मीडिया सेंटर

मालदीव के राष्ट्रपति की भारत यात्रा पर विशेष ब्रीफिंग का प्रतिलेख (अगस्त 02, 2022)

अगस्त 02, 2022

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आप सभी को बहुत-बहुत शुभ दोपहर। मालदीव के राष्ट्रपति, राष्ट्रपति सोलिह की यात्रा के अवसर पर विशेष मीडिया ब्रीफिंग के लिए आज हमारे साथ जुड़ने के लिए आप सबका धन्यवाद। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति सोलिह के बीच अभी-अभी हुई बातचीत की जानकारी देने के लिए, मुझे यहां मालदीव में हमारे उच्चायुक्त, श्री मुनु महावर के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र को देख रहे संयुक्त सचिव श्री कार्तिक पांडे के साथ होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इसलिए, मैं श्री मुनू से अनुरोध करूंगा कि वे कुछ शुरुआती टिप्पणियों के साथ आरंभ करें और फिर हम कुछ प्रश्नों को लेने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद।

मालदीव में भारत के उच्चायुक्त श्री मुनु महावर: धन्यवाद अरिंदम। शुभ दोपहर। मैं क्या करूँगा, मैं कुछ बुनियादी जानकारियों के साथ शुरू करूँगा, जिनमें से कुछ आपको पहले से ही विभिन्न वक्तव्यों के माध्यम से ज्ञात हो सकते हैं, लेकिन मैं इसे फिर से बताऊंगा और फिर हम प्रश्न और उत्तर के लिए मंच खोल सकते हैं। तो, मालदीव के राष्ट्रपति, महामहिम इब्राहिम मोहम्मद सोलिह कल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे। उनके साथ प्रमुख मंत्रीगण और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी आया है। कल, विदेश मंत्री ने उनसे मुलाकात की। और आज उन्होंने सीमित तथा प्रतिनिधिमंडल स्तर के प्रारूपों में प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की। और फिर इसके बाद एक मीडिया कार्यक्रम हुआ जहां आपने कई प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन और समीक्षा देखी। हमारे बीच समझौते का आदान-प्रदान भी हुआ और फिर दोनों नेताओं द्वारा प्रेस टिप्पणी की गई। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति सोलिह के लिए मध्याह्न भोजन का आयोजन किया। बाद में आज दिन में राष्ट्रपति सोलिह हमारी राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात करेंगे। वे राष्ट्रपति जी से मिलने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष होंगे। इस यात्रा का एक बहुत मजबूत व्यापारिक फोकस भी है, और इसलिए दो व्यापारिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है, एक दिल्ली में शाम को और फिर एक मुंबई में। राष्ट्रपति सोलिह कल सुबह मुंबई के लिए प्रस्थान करेंगे और वहां कुछ अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ उनकी महाराष्ट्र के राज्यपाल के साथ बैठक होगी, जो दोपहर के भोजन की मेजबानी भी करेंगे और इसके बाद कुछ अन्य व्यावसायिक कार्यक्रमों की भी योजना है।

अब केवल यात्रा का संदर्भ देने के लिए मैं बता दूं कि, हमारे दोनों देशों के बीच बहुत ही उच्चस्तरीय संपर्कों की एक श्रृंखला रही है। यह राष्ट्रपति सोलिह की भारत की तीसरी यात्रा है। वे अपने निर्वाचन के तुरंत बाद दिसंबर 2018 में भारत आए थे और फिर उन्होंने भारत के निमंत्रण पर एक मैच, क्रिकेट मैच देखने के लिए अप्रैल 2019 में फिर से बेंगलुरु का दौरा किया था। प्रधानमंत्री नवंबर 2018 में राष्ट्रपति सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए वहां गए थे और फिर उन्होंने जून 2019 में मालदीव की आधिकारिक यात्रा की थी। दोनों नेताओं के बीच एक वर्चुअल बैठक भी हुई। वे टेलीफोन पर संपर्क में रहे हैं। इसलिए दोनों नेताओं के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध है और निश्चित रूप से हमारे बीच उच्चस्तरीय आदान-प्रदान की एक श्रृंखला भी बनी रही है। हाल ही में, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने अड्डू का दौरा किया जहां कुछ अति उच्चस्तरीय परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया। पिछले साढ़े तीन, चार वर्षों में हर क्षेत्र में संबंधों में जबरदस्त वृद्धि हुई है और यह हमारे दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध के कारण संभव हुआ है। यह संबंध समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला रिश्ता है, लेकिन यह पिछले साढ़े तीन वर्षों में वास्तव में विकसित हुआ है। महामारी के दौरान सहयोग वास्तव में अभूतपूर्व था। आपने सुना होगा, राष्ट्रपति सोलिह ने इसके बारे में बात की थी। यह वास्तव में पूरे क्षेत्र के लिए एक मॉडल है। हमने मालदीव की सरकार को चिकित्सा आपूर्ति, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, टीकों और यहां तक कि एयर बबल के संदर्भ में हरसंभव सहायता प्रदान की, जिससे हमने यात्रा को सुविधाजनक बनाया और इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था को वास्तव में मदद मिली, जो पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है और जो जबरदस्त दबाव में थी। और उन्होंने भी अपनी ओर से, जो भी सहायता की हमें आवश्यकता थी, उसके लिए पूरा समर्थन दिया, उदाहरण के लिए, हमारे अपने लोगों को वापस लाने में। विकास सहयोग वास्तव में एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में विकसित हुआ है। हम बड़ी परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं, हम मध्यस्तरीय परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं और हम बड़ी संख्या में उच्च प्रभाव वाली छोटी परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं, जो माले से दूर स्थित द्वीपों के लोगों को लाभ पहुंचाते हैं। इसलिए आज, अगर मैं वित्तीय सहायता के हिस्से को भी छोड़ दूं, तो विकास सहयोग पोर्टफोलियो अपने आप में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का है। व्यापार में जबरदस्त वृद्धि हुई है। पिछले साल इसमें 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इसलिए कोविड के बावजूद, व्यावसायिक संबंध बढ़े हैं और इसके कई कारण हैं जिनसे हम प्रश्न और उत्तर सत्र के दौरान रू-ब-रू हो सकते हैं, जिन्होंने वास्तव में हमें महामारी की चुनौतियों के बावजूद अपनी आर्थिक भागीदारी को बढ़ाने में सक्षम बनाया है। सुरक्षा और रक्षा सहयोग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है और हम बहुत निकटता से काम कर रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे संबंधों से न केवल हमारे दोनों देशों को लाभ हुआ है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में स्थिरता, शांति और समृद्धि का कारक रहा है।

तो, दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत पर आते हैं, राष्ट्रपति सोलिह ने यहाँ आने पर गर्मजोशी भरे आतिथ्य की ह्रदय से सराहना की। दोनों नेताओं ने पूरे फलक की समीक्षा की, और इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उठाए जा सकने वाले अगले कदमों पर ध्यान केंद्रित किया। राष्ट्रपति सोलिह ने बैठक में और फिर प्रेस में भी मालदीव की इंडिया फर्स्ट पॉलिसी पर जोर दिया, और प्रधानमंत्री ने भी अपनी ओर से राष्ट्रपति सोलिह को आश्वस्त किया कि मालदीव भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति में एक बहुत ही विशेष स्थान रखता है। उन्होंने निश्चित रूप से कोविड के दौरान हमारे बीच सहयोग की समीक्षा की, और कैसे कोविड के बाद भी, हम उभरती हुई चुनौतियों से निपटने के लिए बहुत घनिष्ठता से काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, आपने रिपोर्ट देखी होंगी कि कैसे हम अपनी बाध्यताओं के बावजूद मालदीव को आवश्यक वस्तुओं, चीनी, गेहूं के आटे की आपूर्ति करते रहे हैं। इसलिए हम मालदीव के लिए सहयोगी रहे हैं और मालदीव में इन आवश्यकताओं को पूरा किया है। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की पहली ईंट डालना एक ऐतिहासिक घटना है। यह अनिवार्य रूप से स्थायी संरचना के निर्माण की शुरुआत का प्रतीक है। यह परियोजना जिसे 100 मिलियन डॉलर के अनुदान और 400 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता से वित्तपोषित किया गया है, इसमें मालदीव की अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है। आपने अन्य परियोजनाओं में प्रगति देखी है और हालाँकि नेताओं ने अपने बयानों में इसका उल्लेख किया है, फिर भी मैं कुछ परिणामों के बारे में बताना चाहूँगा, क्योंकि ये यात्रा के बहुत ही महत्वपूर्ण परिणाम हैं और वे दिखाते हैं कि हम कैसे मालदीव के साथ उनके खुद के विकास और प्रगति के लिए लगातार सहायता प्रदान कर रहे हैं और उनके प्रयासों का समर्थन करने के लिए घनिष्ठता से काम करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि परियोजनाओं को बाधित नहीं किया गया एवं उन्हें तेजी से लागू किया गया, इस यात्रा में हमने 100 मिलियन डॉलर की एक और ऋण सहायता की घोषणा की। हम 2000 अतिरिक्त सामाजिक आवास इकाई के लिए वित्तपोषण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो वास्तव में मालदीव की सरकार और लोगों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। हमने हनीमाधु हवाई अड्डे के विकास के लिए अनुमोदनों को स्वीकृति और अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। गुल्हीफाहलू परियोजना के लिए डीपीआर को अंतिम रूप दे दिया गया है और यह फिर से एक बहुत बड़ी परियोजना है। वे माले बंदरगाह को गुल्हीफाहलू में स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं जो माले में भीड़ कम करेगा और इससे बंदरगाह की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

निर्यात जारी हैं और हमने पुन: पुष्टि की है कि मालदीव के लिए साफ्टा के तहत बिना कोई शुल्क लगाए भारत को टूना और टूना उत्पादों का निर्यात करना संभव है और इससे हमारे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। कई निर्णय लिए गए जो मालदीव को अपने सुरक्षाबलों, एमएनडीएफ और पुलिस की क्षमता बढ़ाने में मदद करेंगे। पुलिस के लिए, बेशक पुलिस अकादमी परियोजना का उद्घाटन डॉ. जयशंकर की यात्रा के दौरान हुआ था। आज हमने मालदीव में 61 सुविधाओं के निर्माण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर होते देखा; पुलिस स्टेशन, आवासीय इकाइयाँ और मुझे लगता है कि डिटेंशन सेंटर भी इसका एक हिस्सा है। हम रक्षा से जुड़े मंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अतीत में भी रक्षा से जुड़े मंच प्रदान करते रहे हैं, तथा हम और अधिक मंच प्रदान करने एवं पुराने को नए के साथ बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मालदीव के रक्षा बल को उपयोगिता वाहन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। उसके बाद नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। हम क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विभिन्न मंचों पर बहुत निकटता से काम कर रहे हैं। आपने देखा होगा कि मालदीव ने कैसे कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की बैठक की सफलतापूर्वक मेजबानी की, जिसमें हमारे एनएसए ने भाग लिया था। और उस बैठक में हमने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की सदस्यता का विस्तार करने का फैसला किया, उसमें मॉरीशस एक सदस्य के रूप में शामिल हुआ और फिर मानवीय सहायता एवं आपदा राहत का एक नया स्तंभ जोड़ा गया। कुल मिलाकर, इस यात्रा में बहुत महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त हुए हैं और निश्चित रूप से हम एक संयुक्त वक्तव्य और एक परिणाम दस्तावेज जारी करेंगे, जो आपको और अधिक जानकारी प्रदान करेंगे। इसलिए मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं कि राष्ट्रपति सोलिह की यात्रा और उसके परिणाम हमारी नेबरहुड फर्स्ट की नीति और इसमें मालदीव के लिए महत्वपूर्ण स्थिति की एक मजबूत पुष्टि है। यह विकास और लोकतंत्र के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता और एक ऐसी साझेदारी को दर्शाता है, जो एक परियोजना के लिए टैगलाइन भी थी। और हमें विश्वास है कि यह यात्रा इन सभी क्षेत्रों में हमारे बहुआयामी सहयोग को आगे बढ़ाएगी और हमारी साझेदारी को और मजबूत करेगी। तो मैं यहीं रुकता हूँ।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: मुनू को पूरे अवलोकन और बातचीत के बारे में बताने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हम कुछ प्रश्नों का उत्तर देंगे, कृपया अपना और उस संगठन का परिचय दें जिससे आप आते हैं। मुझे पहले से ही हाथ दिखाई दे रहे हैं। येशी, हम आपके साथ शुरू करेंगे।

येशी: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से येशी सेली। आपने अभी उल्लेख किया है कि व्यापार में 31% की वृद्धि हुई है, मैं जानना चाहती हूं कि भारत और मालदीव के बीच यह किस अवधि से किस अवधि तक हुआ। और दूसरी बात, पीएम मोदी ने 100 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता (एलओसी) की घोषणा की है। इसके अलावा, हमने अबतक मालदीव को कुल कितनी वित्तीय सहायता दी है।

नयनिमा: मैं द प्रिंट से नयनिमा हूं। तो मैं बस ये समझना चाहती थी कि एक बेहद करीबी और मैत्रीपूर्ण पड़ोसी के तौर पर क्या मालदीव से वहां की सत्ताधारी पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी कलह पर और विपक्ष के भारत विरोधी नारों पर भी कोई चर्चा हुई। मुझे यकीन है कि ये बहुत गंभीर चिंताएं हैं जो शायद आज की चर्चा में सामने आई हों।

सिद्धांत: सर, विऑन से सिद्धांत। मेरा प्रश्न योग संबंधी हिंसा पर है। क्या योग के खिलाफ उभरने वाली भावना पर कोई चर्चा हुई, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि अधालथ पार्टी, जो गठबंधन की सदस्य है, एक शोध दस्तावेज लेकर आई है और जो राष्ट्रपति को यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाल रही है कि मालदीव में इसका अभ्यास न किया जाए।

श्री मुनु महावर, मालदीव में भारत के उच्चायुक्त: तो, पहले व्यापार पर। मुझे लगता है कि यह आंकड़ा 31% है, अगर मुझे सही से याद है, तो पिछले साल की तुलना में 31% की वृद्धि हुई है। इसलिए, 2021 में हमारे व्यापार में 2020 की तुलना में 31% की वृद्धि देखी गई। और ऐसा होने के कई कारण हैं। बेशक, कोविड की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है। हमने अपने दोनों देशों के बीच वीजा मुक्त यात्रा शुरू की है, लागू की है। एक सीधी शिपिंग सेवा है जो चालू है, और हम कई परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं जिनमें भारतीय सामग्री की भी आवश्यकता है। तो इन सभी कारकों ने योगदान दिया है और फिर हवाई संपर्क में जबरदस्त वृद्धि हुई है। तो, इन कारकों ने द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि में योगदान दिया है।

येशी: क्या आप व्यापार की मात्रा बता सकते हैं?

श्री मुनु महावर, मालदीव में भारत के उच्चायुक्त: व्यापार मुझे लगता है, पिछले साल यह लगभग 330 मिलियन डॉलर था, यह मात्रा थी, और इस साल मेरे पास सटीक संख्या नहीं है लेकिन, मेरी समझ यह है कि यह फिर से बढ़ रही है। इसलिए हमारे व्यापार के संदर्भ में प्रवृत्ति बहुत सकारात्मक है।

कार्तिक पांडे, संयुक्त सचिव: मालदीव से टूना के निर्यात पर आज की घोषणा उनके निर्यात में भी इजाफा करेगी। इस प्रकार, यह उनका एक अनुरोध था, जिस पर फिर से सहमति हो गई है।

श्री मुनु महावर, मालदीव में भारत के उच्चायुक्त: और कुल वित्तीय सहायता के संदर्भ में आपको याद होगा कि 2018 में जब राष्ट्रपति सोलिह भारत आए थे, तो 1.4 बिलियन डॉलर का पैकेज था, जिसमें 800 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता, 200 मिलियन डॉलर की बजटीय सहायता और 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय थी। उसके बाद हमने अनुदान परियोजनाओं के रूप में, और अधिक ऋण सहायता के रूप में और अधिक सहायता प्रदान की है, हमने रक्षा के लिए विशेष ऋण सहायता दी है, हमने खेलों के लिए विशेष ऋण सहायता दी है, हमने बड़ी संख्या में उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं को लागू किया है, और अब हमने आज एक अतिरिक्त ऋण सहायता की घोषणा की है। इसके अलावा, हमने एक्जिम इंडिया की बायर्स क्रेडिट योजना के माध्यम से भी परियोजना को वित्तपोषित किया है। तो, आवास परियोजनाओं को उस योजना के तहत क्रियान्वित किया जा रहा है और आज जिस पुलिस बुनियादी ढांचा परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए, उसे भी उसी योजना के तहत क्रियान्वित किया जाएगा। मैं सबसे बड़ी परियोजना के बारे में बताना भूल गया, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना, जो कि 500 मिलियन डॉलर, 400 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता और 100 मिलियन डॉलर का अनुदान है। इसलिए, अगर हम इन सबको जोड़ दें, तो यह आंकड़ा लगभग 2.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, लेकिन मैं जो करने की कोशिश कर रहा था वह वित्तीय सहायता के हिस्से को हटाना था और यह मोटे तौर पर 600 से 800 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय, बजटीय सहायता की सीमा में होगा। इसलिए, कुल मिलाकर, हम मालदीव के साथ मिलकर काम करना जारी रखने और पूर्ण समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और आपने खुद प्रधानमंत्री को यह कहते सुना है।

अंतर्कलह, नारों के बारे में सवाल के संदर्भ में। ठीक है, जैसा कि मैंने कहा, यात्रा और सभी चर्चाएं द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित थीं। राष्ट्रपति सोलिह ने मालदीव की इंडिया फर्स्ट पॉलिसी की फिर से पुष्टि की है और प्रधानमंत्री ने भी दोहराया है कि मालदीव हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में एक बहुत ही विशेष स्थान रखता है। राष्ट्रपति सोलिह ने भी आश्वासन दिया है और आपने उनकी प्रेस टिप्पणी के दौरान सुना भी है कि मालदीव में भारत के साथ संबंध मजबूत करने की प्रबल इच्छा है। मालदीव के लोग इस साझेदारी की सराहना करते हैं। वे मानते हैं कि कैसे भारत हमेशा उनकी जरूरत के समय में मालदीव के साथ खड़ा रहा है और उनमें हमारे संबंधों को और मजबूत करने की वास्तविक इच्छा है। ये अभियान जो चलाए जा रहे हैं, वे गलत सूचना, झूठे प्रचार पर आधारित हैं, और ये मालदीव के लोगों के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। और मैं योग पर विशेष रूप से कहूंगा, देखिये, एक कार्यक्रम के रूप में, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। मालदीव में भी 2015 से हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, और मालदीव ने इस दिन को मान्यता देने वाले प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था। और आप जानते हैं कि ऐसा हुआ था, यह मालदीव सरकार और संयुक्त राष्ट्र मालदीव तथा सरकार व राजनीतिक दलों के साथ उच्चायोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम था, जो कुछ हुआ उसकी कई राजनीतिक दलों ने निंदा की है, और मालदीव की सरकार ने कार्रवाई की है और उन्होंने उच्चतम स्तर पर प्रतिबद्धता जताई है कि जिम्मेदार लोगों को कानून के समक्ष लाया जाएगा।

अखिलेश सुमन : महोदय, मैं संसद टीवी से अखिलेश सुमन हूं। आप जानते हैं कि श्रीलंका बहुत कठिन समय से गुजरा है और क्या आपको लगता है, और क्या आपने मालदीव से किसी फॉलो-अप प्रतिक्रिया के बारे में बात की है जिसका श्रीलंका ने सामना किया है और मालदीव की आर्थिक स्थिति को लेकर आपकी क्या विवेचना थी?

पूनम डबास: मैं पूनम डबास हूं, पहले राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता डीडी न्यूज के साथ थी। अब मैं एक थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज चलाती हूं। और पारिस्थितिकी चिंता का एक क्षेत्र है। तो मेरा सवाल पारिस्थितिकी पर है और मैं सिर्फ यह समझना चाहती हूं कि क्या यह दोनों नेताओं के बीच चिंता का विषय था? यदि हां, तो मेरी विशेष रुचि जल में होगी, आप जानते हैं, ताजा पेयजल, शरणार्थियों का विस्थापन, और क्या दोनों देशों के बीच कोई परियोजना या सहयोग चल रहा है।

महा सिद्दीकी: सर, मैं एनडीटीवी से महा सिद्दीकी हूं। श्रीमान्, श्रीलंका और मालदीव के संदर्भ में, क्या कर्ज के जाल का कोई जिक्र हुआ जो पैदा किया गया है और श्रीलंका में जो हो रहा है, उसके लिए वह भी जिम्मेदार था।

श्री मुनु महावर, मालदीव में भारत के उच्चायुक्त: तो, मालदीव की आर्थिक स्थिति के प्रश्न पर, वास्तव में उस पर कुछ कहना मेरे लिए उचित नहीं है। मालदीव सरकार ने इस पर कई बयान जारी किए हैं और मैं आपसे उन बयानों को देखने का आग्रह करूंगा। जहां तक हमारा संबंध है, हम न केवल स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में, बल्कि पहले कोविड और फिर उसके बाद उभरती स्थिति से निपटने के लिए भी मालदीव के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसलिए हमने मालदीव के साथ मिलकर काम किया है और हम मालदीव के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे। और आपने प्रधानमंत्री को यह कहते सुना कि भारत मालदीव में पहल करने वाला सबसे पहला देश रहा है और भारत मालदीव में पहल करने वाला सबसे पहला देश बना रहेगा। इसलिए, मैं इसे यहीं पर छोड़ता हूँ, मैं और अधिक विवरण में नहीं जाऊंगा।

पारिस्थितिकी पर, मुझे खुशी है कि आपने इसे उठाया है क्योंकि यह वास्तव में हमारे सहयोग के फोकस क्षेत्रों में से एक है और हम इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर रहे हैं। यह चर्चाओं में शामिल था, आप जानते हैं, मालदीव और भारत के लिए जलवायु परिवर्तन और इसका प्रभाव एक प्रमुख प्राथमिकता है और हम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मालदीव अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का एक हिस्सा है। यह कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का एक हिस्सा है और हम देख रहे हैं कि हम अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपने सहयोग को कैसे बढ़ा सकते हैं। विशेष रूप से, जल और स्वच्छता पर, आपने देखा होगा कि नेताओं ने वास्तव में 34 द्वीपों पर पेयजल और सीवरेज परियोजना के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा की, जिसमें हम सहयोग कर रहे हैं और यह मालदीव में शुरू किया गया सबसे बड़ा जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम है और यह भारत के सहयोग से हो रहा है। इसलिए, यह निश्चित रूप से एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और हम उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं। और हम इस प्रकृति की कुछ छोटी परियोजनाओं पर अपने अनुदान के तहत भी काम कर रहे हैं, जैसा कि आप जानते हैं, उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजना। वास्तव में, ये सभी कार्यक्रम मालदीव के लोगों की आवश्यकता के अनुरूप हैं और इन्हें परामर्श से और कभी-कभी सीधे स्थानीय निकायों के माध्यम से लागू किया जाता है और यह एक अन्य क्षेत्र है, आप जानते हैं, जहाँ हम अपने सहयोग को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। आज हमने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हमें मालदीव के साथ काम करने, स्थानीय सरकारी प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, उनके क्षमता निर्माण के लिए उपाय करने में सक्षम बनाएगा और उन्हें कई क्षेत्रों में समर्थन की आवश्यकता है। इसलिए यह हमारे सहयोग का प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना रहेगा।

पूनम डबास: जलवायु शरणार्थी?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: और मुझे लगता है कि जैसा आपने बताया, जलवायु परिवर्तन पर बहुत काम हो रहा है। मुझे नहीं पता कि मालदीव पर जलवायु परिवर्तन के जो प्रभाव हैं, उस पर चर्चा करने का यह सही अवसर है या नहीं? मैं नहीं समझता हूँ कि हम सही व्यक्ति हैं, लेकिन यदि आपके पास कोई अतिरिक्त प्रश्न है, तो मैं उस पर वापस आऊंगा।

मधुरेन्द्र: सर मधुरेन्द्र मैं न्यूज़ नेशन से, मेरा सवाल डिफेन्स सेक्टर को लेकर है कि दोनों देशो के बीच डिफेन्स सेक्टर में क्या बातचीत हुई, मालदीव को आने वाले दिनों में और क्या हम आर्म्स या एम्यूनिशंस या वेपन्स देने वाले है?

अभिषेक झा: सर, सीएनएन न्यूज-18 से मैं अभिषेक झा। मेरा प्रश्‍न नौसेना की उस नाव के संबंध में है जिसे भारत ने मालदीव को देने का वादा किया है। तो क्या यह पहले प्रदान की गई नाव के अतिरिक्त है? और कृपा करके क्या आप हमें इस नाव के बारे में कुछ विवरण दे सकते हैं जैसे कि यह कोई परिवहन नाव या निगरानी नाव है या यह किस प्रकार की नाव है?

संध्या: ईटी से संध्या। जैसा कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति श्री नशीद ने बात की थी कि मालदीव के मौजूदा कर्ज का 70% चीन का है। क्या चीन चर्चा की मेज पर था? धन्यवाद।

श्री मुनु महावर, मालदीव में भारत के उच्चायुक्त: रक्षा के संबंध में, मुझे लगता है कि दो प्रश्न आपस में जुड़े हुए हैं। रक्षा के क्षेत्र हमारा बहुत आपसी सहयोग है और हमारे सहयोग का मुख्य उद्देश्य है कि जो हमारे क्षेत्र में चुनौतियां है, सुरक्षा संबंधी चुनौतियां है उसका हम किस तरह से मिलकर मुकाबला करें। जो चुनौतियां हमारे क्षेत्र में है वो अकेले नही लड़ी जा सकती, उसका मुकाबला अकेले नही किया जा सकता। इसके लिए आवश्यक है कि क्षेत्र के सभी लोग, सभी देश मिलकर इसका मुकाबला करे। तो, यह एक हमारा प्रमुख उद्देश्य है। इसके अलावा हम रक्षा के क्षेत्र में सुरक्षा के क्षेत्र में यह प्रयास करते है कि मालदीव की क्षमता, उनकी सैन्य फोर्सेज की क्षमता, एमएनडीएफ पुलिस फोर्स की क्षमता बढ़ सके जिससे वह अपने क्षेत्र में सुरक्षा कायम कर सकें। तो वही हमारा मुख्य उद्देश्य है हमारा जितनी भी चीज़े हम कर रहे है, चाहे हम उनको प्लेटफार्म देते है, चाहे हम उनको ट्रेनिंग देते है, चाहे हम उनका इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलप करते है या हम उनकी ट्रेनिंग फैसिलिटीज बनाते है मुख्य उद्देश्य यही है कि हम मालदीव के जो खुद के प्रयास है अपनी सुरक्षा क्षमता बढ़ाने के उसको सहारा दे सके, उसकी मदद कर सकें।

मुझे लगता है कि जहां तक चीनी ऋण के बारे में यह प्रश्न है, मैं पहले ही कह चुका हूं, आप जानते हैं, मालदीव की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करना वास्तव में मेरे लिए सही नहीं है। मालदीव सरकार द्वारा जारी किए गए बयान, विस्तृत बयान आए हैं। नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की और उन्होंने क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की, उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि समुद्री सुरक्षा सहित क्षेत्र में सुरक्षा कैसे बढ़ाई जाए, सहयोग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय खतरों का मुकाबला कैसे किया जाए। तो, ये विषय चर्चा में आए।

अतिरिक्त नाव के बारे में, देखिए, हमने अतीत में मालदीव को तीन नावों की आपूर्ति की है, और मैं कार्तिक से आग्रह करूंगा कि अगर मैं तथ्यात्मक रूप से गलत हूं तो वो मुझे सही करें। ब्रीफिंग के बाद भी हम आपको विशिष्ट विवरण दे सकते हैं। इस विशेष नाव, जिसे हम बदलना चाहते हैं, की आपूर्ति 2006 में की गई थी, यह अपना जीवनकाल पूरा कर चुकी है। इसलिए इस नाव को एक ऐसी नाव से बदलने का विचार है जिसका जीवन लंबा होगा, जिसमें बेहतर क्षमताएं होंगी और इसके अलावा, हमने एक और एलसीए, लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट प्रदान करने का निर्णय लिया है, जो फिर से उन्हें अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे अपने क्षेत्र में, अपने जल क्षेत्र में वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे। तो यह एक सतत प्रक्रिया है। हम उनके प्रयासों में सहयोग करने, क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

सुधी रंजन: सर ब्लूमबर्ग से सुधी रंजन। सहयोग के बारे में आप हमें कुछ बता सकते हैं, विशेष रूप से रक्षा सहयोग, रडार श्रृंखला जिसे हम बनाने की कोशिश कर रहे हैं और ई-वीजा में सहयोग के बारे में।

देवीरूपा: मैं रक्षा सहयोग पर एक और अतिरिक्त प्रश्न पूछना चाहती हूं। भारत और मालदीव ने उथुरु थिलाफल्हू में तटरक्षक बंदरगाह के विकास और रखरखाव के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं कि समझौते के कार्यान्वयन की स्थिति क्या है?

श्री मुनु महावर, मालदीव में भारत के उच्चायुक्त: तो, जहां तक ​​इस रडार श्रृंखला का आपने उल्लेख किया है, यह मूल रूप से समुद्री डोमेन जागरूकता के क्षेत्र में हमारे सहयोग से संबंधित है और ये रडार स्थापित किए गए थे और वे औपचारिक रूप से थे, मेरा मतलब है, वास्तव में, पहला चरण नेतृत्व स्तर पर सौंपा गया था जब प्रधानमंत्री ने मालदीव का दौरा किया था और तब से हमने वहां और अधिक रडार स्थापित किए हैं और सम्पूर्ण प्रणाली अब पूरी हो गई है और इसे औपचारिक रूप से मार्च 2022 में विदेश मंत्री की अड्डू यात्रा के दौरान सौंप दिया गया था। और हमने व्हाइट शिपिंग सूचनाओं के आदान-प्रदान पर एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं और वह भी हो रहा है। इसलिए, समुद्री डोमेन जागरूकता के क्षेत्र में हमारे बीच घनिष्ठ सहयोग है। यूटीएफ पर, जैसा कि आप जानते हैं, यह परियोजना अनिवार्य रूप से मालदीव के तटरक्षक बल के लिए एक बंदरगाह के विकास की परिकल्पना करती है, इसके समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, अब यह परियोजना कार्यान्वयन के चरण में है, जब भी हमारे पास आपके साथ साझा करने के लिए कुछ नया होगा, तो मुझे यकीन है कि हम आपके साथ साझा करेंगे।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद। इस मुद्दे पर इतने सारे सवालों का जवाब देने के लिए धन्यवाद मुनु। हमारे साथ जुड़ने और अपने दृष्टिकोण साझा करने के लिए संयुक्त सचिव (आईओआर) कार्तिक पांडे को भी धन्यवाद। इस विशेष मीडिया ब्रीफिंग में हमसे जुड़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो।

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