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दिल्ली डायलॉग XII के मंत्रिस्तरीय सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का मुख्य संबोधन

जून 16, 2022

डॉ. मोहन कुमार,

आसियान के मेरे मंत्रिस्तरीय सहयोगियों,

महानुभावों, देवियों एवं सज्जनों,


दिल्ली डायलॉग के 12वें संस्करण में आप सभी के साथ जुड़कर मुझे वास्तव में खुशी हो रही है। यह शाम एक लंबे दिन की परिणति है, जो मुझे लगता है कि एक बहुत ही उत्पादक दिन था। मेरे सहयोगी मुझसे सहमत होंगे। हमने आसियान-भारत के विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक की। वस्तुतः डॉ. मोहन कुमार आप सभी के लिए परिणामी दस्तावेज लेकर आए। और आज का मेरा टेकअवे वास्तव में ऐसा प्रतीत होता था, कि हम सभी के पास रणनीतिक भरोसे के टीके के दो शॉट्स थे और शायद बूस्टर शॉट भी था। तो, यह काफी अच्छा रहा और यही वह भावना है जिसमें मैं आज आपसे बात कर रहा हूं।

2. इसलिए, दिल्ली डायलॉग, मुझे लगता है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह भारत के लिए सबसे प्रमुख आसियान-केंद्रित ट्रैक 1.5 फोरम है और पिछले कुछ वर्षों में इसने विचारों में बहुत समृद्ध लाभांश दिया है जो साबित करता है कि बातचीत वास्तव में बदलाव लाने और सहयोग बढ़ाने का मार्ग है। मैं आयोजकों, आरआईएस और ईआरआईए को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस कार्यक्रम को आयोजित किया है।

3. अब, निश्चित रूप से, दिल्ली डायलॉग के वर्तमान संस्करण का विषय 'इंडो-पैसिफिक में पुलों का निर्माण करना' है और यह अपने सार और अपने समय, दोनों में प्रासंगिक है। जैसा कि हम सभी ने देखा है, वर्तमान में 'इंडो-पैसिफिक भू-सामरिक और भू-आर्थिक विमर्श के केंद्र में रहा है। दो महासागरों के जुड़ाव के निर्विवाद तर्क के साथ-साथ वर्तमान में चल रहे वैश्विक पुनर्संतुलन के लिए एक उदारचित्त संवाद का आह्वान किया गया, जो कि आपके पास यहां है। और यह इस विषय पर चर्चा करने का भी एक उपयुक्त समय है क्योंकि जैसा कि मैंने उल्लेख किया है कि हम आसियान-भारत संबंधों के 30 साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसलिए, हम केवल अपने हित के लिए पुलों को नहीं देख रहे हैं, बल्कि मुझे लगता है कि हम ऐसे पुलों की तलाश कर रहे हैं जो आसियान और भारत के बीच वास्तव में व्यापक रणनीतिक साझेदारी का मार्ग बन सकें।

4. अब दुनिया वर्तमान में अशांति का सामना कर रही है, जिसने महामारी के परिणामों के साथ-साथ वैश्विक दृष्टिकोण को और भी अधिक अनिश्चित और जटिल बना दिया है। हमारे अपने क्षेत्र की घटनाओं के भी अपने निहितार्थ हैं, फिर चाहे हम अफगानिस्तान की बात करें या म्यांमार की। इसके अलावा, यूक्रेन में जारी संघर्ष खाद्य, उर्वरक और हमारी ईंधन सुरक्षा को लेकर चिंताओं को बढ़ा रहा है। यह वैश्विक परिदृश्य इंडो-पैसिफिक के देशों को सहयोग बढ़ाने और वास्तव में एक साथ खड़े होने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

5. हम आसियान-भारत भागीदारी की 30वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे। लेकिन तथ्य यह है, और हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि, हमारे संबंध इतिहास और सभ्यता में गहराई से निहित हैं, व्यापार और यात्रा हमारी संस्कृतियों में अंतर्निहित हैं। तो एक अंतर्निहित सुविधा है जो पुलों के निर्माण के लिए एक बड़ी संपत्ति है।

6. जहां तक समकालीन युग का संबंध है, भारत की एक्ट ईस्ट नीति स्पष्ट रूप से आसियान-भारत भागीदारी की आधारशिला रही है। आसियान, वास्तव में, हमारी एक्ट ईस्ट नीति और हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीतियों के संगम के रूप में एक अद्वितीय मूल्य रखता है। तीन दशक पहले, आर्थिक उदारीकरण के साथ, भारत ने आसियान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की प्रक्रिया शुरू की और तब से हमारी क्षमताओं के विस्तार, हमारी अर्थव्यवस्थाओं के विकास और क्षेत्रीय संरचना के विकास के अनुरूप साझेदारी बढ़ी है। इसके अलावा, इसने कनेक्टिविटी, रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग तथा बढ़ी हुई शिक्षा और सामाजिक संबंधों के अन्य आयामों को खुद में समाहित किया है। तो तीन दशक पहले एक संकट के प्रतिउत्तर के रूप में जो शुरू हुआ वह वास्तव में एक गहन रणनीतिक दृष्टिकोण में विकसित हुआ है।

7. आप सभी को यह भी याद होगा कि 2012 में भारत-आसियान संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था। 2015 में, हमने जकार्ता में आसियान के लिए एक अलग मिशन खोला और 2018 में एक अभूतपूर्व कार्यक्रम में, आसियान के सभी दस सदस्य देशों के नेताओं ने आसियान-भारत संबंधों की 25वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए हमारे गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत का दौरा किया।

8. आसियान-भारत साझेदारी में ऊपर की ओर यह बढ़त आसियान-केंद्रित प्लेटफार्मों के साथ भारत के सक्रिय जुड़ाव से भी मेल खाता है, जिसमें आसियान क्षेत्रीय मंच, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और एडीएमएम+ बैठकें शामिल हैं।

9. तो, अब हम बदलती दुनिया में एक-दूसरे को कैसे देखते हैं? भारतीय दृष्टिकोण से, आसियान भौगोलिक दृष्टि से, सांस्कृतिक और रणनीतिक रूप से इंडो-पैसिफिक के केंद्र में स्थित है। इसलिए आसियान की केंद्रीयता स्वयं स्पष्ट है, खासकर क्योंकि इसकी संरचना में इतना व्यापक कवरेज है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) की घोषणा की।

10. आईपीओआई (IPOI) इंडो-पैसिफिक पर आसियान के अपने दृष्टिकोण के साथ मजबूत सम्मिलन को साझा करता है। मुझे खुशी है कि इस पहल को इंडो-पैसिफिक के देशों का समर्थन मिला है जिसमें हमारे कुछ आसियान भागीदार, विशेष रूप से इंडोनेशिया और सिंगापुर भी शामिल हैं। हम इस पहल में दूसरों की रुचि का स्वागत करेंगे।

11. हम इस रिश्ते के पूर्ण लाभों को कैसे महसूस करते हैं? शुरुआत के लिए, हमें कनेक्टिविटी को अधिक विस्तृत और प्रभावी बनाना होगा। हम इस संबंध में आसियान कनेक्टिविटी के लिए मास्टर प्लान के साथ अपनी पहल को संरेखित करते हैं। कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग, दोनों म्यांमार से होकर गुजरते हैं, ये भारत द्वारा चलाए गए सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं। वे स्थलाकृति और स्थानीय परिस्थितियों दोनों के कारण सबसे कठिन भी हैं। उनके शीघ्र कार्यान्वयन को साकार करने के लिए निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता होगी, जिसमें म्यांमार के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध शामिल हैं।

12. हम कनेक्टिविटी के लिए बिम्सटेक मास्टर प्लान जैसे अन्य प्लान के साथ कनेक्टिविटी योजनाओं में सहक्रियाओं का पता लगा सकते हैं। वास्तव में भारत से वियतनाम और फिलीपींस तक निर्बाध संपर्क एक पूर्व-पश्चिम पार्श्व का निर्माण करेगा जो पूरे एशियाई महाद्वीप को प्रभावित करेगा।

13. कनेक्टिविटी, अब केवल माल और लोगों की निर्बाध आवाजाही को ही नहीं बल्कि डेटा और ऊर्जा प्रवाह को भी शामिल करती है। डेटा, डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी व्यवसाय एवं समाज के लगभग हर पहलू को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं और उन्हें नया आकार दे रहे हैं। भारत और आसियान वैश्विक व्यवस्था के मौजूदा पुनर्संतुलन में योगदान करते हैं। हम एक बढ़ते उपभोक्ता वर्ग, एक मजबूत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र, एक बढ़ती इंटरनेट अर्थव्यवस्था और एक मजबूत जनसांख्यिकीय लाभांश से प्रेरित हैं। हमारे बीच आवश्यक विश्वास और पारदर्शिता भी है जो अब डिजिटल सहयोग का केंद्र है।

14. भारत और आसियान पहले ही आसियान-भारत हरित कोष के माध्यम से पवन और सौर ऊर्जा तथा स्मार्ट ग्रिड में अक्षय ऊर्जा में सहयोग शुरू कर चुके हैं। हम अपनी ऊर्जा और बिजली कनेक्टिविटी को और बढ़ाने तथा कम कार्बन वाली क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर सहयोग करने के लिए तत्पर हैं। इस संबंध में, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक विशेष रूप से उपयोगी मंच है।

15. बाकी दुनिया की तरह, भारत और आसियान भी कोविड से उबर रहे हैं। एक जरूरी सीख जो मिली है, वो यह है कि भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना आवश्यक है। भारत और आसियान इस महामारी के दौरान एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। अब हम तत्काल आवश्यकता के आधार पर उन एक्सचेंजों से आगे बढ़ने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य साझेदारी बनाने के लिए तैयार हैं।

16. जैसे-जैसे दुनिया अधिक से अधिक पुनर्संतुलन, बहु-ध्रुवीयता और वैश्वीकरण की ओर बढ़ रही है, भारत और आसियान को इस पर विचार करना होगा कि उनके संबंधों के लिए इसका क्या अर्थ है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम से मुक्त करने के लिए, वे विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में भागीदार हो सकते हैं। एक सुरक्षित डिजिटल अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए, वे विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सहयोग कर सकते हैं। आपस में और दूसरों के बीच, वे वैश्विक हितों की भलाई में योगदान कर सकते हैं, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के माध्यम से। ये हमारे समय के प्रासंगिक पुल हैं।

17. बड़े परिदृश्य का सर्वेक्षण करते समय यह स्वाभाविक है कि हमारे आसियान भागीदारों की भारत और चीन के बीच संबंधों में रुचि होगी। तो मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारे संबंधों का विकास तीन परस्पर बातों पर आधारित होना चाहिए: पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और हितों की पारस्परिकता। सीमा की स्थिति संबंधों की स्थिति पर दिखाई देगी।

18. मैं इस बात पर जोर देते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं कि भारत-आसियान संबंध इतिहास, भूगोल और संस्कृति की नींव पर बने हैं। लेकिन वे प्रगति, समृद्धि, स्थिरता और विकास के वादे को दर्शाते हैं। हमारे सहयोग का विस्तार करने, और अधिक पहलुओं को जोड़ने तथा इसे और अधिक तीव्र बनाने की हमारी क्षमता की प्रतिध्वनि कहीं अधिक है। हम इंडो-पैसिफिक के विकास में एक वास्तविक योगदान दे सकते हैं और मैं एक नई विश्व व्यवस्था के उद्भव की बात करने की भी हिम्मत रखता हूं।

मैं इस डायलॉग की सफलता की कामना करता हूं और मुझे सुनने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं।

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