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संयुक्त वक्तव्य: दूसरा भारत- नार्डिक शिखर सम्मेलन

मई 04, 2022

कोपेनहेगन में आज डेनमार्क की मेजबानी में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे, स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन, आइसलैंड की प्रधान मंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर, फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने हिस्सा लिया।

2. शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्रियों ने नॉर्डिक देशों और भारत के बीच सहयोग को गहन बनाए रखने का संकल्प लिया और यूक्रेन में जारी संघर्ष, बहुपक्षीय सहयोग, हरित संक्रमण और जलवायु परिवर्तन,नीली अर्थव्यवस्था,नवाचार और डिजिटलीकरण सहित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर अहम चर्चा की। प्रधानमंत्रियों ने समावेशी विकास और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक प्रेरक के रूप में मुक्त व्यापार के महत्व की पुष्टि की।

3. नार्डिक देशों के प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन पर रूसी सेना के गैरकानूनी और अकारण हमले की एक बार फिर से कड़ी निंदा की।

4. प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन में मानवीय संकट के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने यूक्रेन में नागरिकों के मारे जाने की खुले शब्दों में निंदा की। उन्होंने शत्रुतापूर्ण कार्रवाई को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सम्मान और राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है। उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष के व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की। दोनों पक्ष इस मुद्दे पर घनिष्ठ रूप से जुड़े रहने पर सहमत हुए।

5. प्रधानमंत्रियों ने बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि जलवायु परिवर्तन से निपटने, कोविड-19 महामारी, जैव विविधता के क्षरण और दुनिया भर में बढ़ती खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा जैसी चुनौतियों से निबटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, सामूहिक प्रतिक्रिया और वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता है। भारत और नॉर्डिक देशों ने इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ बिना किसी भेद भाव के सभी लोगों के लिए समान अवसर बनाने के लिए बहुपक्षीय मंचों पर एक साथ काम करने की प्रतिबद्धा व्यक्त की।

6. भारत और नॉर्डिक देशों ने नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और बहुपक्षीय संस्थानों के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की और वैश्विक चुनौतियों से अधिक प्रभावी ढंग से निबटने के उद्देश्य से इन संस्थाओं और व्यवस्थाओं को और अधिक समावेशी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई। इसमें सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र के सुधार की दिशा में काम करना, इसे और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन में सुधार के साथ-साथ महामारी से निबटने की तैयारी और वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों पर सहयोग को मजबूत करना शामिल है। नॉर्डिक देशों ने इसके साथ ही सुरक्षा परिषद् में सुधार और उसका विस्तार तथा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया।

7. प्रधानमंत्रियों ने पेरिस समझौते, आगामी वैश्विक जैव विविधता ढांचे और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के खतरे से निबटने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की। शिखर सम्मेलन में इस बात का उल्लेख किया गया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक हरित संक्रमण की प्रक्रिया आने वाले समय में सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक होगी। इसके साथ ही यह भी माना गया कि एक टिकाऊ अर्थव्यवस्था नौ​करियों सहित कई तरह के अवसर पेश करती है।सम्मेलन में उत्सर्जन को कम करने और ठोस कार्यान्वयन योजनाओं के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया, जिससे संक्रमण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए उद्योग जगत को योगदान करने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्रियों ने वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री से नीचे रखने के लिए त्वरित जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता पर COP26 में किए गए अंतर्राष्ट्रीय समझौते का स्वागत किया और तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री के स्तर तक सीमित करने के प्रयासों का अनुसरण किया। भारत और नॉर्डिक देश अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा विविधीकरण, स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा दक्षता पर महत्वाकांक्षी सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हुए।

8. नेताओं ने स्वच्छ जल, स्वच्छ हवा और चक्रीय अर्थव्यवस्था सहित पर्यावरणीय स्थिरता पर सहयोग पर भी चर्चा की, जो न केवल जैव विविधता, जल और वन्य जीवन को बनाए रखने के लिए, बल्कि खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य और समृद्धि के आधार के रूप में भी महत्वपूर्ण है। भारत और नॉर्डिक देश चीन के कुनमिंग में आयोजित होने वाले जैव विविधता कन्वेंशन सीओपी-15 के आगामी दूसरे भाग में 2020 के बाद के महत्वाकांक्षी बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क को अपनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं और इसके कार्यान्वयन के लिए मिलकर काम करने के लिए सहमत हैं।

9. प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि यदि नीली अर्थव्यवस्था का टिकाऊ प्रबंधन किया जाए तो यह आर्थिक विकास, नई नौकरियों के अवसर, बेहतर पोषण और बेहतर खाद्य सुरक्षा प्रदान कर सकती है। प्रमुख समुद्री राष्ट्रों के रूप में, भारत और नॉर्डिक देश अच्छी प्रथाओं और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से जहाजरानी उद्योग को कम कार्बन उत्सर्जन वाले भविष्य की ओर ले जाने के लाभों में भागीदारी बनने पर सहमत हुए। सभी नेताओं ने समुद्री, जलीय और अपतटीय पवन क्षेत्रों सहित भारत और नॉर्डिक देशों में महासागर से जुड़े उद्योगों में व्यापार सहयोग और निवेश को प्रोत्साहित करने पर भी चर्चा की। भारत और नॉर्डिक देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर बातचीत करने के लिए यूएनईए-5.2 में लिए गए ऐतिहासिक फैसलों का पालन करने और यह काम 2024 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

10. शिखर सम्मेलन में नवाचार और डिजिटल पहल के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता का स्वागत किया गया। सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के बीच व्यापक सहयोग की विशेषता वाले नवाचार प्रणालियों के लिए नॉर्डिक दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। भारत की प्रतिभाओं के समृद्ध पूल के साथ-साथ बढ़ते नवाचार वातावरण से संबंधित कई सहक्रियाओं की पहचान की गई। नवप्रवर्तन के प्रेरक के रूप में नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, खुले और समावेशी व्यापार के महत्व को रेखांकित किया गया। भारत और नॉर्डिक देशों ने एक उल्लेखनीय उदाहरण के रूप में लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन (लीडआईटी) के साथ हरित प्रौद्योगिकियों और उद्योग संक्रमण के महत्व पर जोर दिया। यह महसूस किया गया कि नॉर्डिक देशों और भारत के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए विमानन क्षेत्र में अनुभवों और ज्ञान का आदान प्रदान, समुद्री क्षेत्र की समस्याओं का समाधान और बंदरगाहों का आधुनिकीकरण सहित सभी तरह की परिवहन प्रणालियों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। खाद्य प्रसंस्करण और कृषि, स्वास्थ्य परियोजनाओं और जीवन विज्ञान जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों की पहचान करने के साथ-साथ अभिनव और टिकाऊ समाधानों में निवेश को प्रोत्साहित करने में साझा रुचि दिखाई गई।

11. डिजिटलीकरण पर, प्रधानमंत्रियों ने कहा कि दुनिया भर में लोगों में प्रौद्योगिकी इससे पहले कभी भी इतनी प्रचलित नहीं रही है। शिखर सम्मेलन में इस बात का उल्लेख किया गया कि प्रौद्योगिकी बेहतर और अधिक सुविधाजनक जीवन में योगदान दे सकती है और साझा वैश्विक चुनौतियों को हल करने में सहायता कर सकती है। नॉर्डिक देशों ने कहा कि वह अधिक समावेशी, टिकाऊ और मानव-केंद्रित तकनीकी विकास के लिए सहयोग जारी रखना चाहते हैं। नेताओं ने इस बात का भी उल्लेख किया कि डिजिटल इंडिया नागरिकों को सरकारी सेवाएं अधिक आसानी से उपलब्ध कराए जाने का एक उदाहरण है। मेड इन इंडिया जैसी पहलों के साथ नॉर्डिक सहयोग डिजटलीकरण के प्रयासों का समर्थन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी जगह नागरिकों को प्रौद्योगिकी युक्त भविष्य का लाभ मिल सके।

12. प्रधानमंत्रियों ने कहा कि वह ध्रुवीय क्षेत्रों में अनुसंधान, जलवायु और पर्यावरणीय मुद्दों पर आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के अवसरों को देख सकते हैं।

13. वे सभी इस बात पर सहमत हुए कि भारत और नॉर्डिक देशों के बीच एक मजबूत साझेदारी नवाचार, आर्थिक विकास, जलवायु अनुकूल समाधान और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। शिखर सम्मेलन ने उन सभी क्षेत्रों जहां भारत और नॉर्डिक देशों के बीच सहयोग का विस्तार हो रहा है, शिक्षा, संस्कृति, श्रम गतिशीलता और पर्यटन के माध्यम से लोगों से लोगों के बीच मजबूत संपर्कों के महत्व पर जोर दिया।

कोपेनहेगन
मई 04,2022

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