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राष्ट्रपति ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती और "मुजीब बोर्षो" समारोह के समापन अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम में भाग लिया

दिसम्बर 17, 2021

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कहा "बांग्लादेश की स्वतंत्रता की इस ऐतिहासिक 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर मैं आपको भारत में आपके 1.3 अरब भाइयों और बहनों की ओर से बधाई देता हूं”। वह आज शाम (16 दिसंबर, 2021)को बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती और "मुजीब बोर्षो” समारोह के समापन अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बोल रहे थे।राष्ट्रपति ने कहा कि पचास साल पहले दक्षिण एशिया का वैचारिक नक्शा अपरिवर्तनीय रूप से बदल गया और बांग्लादेश के रूप में एक गौरवशाली राष्ट्र का अभ्युदय हुआ। उन्होंने बांग्लादेश के लाखों लोगों, विशेष रूप से क्रूर यातना झेलने वाली बेटियों, बहनों और माताओं की अनकही पीड़ा की याद में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनके बलिदान और बांग्लादेश को अस्तित्व में लाने के अथक प्रयास ने इस क्षेत्र के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास के पास कुछ ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जो यह बताते हैं कि बांग्लादेश के संघर्ष को भारत की ओर से किस पैमाने पर सहानुभूति और समर्थन मिला था। उस समय बांग्लादेश के लोगों को हर संभव सहायता देने के लिए भारत के लोगों ने अपने दिल और घरों के दरवाजे खोल दिए थे। हमारे भाइयों और बहनों को उनकी जरूरत की घड़ी में मदद करना हमारे लिए एक सम्मानजनक बात और हमारा गंभीर दायित्व था। उन्होंने कहा कि इतिहास हमेशा हमारी दोस्ती की इस अनूठी नींव का गवाह रहेगी जो बांग्लादेश को आजाद कराने वाले जनयुद्ध के रूप में गढ़ी गई थी। इस युद्ध में भाग लेने वाले भारत और बांग्लादेश के पूर्व सैनिक हमारी दोस्ती और परस्पर विश्वास के जीवंत प्रमाण हैं जो पहाड़ों को भी हिला देने की ताकत रखता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि 50 साल से थोड़ा अधिक समय पहले, एक स्वतंत्र बांग्लादेश के सपने ने लाखों लोगों को प्रेरित किया था। कुछ विरोधियों, संशयवादियों को यह एक दूर का और असंभव सपना लगता था। अंतर्राष्ट्रीय हालात और वास्तविक राजनीति मुक्ति की संभावनाओं को खारिज करती हुई प्रतीत होती थी लेकिन बंगबंधु का प्रेरक राजनीतिक कौशल, उनकी स्पष्ट दृष्टि वाला नैतिक विश्वास और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के न्याय पाने के अटल निश्चय ने पूरी बाजी पलट कर रख दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि बंगबंधु की भविष्य की सोच एक ऐसे बांग्लादेश की थी जो न केवल राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो बल्कि जो समानता और समावेशी भावना वाला भी हो। दुख की बात है कि उनके जीवनकाल में उनका यह सपना साकार नहीं किया जा सका।

बंगबंधु और उनके परिवार के अधिकांश लोगों की बेरहमी से हत्या करने वाली स्वतंत्रता विरोधी ताकतों को यह एहसास नहीं था कि गोलियां और हिंसा उस सोच को नहीं दबा सकती जिसने लोगों की कल्पनाओं में अपनी जगह बना ली है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज बंगबंधु के आदर्शों को प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में वहां के मेहनती और उद्मी लोगों द्वारा किए जा रहे कार्यों के जरिए साकार किया जा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने पिछले एक दशक में बांग्लादेश द्वारा हासिल की गई सराहनीय आर्थिक वृद्धि देखी है जिसने अपने नागरिकों के लिए अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने के अवसर भी पैदा किए हैं। उन्होंने कहा कि भौगोलिक लाभ लेते हुए बांग्लादेश के शानदार आर्थिक प्रदर्शन से पूरे उप-क्षेत्र और दुनिया को फायदा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की इस बारे में बढ़ती मान्यता है कि निकट उप-क्षेत्रीय व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क माध्यम कम से कम समय में सोनार बांगला के सपने को तेजी से साकार करने में मददगार साबित होंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने हमेशा बांग्लादेश के साथ अपनी दोस्ती को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हम अपनी दोस्ती की पूरी क्षमता को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल के वर्षों में हमने व्यापार, आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों के बीच संबंध, छात्रों के आदान-प्रदान और कई अन्य क्षेत्रों से जुड़ी गतिविधियों के जरिए भी व्यापक जुड़ाव देखा है। ये एके दूसरे के प्रति सम्मान, समान संप्रभुता और हमारे दीर्घकालिक हितों के आधार पर एक स्थायी तथा गहरी दोस्ती की गारंटी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत-बांग्लादेश साझेदारी के पहले 50 वर्षों की शुरुआत असाधारण चुनौतियों से पार पाने के साथ हुई, जिसने हमारे लोगों के बीच गहरी दोस्ती का निर्माण किया तो शायद अब इसे और भी प्रगाढ़ बनाने का समय आ गया है। इसके लिए, हमारे व्यवसायों, हमारे शिक्षाविदों और विशेष रूप से हमारे युवाओं को संयुक्त रूप से विचारों, रचनात्मकता, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी की दुनिया में विश्व स्तर पर अग्रणी पहल करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। हमें अपने विचारकों से आग्रह करना चाहिए कि वे अपनी अनूठी सफलता की कहानियों में ​नीहित प्रेरक शक्तियों का लाभ उठाएं ताकि ऐसे 'सर्वश्रेष्ठ विचारों को खोजा जा सके जो हमारे क्षेत्रीय संदर्भ में प्रासंगिक हों। जब हम परस्पर संपर्कों के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं तो हम साथ मिलकर विचारों और नवाचार के निर्बाध प्रवाह के अवसर पैदा कर सकते हैं। हमारे व्यवसायों को उत्पादन और परिवहन संपर्कों की गहन एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाओं के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिससे हमारा उप-क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े उत्पादन केंद्रों में से एक बन सके और वस्तुओं और सेवाओं के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन सके।

इससे पहले सुबह में राष्ट्रपति ने ढाका के राष्ट्रीय परेड ग्राउंड में 'सम्मानित अतिथि' के रूप में राष्ट्रीय विजय दिवस परेड में भाग लिया। इस समारोह में भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के 122 सदस्यीय दल ने भी हिस्सा लिया।

कल, राष्ट्रपति ढाका में पुनर्निर्मित रमना काली मंदिर का उद्घाटन करेंगे और नई दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त द्वारा भारतीय समुदाय और भारत के मित्रों के साथ आयोजित एक स्वागत समारोह को भी संबोधित करेंगे।

ढाका
दिसंबर 16,2021



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