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उपराष्‍ट्रपति के पराग्‍वे दौरे के दौरान सचिव (पूर्व) द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (07 मार्च, 2019)

मार्च 08, 2019

अवर सचिव (डिजिटल कूटनीति), सुश्री स्‍नेहा दुबे:आप सभी को सुबह का नमस्‍कार। उपराष्‍ट्रपति के पराग्‍वे दौरे के संबंध में इस विशेष मीडिया ब्रीफिंग में आज यहां हमारे साथ उपस्थित होने के लिए आपलोगों का धन्‍यवाद। हमारे साथ सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह,भारतीय राजदूत श्री संजीव रंजन जिन्‍हें साथ-साथ पराग्‍वे का भार प्रत्‍यायित किया गया है, और हमारे साथ लैटिन अमेरिका व कैरेबियाई देशों के मामले को देख रहे विदेश मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव श्री जी. वी. श्रीनिवास हैं। अब सचिव (पूर्व) बोलेंगे।

सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: शुभप्रभात, आप सभी अवगत हीं होंगे कि माननीय उपराष्‍ट्रपति वर्तमान में लैटिन अमेरिका व कैरेबियाई क्षेत्र के दो देशों की यात्रा पर हैं।

इस दौरे का प्रथम हिस्‍सा पराग्‍वे का आधिकारिक दौरा है। माननीय उपराष्‍ट्रपति 5 की शाम को पराग्‍वे की राजधानी असुनसियन, जो दक्षिण अमेरिका के पुराने शहरों में से एक है, पहुंचे। छठे उपराष्‍ट्रपति ने नायकों के राष्‍ट्रीय स्‍मारक पर उन्‍हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने आधिकारिक दौरे की शुरूआत की। यह पराग्‍वे के नायकों की याद में निर्मित एक स्‍मारक है।

उसके पश्‍चात, उप राष्‍ट्रपति ने पराग्‍वे के नेताओं के साथ चर्चा शुरू की। उनकी मुलाकात राष्‍ट्रपति मारियो एब्‍डो के साथ हुई और उसके पश्‍चात उनकी मुलाकात उपराष्‍ट्रपति ह्युगो वेलाजक्‍वेज के साथ हुई जिनके साथ शिष्‍टमंडल स्‍तरीय बैठक हुई तथा उसके पश्‍चात उपराष्‍ट्रपति वेलाजक्‍वेज ने उनके लिए एक आधिकारिक भोज का आयोजन किया।

बाद में राष्‍ट्रीय कांग्रेस के अध्‍यक्ष सीनेट महामहिम साइलवियो ओवेलर ने उपराष्‍ट्रपति का आह्वान किया। यह पराग्‍वे में भारत का प्रथम उच्‍च स्‍तरीय दौरा है। हमने 56 वर्ष पूर्व 1961 में कूटनीतिक संबंध की स्‍थापना की थी और यह दौरा भारत का पराग्‍वे में प्रथम उच्‍च स्‍तरीय दौरा है जो स्‍वयं ही ऐतिहासिक है और हमारे संबंध के मील का पत्‍थर है।

पराग्‍वे के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति फर्नांडो ने 2012 में भारत की यात्रा की थी।

यह दौरा गर्मजोशी के साथ शुरू हुआ, उपराष्‍ट्रपति का भव्‍य स्‍वागत किया गया। बातचीत लाभकारी रही, इसके परस्‍पर हितों के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया और बातचीत के दौरान दोनों ही पक्षों की ओर से इस संबंध को मजबूत और गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्धता जतायी गयी। राष्‍ट्रपति अबडो बेनिटेज के साथ बैठक जिसमें राष्‍ट्रपति ने पच्‍चीस वर्ष पूर्व एक छात्र के रूप में अपने भारत दौरे का स्‍मरण किया जो उनकी बेहतरीन स्‍मृतियों में से रही है। वे गांधीजी के दर्शन से ब‍हुत प्रभावित थे और हैं एवं उन्‍होंने इसका उल्‍लेख‍ किया कि वर्ष में एकबार वे महात्‍मा गांधी पर लिखी पुस्‍तक को पढ़ते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारतीय खान-पान उनका पसंदीदा खान-पान है। इसलिए, यह उनके व्‍यक्तिगत संबंध की पृष्‍ठभूमि है जो राष्‍ट्रपति के साथ बातचीत के दौरान परिलक्षित हुई।

जहां तक चर्चाओं का संबंध है राष्‍ट्रपति ने भारत के आर्थिक विकास और भारत की प्रौद्योगिकी मजबूती व इसके घरेलु बाजार एवं कई क्षेत्रों में इसके अनुभव व विशेषज्ञता की खूब प्रशंसा की।

उन्‍होंने इसका भी उल्‍लेख किया और हम इससे अवगत भी हैं कि पिछले पंद्रह वर्षों में पराग्‍वे की आर्थिक वृद्धि अनवरत रही है और यह एक वृहद कृषि आधार है। इन प्रशंसाओं में इस संबंध को और मजबूत बनाने का आधार है।

इसके अतिरिक्‍त दोनों ही लोकतांत्रिक देशों जनसांख्यिकीय प्रोफाइल इस संदर्भ में एकसमान है कि दोनों देशों में युवाओं का प्रतिशत 65 प्रतिशत से अधिक है। इसका ही तात्‍पर्य यह कि हमारे युवाओं के आपसी संबंधों से भविष्‍य में हमारे संबंध और मजबूत होंगे।

माननीय उपराष्‍ट्रपति ने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की भर्त्‍सना की पराग्‍वे नेतृत्‍व की प्रशंसा की। पराग्‍वे नेतृत्‍व ने अपनी ओर से उल्‍लेख किया कि वे भारत पर हुए इस आतंकी हमले की जोरदार निंदा करते हैं। उन्‍होंने इस आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद पर भारत और पराग्‍वे एक ही धरातल पर हैं और कि अंतरराष्‍ट्रीय मंचों सहित अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद के खतरे से निपटने में पराग्‍वे भारत का सहयोगी है।

इस प्रकार पराग्‍वे की आतंकवाद की निंदा और आतंकवाद से लड़ने में उनका पूर्ण समर्थन स्‍वागतयोग्‍य है।

जहां तक आर्थिक संबंध की बात है, दोनों के बीच व्‍यापार में बढ़ोतरी हो रही है। यह दस गुणा बढ़ गया है, दस वर्ष पूर्व यह 40 मिलियन डॉलर का था और आज यह 375 मिलियन डॉलर है। इसलिए स्‍वास्‍थ्‍य बढ़ोतरी दर स्‍वागतयोग्‍य है किंतु दोनों ही पक्षों ने माना कि हमें अपने व्‍यापार क्षेत्र को विविधीकृत करने और विस्‍तार करने की आवश्‍यकता है। इस संदर्भ में भारत के माननीय उपराष्‍ट्रपति की पराग्‍वे में मुलाकात में इंजीनियरिंग वस्‍तुओं, भेषज उत्‍पादों और कृषि मशीनरी व उपकरणों को शामिल किए जाने की आवश्‍यकता है।

यह भी चर्चा थी कि मरकौसर के माध्‍यम से कैसे कार्य किया जाए, क्‍योंकि भारत का मरकोसर के साथ तरजीही व्‍यापार समझौता है जो लैटिन लैटिन अमेरिका में एक क्षेत्रीय समूह है। वर्तमान में हमारा लगभग 450 टैरिफ लाइन है और भारत इसे बढ़ाकर 2000 टैरिफ लाइन करना चाहेगा। दोनों ही पक्षों ने माना कि दोनों ही अर्थव्‍यवस्‍थाओं के बीच अनुपूरकताओं को आगे बढ़ाने के लिए मरकोसर का भी अन्‍वेषण किया जा सकता है।

जहां तक निवेश का संबंध है, कुछ भारतीय कंपनियां पहले से हीं पराग्‍वे में मौजूद हैं, इसकी चर्चा राष्‍ट्रपति बेनिटेज और उपराष्‍ट्रपति वेलाजक्‍वेज द्वारा की गयी थी। उन्‍होंने कई क्षेत्रों में यहां उनकी उपस्थिति की सराहना की और पराग्‍वे के राष्‍ट्रपति ने इस तथ्‍य को संदर्भित करते हुए भारतीय कंपनियों को यहां आकर अधिक से अधिक निवेश करने का निमंत्रण दिया कि उनके यहां सस्‍ती बिजली और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं और उनके पास विदेशी निवेशों को आमंत्रित करने के लिए एक नीति है।

उपराष्‍ट्रपति ने इसका स्‍वागत किया और कहा कि हम भारतीय कंपनियों को यहां पराग्‍वे में निवेश करेंगे किेंतु उन्‍होंने इसका उल्‍लेख किया कि निवेश संबंधी समझौतों की रूपरेखा हो तो अच्‍छा रहेगा चाहे व द्विपक्षीय निवेश संधि हो अथवा दोहरे कराधान से बचने संबंधी समझौता।

जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़ी, नए क्षेत्रों विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा, स्‍वास्‍थ्‍य व परंपरागत औषधि, आईसीटी, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी, रेलवे और पर्यटन संबंधी अवसंरचना की पहचान की गयी।

उल्लेखनीय रूप से पराग्वे नेतृत्व ने भारत इन क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता और अनुभव को साझा करने की इच्छा प्रदर्शित करने का स्वागत किया। हम पहले से ही क्षमता वर्धन कार्यक्रमों विशेषकर आईटीईसी कार्यक्रम में पराग्वे के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने यह संकेत दिया कि भारत पराग्वे के साथ अपने आईटीईसी कार्यक्रम के माध्यम से अपने सहयोग और क्षमता वर्धन को बढाने तथा पराग्वे के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने को इच्छुक हैं जो छात्र यहां आते हैं तथा उन्होंने लोगों के बीच संपर्क को भी प्रोत्साहित किया जिससे यह संबंध और मजबूत होगा।

पर्यटन की चर्चा विशेष रूप से की गयी, साथ गए पर्यटन राज्य मंत्री के जे अलफांसो ने इसकी विशाल क्षमता के बारे में बताया जो पर्यटन क्षेत्र में दोनों देशों के बीच मौजूद है। लोगों के बीच संपर्क स्थापित करने के लिए इस पर चर्चा की गयी कि दोनों देशों के बीच यात्रा को किस प्रकार आसान बनाया जाए। पराग्वे ने आश्वस्त किया कि वह वीजा को विशेषकर कारोबारी लोगों के लिए आसान बनाने के मुद्दे को देखेंगे। इसलिए हम आशा करते हैं कि इसके साथ इन दोनों देशों के बीच अधिक यात्राएं होंगी।

जहां तक संसदीय शिष्टमंडल का संबंध है, वर्ष 2010 में यहां से एक शिष्टमंडल भारत गया था तथा उसके बाद वर्ष 2012 में भारतीय शिष्टमंडल यहां आया था। माननीय उपराष्ट्रपति ने एक संसदीय शिष्टमंडल को भारत दौरा करने के लिए आमंत्रित किया ताकि इन देशों, संसदों के बीच संपर्क जारी रहे क्योंकि हम दोनों ही लोकतांत्रिक देश हैं।

माननीय उपराष्ट्रपति का दौरा ऐसे वर्ष में हो रहा है जब हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्मशती मना रहे हैं। माननीय उपराष्ट्रपति ने यह कहा कि भारत गांधी जी की अर्ध प्रतिमा उपहार देगा जिसकी असुनसियन में स्थापना की जाएगी। यह उपराष्ट्रपति का पराग्वे के लिए यह उपहार है। हम इस पर भी सहमत हैं कि ये दोनों देश संयुक्त रूप से महात्मा गांधी की जन्मशती मनाएंगे और इस संदर्भ में पराग्वे सरकार द्वारा एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया है जिसे कल ही दोनों उपराष्ट्रपतियों द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया।

अन्य क्षेत्र जिस पर चर्चा की गयी वह है अंतरराष्ट्रीय सौर संधि। पराग्वे राष्ट्रपति द्वारा इसका उल्लेख किया गया कि पराग्वे में प्रतिव्यक्ति नवीकरणीय ऊर्जा विश्व भर में सर्वाधिक है और उन्होंने भारत और फ्रांस, अंतरराष्ट्रीय सौर संधि द्वारा उठाए गए गए उत्कृष्ट पहल की प्रशंसा की तथा यह कहा कि वे आईएसए में शामिल होने के लिए अंतिम परिणाम के साथ आंतरिक प्रक्रियाओं पर कार्य कर रहे हैं। हम इसका स्वागत करते हैं।

हमने भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। हमने इन कुछ चुनावों में भारत की उम्मीदवारी को उठाया जिसे भारत इस वर्ष विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर संघर्ष कर रहा है। पराग्वे ने उनकी ओर से आंतरिक प्रक्रियाओं को पूरा किए जाने के बाद हमारे समर्थन की पुष्टि की है।

हमने भारतीय विदेश सेवा संस्थान और पराग्वे के समकक्ष संस्थान के बीच कूटनीतिकों के प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया और इससे एक दूसरे की विदेश नीति संबंधी परिदृश्य के संबंध में बेहतर समझ बनाने में सहायता मिलेगी।

इस पर सहमति हुई कि विदेशी कार्यालय परामर्शजैसा एक संस्थागत तंत्र है जिसके माध्यम से हमारा देश द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा करे। इस पर सहमति हुई कि इस वर्ष विदेशी कार्यालय परामर्श आयोजित किए जाएंगे और इन्हें उपराष्ट्रपति के दौरे के समय हुई चर्चा पर अनुवर्ती कार्य सौंपा जाएगा और संस्थागत संबद्धता के नए क्षेत्रों की तलाश की जाएगी कि किस प्रकार इन्हें मजबूत बनाया जाए।

मैं आपको बता सकती हूं कि पराग्वे के राष्ट्रपति ने हमारे उपराष्ट्रपति को पराग्वे के परंपरागत परिधान भेंट की है, यह एक पोंचो- हस्त निर्मित पोंचो है और इस भाव प्रदर्शन की यह देखते हुए खूब प्रशंसा की गयी कि दोनों ही देशों की अपनी सभ्यता का लंबा इतिहास रहा है और इसकी प्रशंसा की गयी।

उपराष्ट्रपति ने कल भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत की और एक एक बातचीत थी जो दर्शाता है कि यहां बसा समुदाय पराग्वे की अर्थव्यवस्था में योगदान कर रहा है तथा इसके अतिरिक्त, पराग्वे के नेता भारतीय समुदाय के योगदान को स्वीकार करते हैं। इसलिए कुल मिलाकर यह एक ऐतिहासिक यात्रा थी, यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के मील का पत्थर है और यह हमारे संबंधों को गति प्रदान करेगा एवं हम इस संतोष के साथ इस शहर को छोड़ेगे कि हमारा संबंध और प्रगाढ़ होगा। उपराष्ट्रपति ने पराग्वे के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों को ही भारत आने का निमंत्रण दिया जिसे उन्होंने स्वीकार किया और परस्पर परामर्श से तिथियों का निर्धारण किया जाएगा।

हम आज पराग्वे में अपनी यात्रा समाप्त करेंगे जब उपराष्ट्रपति भारतीय-पराग्वे बिजनेस फोरम को संबोधन करेंगे और वहीं से हम कोस्टा रिका के अगले पड़ाव के लिए अपनी यात्रा करने हेतु एयरपोर्ट के लिए चल देंगे। आपका धन्यवाद।

अवर सचिव (डिजिटल कूटनीति), सुश्री स्नेहा दुबे: महोदया, आपका धन्यवाद। अब हम आपसे प्रश्न लेंगे।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस से प्रश्न: मैं आपसे केवल यह पूछना चाहता हूं कि दिल्ली में मैंने सुना था कि मरकोसर सदस्य देश आगे के समझौते के लिए तिथि नहीं दे रहे हैं। इसलिए क्या इस चर्चा से इसमें कोई प्रगति हुई है क्योंकि पराग्वे भी एक सदस्य देश है और ऐसी कुछ बातचीत हुई है कि इस पक्ष से भी कुछ प्रतिरोध है, यह एक बात है। और दूसरी बात कि कृषि क्षेत्र में आप क्या तलाश रहे हैं? क्या यह ठेके की कृषि है या क्या यह उन्हें केवल मशीनरी और प्रौद्योगिक बेचना भर है?

सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: मरकोसर, जैसा कि मैंने उल्लेख किया कि चर्चा में इसका उल्लेख किया गया कि भारत और पराग्वे दोनों का विचार था कि इस क्षेत्रीय ब्लॉक ने व्यापार और आर्थिक दशा पर अनुपूरकता की संभावना तलाशने का अवसर प्रदान किया।जहां तक बातचीत के कार्यक्रम का संबंध है, मैं मानती हूं कि चर्चा सदैव होती रहती है, इसलिए हम यह देखें कि तिथियों को अंतिम रूप कब दिया जाएगा।

जहां तक कृषि का संबंध है, मैं मानती हूं कि यह निर्यात संबंधी कार्य से थोड़ा अधिक है, यह नि:संदेह निर्यात ही था, यह विशेषज्ञता की साझेदारी थी, यह चर्चा कृषि क्षेत्र में भारत के अनुसंधान के संबंध में था, साथ हीं हमारे पास मजबूत कृषि उपकरण और मशीनरी है जिन्हें हम यहां आपूर्ति के बारे में सोच सकते हैं। यह चर्चा थी कि हमारे पास कृषि के संबंध में कृषि शिष्टमंडल और कारोबारी संगठन हो जो चर्चा कर सके और एक दूसरे के साथ सहयोग की संभावना तलाश सके।

दिलचस्प रूप से इसकी चर्चा की गयी कि आम की पैदावार यहां और भारत में होती है, इसका राष्ट्रपति द्वारा स्वयं उल्लेख किया गया तथा हम कृषि प्रसंस्करण तथा कृषि उत्पाद के औद्योगिकीकरण की संभावना देख सकते हैं। इसलिए, यह एक व्यापक चर्चा थी जिसमें विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया तथा इससे दोनों देशों के बीच अपेक्षित सहयोग हो सकता है।

मलयाला मनोरमा से प्रश्न: यह जानना चाहता हूं कि क्या आप उन सहयोग के बारे में बताएंगे जिसे हम दोनों राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद के संकट से निपटने जा रहे हैं, क्या पराग्वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का नाम लेगा ? और दूसरा प्रश्न जिसे मैं जानना चाहूंगा वह उस सहयोग के बारे में है जो अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र में है, हम पराग्वे की किस प्रकार सहायता करेंगे?

सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: जहां तक अंतरिक्ष का संबंध है, पराग्वे का अंतरिक्ष कार्यक्रम अभी शुरूआती दौर में है और वे इसकी तलाश कर रहे हैं कि अंतरिक्ष कार्यक्रम को किस प्रकार विकसित किया जाए। जो चर्चा हुई उसमें माननीय उपराष्ट्रपति ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने संकेत दिया कि हम पराग्वे में संसाधन मैपिंग के संबंध में साथ कार्य कर सकते हैं।

दूसरा, हम मौसम, आपदा प्रबंधन संबंधी वैश्विक आंकड़ों को साझा कर सकते हैं, तीसरा, पराग्वे उपग्रह का वाणिज्यिक निर्माण और उसका प्रक्षेपण किए जाने की भी संभावना है। इसलिए अंतरिक्ष क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम और सहयोग कर सकते हैं।

जहां तक आतंकवाद का संबंध है, मैं मानता हूं कि यह बड़ा स्पष्ट था कि पराग्वे सरकार और पराग्वे नेतृत्व द्वारा आतंकवाद की स्पष्ट भर्त्सना की गयी। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक खतरा है और इससे निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने दुहराया कि भारत और पराग्वे की स्थिति एक ही है, हमें आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में उनका समर्थन चाहिए।

उन्होंने आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय पर अपने हस्ताक्षर को संदर्भित किया जो 19 में से 16 है जिसे उन्होंने हस्ताक्षर किया। इसलिए आप देख सकते हैं कि पराग्वे आतंकवाद के खतरे को मानता है और वे मानते हैं कि पुलवामा में हमले की भर्त्सना किए जाने की आवश्यकता है और उन्होंने इसकी भर्त्सना की।

प्रश्न जारी: क्या वे मानते हैं कि पुलवामा हमले की योजना पाकिस्तान में बनायी गयी थी?

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: उन्होंने माना कि यह एक आतंकी हमला था।

प्रश्न: मैं केवल यह जानना चाहता हूं कि क्या आपकी शिक्षा क्षेत्र में कोई चर्चा हुई। मेरा तात्पर्य है कि संयुक्त वक्तव्य जिसे आपने अभी हमारे साथ साझा किया है, के अनुसार आप यहां किस प्रकार के विद्यालयों अथवा प्रशिक्षण संस्थाओं को स्थापित करने के इच्छुक हैं अथवा क्या किसी स्तर पर विश्वविद्यालय छात्रों के साथ आदान प्रदान करने की किसी प्रकार की कोई योजना है?

सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: ऐसी चर्चा थी जिसे हम देख सकते हैं, हम पहले से ही कुछ छात्रवृत्तियां प्रदान कर रहे हैं और इसकी गुंजाइश देख रहें हैं कि भारत आने वाले पराग्वे के छात्रों को और छात्रवृत्तियां प्रदान की जाएं।

विश्व विद्यालय संपर्क के लिए विश्वविद्यालयों की स्थापना करने पर चर्चा हुई। हमारे पास एक राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क है। इसलिए हम यह देखने के लिए कार्य करेंगे कि हम इन सभी को एक साथ कैसे जोड़ सकते हैं ताकि इस तथ्य की पहचान करते हुए शिक्षा क्षेत्र में बेहतर आदान प्रदान हो कि दोनों ही देश में युवा जनसंख्या, दोनों ही युवा राष्ट्र हैं, और कि इस क्षेत्र के पास न केवल आज की जानकारी को साझा करने बल्कि भविष्य के लिए मैत्री भाव के संबंध को मजबूत करने के लिए साथ कार्य करें।

अवर सचिव (डिजिटल कूटनीति), सुश्री स्नेहा दुबे: यदि और कोई प्रश्न नहीं हो तो हम इस मीडिया ब्रीफिंग को समाप्त करना चाहेंगे। आप सभी का यहां आने के लिए धन्यवाद।

(समाप्‍त)


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