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प्रश्न संख्या 572 ग्लासगो में हुए सम्मेलन में किए गए संकल्प और प्रतिबद्धताएं

दिसम्बर 02, 2021

राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 572
दिनांक 02.12.2021 को उत्तर देने के लिए

ग्लासगो में हुए सम्मेलन में किए गए संकल्प और प्रतिबद्धताएं

572. श्री संजय सेठः

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या यह सच है कि भारत ने हाल ही में ग्लासगो में आयोजित किए गए 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भाग लिया था;

(ख) यदि हाँ, तो इस सम्मेलन में किए गए संकल्पों और प्रतिबद्धताओं का ब्यौरा क्या है; और

(ग) जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकासशील देशों को भविष्य में प्रदान की जाने वाली सहायता का ब्यौरा क्या है?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
[श्री वी. मुरलीधरन]

(क ) और (ख ) माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसी) में काँफ्रेंस ऑफ पार्टीज सम्मेलन (सीओपी 26) के 26वें सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया। परिणामों में अन्य बातों के साथ-साथ शामिल हैं:-

i. पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए नियमों, प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों से संबंधित कार्य को पूरा करना, जिसमें अनुच्छेद 6 में संदर्भित सहयोगी दृष्टिकोण, तंत्र और गैर-बाजार दृष्टिकोण , बढ़ी हुई पारदर्शिता ढांचा, और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के लिए सामान्य समय-सीमा शामिल हैं;

ii. 'ग्लासगो जलवायु समझौता' नामक व्यापक निर्णयों को अपनाना, जो अन्य बातों के साथ-साथ, पेरिस समझौते के लक्ष्यों के कार्यान्वयन में अंतराल को दूर करने के लिए इस महत्वपूर्ण दशक में प्रभाव कम करने, अनुकूलन और वित्त के संबंध में महत्वाकांक्षा और कार्रवाई को बढ़ाने की तात्कालिकता पर बल देता है। .

iii. सीओपी 26 में दिए गए अपने राष्ट्रीय वक्तव्य के एक भाग के रूप में भारत ने निम्नलिखित घोषणाएं की हैं:

क. भारत 2030 तक अपनी जीवाश्म रहित ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा।

ख. भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करेगा।

ग. भारत अब से लेकर 2030 तक अपने कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा।

घ. भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन सघनता को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करेगा।

ङ. 2070 तक भारत नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लेगा।

(ग) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) और इसके पेरिस समझौते से संबंधित प्रक्रियाओं के तहत, विकसित देशों का प्रभाव कम करने और अनुकूलन दोनों कार्यों के संबंध में विकासशील देशों की सहायता के लिए वित्तीय संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है।

'ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट' नामक व्यापक निर्णय विकसित देशों से तत्काल और 2025 तक 100 बिलियन अमेरिकी डालर के लक्ष्य को पूरी तरह से पूरा करने का आग्रह करते हैं। यह विकसित देशों से 2019 के स्तर से विकासशील देशों के अनुकूलन के लिए 2025 तक, बढ़े हुए वित्तीय संसाधनों के प्रावधान में जलवायु वित्त के उनके सामूहिक प्रावधान को कम से कम दोगुना करने का भी आग्रह करता है। वर्ष 2025 के बाद के नए सामूहिक परिमाणित वित्त लक्ष्य के लिए तदर्थ कार्य कार्यक्रम पर सहमति व्यक्त की गई है।

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