राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के निमंत्रण पर केंस, फ्रांस में जी-20 की शिखर बैठक में भाग लेने के लिए आज मैं प्रस्थान करूंगा।
केन्स शिखर बैठक यूरो जोन में संप्रभु ऋण संकट की पृष्ठभूमि में आयोजित हो रही है। यह संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिन्ता के प्रमुख स्रोत के रूप में उभरा है। कुछ दिन पूर्व यूरोपीय संघ एवं यूरो जोन के जुड़वे शिखर सम्मेलनों ने बाजारों में विश्वास के
उपाय को बहाल करने में सहायता प्रदान की है, परंतु और भी बहुत करने की जरूरत है। यह अनिवार्य है कि यूरोप में तथा अन्यत्र आर्थिक चुनौतियों के समाधान के लिए अपेक्षित कठिन निर्णय तेजी से लिए जाएं।
यूरो जोन एक ऐतिहासिक परियोजना है। भारत चाहता है कि यूरो जोन समृद्ध हो, क्योंकि यूरो जोन की समृद्धि में हमारी अपनी समृद्धि छिपी है।
मध्यम अवधि के संरचनात्मक मुद्दों पर ध्यान देते समय, वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिए मजबूत एवं समन्वित दृष्टिकोण का संकेत देना केन्स शिखर बैठक के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को ऐसी विशाल चुनौतियों के समाधान के लिए, जिनका वे सामना कर रही हैं, अनुकूल वैश्विक आर्थिक परिवेश की जरूरत है।
उत्तरोत्तर परस्पर निर्भर होते जा रहे विश्व में, हमें अपनी अर्थव्यवस्था में संक्रामक प्रभावों एवं मुद्रास्फीतिक दबावों के आपात के प्रति चौकन्ना रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि विकासशील देशों की बहुपक्षीय विकास बैठकों के माध्यम से
अपेक्षित निधियों तथा अपनी अवसंरचना एवं अन्य प्राथमिकतापूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए निवेश योग्य अतिरेक तक पहुंच हो।
वैश्विक अभियान का मुद्दा भी चर्चा में उठेगा।
यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा हम प्रभावी एवं प्रतिनिधि मूलक वैश्विक अभिशासन तंत्र विकसित करने एवं अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अन्यों के साथ काम करेंगे।
मैं अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के साथ अलग से एक द्विपक्षीय बैठक करूंगा। मुझे प्रधान मंत्री डेविड कैमरून, प्रधान मंत्री जूलिया गिलार्ड के साथ-साथ यूरोपीय संघ के नेता श्री हर्मन वान रोमपुए और श्री जोन्स मैनुएल बरोसो के साथ भी बैठक की उम्मीद
है।
नई दिल्ली
2 नवंबर, 2011