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प्रधानमंत्री की इटली यात्रा पर विदेश सचिव की विशेष ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (अक्टूबर 30, 2021)

अक्तूबर 30, 2021

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: शुभ संध्या और नमस्कार, जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री की रोम यात्रा पर विदेश सचिव श्री हर्षवर्धन श्रृंगला की इस विशेष ब्रीफिंग में आप सभी का स्वागत है। वास्तव में आज उनकी यात्रा का दूसरा दिन है, लेकिन दूसरे दिन के पूरे होने में अभी कुछ समय शेष है। यह स्पष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान अभी तक क्या हुआ और उनका एजेंडा क्या है, आज हमारे साथ विदेश सचिव मौजूद हैं। महोदय, अब आप शुरु कीजिए। धन्यवाद।

श्री हर्षवर्धन श्रृंगला, विदेश सचिव:
नमस्कार और शुभ संध्या, जैसा कि संयुक्त सचिव ने अभी-अभी बताया, जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की रोम यात्रा का आज दूसरा दिन है। प्रधानमंत्री ने आज कई नेताओं से मुलाकात की और यह अभी भी जारी है। प्रधानमंत्री अभी कुछ अन्य कार्यक्रम में भी शामिल होने वाले हैं। आज सबसे पहले प्रधानमंत्री ने वेटिकन में परम श्रद्धेय पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। आप उनकी इस विशेष मुकालात के बारे में पहले से ही अवगत हैं। जैसा कि आप जानते हैं, यह एक विशेष अवसर था, क्योंकि स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जून 2000 में वेटिकन में पोप जॉन पॉल II से मुलाकात के बाद से अब किसी भारतीय प्रधानमंत्री और पोप की मुलाकात हुई है। यह प्रधानमंत्री और पोप की निजी बैठक थी। दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी, महामारी से आर्थिक व स्वास्थ्य सुधार, जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण सहित कई सामयिक मुद्दों पर चर्चा की। आप इस बातचीत की गर्मजोशी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह बैठक 20 मिनट की होनी थी, लेकिन लगभग एक घंटे तक चलती रही।

प्रधानमंत्री ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का निमंत्रण दिया। किसी पोप की भारत की आखिरी यात्रा 1999 में हुई थी जब पोप जॉन पॉल II ने भारत का दौरा किया था। पोप ने प्रधानमंत्री के निमंत्रण को विनम्रता पूर्वक स्वीकार कर लिया है और उनके शब्दों को दोहराता हूं, "आपने मुझे बहुत बड़ा उपहार दिया है, मैं भारत आने हेतु उत्सुक हूं।" प्रधानमंत्री ने परम श्रद्धेय पोप फ्रांसिस को चांदी का एक मोमबत्ती स्टैंड और पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर आधारित एक पुस्तक भेंट की। पोप ने प्रधानमंत्री को एक कांस्य पट्टिका भेंट की जिसपर लिखा था, "द डेजर्ट विल बिकम अ गार्डन"। जैसा कि आप जानते हैं, यह एक प्राचीन उद्धरण है। प्रधानमंत्री ने वेटिकन के राज्य सचिव, महामहिम कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन के साथ भी एक संक्षिप्त बैठक की।

प्रधानमंत्री इसके पश्चात जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल पहुंचे, जहां उन्होंने अन्य नेताओं के साथ उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया। इसके पश्चात उन्होंने "वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं वैश्विक स्वास्थ्य" विषय पर आयोजित पहले सत्र में भाग लिया। जी20 के पहले कार्यक्रम के अपने वक्तव्य में, प्रधानमंत्री ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने 150 से अधिक देशों में भारत की चिकित्सा आपूर्ति पहुंचने का जिक्र किया। उन्होंने 'वन अर्थ, वन हेल्थ' के हमारे विजन की बात की, जो अनिवार्यतः कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सहयोगी दृष्टिकोण अपनाने हेतु आवश्यक है। यहां मेरा कहने का अर्थ शोध एवं अनुसंधान से सहयोग से, महामारी का मुकाबला करने में सहयोग, विकासशील देशों में सहयोग जिससे भावी महामारियों तथा वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों से निपटा जा सकता है। इसलिए, प्रधानमंत्री जी की 'वन अर्थ वन हेल्थ' की अवधारणा का जी20 के नेताओं ने जोरदार स्वागत किया क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, चूंकि हम अभी व्यापक वैश्विक समाधान की तलाश कर रहे हैं जिनसे असमानता जैसी समस्याओं को दूर किया जा सके, विकासशील देशों की समस्याओं से निपटा जा सके और यह वैश्विक जनकल्याण की समग्र अवधारणा का एक दृष्टिकोण भी है, जिसके बारे में प्रधानमंत्री ने कई मौको पर बात की है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में लचीलपन लाने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही भारत के उन साहसिक आर्थिक सुधारों का भी जिक्र किया, जिनकी वजह से भारत के साथ व्यापार करने की लागत को कम हुई है। उन्होंने भारत में नवोन्मेष, नवोन्मेष कल्चर को विकसित करने के प्रयासों पर भी बात की। उन्होंने जी20 देशों को आर्थिक सुधार एवं आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण में भारत को अपना भागीदार बनाने हेतु आमंत्रित किया। मेरे नज़रिए से, प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि महामारी की चुनौतियों के बावजूद, भारत विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के संदर्भ में एक विश्वसनीय भागीदार बना रहा। उन्होंने आईटी क्षेत्र, बीपीओ की बात की, जहां हमने वैश्विक प्रक्रियाओं में समग्र श्रृंखला में अपने योगदान के रास्ते में महामारी को नहीं आने दिया है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक वित्तीय अवसंरचना को अधिक न्यायसंगत तथा निष्पक्ष बनाने हेतु जी20 देशों द्वारा 15% न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के निर्णय पर संतोष व्यक्त किया। आपको ज्ञात होगा कि यह 15% न्यूनतम कॉर्पोरेट कर जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कंपनियां अपने कर के बोझ को कम करते हुए भी इतने न्यूनतम संभावित कर का भुगतान करती रहें तथा बड़े बहुराष्ट्रीय निगम उन देशों को कर के अपने हिस्से का भुगतान करती हैं जहां वे स्थित हैं। यहां, बताना उचित होगा कि साल 2014 में, प्रधानमंत्री ने कर की चोरी को रोकने हेतु न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के विचार का प्रस्ताव रखा था। 2014 के जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने इस बारे में बात की, उन्होंने सबसे पहले इस विचार को सामने रखा था। इसलिए आज इस बात पर हम संतोष व्यक्त करते हैं कि जी20 के देशों ने इसे अपनाया है, और यह एक वैश्विक मानदंड बन गया है। और मेरे हिसाब से यह कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार आदि जैसे मुद्दों पर अधिक तर्कसंगत वैश्विक कर संरचना और अंतरराष्ट्रीय डोमेन में बेहतर सहयोग सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। ये ऐसे मुद्दे हैं, जिनका सामना जी20 वर्तमान में कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत अबतक न केवल अपनी एक बिलियन से अधिक नागरिकों का टीकाकरण कर चुका है, बल्कि अगले साल के अंत तक 5 बिलियन से अधिक वैक्सीन की खुराक का उत्पादन करने की तैयारी भी कर रहा है। यह वैक्सीन न केवल हमारे नागरिकों के लिए, बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी उपलब्ध होगी और यह विशेष रूप से विकासशील दुनिया में जैसा कि मैंने कहा, वैक्सीन की असमानता को दूर करने में हमारा योगदान होगा। साथ ही, हमारा यह भी मानना है कि कोवैक्सिन या स्वदेशी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की डब्ल्यूएचओ की मंजूरी से हम अन्य देशों की आसानी से सहायता कर सकेंगे, जो अभी लंबित है। इसलिए हमने वैक्सीन रिसर्च, मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन पर जोर दिया है। हमने दुनिया भर में मौजूद अपने नागरिकों को वैक्सीन उपलब्ध कराने हेतु एक बड़ी राशि का निवेश भी किया है।

प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुविधाजनक बनाने की बात कही। मैंने कल इसका जिक्र किया था, लेकिन आज जी20 में अपने बयान में उन्होंने इसके लिए वैक्सीन प्रमाणन की पारस्परिक मान्यता के तंत्र पर बात की। जी20 सत्र के बाद, प्रधानमंत्री ने दो औपचारिक बैठकों में हिस्सा लिया, आपने तस्वीरें देखी होंगी। वे सभी जी20 नेताओं से मिले हैं, उन्होंने अपने टिप्पणियों का आदान-प्रदान किया है। साथ ही उनकी दो औपचारिक बैठकें भी हुई। पहली, फ्रांस के राष्ट्रपति महामहिम श्री इमैनुएल मैक्रों के साथ। और इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने यूरोपीय संघ की इंडो-पैसिफिक रणनीति का स्वागत किया। आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री ने यूरोपीय संघ की परिषद के अध्यक्ष तथा यूरोपीय संघ के आयोग दोनों से मुलाकात की थी और कल इंडो-पैसिफिक रणनीति के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा कि फ्रांस ने यूरोपीय संघ इंडो-पैसिफिक रणनीति को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। और उन्होंने इस रणनीति को विकसित करने की अगुवाई के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने क्षेत्र में मुक्त खुले और समावेशी नियम आधारित व्यवस्था के लिए नए तथा अभिनव तरीके खोजने हेतु इंडो-पैसिफिक में सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों नेताओं के बीच आगामी सीओपी26 और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों तथा जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति मैक्रों को भारत आने का न्योता दिया।

प्रधानमंत्री की अगली बैठक सिंगापुर के प्रधानमंत्री महामहिम श्री ली सियन लूंग के साथ थी। हालांकि, प्रधानमंत्री सिंगापुर के प्रधानमंत्री से कई मौकों पर मिल चुके हैं, लेकिन महामारी के बाद से यह उनकी पहली बैठक है। इसलिए मेरे हिसाब से यह दोनों नेताओं के लिए एक दूसरे से जुड़ने का एक अच्छा अवसर है। सिंगापुर के प्रधानमंत्री के साथ, प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वैश्विक प्रयासों तथा आगामी सीओपी26 पर चर्चा की। उन्होंने टीकाकरण के प्रयास को बढ़ाकर तथा महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के ज़रिए कोविड-19 महामारी को रोकने के प्रयासों पर चर्चा की। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान हमारी सहायता के लिए सिंगापुर के प्रधानमंत्री और सिंगापुर की सरकार तथा लोगों को धन्यवाद दिया, जिसके तहत हमें सिंगापुर से आईएसओ क्रायोजेनिक टैंकर, कॉन्सेंट्रेटर, ऑक्सीजन उपकरण जैसी जरुरत की चीजें बहुत अधिक संख्या में मिल सकी थी।

प्रधानमंत्री ली ने भारत में टीकाकरण अभियान में तेजी के लिए हमारे प्रधानमंत्री को बधाई दी। उन्होंने दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाने के तरीकों, विशेष रूप से दोनों देशों के बीच यात्रा की जल्द से जल्द बहाली पर चर्चा की, जिससे हमारे नागरिकों की उन देशों की यात्रा सुविधाजनक बन सकेगी जो हमारे सहयोगी देश हैं, और इस संदर्भ में सिंगापुर के प्रधानमंत्री के साथ हुई यह चर्चा प्रासंगिक थी।

प्रधानमंत्री आज शाम औपचारिक सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा रात्रिभोज में शामिल होंगे। कल, जैसा कि आप जानते हैं, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर जी20 के साथ दो अन्य सत्र तथा सतत विकास पर एक अल्पभोज का आयोजन होगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति, महामहिम श्री जो बिडेन द्वारा आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में भी भाग लेंगे; वह जी20 शिखर सम्मेलन से इतर अन्य द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। इसके पश्चात् प्रधानमंत्री ग्लासगो के लिए रवाना होंगे जहां वे सीओपी26 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता:
धन्यवाद, महोदय। अब समय बहुत कम बचा हुआ है। हम प्रश्नों का उत्तर देंगे। कृपया आ अपने प्रश्न पूछे।

मनीष चंद:
महोदय, पोप फ्रासिंस के साथ एक घंटे से अधिक समय बैठक तक चली। आपने गरीबी, जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की बात की। क्या आप इस बातचीत के बारे में थोड़ी जानकारी दे सकते हैं? और क्या चर्चा में धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा भी शामिल था? क्‍या आप इस पर थोड़ी जानकारी दे सकते हैं और क्या फ्रांस के राष्‍ट्रपति के साथ बैठक में ऑकस भी शामिल था? फ्रांस ने किसी तरह से क्वाड में शामिल होने या क्वाड का समर्थन करने में रुचि व्यक्त की है। धन्यवाद।

प्रणय उपाध्याय: महोदय, मैं एबीपी न्यूज से प्रणय उपाध्याय हूं। क्या आज कि जो जी-20 की बैठक थी उसके अंदर वैश्विक ऊर्जा संकट को लेकर भी कोई बातचीत हुई है और क्या प्रधानमंत्री ने इस मामले को उठाया है कि दुनिया भर में जो ऊर्जा संकट या ऊर्जा के दाम बढ़ रहे हैं उसको किस तरीके से हैंडल किया जा सकता है?

सिद्धांत: महोदय मैं डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत दूं। प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के दौरान, जलवायु मुद्दे पर कितना ध्यान दिया गया, यह देखते हुए कि इस वर्ष का जी20 पूरी तरह से कोविड संकट और जलवायु परिवर्तन पर आधारित है, और जबकि हम ग्लासगो जलवायु बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं, ऐसे में हमने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जलवायु वित्त पोषण पर तेजी से बंटती हुए देशों को देखा है।

प्रज्ञा: महोदय मैं एएनआई से प्रज्ञा हूं। पोप फ्रांसिस की बैठक के संदर्भ में आपने कहा कि उन्होंने पोप को आमंत्रित किया है और उन्होंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। तो क्या पोप की भारत यात्रा का कोई समय तय हुआ है और इसके क्या मायने हैं?

श्री हर्षवर्धन श्रृंगला, विदेश सचिव: अब मैं मनीष के प्रश्न का उत्तर देते हुए शुरू करता हूं। प्रधानमंत्री और परम श्रद्धेय, पोप फ्रांसिस के बीच की हुई बैठक व्यक्तिगत थी। दूसरे शब्दों में, उन्होंने एकैकी आधार पर अपना समय बिताया। मुझे इतना ज्ञात है कि बैठक के दौरान दोनों तरफ से गर्मजोशी रहीं। पोप फ्रासिंस तथा प्रधानमंत्री दोनों ने जैसा कि मैंने कहा, कई मुद्दों पर बात की, जो दुनिया भर के समाजों के लिए सामयिक तथा प्रासंगिक हैं। हम कोविड महामारी से कैसे निपट सकते हैं, हमने अपनी स्वास्थ्य तैयारियों, भारत में सर्वोत्तम तरीकों के संदर्भ में क्या किया है, और कुछ ऐसे मुद्दे भी जो शेष दुनिया के लिए प्रासंगिक हैं जैसे कि जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, चर्चा के विषय थे। साथ ही कई अनूठे कदमों पर भी बातचीत हुई थी जो हमने अपने तरीके से पूरे विश्व में संकटग्रस्त समुदायों तथा लोगों की मदद करने के लिए उठाए हैं, चाहे वह अफगानिस्तान सहित इराक में या यमन से या दुनिया के विभिन्न हिस्सों से नागरिकों की निकासी की सुविधा प्रदान करना हो। और, इस दौरान पोप फ्रासिंस ने वेटिकन, उनके कार्यों, वेटिकन में मौजूद कुछ दिलचस्प कलाकृतियों एवं यादगार वस्तुओं के बारे में प्रधानमंत्री को काफी समय तक बताया। यह एक संग्रहालय की तरह है, यह एक बहुत ही अनोखा स्थान है, यहां सदियों से धार्मिक एवं आध्यात्मिक वस्तुओं का संग्रह है। इसलिए, यह दुनिया भर के लोगों के लिए सम्मान की बात है। इसलिए इसे इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। मैं आपको बताना चाहूंगा कि आपने जिन मुद्दों का जिक्र उन पर कोई चर्चा नहीं हुई है। जैसा कि मैंने कहा, यह मुलाकात किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए नहीं हुई थी, यह ऐसी चर्चा रही जिसमें बाहरी मुद्दों को शामिल नहीं किया गया। यह दो नेताओं के बीच बहुत गर्मजोशी और मैं कहूंगा की बहुत ही सौहार्दपूर्ण बातचीत तक ही सीमित थी।

जहां तक राष्ट्रपति मैक्रोन के साथ बैठक का संबंध है, ऑकस की बात हुई थी लेकिन बहुत विस्तार से नहीं। यह बातचीत का प्रमुख विषय नहीं था। क्वाड पर किसी तरह की कोई चर्चा नहीं हुई। प्रणय ने जी20 के वैश्विक ऊर्जा संकट के विषय पर चर्चा की। प्रणय आपने जी20 के बारे में यह वैश्विक ऊर्जा संकट का मुद्दा उठाया। आपने पूछा कि अगर यह मुद्दा उठाया गया था मीटिंग में। आपको पता है कि जो पहली मीटिंग आज जी20 की हुई वह सिर्फ स्वास्थ्य के मुद्दे पर थी। तो यह शायद ऊर्जा संकट उस पर उसका उतना प्रासंगिक नहीं था और हो सकता है कि बाद में कोई अगर मौका मिले तो इसकी चर्चा जरूर होगी पर आज नहीं हुई।

सिद्धांत आपने जलवायु विभाजन पर बात की, या यूं कहें कि जलवायु संबंधी मुद्दों पर जी20 में विभाजन की बात की। मैं इसे इस तरह नहीं देखता। मुझे लगता है कि जी20 दुनिया भर के प्रमुख देशों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने में भी महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं। और मेरे हिसाब से नेताओं का प्रयास इसका हल तलाशना है। जाहिर है, ऐसे समाधान खोजने के अनेक तरीके हैं। लेकिन हर कोई जानता है कि जलवायु परिवर्तन एक मुद्दा है। तो जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के तरीके के बारे में आपके विचार अलग-अलग हो सकते हैं, आपको ऐसा लग सकता है कि जलवायु परिवर्तन के एक या दूसरे क्षेत्रों पर अधिक बल दिया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया भर की एक समस्या है। मुझे यकीन है कि एक पूरे दिन बैठक होने वाली है। मुझे यकीन है कि इसके अंत तक जी20 के पास इसका समाधान होगा, ऐसा सामाधान होगा जिसपर संगठन के हर सदस्य की सहमति हो। इसलिए इस मुद्दे पर मैं अभी इतना ही कह सकता हूं।

एएनआई की ओर से प्रधानमंत्री द्वारा पोप को दिए गये निमंत्रण पर प्रश्न पूछा गया था। प्रधानमंत्री और पोप के बीच यात्रा की तारीखों पर चर्चा नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनी सुविधानुसार भारत आने के लिए आमंत्रित किया गा। जाहिर है, इसकी पूरी जानकारी राजनयिक चैनलों के ज़रिए ही मिल सकेगी। वास्तविकता यह है कि प्रधानमंत्री द्वारा पोप को आमंत्रित किया गया, और इस निमंत्रण का महत्व हम सभी को अच्छी तरह से ज्ञात है। किसी पोप की भारत की आखिरी यात्रा 1999 में हुई थी, जब पोप जॉन पॉल द्वितीय ने भारत का दौरा किया था। जाहिर है यह बहुत ही महत्वपूर्ण यात्रा होगी, भारत के लिए परम श्रद्धेय पोप की अगवानी करना और पोप के लिए भारत आना, जैसा कि मैंने बताया पोप भारत की यात्रा को लेकर उत्साहित थे। हालांकि वे कभी भारत नहीं आए, लेकिन जाहिर है, हमारे देश के बारे में उनकी बहुत भावनाएं काफी अच्छी हैं। और उन्होंने कहा कि यह उनके लिए बहुत बड़ा उपहार है। मैं भारत की यात्रा के लिए उत्सुक हूं।

मनीष:
भारत के बारे में पोप ने जो कहा, उस पर क्या आप कोई विशेष बात कहना चाहेंगे, या प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा कुछ कहा?

श्री हर्षवर्धन श्रृंगला, विदेश सचिव: मैंने आपको बताया कि उन्होंने भारत के बारे में क्या कहा। लेकिन जैसा कि मैंने कहा, यह बैठक एकैकी थी। यह बातचीत मेरे लिए भी व्यक्तिगत जैसी ही है। इसलिए मैं कोई ऐसी बात नहीं बता सकता, क्यों मैं वहां मौजूद नहीं था। लेकिन जैसा कि मैंने कहा, यह बैठक अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक चली। यह ऐसी बैठक थी जिसमें गर्मजोशी और विश्वास की झलक देखने को मिली। और यह एक ऐसी मुलाकात थी जिसमें प्रधानमंत्री और पोप दोनों के बीच मिलनसारिता तथा निकटता की भावना देखने को मिली, आपने भी ऐसा देखा, हमने भी ऐसा देखा, जब हम उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने गए थे।

सिद्धांत: महोदय, हमने राष्ट्रपति जो बाइडेन की तस्वीरें देखीं, जो बहुत गर्मजोशी से प्रधानमंत्री के साथ हंसते हुए नज़र आ रहे थे। क्या आप बता सकते हैं कि इस दौरान उनकी क्या बातचीत हुई?

श्री हर्षवर्धन श्रृंगला, विदेश सचिव: जब प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति जो बिडेन से मुलाकात की, तब हम उस वक्त वहां उपस्थित नहीं थे। जाहिर है कि प्रधानमंत्री ने पिछले महीने वाशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति बिडेन से मुलाकात की थी। उन्होंने उस बैठक पर अवश्य ही बात की होगी। प्रधानमंत्री ने कल शाम अपने कार्यक्रम में भाग लेने हेतु राष्ट्रपति बाइडेन के निमंत्रण को भी स्वीकार किया है और मुझे विश्वास है कि इस विशेष बैठक में प्रधानमंत्री कोई बहुत ही महत्वपूर्ण बात रखेंगे।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। यहां आने और यात्रा के बारे में जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद। और मैं यहां आए और अन्य माध्यमों से जुड़े अपने मीडिया के सभी दोस्तों का भी शुक्रिया अदा करता हूं। यात्रा का कल तीसरा दिन है, इसलिए हमारे सोशल मीडिया चैनलों के साथ-साथ वेबसाइट तथा मंत्रालय के अन्य आउटलेट्स के साथ जुड़े रहें। धन्यवाद। सुसंध्या।

श्री हर्षवर्धन श्रृंगला, विदेश सचिव: धन्यवाद।
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