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एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् की 20वीं बैठक में विदेश मंत्री का संबोधन

नवम्बर 25, 2021

महामहिम प्रधानमंत्री अस्कर मामिन और मेरे गणमान्य सहयोगियों,

सबसे पहले मैं शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् की अध्यक्षता करने और अपने नेतृत्व में क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में सकारात्मक गति हासिल करने के लिए कजाकिस्तान की तहे दिल से प्रशंसा करना चाहूंगा।

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब एसीओ तेजी से बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय परिवेश में अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। अभूतपूर्व उथल-पुथल के इस समय में, यह जानकर खुशी हो रही है कि एससीओ क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत एससीओ के उद्धेश्यों को पूरा करने में रचनात्मक योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

महानुभवों,


ग्लासगो में सीओपी 26 की हालिया बैठक ने इस अहसास को और पुख्ता कर दिया है कि कई विकासशील देशों के अस्तित्व के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए संसाधनों, नवाचारों, सहयोग और जीवन शैली में बदलाव की जरूरत है ताकि दुनिया को जिन परिवर्तनों की जरूरत है उन्हें लाया जा सके। जैसे-जैसे हम एससीओ के व्यापार और आर्थिक एजेंडे के व्यावहारिक कार्यान्वयन की ओर बढ़ते हैं, हमें अपनी संयुक्त गतिविधियों से होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी ध्यान देना चाहिए।

आज दुनिया इस बात को समझती है कि भारत उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जिन्होंने पेरिस समझौते पर अक्षरशः अमल किया है। भारत जैसा विकासशील देश जो लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का काम कर रहा है, उसने अपने वैश्विक पर्यावरण दायित्वों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके साथ साथ हम नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के दिशा में भी आगे बढ़े हैं और आज भारत स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है। पिछले 7 वर्षों में भारत में गैर-जीवाश्म ईंधन में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और अब इस्तेमाल होने वाले ईंधन मिश्रण में इसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इसके साथ ही भारत ने इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के साथ सहयोग करने के लिए संस्थागत समाधान भी दिए हैं। सौर ऊर्जा में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में, हमने मिलकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की जिसके अब 100 से अधिक सदस्य देश हैं। हमने जलवायु अनुकूलन के लिए आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन भी बनाया है। वन सन: वन वर्ल्ड: वन ग्रिड और ग्रीन-ग्रिड पहल के लिए प्रधान मंत्री मोदी के हालिया आह्वान से एक समेकित और मजबूत वैश्विक ग्रिड के विकास की उम्मीद है। भारत एससीओ प्रारूप में जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन में अपने अनुभव को साझा करने के लिए तैयार है।

महानुभवों,

कोविड का सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव खत्म नहीं हुआ है। इसने वैश्विक संस्थानों की कमजोरी को उजागर कर दिया है। यह समय विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित हमारे कई वैश्विक संस्थानों में आवश्यक सुधार लाने और कोविड के बाद की दुनिया के हालात का सामना करने के लिए अपनी विकास रणनीतियों को फिर से तैयार करने का है। इसके लिए हमें एक ऐसे सुधरे हुए और पुनर्जीवित बहुपक्षवाद की आवश्यकता है जो आज की वास्तविकताओं को दर्शाता हो, जो सभी हितधारकों की आवाज बन सके, समकालीन चुनौतियों का समाधान करता हो और लोगों को हमारे विचारों और नीतियों के केंद्र में रखता हो।

महानुभवों,

भारत आज वैश्विक स्तर पर एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है। कोविड 19 के कारण हुई आर्थिक तबाही के बावजूद, महामारी से लड़ने और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत की त्वरित प्रतिक्रिया उल्लेखनीय रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। व्यापार के क्षेत्र में भी हमारा प्रदर्शन काफी मजबूत रहा है। इस वर्ष इसमें 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। कोविड महामारी के बावजूद, भारत ने 2020-21 में 77 अरब डॉलर और इस वर्ष के पहले तीन महीनों में 22 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन डब्लयूआईपीओ ने मध्य और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2021 में भारत को पहला स्थान दिया है। भारतीय स्टार्ट अप ने अब तक 65 यूनिकॉर्न बनाए हैं, जिनमें से 28 यूनिकॉर्न अकेले 2021 के दौरान जोड़े गए थे। हम स्टार्टअप्स और नवाचार पर एक विशेष कार्य समूह स्थापित करने की अपनी पहल के माध्यम से अन्य एससीओ सदस्य देशों के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए तैयार हैं।

भारत का मानना ​​​​है कि अधिक से अधिक संपर्क आर्थिक ताकत को बढ़ावा देने का एक प्रेरक माध्यम है। कोविड के बाद के समय में इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। पर संपर्क की ऐसी कोई भी गंभीर पहल परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण होनी चाहिए। इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के सबसे बुनियादी सिद्धांत-"संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान” के अनुरूप होना चाहिए।

भारत मध्य एशियाई देशों के लिए समुद्र तक सुरक्षित और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य पहुंच प्रदान करने के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए कदम उठा रहा है। हमने चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के ढांचे में शामिल करने का भी प्रस्ताव किया है। मैं एससीओ क्षेत्र में सहयोग, योजना, निवेश और भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना चाहता हूं।

महानुभवों,

भारत एससीओ को सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून के शासन, खुलेपन, पारदर्शिता और समानता के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह के रूप में मानता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एससीओ में जानबूझकर द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के बार-बार प्रयास किए गए हैं। यह एससीओ चार्टर के सुस्थापित सिद्धांतों और मानदंडों का उल्लंघन है। इस तरह के कृत्य आम सहमति और सहयोग की भावना के प्रतिकूल हैं जो इस संगठन को परिभाषित करते हैं। इसकी निंदा की जानी चाहिए।

महानुभवों,


मैं अपनी बात समाप्त करने से पहले, वर्चुअल प्रारूप में सम्मेलन आयोजित करने की कठिनाइयों के बावजूद इस सम्मेलन का सफल आयोजन करने के प्रशंसनीय प्रयासों के लिए हमारे मेजबान, प्रधानमंत्री अस्कर मामिन को एक बार फिर से धन्यवाद देता हूं। मैं चीन को भी अपनी शुभकामनाएं देना चाहूंगा, जो 2022 में एसीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् की अध्यक्षता करेगा।

धन्यवाद!
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