नहीं कर रहे हैं। क्या यह मुद्दा उठा था और क्या उस मामले में, उन मामलों में कोई और प्रगति हुई। और दूसरा प्रश्न दरअसल ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर सूस-शेरपा बैठक के बारे में है, जो जून के मध्य में होने वाली है। क्या भारत उसमें भाग लेगा? विदेश मंत्रियों का ब्रिक्स सम्मेलन है।

संतोष: संतोष ठाकुर नवभारत से। सर, मुझे पूछना है मालदीव के बारे में। मालदीव में मुइज्जू की सरकार आ गई है। तो भारत को क्या लगता है भविष्य के संबंध कैसे होंगे? कोई नये द्विपक्षीय व्यापार वगैरह कुछ ऐसी योजना हो या पर्यटन वगैरह को लेकर के किस तरीके से हम योजना बना रहे हैं? धन्यवाद।

उमाशंकर: उमाशंकर सिंह एनडीटीवी इंडिया से। मेरा सवाल जो जहाज़ पर फँसे 17 भारतीयों में से है, जिसमें से एक महिला तो वापस आ गई। लेकिन भारत में जो ईरान के राजदूत हैं, उनका कहना है कि ईरान की तरफ से सभी भारतीय मुक्त हैं, वो कभी भी जा सकते हैं बशर्ते कि जो कैप्टन है जहाज का वो अनुमति दे। तो इस सूरत में क्या जो भी मिल्कियत है उस जहाज की, जो कंपनी है, उससे या उस देश से जहां से ये जहाज आता है, क्या उससे भारत सरकार ने संपर्क किया है कि कैप्टन को कहें कि उनको इजाजत दें और वो भारतीय वापस देश आ सकें।

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: ठीक है। हम पहले इन प्रश्नों पर बात करेंगे। सबसे पहले विश्वविद्यालयों में हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर, आयुषी। हमने इस पर रिपोर्टे या कई रिपोर्टें देखी हैं और संबंधित घटनाओं की देख रहे हैं। प्रत्येक लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिम्मेदारी की भावना और सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था के बीच सही संतुलन होना चाहिए। लोकतंत्रों को विशेष रूप से अन्य साथी लोकतंत्रों के संबंध में यह समझ प्रदर्शित करनी चाहिए। आख़िरकार, हम सभी का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि हम अपने देश में क्या करते हैं, न कि इस आधार पर कि हम विदेश में क्या कहते हैं। और जहां तक भारतीय विद्यार्थियों के संबंध में आपके प्रश्न का सवाल है, हम लगातार भारतीय विद्यार्थियों के संपर्क में हैं। और जब भी ऐसे मुद्दे होंगे जिनका समाधान करने की आवश्यकता होगी, तो हम इस पर गौर करेंगे।

तिब्बत के मुद्दे को लेकर सुधि आपके प्रश्न के संबंध में, जिसका आपने उल्लेख किया है, मुझे अभी इन मामलों की जानकारी नहीं है। मेरे पास इस पर कोई नई जानकारी नहीं है। लेकिन, मैं इसे देखूंगा और उसके बाद हम इस बारे में आपसे बात करेंगे।

सुहासिनी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के दौरे के बारे में आपके प्रश्न को लेकर, जैसा कि आप जानती हैं कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सेंट पीटर्सबर्ग में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्च पदस्थ अधिकारियों की 12वीं अंतर्राष्ट्रीय बैठक में भाग लेने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग में हैं। और इसके अलावा, उन्होंने रूस में अपने समकक्ष पेत्रुशेव के साथ समेत कई अन्य बैठकें कीं। उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की है जो हमारे द्विपक्षीय एजेंडे में शामिल हैं और उन्होंने ब्राजील के श्री सेल्सो अमोरिम के साथ समेत कई अन्य बैठकें भी की हैं। जहां तक भारतीय नागरिकों के संबंध में आपके प्रश्न का सवाल है, मैं कहना चाहूँगा कि हम रूसी संघ के विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और वहां के कई अन्य संगठनों सहित विभिन्न स्तरों पर इन मामलों को बहुत सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। और हम उन सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अब तक हमारे संपर्क में आए हैं और वहां से वापस स्वदेश आना चाहते हैं। ऐसे दस लोग भारत वापस आ गए हैं। उन्हें छोड़ दिया गया है और वे देश लौट आये हैं। हमें रूसी पक्ष ने आश्वासन दिया है कि जो अन्य भारतीय वहां हैं, उन्हें भी जल्दी ही छोड़ दिया जाएगा और वे वापस आ जाएंगे। हम उन चीज़ों पर काम कर रहे हैं और आपको बाद में उस बारे में अधिक जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, आज आपके अखबार में एक स्टोरी थी। उस विशेष मुद्दे पर भी, जिन एक सज्जन का आपने हवाला दिया था, जिसे आपने रेखांकित किया था, उस विशेष मामले पर भी हम काम कर रहे हैं। हम रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं और हम उसे भारत वापस लाना चाहते हैं और लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मालदीव को ले कर आपका सवाल संतोष जी, मालदीव के साथ हमारे पुराने ऐतिहासिक संबंध हैं। हमारा उनके साथ विकास सहयोग का कार्यक्रम, कई एक कार्यक्रम चल रहा है। हाल ही में आपने देखा होगा मालदीव में, वहां पर संसदीय, मजलिस का चुनाव हुआ है, सफल चुनाव। उस पर हम लोग उनको बधाई देते हैं और हमारे और मालदीव के बीच में जो संसद के स्तर पर एक दूसरे के साथ काफी सारे आदान-प्रदान होते हैं और आशा यही करते हैं कि आने वाले दिनों में जो नई मजलिस आएगी उसके साथ भी हम ऐतिहासिक कड़ी जो हैं हमारा आदान-प्रदान का, उसको हम बनाए रखेंगे।उमाशंकर जी आपका सवाल 16 लोगों को ले के है जो जहाज पर हैं, एमएससी एरीज पर। आपको ज्ञात होगा कि एक लड़की जो वहां थी वो वापस आ गई। जो 16 लोग हैं, उनका हम लोगों ने कांसुलर पहुंच मांगा था, जो हमें मिला। हम लोगों के अधिकारी वहां गए, जा के मिले। वो लोग सब अपने परिवार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। उनका सेहत बेहतर है, अच्छा है। और वहां जहाज पर वो लोग कोई, किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। जहां तक उनके वापस आने का जो प्रश्न होता है, वो वापस आने में थोड़ी सी तकनीकी चीजें हैं, उनके कुछ संविदात्मक दायित्व हैं। वो एक बार वो पूरा हो जाए उस पर निर्भर करेगा कि कब वो वापस आएंगे।

मधुरेंद्र: सर, मधुरेंद्र मैं न्यूज नेशन से। मेरा सवाल ईरान के राष्ट्रपति रायसी के पाकिस्तान दौरे को लेकर है। उनके संयुक्त वक्तव्य में जिस तरह से कश्मीर का जिक्र किया गया, उस पर भारत का क्या कहना है। और इसी से जुड़ा दूसरा सवाल है कि क्या रायसी ने भारत आने की भी पेशकश की है?

कुणाल: पीटीआई से कुणाल दत्त। महोदय, मेरा प्रश्न कुछ दिन पहले एक शीर्ष राजनयिक, फ्रांसीसी राजनयिक के दौरे और फ्रांस को CDRI की सह-अध्यक्षता मिलने के संबंध में है। प्रधानमंत्री ने कल भी इस बारे में बात की थी। पिछले दो वर्षों से अमेरिका भारत के साथ सह-अध्यक्षता कर रहा है। क्या कोई रूपरेखा है जो बढ़ती जलवायु अनिश्चितताओं के बीच सामने आई है, इस तथ्य को देखते हुए कि भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी है, और दोनों का फ्रांस-भारत होराइजन 2047 रोडमैप भी है। तो क्या इस व्यापक साझेदारी के अंतर्गत कोई निश्चित रूपरेखा तैयार है? और इसी क्रम में, फ्रांस नए राष्ट्रीय संग्रहालय के विकास में भी भागीदार है। उन्होंने साइट का भी दौरा किया। महोदय क्या आप बता सकेंगे कि इस परियोजना में फ्रांस की भूमिका वास्तव में क्या होगी? धन्यवाद।

शाहिद: महोदय मैं WNN से शाहिद हूँ। महोदय, ईरान के राष्ट्रपति की पाकिस्तान और श्रीलंका यात्रा को ध्यान में रखते हुए, इसके अलावा कतर के आमिर नेपाल और बांग्लादेश का भी दौरा कर रहे थे। तो उन बातों को ध्यान में रखते हुए, क्या इस क्षेत्र में गठबंधनों, उभरते गठबंधनों और आर्थिक हितों पर कोई प्रभाव पड़ेगा?

ताकाशी: नमस्ते, मैं जापानी अखबार असाही शिंबुन से ताकाशी इशिहारा हूँ। आपसे मेरा प्रश्न जी7 शिखर सम्मेलन के बारे में है। क्या आपको इटली सरकार से कोई निमंत्रण मिला है? और क्या आप जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के इच्छुक हैं?

धैर्य: महोदय स्पुतनिक इंडिया से धैर्य माहेश्वरी। महोदय, मेरा प्रश्न शेरपा और सूस-शेरपा बैठक के संबंध में है। एक बहुपक्षीय डिजिटल भुगतान मंच या ब्रिक्स ब्रिज बनाना, रूसी अध्यक्षता की एक प्राथमिकता है। भारत इस संभावना को किस प्रकार देखता है? क्या आप इसका समर्थन करते हैं? और महोदय, यदि आप मुझे अनुमति दें, तो अमेरिकी विदेश विभाग की मानवाधिकार रिपोर्ट 2023 जिसमें मानवाधिकारों, कथित मानवाधिकार उल्लंघन के एक दर्जन मामलों पर भारत की आलोचना की गई है, उसके बारे में मेरा एक और प्रश्न है। तो क्या उस पर भी प्रतिक्रिया मिल सकेगी? धन्यवाद।

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: ठीक है। मधु आपका सवाल कश्मीर को लेकर था। उस मुद्दे पर हम लोगों ने ये बात अपने ईरानी जो अधिकारी हैं, उनसे हम लोगों ने उठाई है। और उनको हमने... हमने यह मामला उनके समक्ष उठाया है। जहां तक दूसरा सवाल था आपका, उनके राष्ट्रपति के आने का, इस मुद्दे पर आपको जैसे पता है कि हम लोग ये सब चीजें जब तैयार हो जाती हैं, अंतिम रूप दे दिया जाता है, तब आपको हम सही समय पर बताते हैं।

कुणाल, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (CDRI) से संबंधित आपके प्रश्न पर बात करें तो, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंच है। इस मंच पर विश्व स्तर पर भारत ने अग्रणी स्थिति हासिल की हुई है। इस मंच से बड़ी संख्या में देश जुड़ चुके हैं। हम सभी सदस्यों की भागीदारी का स्वागत करते हैं। हम इसे सशक्त बनाना चाहते हैं। हम सभी अवगत हैं कि जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले व्यवधानों से लड़ना कितना महत्वपूर्ण है। और हम चाहते हैं कि अधिक अंतरराष्ट्रीय पक्षकार, वैश्विक समुदाय आगे आएं और हमारा समर्थन करें। बेशक, फ्रांस एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। और हम CDRI के दायरे में भी उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय के बारे में आपने जो दूसरा प्रश्न पूछा है, उस पर मेरे पास कोई विशेष.. मैं आपके पास वापस आऊंगा। निस्संदेह, कला और सांस्कृतिक सहयोग के मामले में फ्रांस एक महत्वपूर्ण देश है। और हमारा फ्रांस और कई अन्य देशों के साथ बहुत प्रबल सांस्कृतिक सहयोग रहा है। तो मैं आपके पास विशेष विवरणों के साथ वापस आऊंगा।

ताकाशी, जी7 के बारे में आपके प्रश्न के संबंध में। हाँ, हम अवगत हैं कि जी7 बैठक इटली में होनी है। हमें निमंत्रण मिला है, लेकिन इस समय यह एक ऐसा मामला है जिस पर विचार किया जा रहा है। और जैसे ही हमें विवरण पता चलेगा... जैसे ही हमारे पास आपको बताने के लिए अधिक विवरण होंगे, हम इस पर आपसे बात करेंगे।

धैर्य, विदेश विभाग की रिपोर्ट के संबंध में। जहां तक हमारी समझ है, यह रिपोर्ट बेहद पक्षपाती है और भारत के बारे में बेहद कमज़ोर समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई मूल्य नहीं देते और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करते हैं। सूस-शेरपा और शेरपा बैठकों के बारे में आपके प्रश्न के संबंध में, मेरे पास आपके द्वारा उल्लिखित प्रस्ताव के संबंध में कोई नई जानकारी नहीं है, लेकिन मैं आपके पास वापस आऊंगा कि हम इस पर कैसे विचार कर रहे हैं। किन्तु सामान्य रूप से, मैं आपसे यह कहना चाहूँगा कि, जैसा कि आप जानते हैं, डिजिटल इंडिया पूरे विश्व में नाम और प्रसिद्धि अर्जित कर रहा है। जैसा कि आप जानते हैं, कि यूपीआई अब वैश्विक सफलता की कहानी बन गया है। इसलिए वैश्विक स्तर पर डिजिटल सहयोग के मामले में भारत का नाम इसमें आता है, और हम दुनिया भर के देशों के साथ डिजिटल सहयोग को सशक्त बनाना जारी रखना चाहते हैं।

गेरी: नमस्ते, श्री जायसवाल। मैं वाशिंगटन पोस्ट से गेरी शिह हूँ। महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि; एक, क्या आपके पास पन्नून मामले पर अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों की भारत द्वारा जांच के बारे में कोई नई जानकारी है? और इसके अलावा, हाल के सप्ताहों में चुनाव अभियानों के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत आतंकवादियों या भारत के दुश्मनों के घरों में घुसकर उनको मारेगा। मेरा विचार है कि क्या श्री मोदी और रक्षा मंत्री सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदि अन्य भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए ये वक्तव्य, टारगेटेड हत्याओं पर भारत के दृष्टिकोण के विपरीत हैं, और क्या आप यह भी बता सकते हैं कि भारत की नीति इस पर क्या है कि भारत विदेशों में टारगेटेड हत्या करता है या नहीं। बहुत धन्यवाद।

गौतम: मेरे विचार में, दो दिन पहले लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने बीएनपी और जमात के कुछ नेताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। क्या भारत ने इसका संज्ञान लिया है और क्या आप दूतावासों की सुरक्षा के बारे में बांग्लादेश या ब्रिटेन दोनों जगह की सरकारों के संपर्क में हैं और वास्तव में क्या हो रहा है। मूलतः उन्होंने वहां भारत विरोधी नारेबाजी की है।

कल्लोल: मेरा प्रश्न इस रिपोर्ट के संबंध में है कि बांग्लादेश चीन के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास करने जा रहा है और आतंकवाद विरोधी अभ्यास के लिए चीनी सेनाएं जल्द ही मई में बांग्लादेश का दौरा करने वाली हैं। क्या भारत ने इसका संज्ञान लिया है और क्या आपके विचार में भारत के सुरक्षा संबंधी सरोकार इससे प्रभावित होंगे? और मेरा दूसरा प्रश्न नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय के संबंध में भारत-फ्रांस सहयोग को लेकर है। मेरा प्रश्न यह है कि, एक ऐसे देश के रूप में भारत, जो कि अब पश्चिम से सांस्कृतिक धरोहरों को वापस ला रहा है, अपने राष्ट्रीय संग्रहालय के लिए, जो कि वास्तव में देश का गौरव है, एक पश्चिमी देश, विशेष रूप से एक पूर्व औपनिवेशिक शक्ति के साथ सहयोग क्यों कर रहा है,?

अभिषेक: नमस्ते महोदय, मैं सीएनएन न्यूज18 से अभिषेक झा हूँ। मेरा प्रश्न अज़रबैजान के राष्ट्रपति द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणियों के संबंध में है जिनमें उन्होंने कहा था कि भारत को आर्मेनिया को हथियार नहीं भेजना चाहिए क्योंकि इससे क्षेत्र में अशांति उत्पन्न हो रही है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। और उन्होंने यह भी कहा है कि उन्होंने इस मुद्दे को भारतीय अधिकारियों के समक्ष उठाया है। तो क्या इस पर आपकी कोई टिप्पणी है?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: ठीक है, श्री शिह, मैं सबसे पहले आपके प्रश्न पर बात करता हूँ। पहली बात पर, जैसा कि आप जानते हैं कि हमने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह उच्च स्तरीय समिति कई सूचनाओं पर गौर कर रही है जो अमेरिकी पक्ष द्वारा हमारे साथ साझा की गई थीं, क्योंकि वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी समान रूप से प्रभाव डालती हैं। उच्च स्तरीय समिति उन पहलुओं पर गौर कर रही है और अभी तक इस मामले में यही जानकारी है। दूसरे प्रश्न के संबंध में, जैसा कि आप जानते हैं, हमारे विदेश मंत्री और उन्होंने इस विशेष मामले पर बात की है, मैं आपसे वे टिप्पणियां देखने का अनुरोध करता हूँ।

गौतम, लंदन में विरोध प्रदर्शन के संबंध में, मैंने इसके बारे में कुछ रिपोर्टें देखी हैं। मेरे पास इस पर और कोई नई जानकारी नहीं है, लेकिन अधिक जानकारी के साथ मैं आपके पास आऊंगा।

कल्लोल, संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर आपके प्रश्न के संबंध में, जैसा कि आप जानते हैं, जैसा कि आपने मुझे इस मंच से कई बार इसके बारे में कहते सुना है, कि हम अपने पास-पड़ोस और उससे परे होने वाली ऐसी सभी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखते हैं, जो हमारे हितों, आर्थिक और सुरक्षा हितों को प्रभावित कर सकती हों। हम तदनुसार उचित कदम उठाते हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय को लेकर भारत-फ्रांस सहयोग के मामले में, देखिए, आप अभी एक विशेष देश के बारे में बात कर रहे हैं; लेकिन राष्ट्रीय संग्रहालय और भारत सरकार के अन्य विभागों के मामले में हमारा पूरे विश्व के देशों के साथ बहुत व्यापक सांस्कृतिक सहयोग रहता है। तो ऐसा नहीं है, कि ये संग्रहालय... एक विशेष संग्रहालय के लिए एक विशेष देश के साथ सहयोग का मामला है। तो सांस्कृतिक संदर्भ में, संग्रहालय के मामले में अनेक देशों के साथ हमारा बहुत व्यापक सहयोग है।

अभिषेक, अज़रबैजान को लेकर आपके प्रश्न के संबंध में, अज़रबैजान और आर्मेनिया दोनों के ही साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं। लेकिन इसके अलावा, हमारी मेक इन इंडिया नीति भी है जिसमें रक्षा निर्यात को बढ़ावा दिया जाता है।

सृंजॉय: महोदय, 13 अप्रैल को मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और आईएसआई की बैठक हुई थी और उसमें से चार बातें निकलकर आईं; एक तो यह कि घुसपैठ जारी रखना, लेकिन विशेष रूप से चुनावों के दौरान ऐसा करना व राजनीतिक दलों और निश्चित रूप से सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाना; इसके अलावा, बड़ी मात्रा में हथियारों और ड्रग्स को भी ले जाने की बात थी। ड्रग्स वाली बात नई है। तो, क्या आप इसके बारे में अवगत हैं? ये आपकी रिपोर्टों में है और क्या संबंधित संगठनों को इसके बारे में सचेत किया गया है?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद। तो, सृंजॉय, आपके प्रश्न पर बात करें तो, देखिए, सुरक्षा मामलों के संदर्भ में, हम अपनी सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेते हैं और हम अपनी सुरक्षा को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए आवश्यक सभी कदम उठाते हैं और तदनुसार कार्यवाही करते हैं।

इस वार्ता में भाग लेने के लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद। अगले सप्ताह आपसे फिर मिलने की प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।

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