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बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन 2019 के इतर भारत औरचीन के बीच द्विपक्षीय बैठक के संबंध में विदेश सचिव द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (13 जून, 2019)

जून 14, 2019

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार: मित्रों, आपको दोपहर की नमस्ते और बिश्केक से इस विशेष ब्रीफिंग में आपका स्वागत। मेरे साथ भारत के विदेश सचिव हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि बिश्केक में प्रधानमंत्री जी कुछ ही घंटे पहले पहुंचे हैं और सर्वप्रथम उनकी चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई।

इस बैठक के संबंध में आपको संक्षिप्त जानकारी देने के लिए मैं विदेश सचिव से अनुरोध करूंगा कि वे इसका ब्यौरा दें और उसके बाद हम प्रश्नोत्तरी करेंगे। हम इस प्रश्नोत्तरी को केवल द्विपक्षीय बैठक तक ही सीमित रखेंगे जो बैठक हुई है। महोदय,अब मंच आपके हवाले है।

विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: देवियों और सज्जनों आपको शाम की नमस्ते। इस दोपहर बिश्केक पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री जी की पहली बैठक पुपील्स रिपब्लिक आफ चाइना के राष्ट्रपति शी जिंगपिन के साथ हुई।

मूलत: यह बैठक 20 मिनट की थी किंतु यह और अधिक समय तक चली तथा दोनों ही नेताओं के बीच कई विषयों पर गर्मजोशी और सौहार्द्रपूर्ण चर्चा हुई। राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने प्रधानमंत्री को आम चुनाव में उनकी विजय के लिए बधायी दी और उन्होंने कहा कि यह उन आकांक्षाओं और विश्वास का परिलक्षण है जिसे भारत के लोगों ने प्रधानमंत्री में जताया है।

उसके बाद दोनों ही नेताओं ने इस द्विपक्षीय संबंध की समीक्षा की और वे सहमत हुए कि गत वर्ष अप्रैल में वुहान शिखर सम्मेलन के बाद से इस द्विपक्षीय संबंध में एक नयी गति है।

प्रधानमंत्री ने विशेष रूप में यह नोट किया कि दोनों ही पक्षों के बीच जो सुधार हुआ वह सभी स्तरों पर रणनीतिक संवाद है और इस संदर्भ में कुछ मुद्दे जिन्हें हम उक्त रणनीतिक संवाद के माध्यम से समाधान करने में समर्थ हुए उनमें दीर्घ काल से लंबित पड़े मुद्दे यथा भारत में बैंक आफ चाइना को खोलना तथा 1267 प्रतिबंध समिति में मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने जैसे मुद्दे पर संकल्प शामिल थे।

दोनों नेता इस पर सहमत हुए कि जहां वुहान का परिणाम बड़ा सकारात्मक था,वहीं अब यह आवश्यक है कि इस संबंध में नए क्षेत्रों में आगे बढ़ाया जाए और इसलिए प्रधानमंत्री ने विशेषरूप से राष्ट्रपति शी को बताया और वे सहमत हुए कि दोनों ही पक्षों को इस संबंध से अपनी आकांक्षाओं को बढ़ाने की आवश्यकता है और इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी जिंगपिंग का वुहान के बाद दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को इस शिखर सम्मेलन के लिए व्यापक तैयारी करनी चाहिए और कि इस शिखर सम्मेलन का परिणाम दोनों पक्षों की आकांक्षाओं को पूरा करे तथा राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने इस वर्ष भारत दौरे के लिए अपनी तत्परता की पुष्टि बड़े गर्मजोशी से किया। उन्होंने कहा कि वे एक रणनीतिक और दीर्घकालिक परिदृश्य से सभी मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं और कि दोनों ही पक्षों को इस यात्रा के लिए अब व्यापक तैयारी करनी चाहिए।

व्यापार के मुद्दे पर इन नेताओं के बीच कुछ चर्चाएं हुईं। जैसा कि आप जानते हैं,वुहान के बाद प्रधानमंत्री ने इस पर जोर दिया कि हमारे लिये यह महत्वपूर्ण है कि चीन के साथ हमारे व्यापार घाटे से निपटा जाए और कई क्षेत्रों जिनमें हमने परस्पर पहचान की,में विनियामक प्रक्रियाओं के संदर्भ में प्रगति हुई जिन्हें चीनी पक्ष द्वारा सरलीकृत किया गया है। प्रधानमंत्री ने इसका ध्यान रखा, उन्होंने इस विनियामक प्रक्रियाओं के सरलीकरण की सराहना की जिसमें गैर बासमती चावल,चीनी, कुछ कृषि उत्पाद,भेषज शामिल थे तथा इसलिए वे आशा करते हैं कि अब जब ये विनियामक मुद्दे सुलझ गए हैं,तो इन उत्पादों को चीन निर्यात करने अथवा इन उत्पादों का चीन द्वारा आयात में अधिक कीमत होगी।

राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने इसका ध्यान रखा, उन्होंने कहा कि इन कुछ मुद्दों का समाधान करने के लिए ये कुछ शुरूआती कदम हैं। उन्होंने कहा कि चीन आगे और कदम उठाएगा और दोनों पक्ष इस पर सहमत हुए कि कुछ रूप में अगले कुछ महीने में हमें यह देखना होगा कि हम दोनों पक्षों के बीच चर्चा के माध्यम से इस संबंध में किस प्रकार महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं।

दोनों पक्ष इस पर सहमत हुए कि अगला वर्ष हमारे द्विपक्षीय संबंध के लिए एक महतवपूर्ण वर्ष है,यह कूटनीतिक संबंध की स्थापना का 70वीं सालगिरह होगी। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने यह प्रस्ताव दिया कि हमें इस अवसर को उपयुक्त तरीके से,उस तरीके से मनाने की आवश्यकता है जिसमें यह नया संबंध परिलक्षित हो और इसलिए उन्होंने प्रस्ताव किया कि इस संबंध की 70वीं सालगिरह को मनाने के लिए भारत और चीन को 70 महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को आयोजित करना चाहिए,भारत और चीन दोनों जगह 35-35 कार्यक्रम तथा दोनों नेताओं ने अपने विदेश मंत्रियों को यह कार्य सौंपा है कि वेउच्च स्तरीय तंत्र की दूसरी होने वाली बैठक में इस मामले पर चर्चा करें और जैसा कि आप जानते हैं कि पिछले वर्ष दिसम्बर में इस तंत्र की पहली बैठक हुई थी और यह एक ऐसा तंत्र है जिसे लोगों के बीच संबंध और संपर्क बढ़ाने के लिए विशेष रूप से स्थापित किया गया है।

 

सीमा के मुद्दे पर भी एक संक्षिप्त चर्चा हुई थी। दोनों नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों से कहा कि वे बैठक आयोजित करें और इस चर्चा को आगे बढ़ाएं और उन्हें अनुदेश दिया है कि सीमा संबंधी प्रश्न के एक उचित,उपयुक्त और परस्पर स्वीकार्य समाधान के संबंध में चर्चाओं में तेजी लाएं। दोनों नेताओं ने कहा है कि यह दृष्टिकोण रचनात्मक होना चाहिए और यह व्यापक संदर्भ वाला होना चाहिए जिसमें हम भारत-चीन संबंधों को देखते हैं,इसमें दोनों नेता आने वाले समय और आने वाले वर्षों में भारत-चीन संबंध को एक नयी सदी में देखते हैं।

दोनों विशेष प्रतिनिधि, हमारी ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार,चीनी पक्ष की ओर से विदेश मंत्री और राज्य काउंसलर श्री वांग यी उस कक्ष में उपस्थित थे जहां इन नेताओं की बैठक हुई।

इसलिए कुल मिलाकर अपेक्षाकृत यह एससीओ शिखर सम्मेलन के इतर हुई एक संक्षिप्त बैठक थी किंतु यह तात्विक रूप से बहुत ही संतोषजनक था। वातावरण बहुत सकारात्मक था,इसमें वुहान भावना विद्यमान थी और यह एक शुरूआत है जिसे दोनों नेतागण अन्य बातचीत में करेंगे। आशा है कि वे ओसाका में दो हफ्ते में जी20 शिखर सम्मेलन में एक दूसरे से मिलेंगे। वे इस वर्ष ब्रिक्स,पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी मिलेंगे और उसके बाद द्विपक्षीय अनौपचारिक शिखर सम्मेलन भी होगा। इसलिए हम इसे भारत में सरकार के बनने के बाद एक प्रक्रिया के शुरू होने के रूप में देखते हैं कि 21वीं सदी के व्यापक संदर्भ में और इस संबंध में एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका में दोनों पक्षों से भारत-चीन संबंध के साथ कैसे निपटें। मैं सोचता हूं कि मैं यहां रूक जाउं रवीश जी और कुछ प्रश्न ले लूं।

वियोन से प्रश्न: क्या इस चर्चा के दौरान पाकिस्तान,उस देश से शुरू होने वाले आतंकवाद पर चर्चा हुई जिससे यह संपूर्ण क्षेत्र अस्थिर है?

विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: पाकिस्तान के बारे में बहुत संक्षिप्त चर्चा हुई। स्पष्ट रूप से समय बहुत कम था किंतु वास्तव में प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पाकिस्तान के संबंध में स्थिर स्थिति में हैं,हम द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से सभी मुद्दों पर चर्चा करते हैं और हम समझौतों के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। हम इस प्रक्रिया के लिए कटिबद्ध हैं,प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि उन्होंने इस संबंध में प्रयास किए हैं और ये प्रयास निष्फल हो गये हैं।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी जिंगपिंग को सूचित किया कि पाकिस्तान को एक आतंकवाद मुक्त वातावरण सृजित करने की आवश्यकता है और कि इस स्थिति में हमने अभी तक ऐसा होता नहीं देखा। और इसलिए हम पाकिस्तान से आशा करते हैं कि वह इन मुद्दों पर ठोस कार्रवाई करे जिसे भारत ने चिंता वाले क्षेत्रों में प्रस्ताव दिया है कि हमने पाकिस्तान को संकेत दिया है कि पाकिस्तान को इस संबंध में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।

न्यूज़ एक्स से प्रश्न: ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान का मुद्दा चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग द्वारा उठाया गया था,मैं इस पर एक पुष्टि चाहता हूं अथवा क्या यह दोनों नेताओं के द्विपक्षीय मुद्दों का परस्पर सहमति वाला विषय था और दूसरा प्रश्न कि नवम्बर में अनौपचारिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए कोई विशिष्ट क्षेत्र जिस पर निर्णय लिया गया है?

विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: दोनों ही नेता चर्चा में किसी भी मुद्दों को उठाने के लिए स्वतंत्र है और मैं मानता हूं कि मैं जो बात कह रहा हूं वह यह कि जो स्थिति हमने बतायी है वह वही है जिसे मैंने अभी कहा। मान लीजिए कि अभी इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए तिथि अथवा स्थान पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। महत्वपूर्ण बिंदू यहां सरकार के बनने के बाद पुनर्पुष्टि की थी कि वे इस वर्ष भारत की यात्रा करेंगे,कि हमें व्यापक तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, और कि इन नेताओं ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया है कि वे इस प्रक्रिया को शुरू कर दे। स्पष्टत: इसका अर्थ इस दौरे के संभार पहलु पर चर्चा भी है।

प्रश्न:चीन पर ट्रंप प्रशासन द्वारा शुल्क के संबंध में चर्चा के दौरान कोई मुद्दा उठा और निश्चय हीं यह कुछ शुल्कों के कारण प्रभावित भी होगा,क्या इस पर कोई चर्चा हुई तथा साथ ही कल हसन रूहानी की मुलाकात थोड़ी देर के लिए प्रधानमंत्री के साथ होगी,इस मुलाकात का एजेंडा क्या होगा?

विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: वैश्विक हालात पर एक सामान्य चर्चा हुई और स्पष्टत: उस संदर्भ में चीन-अमेरिका संबंध के मुद्दे उठे किंतु इन मामलों में बहुत विस्तृत चर्चा का कोइ समय नहीं था। इस द्विपक्षीय बैठक का फोकस इसकी पुष्टि करना रहा है कि इस सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में जो राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से संयोगवश बड़ा मेल खाता है। इन दोनों देशों के पास कई मुद्दों पर आगे बढ़ने,कई समस्याओं का समाधान करने तथा भारत-चीन संबंध को एक नयी उंचाई तक ले जाने का एतिहासिक अवसर है। और मैं मानता हूं कि इसका फोकस इसी पर था। कोई विस्तृत चर्चा नहीं हुई,एक सामान्य निर्देश दिया गया था। दोनों ही पक्षों के अधिकारियों के लिए अब यह देखना है कि हम कैसे इसे आगे ले जा सकते हैं।

प्रश्न: हसन रूहानी के साथ बैठक का एजेंडा क्या है?

विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: हम आपको इस दौरे के बात बताएंगे,आज हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार: आपका धन्यवाद महोदय,अब यह विशेष ब्रीफिंग समाप्त होता है, आप सभी का धन्यवाद।

(समाप्त)



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