मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (जुलाई 21, 2022)

जुलाई 21, 2022

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आप सभी को नमस्कार, वैरी गुड आफ्टरनून। इस सप्ताह की मीडिया वार्ता में हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। मुझे कोई विशेष घोषणा नहीं करनी है। शुरू करने के लिए मैं पहले से ही प्रश्नों के लिए उठे हुए हाथ देख रहा हूँ । हम कुछ प्रश्न लेंगे।

शैलेन्द्र : शैलेन्द्र वांगु न्यूज़ 18 से. सर आपने देखा होगा एक वीडियो पाकिस्तान के दरबार साहिब गुरुद्वारा का जो करतारपुर में है वहां पे कुछ नाच-गाने के वीडियो सामने आए है जिसपर आपत्ति जताई है सिख कम्युनिटी ने, इसको लेकर आप क्या कहेंगे। वहीँ साथ ही साथ उनके एक सी.ई.ओ. को भी करप्शन के चार्जेस में हटाया गया है। तो करप्शन चार्जेस उस पूरे काम्प्लेक्स को लेकर चल रहा है, इसपर आप क्या रिएक्शन है?

संदीप : सर मेरा नाम संदीप है न्यूज़ 18 इंडिया से, मेरा सवाल है कि हांगकांग मीडिया में एक रिपोर्ट आई है जिसमें कि बताया गया है कि चीन जो है वो अक्साई चीन से एक नए हाईवे को तैयार करने की तैयारी कर रहा है और वो जो है LAC के बेहद करीब से गुजरेगा, ये इस रिपोर्ट में लिखा गया है। किस तरीके से इस डेवलपमेंट को आप देख रहे है सर?

सिद्धांत: महोदय, संदीप के सवाल से जुड़ा हुआ सवाल। चीन डोकलाम में भी नए गाँव बना रहा है, उस पर कोई प्रतिक्रिया?

रेजा: हिंदुस्तान टाइम्स से रेजा। हम चीनी पक्ष से, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और अन्य स्थानों से बार-बार सुन रहे हैं कि संबंधों में सुधार की तथाकथित गति है और यह कि मार्च में बैठक के बाद से चीजें बदल गई हैं। मेरा मतलब है, उनके बयानों से इस तरह की धारणा बनती है। मैं सोच रहा था कि क्या यह हालात के हमारे आकलन से मेल खाता है ।

येशी: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से येशी सेली। हिन्द-प्रशांत में नाटो की उपस्थिति की क्या संभावनाएँ हैं, आप जानते हैं, इस महीने की शुरुआत में, स्पेन में नाटो के एक सम्मेलन में जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड भागीदार रहे थे, तो इसलिए यह जानना है।

सृंजॉय: महोदय, टाइम्स नाउ। हमने आपका बयान देखा है, कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद भारत सरकार का बयान, लेकिन पीपी15 पर स्थिति का कोई संदर्भ नहीं है। क्या आप हमें ठीक-ठीक बता सकते हैं कि उस गश्ती बिंदु पर हालात कैसे हैं, और डेपसांग और डेमचोक की स्थिति के बारे में भी।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्‍ता: मैं समझता हूँ कि चीन पर कुछ प्रश्‍न हैं। 1st शैलेन्द्र जी आपका प्रश्न था PMU में करतारपुर साहिब को लेके? जैसे ही आ रहा था मैंने देखा कुछ रिपोर्ट्स है इसके बारे में, मेरा कोई इम्मेडिएट अभी कमेंट नही है पर मैं सिर्फ यह दोहराना चाहूँगा कि हमलोगों ने काफीबार पहले भी कह रखा है पाकिस्तान को कि उधर माइनॉरिटी को कैसे ट्रीट किया जाए, उनके रिलीजियस प्लेसेस को सेफ़गार्ड किया जाए। तो इसके बारें में अभी इम्मेडिएटली मेरे पास कोई रिस्पांस नहीं है क्योकि हाल ही का कोई इंसिडेंट अभी आया है पब्लिक, तो आई विल गेट बैक टू यू इसपे। रिगार्डिंग चाइना संदीप आप पूछ रहे थे कोई नए हाईवे के बारे में बात हो रही थी, SCMP रिपोर्ट है।

सिद्धांत आपने डोकलाम का मुद्दा उठाया। देखिए, मैं मीडिया रिपोर्ट्स पर कमेंट में नहीं पड़ना चाहता। मुझे सही होने आदि की जानकारी भी नहीं है, लेकिन मैं एक व्यापक बात कहना चाहता हूँ, खासकर डोकलाम के संदर्भ में। कृपया आश्वस्त रहें कि सरकार भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों पर निरंतर नजर रखती है और इसकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है। मैं एक सामान्य टिप्पणी के रूप में यह कहूँगा।

आपको भी यही कहूँगा जो भी इस तरह के कोई डेवलपमेंट हो आश्वत रहे कि भारत सरकार अपने देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली कोई भी ऐसी डेवलपमेंट्स में निरंतर नज़र बनाए रखता है और सुरक्षा के लिए जो भी आवश्यक कदम है वो लेगा, इससे ज्यादा आई डोंट वांट टू कमेंट ऑन दिस।

बड़े मुद्दे पर आते हैं, मुझे लगता है कि रेजा ने सुधार की गति के बारे में उठाया था। मुझे लगता है कि यह एक बहुत व्यापक बिंदु है। मुझे यकीन नहीं है कि मैं इस तरह की वार्ता में इस पर टिप्पणी करने के लिए सबसे योग्य हूँ। आपने देखा कि हमने हाल ही में कमांडर स्तर की वार्ता के बाद एक बयान जारी किया था, वास्तव में दोनों पक्षों की ओर से एक संयुक्त बयान था, जहाँ उन्होंने आगे बढ़ने या कुछ समझौतों, आपस में बनी सहमति को लागू करने के प्रयास के महत्व के बारे में बात की। वास्तव में, यह स्पष्ट रूप से, और विचारों के गहन आदान-प्रदान की बात करता है, और यह राष्ट्रीय नेताओं द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन के अनुसार शेष मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान के बारे में बात करता है। और निश्चित रूप से, जैसा कि आप जानते हैं, हमारा मुद्दा एक बड़ा मुद्दा रहा है, जिसके अनुसार यदि आप मुद्दों को, विशेष रूप से सैन्य वापसी का मुद्दा हल कर सकते हैं और इससे पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के आस-पास सैन्य-बलों की कमी और अमन एवं शांति बहाल करने में मदद मिलेगी और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को संभव बनाने की दिशा में सही कदम होगा। मुझे नहीं लगता कि मैं आकलन के सन्दर्भ में इसमें और कुछ अधिक बता पाऊँगा। मुझे लगता है कि हमारा यही विचार रहेगा, सीमा पर तनाव कम करने, सैन्य वापसी और फिर अमन एवं शांति की यह क्रमिक प्रक्रिया है जो द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति में मदद करेगी। यदि चीनी पक्ष ने कहा है कि सुधार की गति है, जो फिर से, मुझे नहीं पता कि आप कहाँ से उद्धृत कर रहे हैं, तो मैंने वह शब्दावली नहीं देखी है; अच्छा है, यह हमेशा रहेगा, जैसा कि हमने कहा, हम प्रगति करना चाहते हैं, लेकिन देखना चाहेंगे कि यह रास्ता आगे बढ़े। मुझे लगता है कि सैन्य और राजनयिक दोनों माध्यमों से बातचीत और निकट संपर्क बनाए रखने की भी बात चल रही है ताकि मुद्दों का एक पारस्परिक स्वीकार्य समाधान खोजा जा सके। मुझे लगता है कि हमारा फोकस इसी पर है और हम देखेंगे कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए।

येशी, मुझे लगता है कि आपका हमसे यह प्रश्न करना गलत है। यदि नाटो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कुछ कर रहा है, तो आप नाटो से पूछ सकते हैं, हम निश्चित रूप से इसके सदस्य नहीं हैं, और न ही मैं उन पर टिप्पणी कर सकता हूँ । मुझे लगता है कि यह बार-बार स्पष्ट किया गया है कि क्वाड क्या है, क्वाड के क्या दृष्टिकोण हैं, इसे एशियाई नाटो या बहुत सी चीजों के रूप में चित्रित करने के प्रयास किये गये हैं। और इसी मंच पर, मुझे लगता है कि हमने स्पष्ट किया है कि हम क्वाड को कैसे देखते हैं, क्वाड सदस्य क्वाड को कैसे देखते हैं और मुझे नहीं लगता कि नाटो उस बातचीत में कभी सामने आया है। इसलिए मैं फिर से उसी बहस में नहीं पड़ना चाहता। तो मैं इसे यहीं छोड़ता हूँ ।

सृंजॉय, आपके विशिष्ट क्षेत्र में वापस आएं, विशिष्ट गश्त बिंदु, डेमचोक आदि को देखें। वे चर्चाओं का हिस्सा हैं। मैं, वास्तव में शायद अधिक स्पष्ट करने की स्थिति में नहीं होऊँगा। हमने एक संयुक्त रीडआउट जारी किया है, इस बातचीत का एक संयुक्त बयान, जो स्पष्ट करता है कि हम कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं। और मैंने अभी रेजा को समझाया कि हम इसे कैसे देखेंगे। मैं विशिष्ट गश्त बिंदुओं पर टिप्पणी नहीं करना चाहता या क्या चर्चा थी या अगले कदम क्या हैं, यह कहने के अलावा, कि हाँ मुझे लगता है कि हम सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर और अधिक बातचीत की उम्मीद करेंगे, यह देखने के लिए कि हम मुद्दों को कैसे हल कर सकते हैं जैसा कि मैंने रेखांकित किया है कि हम इसे कैसे देखते हैं। ठीक। मैं इसे अब यहीं समाप्त करूँगा। प्रश्नों का अगला दौर लेते हैं ।

शैलेश कुमार : महोदय, मैं नेशनल डिफेन्स से शैलेश कुमार हूँ । महोदय, लगभग दो साल से अधिक समय हो गया है कि चीनी पीएलए हमारी सुरक्षा को कमजोर कर रहा है तथा हमारी संप्रभुता को चुनौती दे रहा है और 16वें दौर की सैन्य वार्ता एक गतिरोध है। तो, क्या हम अभी भी अगले दौर की बातचीत से आशान्वित हैं या धैर्य समाप्त हो रहा है या थकान है?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आप वास्तव में मेरे मुँह में शब्द डालना चाहते हैं। ठीक है, मैं आपको जवाब देने की कोशिश करूँगा।

राजेश मिश्रा: धन्यवाद महोदय, कांतिपुर मीडिया, नेपाल से राजेश मिश्रा । महोदय, भारत श्रीलंका में बदली हुई स्थिति को कैसे देख रहा है? क्या भारत नए राष्ट्रपति के अधीन वहाँ की स्थिति में सुधार की उम्मीद करता है? क्या भारत अब इस स्थिति में अपना सहयोग जारी रखेगा? शुक्रिया।

देवीरूपा: द वायर से देवीरूपा। आप जानते ही होंगे कि मॉरीशस में एक बड़ा राजनीतिक विवाद है, जो मॉरीशस टेलीकॉम के सीईओ के इस्तीफे के बाद छिड़ गया है। यह दावा किया गया था कि उन्हें, प्रधानमंत्री द्वारा एक विदेशी टीम को वहाँ पनडुब्बी केबल के लैंडिंग स्टेशन तक पहुँच देने के लिए मजबूर किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि, मूल रूप से पहली बार यह कहा गया था कि, यह एक भारतीय टीम थी और वे एक सर्वेक्षण मिशन के लिए गए थे। इसलिए मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूँ कि क्या आप इस पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं कि मॉरीशस सरकार के अनुरोध की प्रकृति क्या थी और भारतीय टीम वास्तव में वहाँ क्या कर रही थी?

मानस: महोदय, पीटीआई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) से मानस। श्रीलंका पर पिछले प्रश्न से संबंधित प्रश्न। तो जबकि श्रीलंका राजनीतिक स्थिरता बहाल करता नजर आ रहा है, श्रीलंका के एक प्रमुख भागीदार के रूप में, क्या भारत वास्तव में, निश्चित रूप से पिछली सहायता की निरंतरता में, इस समय विशिष्ट आर्थिक पैकेज की ओर देख रहा है?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्‍ता: ठीक है, मैं इस दौर के प्रश्न लेता हूँ। मैं श्रीलंका से शुरू करता हूँ। मुझे लगता है कि मैंने कुछ प्रश्न देखे, एक राजेश का था, आपने और मानस ने भी पूछा । श्रीलंका पर, मैं समझता हूँ कि हम इस मुद्दे को काफी लंबे समय से संबोधित कर रहे हैं। आपने हमारे बयान देखे होंगे जो हमारे उच्चायोग ने दिए हैं, कुछ बयान हमने दिए हैं। सबसे पहले मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि श्रीलंका को सहायता, उनकी आवश्यकता के अनुसार आर्थिक सहायता प्रदान करने में हम सबसे आगे रहे हैं । मुझे लगता है कि हम उन देशों में से एक हैं, जो जरूरत के समय सबसे अधिक सहायता पहुँचाने में समर्थ रहे हैं। मैं समझता हूँ कि इस संदर्भ में हम श्रीलंका के लोगों के साथ हर संभव तरीके से खड़े रहेंगे। आपने विशेष रूप से नए राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में पूछा। मैं समझता हूँ कि हमारे उच्चायोग ने वहाँ एक वक्तव्य दिया जिसमें कहा गया था कि यह संसद की एक प्रक्रिया के द्वारा किया गया । मुझे नहीं लगता कि हमारे पास इस पर जोर देने के अलावा और कुछ जोड़ने के लिए है, जो हमने पहले भी कहा कि हम श्रीलंका के लोगों के साथ स्थिरता, लोकतांत्रिक तरीकों और मूल्यों द्वारा आर्थिक सुधार, स्थापित लोकतांत्रिक संस्था और संवैधानिक ढाँचे की उनकी तलाश में उनके साथ खड़े होंगे। और मुझे लगता है कि यह तथ्य कि यह परिवर्तन संवैधानिक ढाँचे के माध्यम से हुआ, उस तरह से एक स्पष्ट और सकारात्मक संकेत है। फिर से उसी तरह के विशिष्ट आर्थिक पैकेज के सन्दर्भ में, देखिए, अब जब उनके पास एक नया राष्ट्रपति है और वे शायद सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, और आईएमएफ के साथ भी उनकी ये चर्चाएं हैं। देखते हैं, क्या आवश्यक है, क्या होता है। मेरे पास तत्काल उत्तर नहीं है क्योंकि मुझे लगता है, हमने विभिन्न तरीकों से सहायता प्रदान की है और इसमें से कुछ का वास्तव में पूरी तरह से उपयोग भी नहीं किया गया है, इसमें से कुछ का ही उपयोग किया गया है। इसलिए हम उस सब पर गौर करेंगे, जैसा कि मैंने कहा, हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे, जिस तरह से भी हम कर सकते हैं। मुझे लगता है कि वह स्पष्ट करेगा कि हम इसे कैसे देखते हैं और यह कि संवैधानिक ढाँचे, लोकतांत्रिक संस्था और साथ ही साथ लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों पर हमारा जोर है। मैं समझता हूँ कि श्रीलंका के सन्दर्भ में, मैं इसी पर जोर दूँगा।

एक प्रश्न था, मुझे लगता है कि देवीरूपा आपने मॉरीशस के बारे में कुछ उल्लेख किया है। देखिए, मुझे नहीं पता कि मेरे पास इसका पूरा विवरण है या नहीं, लेकिन मेरी समझ यह है कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री पहले ही एक बयान दे चुके हैं और मुझे लगता है कि आपने अपनी टिप्पणी में इसका उल्लेख किया है। मेरे पास वास्तव में इसमें जोड़ने के लिए और कुछ नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे परिप्रेक्ष्य से यह काफी अच्छा है।

शैलेश, आपने फिर से चीन का मुद्दा उठाया था। आपने बहुत कुछ ऐसा कहा जिसे मैं घोषणात्मक बयान कहता हूँ, वे आपके बयान हैं, यह स्पष्ट है। मुझे नहीं पता कि वे संप्रभुता को कम कर रहे हैं या नहीं। मुझे नहीं लगता कि भारत की संप्रभुता को कम किया जा सकता है या कम किया जाना चाहिए। यह धैर्य के कम होने का मुद्दा नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि उनमें से कोई भी चरित्र-चित्रण ऐसा होगा जिससे मैं सहमत हो सकता हूँ । मैं वही कहना और दोहराना चाहूँगा जो मैं पहले कहता रहा हूँ कि हम चीनी पक्ष के साथ बातचीत कर रहे हैं। हम अपने परिप्रेक्ष्य से मुद्दों को हल करने के लिए राजनयिक और सैन्य चर्चा कर रहे हैं, जो कि सैन्य वापसी, तनाव में कमी, सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ हद तक स्थिरता और सामान्य हालात की बहाली है और यह समग्र संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करेगा। मुझे लगता है कि यही वह तरीका है जिस पर हमारा ध्यान केंद्रित रहेगा।

अभिषेक झा: महोदय, मैं सीएनएन न्यूज़ 18 से अभिषेक झा हूँ । मेरे दो सवाल हैं महोदय। तो, सप्ताहांत में अफगानिस्तान मुद्दे के संबंध में उज्बेकिस्तान में, ताशकंद में एक सम्मेलन होने जा रहा है। तो, क्या भारत इस कार्यक्रम में भाग लेगा और वहाँ किस क्षमता में भारतीय प्रतिनिधित्व होगा। इसके अलावा अगले सप्ताह एससीओ विदेश मंत्रियों की एक निर्धारित बैठक है। क्या हम कुछ अभिवादन कर सकते हैं?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: अभिवादन?

अभिषेक झा: मेरा मतलब भारत और पाकिस्तान के दो विदेश मंत्रियों के बीच है, क्या दोनों के बीच कोई बैठक निर्धारित है, क्योंकि पहले भी मीडिया में खबरें आती रही हैं।

अखिलेश सुमन: महोदय, मैं संसद टीवी से अखिलेश सुमन हूँ । हाल ही में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री श्री प्रचंड यहाँ दिल्ली में थे। तो क्या उन्होंने विदेश मंत्री से मुलाकात की?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: हाँ। कृपया हमारे ट्विटर, फेसबुक और वेबसाइट का अनुसरण करें।

अखिलेश सुमन: क्या वहाँ से कोई सूचना है?

शैलेन्द्र: सर मैं न्यूज़ 18 से शैलेन्द्र हूँ, अरविन्द केजरीवाल सिंगापुर जा पाएंगे या नही?

सिद्धांत: महोदय, हमने रूसी दूतावास द्वारा रूसी पोत को रोके जाने पर एक बयान देखा, यह घोषणा की गई थी कि जहाज को जाने की अनुमति दी गई है। तो आखिर विवाद क्या था? और जो स्पष्टीकरण माँगते हुए रूसी पक्ष का बयान हमने देखा, यदि आप उस पर केवल टिप्पणी कर सकते हैं।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्‍ता: मैं आपके प्रश्‍न से शुरू करता हूँ, वास्‍तव में, यह सबसे आसान है। देखिए, मैं रूसी बयान पर टिप्पणी नहीं करने जा रहा हूं। मुझे लगता है कि टिप्पणी करना उचित नहीं है। यह एक वाणिज्यिक विवाद था और वाणिज्यिक विवाद हल हो गया। मुझे लगता है कि एक विदेशी पक्ष और जहाज के बीच बकाया भुगतान का मुद्दा था और क्योंकि जिस पार्टी को भुगतान नहीं मिला था, उसने एडमिरल्टी कोर्ट के साथ एक मुद्दा उठाया था। एडमिरल्टी कोर्ट ने ऐसे मामलों में मानदंडों के अनुसार हस्तक्षेप किया था। इसके बाद, मैं समझता हूँ कि दोनों पक्षों ने समझौता किया और जहाज को जाने दिया गया। मुझे लगता है कि यही है, और इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है। इसलिए मेरे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है। मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई वास्तविक विवाद है।

अखिलेश सुमन जी, आपने श्री प्रचंड की हाल की यात्रा के बारे में पूछा था, कि वे आए थे। मैं उनकी बातचीत में जाने की स्थिति में नहीं हूँ । आपने देखा कि विदेश मंत्री ने कुछ कहा। यह एक पार्टी से दूसरी पार्टी का मिलना था। वह भाजपा के पास आए थे और अपनी पार्टी से। इसलिए मुझे वास्तव में उनकी गतिविधियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने विदेश मंत्री से मुलाकात की, क्योंकि जब वे भाजपा के पास थे तब विदेश मंत्री भी मौजूद थे। मुझे लगता है कि उन्होंने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन फिर, मैं आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता जब तक कि आपके पास कुछ विशिष्ट न हो, जिस पर आप चाहते हैं कि मैं जवाब दूँ।

अभिषेक, आपने जिन मुद्दों का जिक्र किया, दो बातें। अब तक देखिए, मैं सहजता से कह सकता हूँ कि हम उचित समय तक यात्राओं की घोषणा नहीं करेंगे। यदि एससीओ, विदेश मंत्रियों की बैठक के बारे में कुछ होता है, तो मैं आपको बता दूँगा, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि हम आपके साथ जानकारी साझा करेंगे। इस समय मेरे पास जानकारी नहीं है, उस यात्रा के दौरान होने वाली किसी गतिविधि के बारे में बहुत कम जानकारी है जिसकी हमने अभी तक घोषणा नहीं की है। जहाँ तक दूसरी, ताशकंद में यात्रा का संबंध है, हाँ, मुझे इसकी जानकारी है, लेकिन फिर से, मेरे पास अभी तक कोई घोषणा नहीं है, यदि हम कोई करते हैं, तो मैं आपको बता दूँगा। यह अफगानिस्तान के बारे में है, है ना? हाँ।

शैलन्द्र आपका प्रश्न मुश्किल है, मैं कैसे कह सकता हूँ वो जा पाएंगे या नही मैं आपको सिर्फ इतना बता सकता हूँ कि अभी तक हमारे पास ऐसी कोई पोलिटिकल क्लीयरेंस की रिक्वेस्ट आई नही थी, पर आज एक एंट्री आई है, अभी जब मैं आ रहा था मुझे बताया गया कि हमारे एक जिसे कहते है एंट्री उस टाइप का वो आया है, हमारे पास एक ऑनलाइन पोर्टल होता है पोलिटिकल क्लीयरेंस के लिए उसमें एक एंट्री आज आई है उस विजिट के बारे में पर इसके बारे में और डिटेल्स अभी मेरे पास नही है क्योकिं आज ही हुआ है ये। बट इतना कह सकता हूँ उनका जाना उनके हाथ में है, मैं इसपे कुछ कह नही पाउँगा।

वक्ता 1: महोदय, दिल्ली के मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि उन्होंने जून के पहले सप्ताह में राजनीतिक मंजूरी के लिए अनुरोध किया था। तो क्या आप कह रहे हैं कि विदेश मंत्रालय को कोई अनुरोध नहीं मिला?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्‍ता : मैं ठीक वही दोहरा रहा हूँ जो मैं कह रहा हूँ इस बार अंग्रेजी में। देखिए, जैसे ही मैं अंदर आया, मुझे बताया गया कि मंत्रालय के ऑनलाइन पोर्टल में एक प्रविष्टि की गई है। जैसा कि आप जानते हैं, राजनीतिक मंजूरी का अनुरोध करने के लिए एक प्रणाली है। इस यात्रा के संबंध में, वह प्रविष्टि आज दोपहर या आज सुबह, या जो भी हो, की गई थी। और मेरे पास इस बारे में और कोई विवरण नहीं है कि वह प्रविष्टि क्या है। तो स्पष्ट रूप से मैं दोहराना चाहता हूँ कि हमारे ऑनलाइन पोर्टल में राजनीतिक मंजूरी के लिए आज प्रविष्टि की गई थी।

वक्ता 2: महोदय, क्या संभावनाएँ हैं?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: यह मेरी जानकारी के दायरे से बाहर है। जैसा कि मैंने कहा, मैंने अभी एक प्रविष्टि देखी है। मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। ठीक। आज की वार्ता में शामिल होने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।

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