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आतंकवाद के लिए नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों का गलत इस्‍तेमाल रोकने पर चर्चा हेतु आयोजित आतंकवाद-रोधी समिति की विशेष बैठक के पूर्ण सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का मुख्य भाषण

अक्तूबर 29, 2022

अध्यक्षया महोदया, महामहिम, विशिष्ट अतिथिगण, देवियो और सज्जनो,

सबसे पहले, मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति की विशेष बैठक में भाग लेने हेतु दुनिया के हर कोने से यहां आने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं और आपका स्वागत करता हूं।

2. यह पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की किसी भी प्रारूप की बैठक भारत में हो रही है। ऐसे समय में जब हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ "आजादी का अमृत महोत्सव" मना रहे हैं, इस बैठक का होना विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मैं इस विशेष बैठक को भारत में आयोजित करने के प्रयासों के लिए समिति के सदस्यों तथा आतंकवाद-रोधी कार्यकारी निदेशालय को विशेष धन्यवाद देता हूं। मैं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव महामहिम एंटोनियो गुटेरेस को उनकी टिप्पणियों के लिए भी धन्यवाद देता हूं, जिन्हें राजदूत द्वारा अभी व्यक्त किया गया।

3. आतंकवाद रोधी समिति की इस विशेष बैठक हेतु आज यहां आपकी उपस्थिति इस महत्व को दर्शाती है कि - यूएनएससी के सदस्य, सदस्य देश, और विभिन्न हितधारक - आतंकवाद के इस महत्वपूर्ण और उभरते हुए पहलू को लेकर काफी सतर्क हैं। परिषद द्वारा भारत में अपनी आतंकवाद रोधी समिति की विशेष बैठक आयोजित करना यह भी दर्शाता है कि सुरक्षा परिषद में हमारे मौजूदा कार्यकाल के दौरान आतंकवाद का मुकाबला करना सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है।

4. आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरा है। विगत दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस खतरे से निपटने हेतु एक महत्वपूर्ण मंच तैयार किया है, जिसे मुख्यतः आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था के इर्द-गिर्द बनाया गया है। यह उन देशों का ध्यान केंद्रीत करने में बहुत प्रभावी रहा है, जिन्होंने आतंकवाद को राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम में बदला है।

5. इसके बावजूद आतंकवाद का प्रभाव खासकर एशिया और अफ्रीका में बढ़ ही रहा है, जो कि 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी कई रिपोर्टों से उजागर होता है।

6. विगत दो दशकों के तकनीकी नवोन्मेष से दुनिया के हर क्षेत्र में कार्य करने के तरीके में परिवर्तन हो रहा है। ये नई एवं उभरती हुई प्रौद्योगिकियां - वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क, और एन्‍क्रिप्टिड मैसेजिंग से लेकर ब्लॉकचेन व वर्चुअल करेंसी तक - मानव जाति कोई कई तरह के आर्थिक और सामाजिक लाभ देते हुए बहुत ही आशाजनक भविष्य प्रदान करती हैं। हालांकि, इसका एक दूसरा पहलू भी है, खासकर आतंकवाद के संदर्भ में।

7. इन प्रौद्योगिकियों के अपराधी तत्वों द्वारा दुरुपयोग की संभावना के कारण सरकारों तथा नियामक निकायों के सामने नई चुनौतिया भी पैदा हुई हैं, इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियों की प्रकृति तथा नए नियामक माहौल को देखते हुए।

8. हाल के वर्षों में, आतंकवादी समूहों, उनके वैचारों को मानने वाले, विशेषतः खुले व उदार समाजों में रहने वाले व्यक्ति तथा 'लोन वुल्फ' हमलावरों ने इन तकनीकों का इस्तेमाल करके अपनी क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ाया है। वे स्वतंत्रता, सहिष्णुता एवं विकास कार्यों पर हमला करने के लिए प्रौद्योगिकी व धन, और सबसे महत्वपूर्ण, खुले समाज के लोकाचार का इस्तेमाल करते हैं। समाज को अस्थिर करने के उद्देश्य से प्रचार, कट्टरता एवं षड्यंत्र को फैलाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आतंकवादी और आतंकवादी समूहों के शक्तिशाली हथियार बन गए हैं।

9. दुनिया भर की सरकारों के सामने इस समय एक और सबसे बड़ी चिंता आतंकवादी समूहों एवं संगठित आपराधिक नेटवर्क द्वारा मानव रहित मानव रहित ड्रोन प्रणालियों का इस्तेमाल है। कम लागत वाला विकल्प होने और आसानी से उपलब्ध होने की वजह से आतंकवादी समूहों द्वारा हथियारों व विस्फोटकों की डिलीवरी और लक्षित हमलों के उद्देश्यों से इन मानव रहित ड्रोन प्रणालियों का दुरुपयोग एक बड़ा खतरा बन गया है। इसलिए, ये दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती हैं। सामरिक, बुनियादी ढांचे एवं वाणिज्यिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारयुक्त ड्रोन का उपयोग किए जाने की संभावना पर सदस्य राष्ट्रों द्वारा गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।

10. 2008 के मुंबई हमलों का हमारा अनुभव और आप सभी को कल की ब्रीफिंग के अनुसार - हमारे अनुभव ने हमें दिखाया कि कैसे वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) की तकनीक का इस्तेमाल करके दूसरे देशों की सीमाओं से भी इस तरह के बर्बर आतंकवादी हमले किए जा सकते हैं और इसके निर्देश दिए जा सकते हैं। हाल ही में, ये आतंकवादी समूह ड्रग व हथियारों की सीमा पार तस्करी और आतंकवादी हमलों के लिए ड्रोन व क्वाडकॉप्टर जैसे मानव रहित हवाई प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहे हैं।

11. और यह खतरा केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं। अफ्रीका में, ड्रोन का इस्तेमाल आतंकवादी समूहों द्वारा सुरक्षा बलों और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए किया जाता है, जिससे उनपर आतंकवादी हमलों का खतरा बढ़ जाता है। कुछ महीने पहले, आतंकवादियों ने संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब पर नागरिकों एवं नागरिक अवसंरचना को लक्षित करते हुए सीमा पार ड्रोन हमले किए, जिससे वहां भारतीय नागरिकों सहित कई लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। भारत ने संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब दोनों में हुए सीमा पार से इस ड्रोन हमलों की कड़ी निंदा की है।

12. इस संदर्भ में, हमने आतंकवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से बनाई गई सुरक्षा परिषद की प्रतिष्ठित संस्था - आतंकवाद-रोधी समिति - में नई तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग से इस उभरते खतरे पर चर्चा शुरू करने की तत्काल आवश्यकता को सामने रखा।

13. पिछले साल जनवरी में, आतंकवाद के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए, मैंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष 8 सूत्रीय कार्रवाई बिंदु को अपनाने की आवश्यकता का आह्वान किया था, जो आज की बैठक के संदर्भ में भी प्रासंगिक है।

14. मैंने जिन प्रमुख बिंदुओं को सामने रखा था, उनमें से एक सदस्य देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद रोधी कार्यालय, यूएनओसीटी जैसे संयुक्त राष्ट्र की संस्था के वित्तपोषण में वृद्धि करना था। आज यहां हमारे साथ, राजदूत व्लादिमीर वोरोनकोव, आतंकवाद रोधी समिति के अवर महासचिव भी उपस्थित हैं। महामहिम, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड फॉर काउंटर टेररिज्म में 500,000 अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा, ताकि आतंकवाद के खतरे को रोकने तथा उसका मुकाबला करने में सदस्य राष्ट्रों की क्षमता निर्माण प्रदान करने में यूएनओसीटी को मदद मिल सके।

15. मैं नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल का निपटने सहित आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को सुदृढ़ करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा। आतंकवाद रोधी समिति की इस विशेष बैठक में अपनाई जाने वाली "दिल्ली घोषणा" आतंकवाद के लिए नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के खतरे से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण होगी।

16. भारत में आतंकवाद रोधी समिति की इस विशेष बैठक का होना और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में अपना योगदान देना हमारे लिए सम्मान की बात है। मुझे पूरा विश्वास है कि आज की यह विशेष बैठक, इस मुद्दे से निपटने हेतु इस परिषद के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी, जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल ध्यान देने की जरुरत है।

धन्यवाद

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