महामहिम श्रीमान वांग यी, चीनी जनवादी गणराज्य के स्टेट काउंसिलर एवं विदेश मन्त्री,
भारत-चीन उच्च स्तरीय सांस्कृतिक एवं पारस्परिक जनसंवाद विनिमय की द्वितीय बैठक में उपस्थित भारतीय एवं चीनी प्रतिनिधिमण्डल के सम्मानित सदस्यगण,
भारत-चीन उच्च स्तरीय मीडिया फोरम में शामिल भारतीय एवं चीनी
मीडिया के सम्मानित सदस्यगण,
भाइयो एवं बहनो,
मुझे चतुर्थ भारत-चीन मीडिया फोरन को सम्बोधित करते हुए अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है जिसके कारण हमारे दोनों देशों के बीच के महत्त्वपूर्ण हितधारक और चिन्तक एक मंच पर एकत्रित हुए हैं। सर्वप्रथम मैं इस बैठक के उत्कृष्ट आयोजन के लिए राज्य परिषद सूचना कार्यालय को धन्यवाद
देता हूँ।
आज सुबह उपराष्ट्रपति वांग किशान से मेरी सौहार्द्रपूर्ण मुलाकात हुई। हमने नवीन वैश्विक परिवेश और दो बड़े विकासशील देशों के रूप में भारत और चीन के उत्थान के व्यापक पुनर्संतुलन के विषय में परिचर्चा की। इसके पश्चात मेरी विदेश मन्त्री वांग यी के साथ विशद और सार्थक
परिचर्चा हुई। हमने अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश, क्षेत्रीय परिदृश्य तथा अपने अत्यन्त महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय सम्बन्धों से जुड़े मुद्दों पर समग्र परिचर्चा की।
आज हमारी परिचर्चाएँ विशेष रूप से सार्थक रहीं क्योंकि हम इसी वर्ष द्वितीय अनौपचारिक सम्मेलन और अगले वर्ष कूटनीतिक सम्बन्धों की संस्थापना की 70वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा की तैयारी में लगे हैं।
अप्रैल, 2018 में वुहान में प्रधानमन्त्री मोदी एवं राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सम्पन्न हुआ अनौपचारिक सम्मेलन ऐतिहासिक था जिसके कारण हमारे सम्बन्धों को एक सकारात्मक दिशा मिली। उसमें एक पारस्परिक समझौता किया गया कि दो विशालतम एवं तीव्र गति से विकासशील देशों के
रूप में विश्व की लगभग एक-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने सम्बन्धों को स्थायी और सन्तुलित रखने के कारण न केवल हमारी जनता को लाभ पहुँचेगा बल्कि इस अनिश्चित वैश्विक परिवेश में स्थायित्व का एक कारक भी होगा। अपनी जनता को उत्तम अवसर उपलब्ध कराने के
परिप्रेक्ष्य में हम दोनों देशों के लक्ष्य एक समान हैं।
वुहान के अनौपचारिक सम्मेलन से हमारे समग्र सम्बन्धों में प्रगति हुई है। दोनों सहमत हुए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शान्ति और स्थिरता बनाये रखना हमारे सम्बन्धों के समुचित विकास के लिए आवश्यक है। इसके लिए हम दोनों देशों की सशस्त्र सेनाओं ने पारस्परिक संवाद में
वृद्धि की है और हमने विश्वास वर्द्धन की दिशा में अनेक उपायों को क्रियान्वित किया है। हमारे आर्थिक सम्बन्धों में भी प्रगति आई है। द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है किन्तु हमारे राजस्व घाटे में भी वृद्धि हुई है जो कुछ चिन्ता का विषय है। हम गत कुछ महीनों में
भारत से आयात में वृद्धि के लिए चीन की ओर से उठाये गये कदमों की प्रशंसा करते हैं। इन प्रयासों में विस्तार के लिए चीन के घरेलू बाजार में हमारे फार्मास्यूटिकल एवं आईटी उत्पादों तथा सेवाओं में वृद्धि को भी शामिल किया जा सकता है।
भारत-चीन सम्बन्धों का भविष्य एक-दूसरे की प्रमुख चिन्ताओं की पारस्परिक संवेदना पर स्पष्ट रूप से निर्भर करता है। पड़ोसी होने तथा विशाल विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश होने के रूप में यह स्वाभाविक है कि हमारे सम्बन्धों में कुछ न कुछ मुद्दे होंगे। अत: मतभेदों का
उचित प्रबन्धन करना महत्त्वपूर्ण है। जैसा कि हमारे नेता अस्ताना में सहमत हुए थे कि मतभेद विवाद का विषय नहीं बनने चाहिए। इसी प्रकार भारत-चीन सम्बन्ध अनिश्चित विश्व में स्थायित्व के कारक बने रह सकते हैं। वुहान सम्मेलन के पश्चात सम्बन्धों की सकारात्मक दिशा ने
नवीन परिदृश्यों के विश्व की राह खोली है। इसका उपयोग करके और अपने सम्बन्धों को एक नये स्तर पर लाने के लिए दोनों देशों की जनता सशक्त समर्थन आवश्यक होगा। मीडिया इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
महामहिम, भाइयो एवं बहनो,
विदेश मन्त्री वांग यी और मैंने अभी-अभी सांस्कृतिक एवं जनसंवाद विनिमय के विषय में उच्चस्तरीय व्यवस्था की द्वितीय बैठक का साझा प्रतिनिधित्व किया।यह उच्चस्तरीय व्यवस्था वुहान में अनौपचारिक सम्मेलन के दौरान प्रधानमन्त्री मोदी एवं राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी
सहमति का प्रतिफल थी। यह हमारे उस साझा समझौते को प्रतिबिम्बित करती है कि सांस्कृतिक एवं जनसंवाद विनिमय में वृद्धि एवं मजबूती हमारे द्विपक्षीय सम्बन्धों के समग्र विकास में योगदान करेगा।
गत वर्ष नई दिल्ली में उच्च स्तरीय व्यवस्था के उद्घाटन बैठक में हमने अपने सांस्कृतिक विनिमय एवं जनसंवाद के सम्पर्कों को मजबूत करने के लिए दस क्षेत्रों को संयुक्त रूप से चिह्नित किया था। यह सत्य है कि हम प्रथम बैठक के बाद 8 महीने के भीतर ही दूसरी उच्च स्तरीय
व्यवस्था बैठक आयोजित करने में समर्थ रहे जो इस महत्त्व को प्रदर्शित करता है कि दोनों पक्ष सांस्कृतिक एवं जनसंवाद विनिमयों को प्रोत्साहित करने की दिशा में अग्रसर हैं।
आज अपनी परिचर्चा में विदेश मन्त्री वांग यी और मैंने गत बैठक से लेकर अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की। हमने ऐसे विनिमयों को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए कुछ नये प्रस्तावों पर भी चर्चा की। इसके परिणामस्वरूप हम अपनी जनता के पारस्परिक सम्पर्कों को और अधिक मजबूत
करने के लिए 100 क्रियाकलापों के आयोजन के लिए भी सहमत हुए। हम इस शाम को इस गतिविधियों के प्रारम्भ के प्रतीक के रूप में संयुक्त रूप से एक फिल्म सप्ताह भी आयोजित करने वाले हैं। आने वाले महीनों में हम म्यूजियम प्रबन्धन, शिक्षा, चिन्तन शिविर तथा फिल्म एवं प्रसारण
के क्षेत्रों में सहयोग जैसे क्षेत्रों में अन्य अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे जो हमारे सांस्कृतिक एवं जनसंवाद विनिमयों की व्यापक शृंखला को प्रतिबिम्बित करेंगे। चीन की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा के विस्तार के लिए कुछ सुझाव प्राप्त हुए हैं और हम इन पहलों
का जोरदार स्वागत करते हैं।
इस व्यवस्था की सफलता इस तथ्य से भी आँकी जा सकती है कि हमने अभी-अभी निम्नलिखित विषयों पर 4 ज्ञापनों/समझौतों पर सहमति जताई है :
(i) अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन तथा पुरातात्विक धरोहर स्थलों के प्रबन्धन को प्रोत्साहित करना।
(ii) पारम्परिक औषधियों के क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि करना-जिसमें हम दोनों देशों का शताब्दियों पुराना संचित समृद्ध ज्ञान है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के स्वास्थ्य क्षेत्र में परम्परागत औषधियों के विकास को प्रोत्साहित करना होगा।
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में सहयोग की मजबूती के लिए अपने राष्ट्रीय खेल संघों, खिलाड़ियों तथा युवाओं के मध्य विनिमय को प्रोत्साहित करना, तथा
(iv) म्यूजियमों के लिए संग्रहों तथा पुरातात्विक उत्खननों की प्रदर्शनी, संरक्षण तथा पुनर्जीवन के क्षेत्र में हुबी प्रॉविंशियल म्यूजियम, वुहान तथा नेशनल म्यूजियम दिल्ली के बीच सहयोग के को प्रोत्साहित करने के लिए म्यूजियम प्रबन्धन में सहयोग।
अलग से हम दोनों विदेशमन्त्री वर्ष 2020 के लिए द्विपक्षीय सम्बन्धों हेतु एक कार्ययोजना तैयार करने पर भी सहमत हुए।
महामहिम, भाइयो एवं बहनो,
मीडिया फोरम सांस्कृतिक एवं जनसंवाद विनिमयों पर उच्चस्तरीय व्यवस्था की द्वितीय बैठक का एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। किसी भी देश में जनचेतना को सँवारने में आज मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। तकनीक में तीव्र प्रगति तथा इसके व्यापक प्रसार के कारण यह भूमिक
और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
मीडिया फोरम इस परिचर्चा तथा अन्वेषण के लिए एक श्रेष्ठ मंच है कि हमारी सम्बद्ध मीडिया किस प्रकार एक-दूसरे की भावनाओं और हितों के विषय में समझ में वृद्धि करके "घनिष्ठ विकासपरक साझेदारी" के लक्ष्य की दिशा में योगदान कर सकती है। मीडिया से जुड़े लोगों के नियमित
आदान-प्रदान और हमारे मीडियागृहों के बीच स्थापित सहयोग आगे बढ़ने की दिशा में एक उत्तम कदम हो सकता है। ऐसे विनिमय विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि हम दोनों देशों की शासन प्रणाली की अपनी निजी व्यवस्था है। एक अन्य ध्यान देने योग्य क्षेत्र सोशल मीडिया की भूमिका
और उसके प्रभाव का परीक्षण करना हो सकता है।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि मीडिया बन्धुत्व में विचार निर्माताओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान में यह अभ्यास पूर्व के तीन मीडिया फोरम की बैठकों की उपलब्धियों के निर्माण तथा सशक्त भारत-चीन मीडिया सम्बन्ध में योगदान की दिशा में पर्याप्त प्रगति करने में सहायक होगा।
मुझे आशा है कि दोनों देशों के बीच व्यापक मैत्री तथा सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए अपने समकक्षों के साथ बेबाक, निष्पक्ष और सार्थक परिचर्चा तथा अपने द्विपक्षीय सम्बन्धों के समग्र विकास की दिशा में योगदान की प्रक्रिया में इस अवसर का आप सभी ने लाभ उठाया होगा।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह फोरम एक बड़ी सफलता थी।
धन्यवाद
बीजिंग
अगस्त 12, 2019