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प्रश्न सं. 1964 जाली विदेशी विश्वविद्यालयों के संबंध में जानकारी

दिसम्बर 05, 2019

राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न सं. 1964
05.12.2019 को उत्तर दिए जाने के लिए

जाली विदेशी विश्वविद्यालयों के संबंध में जानकारी

1964. डॉ. प्रभाकर कोरे:

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या यह सच है कि भारतीय विद्यार्थियों द्वारा जाली विदेशी विश्वविद्यालयों में नामांकन के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है;

(ख) क्या सरकार ने कई भारतीय विद्यार्थियों द्वारा विदेशी संस्थानों में नामांकन लिए जाने के बाद इन संस्थानों के जाली निकल जाने पर विदेश में उनके सामने आ रही समस्याओं को चिह्नित किया है;

(ग) क्या सरकार ने विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने के इच्छुक विद्यार्थियों को ऐसे विश्वविद्यालयों की प्रामाणिका की पहचान करने में सहायता करने के लिए कोई पोर्टल बनाया है और

(घ) यदि हां, तो प्रस्तावित पोर्टल का ब्यौरा क्या है और भारतीय विद्यार्थियों को विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में सहायक करने के लिए सरकार द्वारा क्या–क्या अन्य कदम उठाए गए हैं?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
[श्री वी. मुरलीधरन]

(क) ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि फर्जी विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है।

हालांकि, 2016-2018 की अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड, सूरीनाम और चेक गणराज्य से भारतीय छात्रों द्वारा अनजाने में फर्जी विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने की घटनाएं मंत्रालय के संज्ञान में आयी हैं। अधिकांश मामलों में विश्वविद्यालय मेजबान सरकार से अपेक्षित अनुमति और अनुमोदन के बिना काम कर रहे थे।

(ख) भारतीय मिशन/केंद्र स्थानीय प्राधिकरणों के साथ गहन समन्वय बनाए रखते हैं और प्रभावित छात्रों को स्वैच्छा से भारत लौटने सहित सभी संभव सहायता प्रदान करते हैं। मिशन में शिक्षा अधिकारी नियमित रूप से छात्रों से मिलते हैं। मिशन/केंद्र फर्जी विश्वविद्यालयों के बारे में छात्रों को चेतावनी देने के लिए परामर्शी भी जारी करते हैं। कुछ मिशन/केंद्र प्रामाणिक विश्वविद्यालयों की सूची का लिंक अपनी वेबसाइट पर साझा करते हैं ताकि छात्र केवल इन विश्वविद्यालयों में आवेदन कर सकें। फर्जी विश्वविद्यालयों के बारे में भारतीय छात्रों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया जाता है।

(ग) और (घ) जी, हां। मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा परिषद, भारतीय विश्वविद्यालय संघ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग आदि सहित विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श करके एक ग्लोबल इंडियन स्टूडेंट्स पोर्टल विकसित करने में लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त, भारतीय छात्रों की सहायता के लिए मंत्रालय और विदेश स्थित हमारे मिशनों/केंद्रों द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

(i) विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों के हितों की रक्षा के लिए, मंत्रालय ने विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों का एक डेटाबेस बनाने के लिए मदद पोर्टल में एक "छात्र पंजीकरण मॉड्यूल" विकसित किया है। इस माड्यूल में विदेशों में भारतीय छात्र स्वेच्छा से पंजीकरण कर सकते हैं और अपने पाठ्यक्रम, स्थान, संस्था, पाठ्यक्रम की अवधि आदि के बारे में डेटा उपलब्ध करा सकते हैं। इसके अलावा, विदेशों में भारतीय छात्रों के लिए पोर्टल पर शिकायतों की एक अलग श्रेणी (जैसे कि फर्जी विश्वविद्यालयों; धोखेबाज शैक्षिक सलाहकार/एजेंटों; छात्रों की सुरक्षा एवं हिफाजत आदि से संबंधित) बनायी गयी है।

(ii) मिशन/केंद्रों के अधिकारी भारतीय छात्रों से मिलने नियमित रूप से स्थानीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का दौरा करते हैं ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। भारतीय मिशनों के छात्र कल्याण अधिकारी लगातार भारतीय छात्र संघ और विश्वविद्यालय प्रशासन के संपर्क में रहते हैं। कई देशों में छात्रों से संबंधित मुद्दों के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया पर छात्रों के अनौपचारिक समूह सक्रिय हैं। ऐसे समूह छात्र कल्याण अधिकारियों के संपर्क में रहते हैं। धोखेबाज एजेंटों से संबंधित मुद्दों सहित विदेशों में "क्या करें और क्या न करें" के संबंध में भारतीय मिशनों द्वारा परामर्शी जारी की जाती है, जो मिशन की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाती है।

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