डॉ. नीना मल्होत्रा वर्ष 1992 में भारतीय विदेशी सेवा (आईएफएस) में शामिल हुईं।
उन्होंने सितंबर 2020 से अप्रैल 2024 तक इटली और सैन मैरिनो में भारत की राजदूत के रूप में कार्य किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) में भारत की स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर भी कार्य किया, एफएओ परिषद में भारत का प्रतिनिधित्व किया, एफएओ के कार्यक्रम और वित्त समितियों के सदस्य के रूप में, आईएफएडी की मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष के रूप में और डब्ल्यूएफपी के कार्यकारी बोर्ड में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के दौरान उन्होंने एफएओ की अंतर्राष्ट्रीय संचालन समिति की अध्यक्षता भी की।
भारत की ओर से, रोम में यूएनआईडीआरओआईटी महासभा की अध्यक्ष के रूप में डॉ. मल्होत्रा का चयन किया गया और वर्ष 2022-2023 तक वे उस पद पर कार्यरत रहीं।
उनके पिछले विदेश कार्यभार में पेरिस में यूनेस्को में भारत का स्थायी प्रतिनिधिमंडल (पीडीआई) और सीजीआई, न्यूयॉर्क शामिल हैं। हाल ही में, उन्हें स्वीडन में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था, लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण वे कार्यभार ग्रहण नहीं कर सकीं।
उन्होंने मंत्रालय के मुख्यालय में अपर सचिव (हिंद-प्रशांत) के तौर पर कार्य किया, जिसमें उन्होंने हिंद-प्रशांत, हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) और विदेश मंत्रालय के दक्षिणी विभाग की देखरेख की। वे पासपोर्ट, वीज़ा (पीवी), सार्क, ई-गवर्नेंस और सूचना प्रौद्योगिकी (ईजीएंडआईटी) और पूर्वी एवं दक्षिणी अफ्रीका (ईएंडएसए) विभाग की प्रमुख रहीं। अपने कार्यकाल के दौरान वे ईएंडएसए विभाग की प्रमुख रहीं, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के 17 देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों की देखरेख करने के साथ-साथ वे अफ्रीकी संघ (एयू), अफ्रीकी आरईसी, भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन (आईएएफएस) मामलों की प्रभारी रहीं, जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम और अखिल अफ्रीका नीति मामले भी शामिल थे। उन्होंने अभी हाल ही में विशेष कार्य अधिकारी (राजनीतिक) के तौर पर कई एसआईडीएस देशों से संबंधित मामलों की देखरेख भी की। उन्होंने अमेरिका, बीएसएम, दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत विभाग में 26 देश और बाह्य प्रचार डेस्क का कार्यभार भी संभाला है।
शैक्षणिक रूप से, डॉ. मल्होत्रा एक प्लांट फिजियोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली से एमएससी और पीएचडी की डिग्रियां प्राप्त की हैं, उन्होंने इंडियन जर्नल ऑफ प्लांट फिजियोलॉजी में शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं। आईएफएस से जुड़ने से पहले उनका चयन अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित एआरएस परीक्षा के आधार पर वैज्ञानिक S-1 के रूप में किया गया था। वे वर्ष 1987-89 और 1989-1992 के लिए आईएआरआई, पीजी फेलोशिप, 1987-89 (लाभ नहीं लिया) आईसीएआर फेलोशिप और वर्ष 1986-87 के लिए अखिल भारतीय स्नातकोत्तर छात्रवृत्ति की धारक रहीं।
अपना कार्यभार संभालते हुए उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे किए जिनमें अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान, स्ट्रासबर्ग, फ्रांस में 27वां अध्ययन सत्र (जुलाई 1996); विदेश नीति अधिकारियों के लिए ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम, न्यू स्कूल, न्यूयॉर्क, जून-जुलाई 1998; जैविक एवं विषाक्त हथियार सम्मेलन पर कार्यशाला, 2001, द हेग, नीदरलैंड और भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा 2012 में आयोजित पांचवा कोर कार्यक्रम शामिल रहे।
उन्होंने इंस्टीट्यूट कैथोलिक एवं सोरबोन यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस से फ्रेंच भाषा का अध्ययन किया है और फ्रेंच भाषा में एडवांस डिप्लोमा प्राप्त किया है। वे हिंदी, अंग्रेज़ी और पंजाबी धाराप्रवाह बोलती हैं।