मीडिया सेंटर

भारत-वियतनाम राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का वक्तव्य

जून 17, 2022

विदेश मंत्री महामहिम बुई थान्ह सन,
महानुभावों, मेरे सम्मानीय सहयोगी मंत्री श्री रंजन जी,
राजनीतिक दुनिया के मेरे दोस्तों। आप सबको यहां देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
प्रिय मित्रों, देवियों और सज्जनों,


भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाने के कार्यक्रम में शामिल होते हुए मुझे आज अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह हमारे लिए विशेष रूप से खुशी की बात है कि हमारे साथ यहां विदेश मंत्री जी भी उपस्थित हैं।

मित्रों,

यह वर्ष कई प्रतीकों का वर्ष है। हम आसियान के साथ अपनी संवाद भागीदारी की 30वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। और मैंने अभी-अभी इस वर्षगांठ के अवसर पर आसियान-भारत के विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक के लिए विदेश मंत्री के साथ-साथ उनके अन्य आसियान सहयोगियों की मेजबानी की है।

लेकिन इस वर्ष को हम भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर "आजादी का अमृत महोत्सव" के रूप में भी मना रहे हैं। और यह साल वह वर्ष भी है जब हम अपने एक करीबी और भरोसेमंद साथी, वियतनाम के साथ राजनयिक संबंधों की स्वर्ण जयंती को पूरा कर रहे हैं।

यद्यपि भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंध 1972 में स्थापित किए गए थे, हमारी मित्रता और घनिष्ठ संबंध, जैसा कि आपने मंत्री महोदय से सुना, उससे भी पहले के हैं।

हमारे प्रधानमंत्री और महासचिव ने अप्रैल 2022 में जो टेलीफोन वार्ता की थी, उसने वास्तव में हमारे संबंधों को नया रणनीतिक मार्गदर्शन दिया है ताकि हम इसे उच्च स्तर पर ले जाने के लिए मिलकर काम कर सकें। पिछले दिसंबर में वियतनाम की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष की भारत यात्रा के बाद, इस अप्रैल में हमारी लोकसभा के अध्यक्ष की बहुत सफल वियतनाम यात्रा हुई, जो हमारी मजबूत साझेदारी का एक और संकेत है।

अभी हाल ही में, हमारे रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने एक बहुत ही उल्लेखनीय यात्रा की है, जहां रक्षा सहयोग के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण और पारस्परिक रसद समर्थन पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे और दोनों ने मिलकर हमारे रक्षा सहयोग को और मजबूती प्रदान की। यह भी ध्यान देने योग्य है कि 12 हाई स्पीड गार्ड बोट्स के लिए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा लाइन ऑफ क्रेडिट का कार्यान्वयन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।

पिछले साल, हमारा द्विपक्षीय व्यापार पहली बार 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया। इससे पता चलता है कि हमारे व्यवसाय एक-दूसरे को अधिक रुचि और अपेक्षाओं के साथ देख रहे हैं। हम आशा करते हैं कि इस वर्ष हम निश्चित रूप से 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचेंगे जिसे हमारे नेताओं द्वारा हमारे लिए निर्धारित किया गया था।

मित्रों, हमारे बीच एक सहस्राब्दी पुराना सभ्यतागत संबंध है, जो हमारी साझा बौद्ध और चाम विरासत में प्रकट हुआ है। मध्य वियतनाम के माई सन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा उत्खनन किए गए 9वीं शताब्दी के अखंड बलुआ पत्थर के शिवलिंगम और भारत के दो महत्वपूर्ण सांस्कृतिक-धार्मिक प्रतीकों- गणेश और गजसिम्हा- को 2020 में वियतनाम सरकार द्वारा राष्ट्रीय खजाने के रूप में नामित किया जाना, हमारे घनिष्ठ ऐतिहासिक सहयोग को तीव्र करता है।

20वीं शताब्दी में, हमने औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए दृढ़ संघर्ष का इतिहास साझा किया। हमारे राष्ट्रीय आंदोलनों ने एक-दूसरे को प्रेरित किया क्योंकि वियतनाम के ठीक दो साल बाद भारत स्वतंत्र हुआ था।

पिछले पचास वर्ष एकजुटता की एक उल्लेखनीय यात्रा के रूप में रहे हैं, क्योंकि भारत और वियतनाम दोनों ने राष्ट्र निर्माण और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त की है।

हाल ही में, हमारे संबंधों की गहराई की पुनः पुष्टि हुई है, विशेष रूप से जब हमने 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी स्तर तक बढ़ा दिया था। आज हम जिस व्यापक क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं, वह अपने आप में हमारे संबंधों की परिपक्वता, एक-दूसरे के राष्ट्रीय विकास के लिए हमारे समर्थन और वास्तव में एक-दूसरे के भविष्य में हमारे विश्वास का प्रतीक है।

हमारे साझा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारे सम्मिलित दृष्टिकोण, और हमारे साझा हित भी हमारे घनिष्ठ और बढ़ते जुड़ाव के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं।

आज, वियतनाम भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ और हमारे इंडो-पैसिफिक विजन का एक प्रमुख भागीदार है। हम प्रधानमंत्री मोदी के ‘सागर’ के दृष्टिकोण, को आगे बढ़ाने में भी वियतनाम के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ रहे हैं, जिसका अर्थ है "क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास"।

कोविड-19 महामारी के दौरान, हमारे दोनों देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहे। हमने न केवल एक-दूसरे का सहयोग किया बल्कि जो भी संसाधन हमारे पास हो सकते थे, उससे दूसरों की सहायता भी की।

हमें यह देखकर खुशी हो रही है कि हमारे दोनों देश अब महामारी के साये से बाहर आ रहे हैं और मजबूत सामाजिक-आर्थिक सुधार हासिल कर रहे हैं।

भारत और वियतनाम के बीच सीधी उड़ानों की बहाली, जिसका उल्लेख मंत्री महोदय ने किया, ने हमारे पर्यटकों और व्यवसायों में समान रूप से नया उत्साह पैदा किया है। वियतनाम में योग की अपार लोकप्रियता हमारे दोनों देशों के बीच एक और मजबूत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध प्रदान करती है।

देवियों एवं सज्जनों,

आज जब हम अपने राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो हम हमारे भविष्य को वादों से परिपूर्ण देख पाते हैं। मुझे खुशी है कि आज हमने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया है जो महत्वपूर्ण प्रणालियों और संवेदनशील सूचनाओं को डिजिटल हमलों से बचाने के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होगा।

हम दो तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं। हम युवा जनसांख्यिकी के साथ दो आकांक्षी समाज भी हैं। हमारे विकास के सपने सतत, जन-केंद्रित और समावेशी विकास पर केंद्रित हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति हमारी साझी प्रतिबद्धता, बहुपक्षवाद में सुधार की हमारी साझा इच्छा और क्षेत्रीय संरचना के लिए हमारी समावेशी दृष्टि भारत-वियतनाम सहयोग को इंडो-पैसिफिक में स्थिरता का कारक बनाती है।

और इसलिए, देवियों और सज्जनों, जिस तरह मुझे अपने ऐतिहासिक संबंधों पर गर्व है, मुझे अपने संबंधों के भविष्य पर अत्यधिक विश्वास है। हमारे संबंध आने वाले वर्षों में और अधिक उपलब्धि हासिल करने की ओर अग्रसर हैं।

तो, इस आशावादी दृष्टि के साथ, महामहिम, मैं एक बार फिर भारत आने के लिए, आज हमारे साथ जुड़ने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं और मैं आप सभी की शांति, खुशी और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं!

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद!

Write a Comment एक टिप्पणी लिखें
टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या