मीडिया सेंटर

सरकारी प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया ब्रीफ़्रिंग का प्रतिलेख (22 सितंबर 2022)

सितम्बर 22, 2022

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आप सभी को नमस्कार। इस सप्ताह की मीडिया ब्रीफ़्रिंग में हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। मैं एक घोषणा के साथ शुरुआत करूंगा और फिर हम कुछ प्रश्‍नों का उत्‍तर दे सकते हैं। मूलतः, प्रधान मंत्री की जापान यात्रा की घोषणा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर 2022 को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जापान जाएंगे। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री, जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री फुमियो किशिदा से अलग से मुलाकात करेंगे। आज शाम के लिए मेरी यही छोटी सी घोषणा थी। ठीक है, अब प्रश्न लेते हैं।

मेघना: सर मेघना डीडी न्यूज़ से। सर, म्यांमार में फंसे भारतीयों के बारे में ऐसी खबरें हैं कि वे आपराधिक समूहों के शिकार हुए हैं। स्थिति क्या है, कितने लोगों को बचाया गया है और हालात पर कोई अपडेट है?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: इस विषय को ध्यान से देखें तो यह थोड़ा जटिल है, आपने म्यांमार के बारे में उल्लेख किया है। हम जो जानते हैं आइए मैं आपको वह बताता हूं। हम जानते हैं कि कुछ जालसाज़ आईटी कंपनियां जो वास्तव में डिजिटल स्कैमिंग और जाली क्रिप्टो गतिविधियों में लिप्त प्रतीत होती हैं, और दुबई, बैंकॉक और भारत में एजेंटों के माध्यम से काम कर रही हैं, वे आमतौर पर थाईलैंड में रोज़गार के अवसरों के बहाने भारतीय कामगारों की भर्ती कर रही हैं, जैसा कि हम वहां के आईटी क्षेत्र में सुन रहे हैं। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, थाईलैंड में कामगारों को अत्यधिक आकर्षक डेटा प्रविष्टि के जॉब्स के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापनों द्वारा लुभाया जाता है। दुर्भाग्य से, फिर इन कामगारों को अवैध रूप से सीमा पार, म्यांमार के म्यावाडी क्षेत्र में ले जाया जाता है। और जैसा कि आप जानते हैं कि स्थानीय सुरक्षा हालात के कारण उस क्षेत्र तक पहुंचना मुश्किल है। फिर भी, म्यांमार में यांगून और थाईलैंड में हमारे मिशनों के प्रयासों के लिए धन्यवाद, हम इनमें से कुछ पीड़ितों को बंधुआ या जबरन मजदूरी से छुड़ाने में मदद करने में सक्षम हुए हैं और हम दूसरों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। हम भारतीय नागरिकों से आग्रह करना चाहते हैं कि इस तरह के जॉब की पेशकश स्वीकार करने से पहले संयम बरतें, मैं कहूंगा कि अत्यधिक सावधानी बरतें। यहां यह भी बताया जाना उचित है कि थाईलैंड में आगमन पर वीजा योजना, जो आपको थाईलैंड में प्रवेश करने की अनुमति देती है, रोज़गार की अनुमति नहीं देती है। तो अगर कोई आपको ऐसा अवसर प्रदान कर रहा है वह अवैध है। थाईलैंड और म्यांमार में हमारे दूतावासों ने इस संबंध में एडवाइज़रीज़ जारी की हैं। कृपया उनका अनुसरण करें। हमने इस मामले को थाईलैंड की सरकारों के साथ-साथ म्‍यांमार की सरकारों के साथ भी उठाया है। जहाँ तक आपका विशिष्ट प्रश्न है - कितने, देखिए, यह कहना मुश्किल है। 32 लोगों को निश्चित रूप से बचाया गया है या जहां से वे थे वहां से मदद की गई है। याद रखें, यह देश के सुदूर हिस्से में है, जहां पहुंचना मुश्किल है। मेरे पास सटीक संख्या नहीं है, मैं कहूंगा कि शायद लगभग 80, 90 लोग; सम्भव है कि कुल 32, शायद 50 अन्य लोग जिनके साथ हमारा दूतावास संपर्क में है, लेकिन इससे थोड़ा अधिक या कम क्योंकि इसमें से कुछ की अफ़वाह कई मध्यवर्ती स्रोतों के माध्यम से आयी है। हमारे पास मोटे तौर पर यही संख्या है, लेकिन मैं सटीक संख्याओं के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि अभी यह बात धीरे धीरे सामने आ रही है, लेकिन इसमें से कम से कम 32 मामले सामने आ गए हैं। मोटे तौर पर मुझे यही कहना था।

रेज़ाउल: मैं हिंदुस्तान टाइम्स से रेज़ाउल। यह प्रश्न प्रधानमंत्री के दौरे के बारे में है। क्या श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक की कोई संभावना है जो उस समय के आसपास ही टोक्यो में भी होंगे?

येशी: न्यू इंडियन एक्सप्रेस से येशी सेली। लीसेस्टर और फिर बर्मिंघम में भारतीयों पर हमले की घटनाएं हुई हैं। क्या किया जा रहा है? विदेश मंत्री पहले ही एक वक्‍तव्‍य दे चुके हैं।

सिद्धांत: सर, WION से सिद्धांत। बेशक, कनाडा जैसे देशों में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह की खबरें आती रही हैं। उस पर कोई प्रतिक्रिया, भारत सरकार या वाणिज्य दूतावास या मिशन उस पर क्या कर रहा है।

Pranay: सर, दो बातें, एक मैं बर्मिंघम और लीसेस्टर की घटनाओं के संबंध में प्रश्न में जोड़ सकता हूं। तो क्या इस बारें में भारत सरकार ने अपनी कोई चिंता जताई है ब्रिटिश सरकार के साथ, जिस तरीके से बर्मिंघम के अंदर मंदिर का घेराव किया गया था और अभी सुरक्षा को लेकर कोई चिंता है। दूसरा सवाल Sir, Ukraine situation को लेकर है Russia ने जैसे partial mobilization का order किया है और referendum किया जा रहा है उस इलाके के अंदर, India का view क्या है इस चीज़ को लेकर क्योकिं Prime Minister की meeting हुई थी राष्ट्रपति पुतिन के साथ समरकंद में।

श्रींजॉय: सर टाइम्स नाउ। हमने लीसेस्टर में घटना देखी है और फिर पूरी बात फैलती दिखायी दे रही है। बर्मिंघम अगला लक्षय रहा है। इस पर भारत सरकार की क्या समझ है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है और और ब्रिटिश सुरक्षा अधिकारी इसमें कितने मददग़ार रहे हैं? और आप विदेश कार्यालय के माध्यम से, होम ऑफ़िस के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के साथ कैसे बातचीत कर रहे हैं, क्या आप, कृपया, हमें कुछ बता सकते हैं?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता:
आइए इनमें से कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं। रेज़ाउल, द्विपक्षीय के मुद्दे पर - अभी बहुत जल्दी है, मैंने अभी यात्रा की घोषणा की है। हम यह भी नहीं जानते हैं कि आखिर में कौन होने वाला है। मैं समझता हूं कि जापानी सरकार ने आज उन कुछ नेताओं की सूची का संकेत दिया है जो वहां होंगे, लेकिन मुझे यह भी पता नहीं है कि पर्याप्त समय मिल पाएगा क्योंकि यात्रा बहुत ही कम समय वाली होगी। यदि होती है, तो हम आपको उस समय सूचित करेंगे।

सिद्धांत आपका प्रश्न खालिस्तान जनमत संग्रह के मुद्दे पर था। इस तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह पर नज़र डालें, मूल रूप से हम इसे हास्यास्पद अभ्यास कहेंगे। कनाडा में और अन्य जगहों पर मैं समझता हूँ कि तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह का समर्थन करने वाले चरमपंथियों और कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हास्यास्पद अभ्यास आयोजित किया गया था। राजनयिक चैनलों के माध्यम से इस मामले को कनाडा के अधिकारियों के साथ उठाया गया है। कनाडा सरकार ने दोहराया है कि वे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं, और वे तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देंगे, जो कनाडा में हो रहा है। हालाँकि, हमें यह बहुत आपत्तिजनक लगता है कि एक मित्र देश में चरमपंथी तत्वों द्वारा राजनीति से प्रेरित अभ्यासों को होने दिया जाता है। आप सभी इस संबंध में हिंसा के इतिहास से परिचित हैं। और भारत सरकार इस मामले पर कनाडा सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेगी।

जी मैं उसका रूपांतरण की कोशिश करता हूँ, कनाडा में जैसे तथा कथित खालिस्तान referendum या जनमतसंग्रह जिस तरह से कह लें, का समर्थन करने वाले ये चरमपंथी और कट्टरपंथी तथ्यों द्वारा एक नकली अभ्यास आयोजन किया गया था, अभी चल रहा था सुन रहे है। इस मामले को राजनायिक चैनलों के साथ Canadian authorities के साथ उठाया गया है। Canada सरकार ने दोहराया है कि वो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते है और वो तथाकथित referendum को मान्यता नही देंगे जो Canada में हो रही है, पर हमें बहुत आपत्ति जनक लगता है कि एक मित्र देश में चरमपंथी तत्त्व द्वारा ऐसे politically motivated अभ्यासों को होने दिया जा रहा है। इस संबंध में जो हिंसा ऐतिहासिक है आपको मालूम ही है, आप वाकिफ है उससे। भारत सरकार इस मामले में Canada से वार्तालाप करते रहेगी और उनको प्रेस करेंगे कि इस मामले में action लें।

यूक्रेन पर, हां, जैसा कि आप जानते हैं, यह मुद्दा, मेरी समझ से पहले भी मीडिया में रहा है और इस पर चर्चा भी हुई है। बताना चाहता हूँ कि भारत ने बार-बार शत्रुता की तत्काल समाप्ति पर और चल रहे संघर्ष को बातचीत तथा कूटनीति के माध्यम से हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी हाल में की गई बैठक में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसे दोहराया। जहां तक ​​देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का प्रश्न है, भारत की स्थिति स्पष्ट और समनुरूप रही है। इस पर मुझे बस इतना ही कहना है।

प्रणय i think आपने भी इसका जिक्र किया था हिंदी में, भारत ने बार-बार युद्ध के तत्काल समाप्ति, बातचीत और diplomacy के माध्यम से चल रहे संघर्ष को हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, प्रधानमंत्री मोदी जी ने हाल ही में समरकंद में president पुतिन को SCO के शिखर सम्मेलन के side-lines में हुई meeting के दौरान इनके साथ जो बैठक हुई थी यही बात दोहराया था। दोनों देशो की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संबंध में भारत की स्थिति स्पष्ट और consistent रही है।

लीसेस्टर के साथ-साथ बर्मिंघम में हुए घटनाक्रम या गतिविधियों पर, इसे देखें, मुझे लगता है कि हम पहले ही कुछ टिप्पणियां कर चुके हैं। तो मैं इसे संक्षेप में बता देता हूँ। आपने लंदन में हमारे उच्चायोग द्वारा जारी बयान देखा होगा जिसमें हिंसा की निंदा की गई है। हमारा उच्चायोग यूके की ओर से लगातार संपर्क में है और जैसा कि श्रींजॉय पूछ रहे थे, हम आगे हमलों को रोकने के लिए और अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए राजनयिकों के साथ-साथ सुरक्षा अधिकारियों के संपर्क में हैं, इन हमलों को रोकने और कार्रवाई करने के लिए हमारे द्वारा बार-बार अनुरोध किया गया है। आपने यह भी देखा होगा कि कल न्यूयॉर्क में अपनी बैठक के दौरान विदेश मंत्री ने यूके के अपने समकक्ष के साथ इस मुद्दे को उठाया था। मैं समझता हूँ कि इस बात को यहीं छोड़ देना चाहिए।

जैसा आप जानते है अपने लंदन में हुए हमारे उच्चायोग द्वारा इस हिंसा की निंदा के बारें में जो statement थी वो तो आपने देखा ही होगा, ये बयान दे रखा था हमने। हमारा उच्चायोग और UK authorities के साथ contact में है कि हमलोगों को किस तरह से रोका जाए और रोकाने के लिए और उन अपराधियों के खिलाफ कारवाई करने के लिए ब्रिटेन सरकार के संपर्क में है, उनको request कर रहे है और विदेशमंत्री कल अपने UK counterpart से भी मिले थे, उन्होंने उसमें भी request की थी, उन्होंने एक tweet भी डाला है आपने देखा होगा।

सुधी रंजन: सर, ब्लूमबर्ग से सुधी रंजन। आप ब्रिक्स में विदेश मंत्रियों की बैठक के बारे में, और साथ ही क्वाड मिनिस्टर्स समिट जिसके न्यूयॉर्क में होने की संभावना है और अगले सप्ताह अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ संभावित अपनी द्विपक्षीय बैठकों के बारे में भी क्या कोई भी विवरण साझा कर सकते हैं?

शशांक: सर शशांक मट्टू मिंट से। सर, एफ़टीए के बारे में, क्या भारत-यूके एफ़टीए अब भी दिवाली डिलीवरी की तारीख के लिए ऑन ट्रैक हैं। और एफ़टीए पर उसी प्रश्न के अनुसरण में, क्या भारत-अमेरिका एफ़टीए, अगले सप्ताह द्विपक्षीय बैठकों के एजेंडे में होगा।

ताकाशी: मेरा नाम असाही शिंबुन है, मैं जापानी दैनिक समाचार पत्र से हूँ। प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के संबंध में, मैं इसका मुख्य कारण पूछना चाहता हूं कि प्रधान मंत्री मोदी ने श्री आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में जाने का फैसला क्यों किया। क्या यह मुख्य रूप से श्री आबे के साथ व्यक्तिगत संबंध के कारण से था या किसी अन्य कारण से?

इलियाना: नमस्कार, इलियाना, TASS न्यूज एजेंसी से। मैं केवल डोनबास, खेरसॉन और ज़ापोरिज़्झिया क्षेत्रों में जनमत संग्रह पर नई दिल्ली की स्थिति के बारे में कुछ जानकारी पाना चाहती हूँ। जैसा कि हम सभी जानते हैं, यूक्रेन संकट, कूटनीति और वार्ता पर भारत की आधिकारिक स्थिति पहले से ही हम बहुत बार सुन चुके हैं। और संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मेरा दूसरा प्रश्न है जयशंकर और लावरोव के बीच द्विपक्षीय बैठक के बारे में कोई जानकारी। और अगर आपको कोई आपत्ति न हो, तो मेरा एक और भी एक सवाल है। मुझे लगता है कि आपने मीडिया रिपोर्टों में देखा होगा कि रूस के हथियारों और ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ गहन बातचीत कर रहा है। संदर्भ है अमेरिकी विदेश विभाग का अधिकारी। इस मंगलवार को यह लेख प्रकाशित किया गया था। मेरा प्रश्‍न यह है कि ऊर्जा क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र में रूस के साथ भारत के सहयोग के बारे में इन मुद्दों पर वाशिंगटन की ओर से आपको कोई दबाव महसूस होता है।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आपने रक्षा का हवाला दिया। आपका प्रश्न रक्षा पर था, है ना?

इलियाना: हां, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र भारत को रूसी हथियारों की आपूर्ति पर। धन्यवाद।

अभिषेक: सर अभिषेक News18 से। सर, क्या न्यूयॉर्क में यूएनजीए के साथ ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक की योजना है? और क्या जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता होगी?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: पहले मैं यूएनजीए को लेता हूं। देखिए, जब हम यूएनजीए की बात कर रहे हैं, तो इस समय विदेश मंत्री न्यूयॉर्क में हैं और वह वास्तव में हर दिन उपलब्ध हैं। आपने डेली रिकैप का वीडियो देखा होगा, वह क्या कर रहे हैं, वह ट्वीट डाल रहे हैं, वह विभिन्न गतिविधियों की प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं। मेरे विचार से उनका व्यापक एजेंडा 50 से अधिक बैठकों का है। इसलिए मैं अलग-अलग विषयों पर नहीं जाना चाहूंगा। मुझे पता है कि मुझसे ब्रिक्स पर पूछा गया है, सुधी, मुझे लगता है कि क्वाड जब तक वे हो नहीं जाती है तब तक मैं उस पर कुछ नहीं कहूँगा। हां, जैसा कि आपने महसूस किया होगा कि वे कहीं न कहीं एजेंडे में हैं, लेकिन उन्हें हो जाने दीजिए। इसलिए हम आपको उस बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे। तो हाँ आपके लिए भी वही उत्तर है। जी हां, ब्रिक्स की बात हो रही है। मैं समझता हूँ कि इसे अभी जारी किया जा चुका है। मुझे लगता है कि हम इसे जारी करने में कामयाब रहे, मैं समझता हूँ कि अभी किया गया एक ट्वीट, भाव को बता रहा है। देखते हैं कि साझा करने के लिए शायद कुछ और है या नहीं। इसलिए ब्रिक्स पर, मैं समझता हूँ कि यह पहले ही हो पूरा चुका है, क्वाड अभी नहीं। और द्विपक्षीय बातचीत जैसे भी होगी, हम आपको बताएंगे। कहना मुश्किल है, हम कोई घोषणा करें और वैसा न हो पाए, इससे शायद बचा जा सकता है। इसलिए जैसे ही वे होंगी हम आपको बताएंगे। मैं समझता हूँ कि ब्रिक्स स्तर पर विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं हुई है, लेकिन बैठक कल शेरपा स्तर पर हुई थी। तो जब ऐसा होगा तो हम आपको बताएंगे।

एफ़टीए पर, मैं समझता हूँ कि श्री मट्टू, आपका प्रश्न था। मुझे लगता है कि एफ़टीए के प्रश्न पर ईमानदार होना चाहिए, यह वाणिज्य मंत्रालय के साथ अधिक संबद्ध है, लेकिन मैं याद कर रहा हूँ कि दोनों पक्षों ने, विशेष रूप से ब्रिटेन की सरकार में बदलाव के साथ, दोहराया है कि दिवाली की समय सीमा कुछ ऐसी है जिस पर वे अभी भी काम कर रहे हैं, और उम्मीद है कि यह वहां तक हो जाएगा। हम देखेंगे कि यह कैसे होता है, लेकिन यदि आप तकनीकी पक्ष पर कोई और विवरण चाहते हैं, तो मैं आपको वाणिज्य मंत्रालय के पास भेजना चाहूँगा।

भारत-अमेरिका के संबंध पर, मुझे नहीं पता कि एजेंडे में एफ़टीए का इतना हिस्सा है या नहीं। बेशक, हम यह देखने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं कि हम अपनी रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न स्तंभों को कैसे मजबूत कर सकते हैं। लेकिन मुझे नहीं पता कि विदेश मंत्री सही व्यक्ति होंगे अथवा या नहीं और कहें कि इस तरह की बैठक विशेष रूप से एफ़टीए पर चर्चा करने वाली बैठक होगी। अन्य मुद्दे भी हैं, लेकिन हां, निश्चित रूप से द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना एजेंडा में होगा।

यदि मैं आपके प्रश्न को जनमत संग्रह के हिस्से पर लूँ, तो क्या मैंने यह नहीं कहा, लेकिन मुझे यह दोहराते हुए खुशी हो रही है कि हमने जो कहा, उसके दोनों हिस्सों पर मेरी स्थिति क्या है, जैसा कि मैंने कहा, हमने बार-बार शत्रुता की समाप्ति पर जोर दिया है। और आपने वार्ता और कूटनीति के बारे में बात की, मैं इसे दोहराता हूं कि प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा था। आपने उन्हें सुना। मैं यह भी जोड़ना चाहता हूं कि जहां तक ​​सम्मान और संप्रभुता तथा देशों की क्षेत्रीय अखंडता का संबंध है, भारत की स्थिति भी स्पष्ट और समनुरूप रही है। इसलिए मुझे लगता है कि इन देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर हमारी स्थिति भी बहुत स्पष्ट है। मुझे इसे दोहराने की जरूरत नहीं है।

यूएनजीए पर रूस के लावरोव विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठकें - जैसा भी होगा, हम आपको बताएंगे कि यदि ये होती हैं। मैं उन बैठकों के बारे में पहले से कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा जो हो भी सकती हैं और नहीं भी। आखिरी प्रश्न पर, मैं निश्चित नहीं था कि आपने किसी टिप्पणी का उल्लेख किया है। भारत और रूस के बीच बातचीत चल रही है। हाँ, भारत और अमेरिका के बीच नियमित आधार पर बहुत व्यापक विचार-विमर्श होता है। निश्चित ही रक्षा सहयोग या ऊर्जा और ऊर्जा व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों पर बातचीत होगी। मेरे पास इसके बारे में कहने के लिए और कुछ नहीं है। दबाव - मुझे निश्चित रूप से लगता है कि मैं टिप्पणी करने के लिए सही व्यक्ति नहीं हूं। मुझे लगता है कि आपने हमारे विदेश सचिव के साथ-साथ हमारे विदेश मंत्री को यह कहते हुए सुना है, किसी भी बिंदु पर दबाव का कोई प्रश्न ही नहीं है। मुझे नहीं लगता कि भारत एक ऐसा देश है जिस पर आप दबाव बनाते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको परिणाम मिलेंगे। तो किसी भी तरह से, और मुझे लगता है कि भारत की स्थिति हमारे अपने उन विश्वासों और हमारे उन हितों से उपजी है जिनका अनुसरण हमें करने की आवश्यकता है।

ताकाशी आपके प्रश्न आता हूँ, देखिए, मुझे लगता है, मैं यह अनुमान नहीं लगाना चाहता कि प्रधान मंत्री क्यों जा रहे थे, लेकिन मैं दोनों बातों पर आपसे सहमत होना चाहूंगा। मुझे लगता है, यह एक राजकीय अंतिम संस्कार है और निश्चित रूप से, जैसा कि आप जानते हैं, यह एक बहुत ही मित्रवत देश है, एक महत्वपूर्ण भागीदार है और मुझे लगता है कि यह अच्छा ही है कि प्रधानमंत्री, अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, राजकीय अंतिम संस्कार में उपस्थित होने के लिए जाने का समय निकाल पाए। और निश्चित ही, जैसा कि आप जानते हैं, पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ एक व्यक्तिगत जुड़ाव है। तो मुझे लगता है कि यह सब भागीदारी को विशिष्ट बनाने में भूमिका निभाता है, लेकिन यह मेरा अनुमान मात्र ही है, मैंने प्रधान मंत्री से नहीं पूछा कि वह क्यों जा रहे हैं। तो मैं इसे यहीं समाप्त करता हूँ।

Shalinder: शैलेन्द्र News 18 से, prime minister मोदी की meeting टर्की के president से हुई थी bilateral लेकिन उसके ठीक Turkish president ने UNGA में एकबार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है, उसपर हमारा क्या reaction है?

श्रींजॉय: सर, भारत और अमेरिका के बीच 2+2 इंटरसेशनल बैठक में। यह मिनी 2+2 था, जो 7 और 8 तारीख को हुआ था, यह तय किया गया था कि अगला 2+2 भारत में बसंत में होगा, या तो फरवरी या मार्च में। क्या आप हमें इसके बारे में कुछ और बता सकते हैं?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: पहले मैं आपका प्रश्न लेता हूँ। देखिए, जब ऐसा होगा, तो हम आपको बताएंगे, इंटरसेशनल्स बिल्कुल ऐसे ही होते हैं। हम आगामी की मेज़बानी करने की कोशिश करेंगे। मार्च बहुत दूर है। मैं आपके द्वारा कही गई किसी भी बात की पुष्टि नहीं कर रहा हूं। यह आपके प्रश्न के उत्तर की प्रस्तावना थी। मैं इसे स्वीकार कर लूंगा, लेकिन जब हम कुछ भी घोषणा करने के लिए तैयार होंगे तो हम आपको बताएंगे।

शैलेन्द्र आपने पूछा, तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात हुई थी समरकंद में, उसके बारे में हमने एक press release भी जारी कर रखी है and हमने उसमें क्या-क्या बातें हुई थी कुछ उसमें उल्लेख किया था और जम्मू-कश्मीर के बारे में वो अलग मुद्दा है UN में हुई थी, हमारा इसमें वक्तव्य हमेशा हमारा position बहुत clear रहा है और आप चाहे तो मैं दोहरा दूंगा कि ये हमारा अंदरूनी मामला है और इस विषय पर हमारा जो position है, हर जगह हम कह चुके है कि इसको bilaterally Shimla agreement के तहत और उस सन्दर्भ से terrorism जब ख़तम हो उस बारे में इस context में हम देखते है। तो, इसमें UNGA में reference का कोई मायना नही रखता है किसी भी दुसरे देश के तरफ से और उससे ज्यादा मेरे पास अभी कोई और response नही है।

सिद्धांतः सर, तुर्की पर अंग्रेजी में।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: जैसा कि आप जानते हैं, तुर्की के संबंध में, प्रधान मंत्री ने हाल ही में पिछले सप्ताह समरकंद में तुर्की के राष्ट्रपति के साथ एक उपयोगी बैठक की थी, और हमने उस पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें चर्चा के क्षेत्रों और हम एक साथ कैसे काम कर सकते हैं, पर प्रकाश डाला गया था। बेशक, यूएनजीए और जम्मू कश्मीर के अलग-अलग मुद्दे पर, मुझे लगता मैं समझता हूँ है कि हमारी स्थिति बहुत अच्छी तरह से ज्ञात है, लेकिन चूंकि आप चाहते थे कि हम इसे दोहराएं, मैं कह सकता हूं, इस मुद्दे को निश्चित रूप से शिमला समझौते के अनुसार और द्विपक्षीय रूप से हल करने की आवश्यकता है और हमने हमेशा इसे माना है। और आतंकवाद से मुक्त एक अनुकूल माहौल में वार्ता भी। मुझे लगता है कि हम सभी इसे जानते हैं, और मुझे नहीं लगता कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू और कश्मीर का संदर्भ उपयोगी या सहायक है। शुक्रिया। हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।

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