संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की टिप्पणी पर मीडिया के सवाल के जवाब में आधिकारिक प्रवक्ता, श्री अनुराग श्रीवास्तव ने कहा,
"हमने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की ओर से विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम 2010 (एफसीआरए) से संबंधित मुद्दे पर कुछ टिप्पणियां देखी हैं। भारत कानून के शासन और न्यायपालिका पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है। कानून बनाना स्पष्ट तौर पर संप्रभु विशेषाधिकार
है। हालांकि, मानवाधिकार के बहाने कानून का उल्लंघन माफ नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र इकाई से अधिक सुविज्ञ मत की आशा थी।”
नई दिल्ली
अक्टूबर 20, 2020