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प्रश्न सं. 2761 बेल्ट रोड इनीशिएटिव के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

दिसम्बर 12, 2019

राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न सं. 2761
12.12.2019 को उत्तर दिए जाने के लिए

बेल्ट रोड इनीशिएटिव के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

2761. श्री कनकमेदला रवींद्र कुमारः

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :

(क) क्या सरकार ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) विशेषकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का विरोध करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जुटाने के लिए कोई कदम उठाया है;

(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ग) क्या सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह एहसास दिलाने के लिए कदम उठाए हैं कि यह परियोजना पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए परस्पर लाभकारी परियोजना नहीं है बल्कि यह केवल चीन के लाभ के लिए है;

(घ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है; और

(ङ) यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)

(क) से (ड) सरकार की चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) या बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर स्थिति स्पष्ट और अटल है।

सरकार की चिंताएं कुछ हद तक इस बात से उत्पन्न होती हैं कि तथाकथित 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा' (सीपीर्इसी) जो 'ओबीओआर/बीआरआर्इ' की प्रमुख परियोजना के रूप में शामिल है, भारत की संप्रभुत्ता और भूक्षेत्रीय अखंडता पर सीधे तौर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह तथाकथित 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीर्इसी) ' संघ शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हिस्सों से होकर गुजरता है, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। सरकार ने पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए संघ शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में उनकी गतिविधियों के संबंध में चीनी पक्ष को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है और उन्हें इन गतिविधियों को बंद करने को कहा है।

इसके अतिरिक्त सरकार का दृढ़ मत है कि आवागमन सुविधाएं बनाने से संबंधित पहल सार्वभौमिक तौर पर मान्य अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों पर ही आधारित होनी चाहिए। उनमें खुलापन, पारदर्शिता और ृवित्तीय उत्तरदायित्व के सिद्घांतों का अनिवार्यतः पालन किया जाना चाहिए और इस ढंग से इन्हें चलाया जाना चाहिए जिससे अन्य देशों की संप्रभुत्ता,समानता और भू-क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान बना रहे।

इस संबंध में सरकार के अटल रूख का अन्य देशों द्वारा भी समर्थन किया गया है। जून 2017 में जारी भारत-अमरीकी संयुक्त वक्तव्य 'परोस्पैरिटी थ्रू पार्टनरशिप' में सभी देशों का आह्वान किया गया है कि वे विभिन्न देशों की संप्रभुता और भूक्षेत्रीय अखंडता और विधि द्वारा स्थापित शासन और पर्यावरण का सम्मान सुनिश्चित करते हुए बुनियादी ढांचे के पारदर्शी विकास और उत्तरदायी ऋण वित्तपोषण परिपाटियों के उपयोग के माध्यम से क्षेत्रीय आर्थिक संयोजकता को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग दें।

सितम्बर 2017 में जारी भारत-जापान का 'परोस्पैरिटी थ्रू पार्टनरशिप' भी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखण्डता, विधि द्वारा स्थापित शासन और पर्यावरण का सम्मान सुनिश्चित करते हुए सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानकों और उत्तरदायी ऋण वित्तपोषण परिपाटियों पर आधारित खुली, पारदर्शी और समावेशी रीति से विकास और संयोजकता ढांचे का उपयोग सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है।

यूरोपीय आयोग ने मार्च 2019 में 'र्इयू-चीन ए स्ट्रेटजिक ऑउटलुक' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया कि तीसरे देशों में चीनी निवेश अक्सर सामाजिक-आर्थिक और वित्तीय संधारणीयता को नजरअंदाज करता हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऋण में भारी बढ़ोत्तरी और रणनीतिक परिसंपत्तियों और संसाधनों का नियंत्रण हस्तांतरित हो सकता है।

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