महामहिम, उप-प्रधान मंत्री, डॉ. मोहम्मद अनवर हुस्नू,
महामहिम, मंत्री रेचल्ले अवेर ओमामो,
महामहिम, मंत्री ओटुनबा नियि अदेबेयो,
श्री उदय कोटक, अध्यक्ष सीआईआई
मेरे सहकर्मी, श्री राहुल छाबड़ा, सचिव, विदेश मंत्रालय
श्री चंद्रजीत बनर्जी, श्री डेविड रसकिन्हा, श्री कुप्पुस्वामी,
प्रिय मित्रों, सहयोगियों,
1. अफ्रीका-भारत कॉन्क्लेव में आपसे बात करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। पिछले 15 वर्षों में, यह कार्यक्रम अफ्रीका-भारत के जुड़ाव की एक प्रमुख विशेषता बन गया है और नीति तथा व्यवसाय के नेताओं के बड़े समुदाय को इसने पारस्परिक रूप से लाभप्रद बातचीत की सुविधा
प्रदान की है। इस वर्ष, नोवल कोरोना वायरस महामारी के कारण, हम वर्चुअल रूप से मिलने हेतु मजबूर हैं। एक विरोधाभासी अर्थ में, यह अनुचित नहीं है, क्योंकि यह अफ्रीका-भारत के ऐतिहासिक संबंधों की पुरानी दोस्ती को अनिवार्य रूप से आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों द्वारा
नवीनीकृत करता है।
2. मेरे अनुभव के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में डिजिटल कूटनीति बहुत प्रभावी एवं केंद्रित साबित हुई है। इस महामारी की तुलना में इसकी शेल्फ लाइफ निश्चित रूप से लंबी है। और मैंने खुद दुनिया भर के सहकर्मियों और साथी मंत्रियों के साथ कई आभासी बैठकें की हैं और मैं
यह कहना चाहूंगा कि यह अनुचित नहीं है कि अफ्रीका में मेरे कुछ सहयोगी वास्तव में इस प्रारूप के प्रति बहुत सहज तथा अनुकूल रहे हैं। इसलिए मुझे उम्मीद है कि भारत और अफ्रीका में तकनीक के द्वारा विकास कर को दुनिया को बहुत कुछ देने की संभावनाएं होंगी।
3. अफ्रीका के साथ भारत का संबंध इसकी विदेश नीति के सबसे शुरुआती और महत्वपूर्ण संचालकों में से है। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन और अफ्रीका के स्वयं के उपनिवेशवाद तथा भेदभाव से मुक्ति हेतु प्रयास एक दूसरे से सीखे गए समानांतर आंदोलन थे। महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका
में शुरुआती राजनीतिक सक्रियता ने स्वतंत्रता हेतु भारत का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को तराशा। जब 1947 में आखिरकार वह क्षण आया, तो आजाद भारत एक प्रेरणा बन गया और अफ्रीकी देशों के लिए अपने स्वयं की किस्सत को आकार देने हेतु समर्थन का एक स्रोत बन गया। साथ मिलकर,
हमने अच्छी लड़ाई लड़ी और साथ में हमने अपने समाजों का निर्माण किया है। यह एकजुटता वैश्विक दक्षिणी पुनरुत्थान की नींव है। इसे मूल्यों में तौला जाता है, लेन-देन में सारणीबद्ध नहीं किया जाता।
4. दोस्तों, यह विरासत आज के संदर्भ में शिक्षाप्रद है। महामारी पिछले 80 वर्षों की सबसे दुर्बल वैश्विक घटना है। हम इतिहास के ऐसे दौर में हैं जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद की स्थिति जैसा है। इसके परिणाम वैसे ही दूरगामी होंगे, और विश्व व्यवस्था को वैसे ही परिभाषित
करेंगे जैसे 1950 और 60 के दशक में किया गया था। आपूर्ति श्रृंखला की विश्वसनीयता तथा सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने हेतु वैश्विक अर्थव्यवस्था को चुनौती देने से मुक्त नहीं रखा जाना चाहिए। हम निश्चित रूप से उच्च अप्रत्याशितता और उच्च बहुध्रुवीयता का अनुभव कर
रहे हैं।
5. अब इसमें अफ्रीका और भारत दोनों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। भारत के लिए, वैश्विक प्रणाली के ध्रुवों में से एक के रूप में अफ्रीका का उदय होना सिर्फ वांछनीय ही नहीं है, बल्कि नितांत आवश्यक है। वास्तव में, यह हमारी विदेश नीति के विचार का आधार है। अफ्रीका के
वास्तविक उद्भव के बिना व्यापक वैश्विक पुनर्संतुलन अधूरा है। इसके बाद ही दुनिया की सामरिक विविधता पूर्ण रूप से सामने आएगी।
6. भारत समकालीन दुनिया में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में अफ्रीका के विकास और उभरने का स्वागत करता है। हम उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं तथा हमारी साझा नैतिकता के अनुसार, इस प्रयास में अफ्रीकी देशों का सहयोग करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। यह अफ्रीका के साथ भारत के जुड़ाव
के दस मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2018 में युगांडा की संसद में अपने संबोधन के दौरान कहा था।
7. हमारी सरकार ने उन मार्गदर्शक सिद्धांतों पर काम किया है। 2015 के बाद से, हमारे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री स्तर के 34 उच्च-स्तरीय दौरे अफ्रीका में हुए हैं। इस तरह के दौर में ऐसा होना अभूतपूर्व है। पिछले छह वर्षों में, 100 अफ्रीकी नेताओं ने द्विपक्षीय
या बहुपक्षीय बैठकों के लिए भारत का दौरा किया है। 2015 में तीसरा भारत-अफ्रीका गोष्ठी शिखर सम्मेलन वास्तव में मील का पत्थर साबित हुआ था - जब पहली बार सभी 54 अफ्रीकी देशों ने इसमें भाग लिया, और दिल्ली में इसकी मेजबानी की गई। भारत के अब 38 अफ्रीकी देशों में आवासीय
मिशन चल रहे हैं और कई शुरु होने वाले हैं। इनमें से एक चौथाई पिछले दो वर्षों में शुरु हुए हैं। इसलिए, मैं फिर से संख्याओं, शब्दों तथा कामों पर जोर देते हुए कहता हूं कि, अफ्रीका भारत की प्राथमिकता है।
8. अफ्रीका के प्रति हमारी प्रतिबद्धता चार स्तंभों पर आधारित है:
हमारी विकासात्मक साझेदारी
व्यापार व निवेश
लोगों से लोगों के बीच मजबूत संबंध, विशेष रूप से युवा अफ्रीकियों के लिए शिक्षा तथा क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में, और
हाल ही में, रक्षा एवं समुद्री सुरक्षा
9. इन स्तंभों की मूल भावना संयुक्त राष्ट्र से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, आईबीएसए तक जैसे हमारे करीबी संघ में विभिन्न बहुपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों में देखी जा सकती हैं, जो प्रमुख दक्षिणी लोकतंत्रों के साथ जुड़ी हुई है। अफ्रीकी देश नवीकरणीय ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन
से निपटने हेतु इंडिया-इनक्यूबेटेड पहल इंटरनेशनल सोलर अलायंस में बड़ी संख्या में शामिल हो गए हैं। मैं आशान्वित हूं कि वे इसी तरह से आपदा प्रतिरोधी संरचना हेतु गठबंधन में भाग लेंगे, जो हाल ही शुरु की गई एक और उल्लेखनीय पहल है।
10. विदेश मंत्रालय में चार विकास भागीदारी प्रशासन प्रभाग हैं जो अफ्रीका के साथ हमारी साझेदारी और विषय से संबंधित हैं। साथ मिलकर वे भागीदार देशों को तकनीकी सहायता के बढ़ते पोर्टफोलियो का प्रबंधन करते हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये प्रभाग पिछले एक दशक में
अफ्रीका और हमारे पड़ोस में विकास परियोजनाओं के हमारे अनुभव के आधार पर तैयार हुए हैं। भारत ने 37 अफ्रीकी देशों में 194 विकासात्मक परियोजनाओं को पूरा किया है, और अभी 29 देशों में 77 अतिरिक्त परियोजनाओं को पूरा करने हेतु काम कर रहा है, जिसका कुल परिव्यय 11.6
बिलियन अमेरिकी डॉलर है, और इनमें से कुछ के उदाहरणों का उल्लेख अन्य वक्ताओं द्वारा किया गया है।
v11. अब, इन परियोजनाओं की अवसंरचना से लेकर आईसीटी तक, बिजली उत्पादन और पानी व सिंचाई के वितरण से लेकर, रेलवे से सड़कों तक, और कृषि से चीनी संयंत्रों तक व्यापक पहुंच हैं, और भारत अफ्रीका को उनके देश में अच्छा अनुभव प्रदान कर रहा है - ऐसे अनुभव जिसके तहत हमने
अपने लोगों के लिए काम किया है और उनकी भलाई में योगदान दिया है। ये अनुभव निष्पक्षता और उद्यमशीलता को बढ़ावा देते हैं और वे स्थानीय समुदायों से होने के बावजूद सशक्त करते हैं। वे सामाजिक एवं पारिस्थितिक स्थिरता की अनिवार्यता के साथ पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी
के साधनों से जुड़ते हैं। यह वह आदर्श है जो हम अपने अफ्रीकी दोस्तों को प्रदान करते हैं।
12. भारत की डिजिटल यात्रा लोगों के घरों तक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं कल्याणकारी लाभों के वितरण में बेहतर रही है। यह हाल ही में किए गए लॉकडाउन और महामारी प्रतिबंध के दौरान स्पष्ट रुप से अनुभव किया गया है। हम मानते हैं, इस तरह के अनुभव, अफ्रीका के लिए उपयोगी
हो सकते हैं। ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती के माध्यम से, प्रमुख भारतीय संस्थानों और अस्पतालों को टेली-एजुकेशन तथा टेली-मेडिसिन सेवाओं की पेशकश हेतु अभी 16 अफ्रीकी देशों से जोड़ा गया है। हम आशा करते हैं कि और अफ्रीकी राष्ट्र इस प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे।
भारत-अफ्रीका डिजिटल साझेदारी सभी देशों में एसडीजी के परिवर्तन और उपलब्धि की गति को तेज कर सकती है, विशेष रूप से अबतक वंचित रहे क्षेत्रों व समुदायों के लिए।
13. भारत अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। 54 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ, यह इस महाद्वीप के सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। भारतीय पूंजी ने विभिन्न अफ्रीकी देशों में ऊर्जा, खनन, बैंकिंग, कपड़ा और अन्य क्षेत्रों में रोजगार का सृजन
तथा अवसर पैदा किए हैं। अधिक सहज महाद्वीपीय बाजार भारतीय व्यापार के लिए उम्मीद जगाता है। इसलिए मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि हमारे अफ्रीकी मित्रों ने हमारे अंतिम शिखर सम्मेलन के बाद के वर्षों में कुछ उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है,
और महाद्वीप विस्तार वाला अफ्रीका महाद्वीपीय मुक्त व्यापार समझौता जो 2019 में लागू हुआ, और जुलाई 2019 में नाइजर में आयोजित एयू शिखर सम्मेलन के बाद परिचालन चरण में प्रवेश किया, स्पष्ट रूप से उल्लेखनीय है। यह अफ्रीका के एजेंडा 2063 की प्रमुख परियोजनाओं में से
एक था और हम इसके लागू होने का स्वागत करते हैं। नाइजर में आयोजित एयू शिखर सम्मेलन की बात करते हुए, मैं यह याद करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि इसके कुछ सत्र अत्याधुनिक केंद्र, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किए गए थे, जिसे भारत
सरकार से अनुदान सहायता के साथ बनाया गया था। मुझे आज अपने दर्शकों को यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि भारत ने हमेशा अफ्रीकी उद्यमिता और बाजार पहुंच का समर्थन किया है, क्योंकि भारत एलडीसी को शुल्क मुक्त, कोटा मुक्त बाजार प्रदान करने वाला पहला विकासशील देश था
जिसकी घोषणा हमने 2008 में की थी और जो अब कई वर्षों से 33 अफ्रीकी एलडीसी को उपलब्ध है। हमारे तेल व गैस उपयोगिताओं ने मोज़ाम्बिक में गैस क्षेत्र में लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और वास्तव में दक्षिण सूडान में और अधिक, पश्चिम और उत्तरी अफ्रीका
में किए गए अन्य निवेशों की गणना करना मुश्किल है। ये सभी अफ्रीका को भारत का महत्वपूर्ण ऊर्जा भागीदार बनाते हैं। मैं सभी साझेदारों से आग्रह करूंगा कि वे इस साझेदारी को बढ़ाने की दिशेा में काम करें और जहां कहीं भी अड़चनें पैदा हों, उसे दूर करें।
14. भारत ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और उपभोक्ता वस्तुओं में अफ्रीका के व्यापार परिदृश्य पर भी मौजूद है। अफ्रीका के साथ संबंधों के बढ़ने के साथ ये सभी खंड भी बढ़ जाएंगे। यह एक ऐसी कहानी है जो अफ्रीकी इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और व्यवसाय प्रबंधकों द्वारा
युवा पुरुषों तथा महिलाओं द्वारा लिखी जा रही है। और यहां भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के तहत अफ्रीकी छात्रों के लिए 50,000 प्रशिक्षण स्लॉट खुले हुए है, जो अनुशासनों की सीमा के भीतर क्षमता निर्माण में मदद कर रहे हैं।
15. इस वक्त भारत के विभिन्न शहरों और राज्यों में कई हजार अफ्रीकी छात्र कक्षाओं में नजर आएंगे। वे इंजीनियरिंग और जल संसाधन प्रबंधन से लेकर दवा तथा कानून तक के क्षेत्रों में अपनी डिग्री या अल्पकालिक पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर रहे हैं। उनमें से बड़ी संख्या में मौजूद
यहां के पूर्व छात्रों को गर्व महसूस हो रहा होगा, जो अफ्रीका में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं। हमारा यह मानना है कि युवा अफ्रीकी छात्रों तथा मेहमानों के रूप में भारत आते हैं, लेकिन हमारे देश द्वारा पेशकश की गई सेवाओं से आजीवन दोस्त और सद्भावना के दूत बनकर अपने
देश लौटते हैं।
16. जैसा कि हम सभी जानते हैं, 15 से 24 वर्ष की आयु के 200 मिलियन लोगों के साथ, अफ्रीका में किसी भी महाद्वीप की तुलना में सबसे अधिक युवा आबादी है। सचमुच हमारे ग्रह का भविष्य अफ्रीका में निहित है, और यह अपने युवाओं के उपयोग और अवसर के मुद्दों से कैसे निपटता है,
इससे वैश्विक रुझान निर्धारित होंगे। भारत एक इच्छुक पक्ष है, और अफ्रीका की उभरती पीढ़ियों को बढ़ाना देने में अपनी पूरी कोशिश करेगा। यह कोई नया पहलू नहीं है। हमारे संतुलन में शिक्षा का हमेशा एक विशेष महत्व रहा है। कई अफ्रीकी देशों - इथियोपिया, बोत्सवाना और नाइजीरिया
में भारतीय स्कूल टीचरों के परिश्रम तथा समर्पण को आज भी उनके शिष्य याद करते हैं। यह हमारे लोगों से लोगों के संबंधों की आधारशिला है।
17. लगभग 200 साल पहले, अफ्रीका में पहले भारतीय प्रवासियों को पानी के रास्ते पहुँचाया गया था, जो हमें अलग तथा एकजुट दोनों करते हैं। इसकी शुरुआत से, साम्राज्यवाद के कारण होने वाली अक्सर कठिन परिस्थितियों में, हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। भारतीय मूल के समुदाय
पूरे अफ्रीका में मौजूद हैं। अफ्रीकी देशों ने उन्हें आतिथ्यकारी घर दिया है जिसके लिए हम उनके आभारी हैं, और प्रवासी भारतीयों ने महाद्वीप की मानव पूंजी को बढ़ाया है। इन वर्षों में, हिंद महासागर जो हमारे बड़े भू-भाग को जोड़ता है, उसमें और भी अधिक विशेषताएं शामिल
हुई हैं। इसने हमें अधिक समृद्धि होने की गुंजाइश दी है; और बदले में, हमें इसे संरक्षित और बचाने हेतु सहयोग करने की आवश्यकता है।
18. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग भारत और अफ्रीका के लिए 21वीं सदी का महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारत ने कई अफ्रीकी देशों में स्टाफ और कमांड कॉलेज स्थापित करने में मदद की है और भारतीय सैन्य संस्थानों में कई अधिकारियों तथा सैनिकों
को प्रशिक्षित किया है। हमारी सैन्य परंपराएं, कमांड संरचनाएं, प्रशिक्षण प्रोटोकॉल और रणनीतिक सिद्धांत पूरी तरह से संगत हैं। अफ्रीका में शांति-संचालन में भारत कामों को भी सराहा गया है। समुद्री सुरक्षा - मानवीय सहायता एवं आपदा राहत मिशनों में समुद्री क्षमताओं
के उपयोग सहित - एक नया फ्रंटियर है।
19. दोस्तों, इस क्षेत्र में, दूसरों की तरह, भारत अफ्रीका को अपने क्षेत्र को अधिकतम करने और अपने विकल्पों को बढ़ाने के लिए ईमानदार भागीदारी प्रदान करता है। निश्चित रूप से अफ्रीका के पास विकल्पों की कमी नहीं है, और न ही भारत किसी दबाव के साथ एकमात्र विकल्प होने
का दावा करता है। हालाँकि, हम अफ्रीका के सबसे दृढ़ साथी होने का दावा करते हैं। याद रखें कि महामारी के बावजूद और लॉकडाउन के दौरान, हमने अपनी महत्वपूर्ण आपूर्ति लाइनों को अफ्रीका के लिए खुला रखा। भारतीय दवाएं कई अफ्रीकी देशों में मरीजों तक पहुंची और उपलब्ध कराई
गईं। ये मुश्किल समय खत्म हो जायेगा; लेकिन अफ्रीका-भारत मैत्री तथा सहयोग, मुझे विश्वास है, जारी रहेंगे।
धन्यवाद
नई दिल्ली
सितंबर 22, 2020