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रवांडा में भारतीय समुदाय और भारत के मित्रों को विदेश मंत्री का संबोधन

जून 22, 2022

मित्रों,

मैं बताना चाहता हूँ कि आज शाम आप सभी को देखकर मुझे कितनी खुशी हो रही है। जैसा कि उच्चायुक्त ने आपको बताया, मैं यहां राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक के लिए आया हूं। विदेश मंत्रियों की बैठक कल और शासनाध्‍यक्षों की बैठक परसों होगी। मैं उस अवसर पर भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा।

निश्चित रूप से यह किगाली की मेरी पहली यात्रा है, लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब मैं रवांडा के साथ जुड़ रहा हूँ, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में वास्तव में हमारे संबंध लगातार बढ़े हैं और यह यहां उच्चायोग के उद्घाटन में परिलक्षित होता है; इस तथ्य में परिलक्षित होता है कि कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी यहां आए थे; और इस तथ्य में दिखता है कि आज रवांडा में ऐसी अनेक सफल विकास परियोजनाएं हैं जो हमारी मित्रता को दर्शाती हैं।

इसलिए, वास्तव में एक स्थिर, दूरंदेशी संबंध अपने निर्माण के क्रम में है और मुझे बहुत उम्मीद है कि आज मेरा यहाँ होना, इसे उच्च स्तर पर ले जाने के अवसर के रूप में काम करेगा।

मैं जो कहना चाहता हूं वो यह है कि कुछ दशक पहले यहां जो कुछ हुआ था, उसे देखते हुए राष्ट्रपति कागामे ने कई मायनों में इस देश में जो कुछ किया है वह वास्तव में उल्लेखनीय है। जिस तरह से उन्होंने इस समाज का पुनर्निर्माण किया है और आज, वास्तव में रवांडा को सबसे प्रगतिशील देश; व्यापार के लिए सबसे अनुकूल देशों में से एक देश; सामाजिक रूप से सबसे समावेशी समाजों में से एक समाज, के रूप में स्थान दिया है और यह कुछ ऐसा है जो उल्लेखनीय है। स्पष्ट रूप से, जब हम अफ्रीका को देखते हैं, तो हम वास्तव में रवांडा को अपने महत्वपूर्ण मित्रों में गिनते हैं।

भारत में, जब हम दुनिया के बारे में सोचते हैं, तो स्वाभाविक है कि विदेशों में बसे भारतीय हमारे विचारों में होते हैं। जब यहां कुछ अच्छा होता है, जब हम किसी की उपलब्धि, किसी परियोजना, किसी पहल के बारे में पढ़ते हैं, तो हम भारतीय समुदाय की संतुष्टि को साझा करते हैं। और जब चुनौतियाँ होती हैं, विपत्ति आती है, तब भी हम आपकी चिंता करते हैं। और आपने पिछले कुछ वर्षों में इसे देखा होगा, चाहे वह वंदे भारत मिशन हो, जिसे हमने कोविड के समय अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए चलाया था या हमारे द्वारा किए गए कुछ ऑपरेशन, हाल ही में ऑपरेशन गंगा जिसे यूक्रेन में हमारे उन छात्रों को बचाने के लिए चलाया गया था जो लड़ाई में फंस गए थे। विदेशों में बसे भारतीयों के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता, मुझे लगता है कि वास्तव में गुणात्मक रूप से उच्च स्तर पर है और वास्तव में इसके बारे में बहुत कुछ प्रधानमंत्री अपनी विदेश यात्राओं के दौरान स्वयं व्यक्त करते हैं, क्योंकि, आप देखेंगे कि वह जहां भी जाते हैं, जब भी जाते हैं, समुदाय के साथ बैठक करना हमेशा से उनके कार्यक्रम की एक खास विशेषता होती है और वास्तव में, जिस तरह से भारत विदेशों में बसे भारतीयों के साथ बातचीत करता है, कई मायनों में यह एक परिवर्तन है।

यह भी उतना ही स्वाभाविक है कि आपमें से जो विदेश में रहते हैं, अपनी मातृभूमि से दूर हैं, उनके विचारों में भी उनका देश रहता है। जब आप समाचार पढ़ते हैं, जब आप टीवी देखते हैं, जब आप सोशल मीडिया को देखते हैं, तो ऐसी चीजें जो भारत में होती हैं, उनके बारे में आप खुद से भी पूछते होंगे और शायद शाम को आपस में चर्चा करते होंगे कि ताज़ा समाचार क्या है, क्या हो रहा है, देश किधर जा रहा है।

मैंने सोचा कि मैं आज यहां अपनी उपस्थिति का उपयोग आपके साथ कुछ साझा करने के लिए करूंगा। सबसे पहले, मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि हम तीन साल के बाद बहुत कठिन परिस्थितियों से बाहर आए हैं, कोविड चुनौती की अवधि, बहुत विश्वास के साथ, इस भरोसे के साथ कि हमने वास्तव में एक ऐसे संकट का सामना किया है जो सदी में एक बार ही आता है। और इसे इस तरह से किया कि यह हमारे लिए भविष्य का एक सबक बन गया।

मैं विदेशों में बसे भारतीयों को याद दिलाता हूं कि एक समय था जब हम दूसरों से मदद की प्रतीक्षा करते थे, हम दूसरों से दवाओं और टीकों की प्रतीक्षा करते थे। हम चीजों को अपने तरीके से करते, 'हां ठीक है, हमारी गति, हम इतने बुरे भी नहीं हैं’। लेकिन आज वास्तव में इस कोविड संकट में, हम अपने लोगों को टीका लगवाने वाले सबसे पहले देशों में थे, हम ऐसा कर सके क्योंकि हमारे पास मेड इन इंडिया टीके थे, हम ऐसा कर सके क्योंकि हमने भारत में टीकों का आविष्कार किया था, हम ऐसा कर सके क्योंकि हम वास्तव में टीके के उत्पादन से लेकर इसे लोगों की बाहों तक ले जाने में सफल रहे थे। और अगर आपको लगता है कि इसे हल्के में लेना है, तो दुनिया के अन्य हिस्सों को देखें जहां ऐसा नहीं हुआ है।

तथ्य यह है कि हम वास्तव में बिना किसी उलझन के, मैं कहूंगा, बिना किसी सार्वजनिक भगदड़ के, एक बहुत ही व्यवस्थित तरीके से, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके टीकाकरण कर सके। हम इसे एक अरब लोगों के पैमाने पर कर सके, मुझे लगता है कि यह एक उपलब्धि है, जिसे आप सभी को पहचानना चाहिए और आपको इस पर गर्व होना चाहिए।

लेकिन यह सिर्फ टीकाकरण नहीं है जिसकी हमें प्रशंसा और पहचान करनी चाहिए। हमें यह भी देखना चाहिए कि इस दौरान क्या हो रहा है। एक सदी पहले जब स्पैनिश फ्लू आया था, तब भारत में फ्लू से मरने वालों की तुलना में उससे अधिक लोग भूख से मरे थे। अब, इस बार, प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे कि उनके नेतृत्व में ऐसा नहीं होगा। इसलिए, हमने वास्‍तव में अब तक की सबसे बड़ी खाद्य सहायता प्रणाली शुरू की है, जिसे किसी भी देश ने कभी नहीं किया है। और आज भी, इसके शुरू होने के 28 महीने बाद भी, हम 800 मिलियन लोगों को भोजन सहायता दे रहे हैं। ज़रा सोचिए, यह यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका की संयुक्त जनसंख्या के बराबर है। यह ढाई साल से चल रहा है, समान रूप से उन लोगों के लिए जो अधिक कमजोर हैं, और वास्तव में, दिलचस्प बात यह है कि उनमें से बहुत महिलाएं थीं। हम 400 मिलियन लोगों के बैंक खातों में पैसा डालने में सक्षम थे, और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोविड के आने से पहले, प्रधानमंत्री के पास यह विजन था कि सभी भारतीयों का बैंक में खाता हो। उस वक्त लोगों को समझ नहीं आया कि वह उन्हें ऐसा करने के लिए क्यों कह रहे हैं। लेकिन अब हम देखते हैं कि वास्तव में सीधे पैसे भेजने की क्षमता, लोगों को सीधे लाभ पहुंचाने की क्षमता ने आज भारत में शासन की गुणवत्ता में एक बड़ा बदलाव किया है।

यह शासन अब रहने की स्थिति में सुधार पर केंद्रित है। रहने की स्थिति, बहुत ही बुनियादी रूप से और साथ ही अवसरों के संदर्भ में भी,दोनों ही तरीके से, विशेष रूप से आने वाली पीढ़ी के लिए। सभी घरों को बिजली से जोड़ने के लिए, सभी घरों को नल के पानी से जोड़ने के लिए, वास्तव में पानी की स्थिति में सुधार करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चल रहे हैं और आप सभी के ज़ेहन में भारत की यादें हैं और आप जानते हैं कि शहरों में भी पानी मिलना कितना मुश्किल रहा है। वास्तव में एक ऐसा स्वास्थ्य ढांचा तैयार करना जहां औसत भारतीय सस्ती कीमत पर इलाज प्राप्त कर सके। शहरों में घर का स्वामित्व, ग्रामीण इलाकों में घर का स्वामित्व प्रदान करना। और अगर हम वास्तव में ऐसा कर सकते हैं- स्वास्थ्य, पानी, बिजली, घर- तो आप समझ सकते हैं कि यह भारत कितना बदल रहा है। और यह कोई इच्छा नहीं है। हमने अभी-अभी मोदी सरकार के 8 साल पूरे किए हैं और हम अपना सेल्फ ऑडिट कर रहे थे, हमने कहां अच्छा किया है, कहां और ज्यादा करना चाहिए। और सच्चाई यह है कि इन योजनाओं में से हर एक आज करोड़ों लाभार्थियों के बीच काम कर रही है।

तो आप भारत में जो बदलाव की गति देख रहे हैं, वह कुछ ऐसा है। शायद, मैं यहाँ के कमरे में सबसे वृद्ध व्यक्तियों में से हूँ। मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने अपने जीवन में बदलाव की यह गति नहीं देखी है। तो, एक तरह से, मैं यहां तक कह सकता हूं, एक क्रांति, एक लोकतांत्रिक क्रांति का निर्माण हो रहा है- लोगों तक पहुँच के साथ। आखिरी मील तक लोगों तक पहुँच।

यह वादों की सरकार नहीं है, यह वास्तव में प्रदान करने की सरकार है और यही कारण है कि जब आप देखते हैं कि भारत में राजनीतिक परिणाम क्या हैं, तो वास्तव में उनमें से बहुत से लोग हैं जिन्होंने पहुँच के लाभों को देखा है, वे अब सरकार में उनके विश्वास की पुष्टि कर रहे हैं।

निश्चित रूप से एक समाज का निर्माण करना, एक सुरक्षा जाल बनाना, यह सुनिश्चित करना है कि सबसे कमजोर लोग ऊपर बढ़ें। लेकिन फिर अगली परत आती है- अवसर क्या हैं और वहां फिर से सोच में बड़ा बदलाव आता है। यह बहुत दिलचस्प है, पिछले महीने मैं एक IIT में गया, मैं एक IIM में गया, मैं भारत के सर्वोच्च रैंक वाले शैक्षणिक अनुसंधान संस्थान- बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में गया। और जब मैं उनका दौरा कर रहा था, मैं वास्तव में देख रहा था कि पिछले दशक में इस देश में हमने कितने शोध और उच्च शिक्षा संस्थानों को बढ़ाया है।

लेकिन फिर, यह अकेले तृतीयक स्तर पर नहीं हो रहा है। इसकी शुरुआत प्राथमिक विद्यालय में होती है, स्कूलों में उपस्थिति बढ़ रही है, लड़कियों की उपस्थिति विशेष रूप से बढ़ रही है, प्रतिधारण स्तर बढ़ रहा है, अधिक से अधिक विद्यार्थी मध्य विद्यालय में प्रवेश कर रहे हैं, अधिक लोग हाई स्कूल पास कर रहे हैं। लोगों के पास अपना खुद का व्यवसाय करने के जो अवसर हैं, यह छोटे और मध्यम उद्यम हो सकते हैं, लेकिन वह वास्तव में एक बहुत ही विनम्र व्यक्ति हो सकता है जो एक गाड़ी में सड़क पर सामान बेच रहा हो। आज जिस कार्यक्रम की शुरुआत हमने की है, उससे वास्तव में वह व्यक्ति भी बैंक से ऋण प्राप्त करने में सक्षम है।

तो वास्तव में, मैं कहूंगा कि, जो परिवर्तन मैं देख रहा हूं वह हमारे आत्मविश्वास में है। एक अहसास कि, हाँ हालात बन रहे हैं। मैं किसी भी तरह से चुनौतियों को कम नहीं कर रहा हूं। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है, मुझे लगता है कि हम सभी इसके बारे में बहुत स्पष्ट हैं। लेकिन, मैं निश्चित रूप से कहूंगा, विशेष रूप से युवा लोगों में यह विश्वास है कि आज यह अधिक अवसरों की दुनिया है, यह स्टार्टअप्स की दुनिया है, अधिक कौशल की दुनिया है, यह वास्तव में पहले से अधिक स्व-रोजगार की दुनिया है - और वह स्वयं को बहुत अलग-अलग तरीकों से प्रकट कर रही है।

यह विकास दर में दिख रहा है जो सबसे स्पष्ट संकेतक है। आज दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में, हम न केवल वहाँ से बाहर आए हैं जहाँ हम कोविड से पहले थे, हम बहुत तेज़ दर से बढ़ रहे हैं। वास्तव में, पिछले वर्ष में, हमने अपने इतिहास में अब तक का सबसे अधिक निर्यात किया है। पहली बार हमने 400 अरब डॉलर को पार किया है। यदि आपमें से कोई चाहें, और अब यात्रा सामान्य हो रही है, तो आपके घर जाने की संभावना अधिक है, कम मुश्किल है, वापस उस शहर, कस्बे में जाएँ जहाँ से आप आते हैं, देखें कि वहाँ क्या काम हो रहा है। भारत में ऐसा एक भी शहर नहीं है, भारत में ऐसा एक भी गांव नहीं है जहां सड़क के मामले में, बुनियादी सुविधाओं के मामले में, शिक्षा के मामले में, स्वास्थ्य के मामले में कुछ नहीं हो रहा है। यह वास्तव में देश भर में हो रहे कामों में खुद ही प्रकट हो रहा है। और आत्मविश्वास की वह भावना, प्रगति की वह भावना है जिसे वास्तव में मैं आज आपके साथ साझा करना चाहता था।

लेकिन मैं फिर से इस बात को रेखांकित करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं कि जब हम भारत में दुनिया को देखते हैं, कूटनीति के बारे में सोचते हैं, विभिन्न देशों की सरकारों और लोगों को शामिल करते हैं, अंतत: भारत को लेकर उनकी छवि- मैं यहां अपनी पहली यात्रा पर हूं, मैं अपने समकक्ष को जानता हूं, हमारे बीच फोन पर बातचीत होती थी, कभी वीडियो पर, कभी यूएन या किसी अन्य सभा में हम मिलते थे- लेकिन भारत की छवि वास्तव में एक ऐसा चेहरा है जिसे लोग याद रखेंगे और वह चेहरा उस एक भारतीय का चेहरा होगा जिसे वे जानते हैं। तो अगर आज रवांडा के लोग, वे रवांडा के नेता हो सकते हैं, रवांडा के पेशेवर हो सकते हैं, रवांडा के आम लोग हो सकते हैं, भारत के जिन चेहरों को वो याद रखते हैं वे आपके चेहरे हैं। भारत की उनकी छवि वह छवि है जो आप बनाते हैं। आपने जो नींव रखी है, उससे मुझे लाभ हुआ है।

तो कई मायनों में, आज यहां मेरी उपस्थिति के लिए भी आप सभी का धन्यवाद है कि आप भारत का झंडा फहराते रहे हैं, आप भारत की छवि को आकार देते हैं, आप हमसे संबंध बनाने के लिए रवांडा में सरकार और समाज के लिए रिश्ते और प्रेरणा बनाते हैं। और मैं आपको बता सकता हूं, मैं दोहरा सकता हूं, कि हम वास्तव में इसे अफ्रीका में हमारे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक मानते हैं। राष्ट्रमंडल बैठक निश्चित रूप से इसे व्यक्त करने का एक तरीका है, इसे व्यक्त करने का एक अवसर है, लेकिन कई अन्य तरीकों से यह एक ऐसा संबंध है जिसके बारे में मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में यह बढ़ता रहेगा। और मुझे उम्मीद है कि आप सभी, अपने-अपने तरीके से इसमें अपना पूरा सहयोग देंगे।

तो एक बार फिर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और मैं आप सभी लोगों को और आपकी मातृभूमि को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

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