1. हम, रूसी संघ, भारतीय गणतंत्र और चीनी गणतंत्र के विदेश मंत्रियों ने दिनांक 27 फरवरी, 2019 को जेनझियांग, चीन में अपनी 16वीं बैठक की तथा साझा अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
2. इन मंत्रियों ने स्मरण किया कि रूस-भारत-चीन (आरआईसी) का नवम्बर, 2018 में ब्युनेस आयर्स में अनौपचारिक सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था जिसके दौरान तीनों नेता समन्व्य को मजबूत करने, एकमत बनाने, सहयोग में बढ़ोतरी करने तथा विश्व शांति, स्थिरता एवं विकास
को बढ़ावा देने पर सहमत हुए। अनौपचारिक सम्मेलन ने इस त्रिपक्षीय सहयोग में एक नया आवेग प्रदान किया। मंत्रियों ने अनौपचारिक सम्मेलन में चर्चा हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने सहयोग को बढ़ाने तथा इस त्रिपक्षीय सहयोग को नए स्तर तक ले जाने के लिए एक साथ कार्य करने
की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।
3. मंत्रियों ने पहचाने गए क्षेत्रों में निकट वार्ता तथा व्यावहारिक सहयोग बढ़ाने के लिए रूस-भारत-चीन प्रारूप को एक नया मंच प्रदान किए जाने के महत्व को दुहराया। महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रभाव वाले देशों के रूप में ये तीन देश संप्रभुता, आंतरिक मामलों
में अहस्तक्षेप, एकता, परस्पर समझ और विश्वास के लिए परस्पर सम्मान के भाव से परस्पर हित वाले अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर परस्पर परामर्शों और सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हैं। इन तीनों देशों का साझा विकास और निकट सहयोग विश्व शांति और स्थिरता तथा वैश्विक
विकास को बढ़ावा देने के लिए सहायक है।
4. इन मंत्रियों ने बहुपक्षीयवाद तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति अपनी ठोस प्रतिबद्धता दुहराई। मंत्रियों ने बहुपक्षीय संस्थाओं के सुधार की जरूरतों की पहचान की। उन्होंने 2005 के विश्व सम्मेलन निष्कर्ष दस्तावेज को स्मरण
किया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् को अधिक प्रतिनिधित्व वाला, प्रभावी और दक्ष बनाने एवं विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने सहित संयुक्त राष्ट्र संघ में व्यापक सुधार की आवश्यकता की पुन: अभिपुष्टि की ताकि यह वैश्विक चुनौतियों से पर्याप्त रूप
से निपट सके। चीन और रूस के विदेश मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की स्थिति को महत्व दिया और संयुक्त राष्ट्र संघ में अधिक बड़ी भूमिका अदा करने की इसकी आकांक्षा का समर्थन किया।
5. इन मंत्रियों ने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग में जी20 की अग्रणी भूमिका का समर्थन किया। उन्होंने अपने हित वाले क्षेत्रों में परामर्श और परस्पर सहयोग के माध्यम से जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक और अन्यों के जरिये संवाद और सहयोग बढ़ाने
के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की। उन्हें इस वर्ष के ओसाका सम्मेलन के सकारात्मक परिणाम की प्रतीक्षा है।
6. इन मंत्रियों ने ब्रिक्स सहयोग के महत्व को दुहराया और जोहानसबर्ग सम्मेलन के फलदायी परिणामों की सराहना की। ये तीनों देश बाद के ब्रिक्स सम्मेलनों के परिणामों को लागू करने, ब्रिक्स की रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाने, आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग एवं लोगों
के बीच आदान-प्रदान के इन तीन प्रमुख स्तंभों में सहयोग को मजबूती प्रदान के लिए सक्रिय रूप से कार्य करेंगे।
7. इन मंत्रियों ने इसे रेखांकित किया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) इस क्षेत्र में बहुपक्षीय राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण, प्रभावी तंत्र है, जो क्षेत्रीय शांति व स्थिरता बनाए रखने एवं इसके सदस्य देशों
की समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने में एक अहम भूमिका अदा करता है। इन मंत्रियों ने जून, 2018 में हुए क्विंडाओ सम्मेलन के परिणामों का स्वागत किया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ ‘शंघाई भावना’ के सिद्धांतों पर जोर दिया गया है। इन मंत्रियों ने एससीओ सदस्य देशों,
पर्यवेक्षकों और वार्ता साझेदारों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को दुहराया। उन्होंने एससीओ और अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय संगठनों विशेषकर संयुक्त राष्ट्र संघ और इसके विशेषीकृत निकायों एवं आसियान व अन्यों के बीच संपर्क और परस्पर संवाद को विस्तार देने का आह्वान
किया।
8. इन मंत्रियों ने समानता, अविभाज्य साझा, व्यापक, सहयोगात्मक और धारणीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की अभिपुष्टि की। मंत्रियों ने इस भूमिका के महत्व तथा क्षेत्रीय शांति, स्थिरता, धारणीय विकास और समृद्धि के लिए सयुक्त योगदान हेतु पूर्वी एशिया सम्मेलन (ईएएस),
आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (एडीएमएम-प्लस), एशिया –यूरोप बैठक (एएसईएम), एशिया में परस्पर सहयोग और विश्वास बनाने के उपाय संबंधी सम्मेलन (सीआईसीए) तथा एशिया सहयोग वार्ता (एसीडी) जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों और संगठनों की
भूमिका एवं इनमें निकट सहयोग और परामर्श की आवश्यकता के महत्व को दुहराया।
9. इन मंत्रियों ने आतंकवाद के सभी रूपों और प्रत्यक्षीकरण की पुरजोर भर्त्सना की। उन्होंने यथा शीघ्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापक अभिसमय शीघ्रता से अंतिम रूप देकर और अपना कर सभी राष्ट्रों की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करते
हुए संयुक्त राष्ट्र के चार्टर एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) संकल्पों के पूर्ण कार्यान्वयन तथा वैश्विक आतंकवाद रोधी नीति द्वारा यूएन-नीत वैश्विक आतंकवाद रोधी सहयोग को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय
समुदाय का आह्वान किया। उन्होंने दुहराया कि राष्ट्र और उनकी सक्षम एजेंसियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्रयासों में केन्द्रीय भूमिका निभाती हैं। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि आंतकवादी समूहों का समर्थन नहीं किया जा सकता है और न हीं राजनीतिक व भूराजनैतिक
लक्ष्यों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
10. इन मंत्रियों ने इस पर जोर दिया कि जो राष्ट्र आतंकवादी कृत्य करते हैं, आयोजित करते हैं, भड़काते हैं और समर्थन करते हैं, उन्हें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति, संगत संयुक्त राष्ट्र परिषद् संकल्पों और एफएटीएफ मानकों, अंतरराष्ट्रीय संधियों सहित
आतंकवाद रोधी संबंधी विद्यमान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुसार ‘प्रर्त्यपन अथवा अभियोजन’ के सिद्धांत, संगत अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय दायित्वों के आधार पर तथा प्रयोज्य घरेलु कानूनों के अनुपालन में जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और कानून के समक्ष लाया जाना
चाहिए।
11. इन मंत्रियों ने तीन अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण समझौतों और अन्य संगत कानूनी लिखतों के महत्व को रेखांकित किया जो मादक पदार्थ नियंत्रण प्रणाली की आधारशिला रखता है। उन्होंने साझा जिम्मेदारियों के आधार पर विश्व मादक पदार्थ संबंधी समस्या के समाधान के
प्रति अपनी प्रतिबद्धता दुहरायी। इन मंत्रियों ने अफगानिस्तान से स्वापक पदार्थों के गैरकानूनी तस्करी के फैलाव को रोकने के लिए अपने निश्चय को दुहराया क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है।
12. इन मंत्रियों का मानना था कि संयुक्त राष्ट्र संघ को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के प्रयोग में सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर प्रमुख भूमिका निभाना चाहिए तथा उन्होंने ‘’अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में सूचना व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास’’ तथा
‘’आपराधिक उद्देश्यों हेतु सूचना और संचार के इस्तेमाल के प्रयोग से निपटने के लिए’’ इन संकल्पों के यूएन जीए 73-घ सत्र द्वारा लिए गए संकल्पों का स्वागत किया। उन्होंने सहमति व्यक्त की कि शांतिपूर्ण, सुरक्षित, मुक्त, सहयोगात्मक, स्थिर, व्यवस्थित, सुगम्य और साम्य
आईसीटी वातावरण सुनिश्चित करने के लिए आईसीटी के इस्तेमाल में उत्तरदायी राष्ट्र व्यवहार के वैश्विक रूप से स्वीकार्य मानकों को विकसित करने में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने यूएन रूपरेखा में आईसीटी के आपराधिक इस्तेमाल से निपटने के संबंध में
वैश्विक और बाध्यकारी विनियामक लिखतों की आवश्यकता को मान्यता प्रदान की और यह दुहराया कि सभी देशों को समान रूप से इंटरनेट और इसके संचालन के विकास और कार्यकरण में भागीदारी करनी चाहिए। संगत अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं के समावेशी और खुलापन तथा मूलभूत इंटरनेट संसाधनों
के उचित संवितरण एवं बहुपक्षीय, लोकतांत्रिक और पारदर्शी इंटरनेट व्यवस्था प्रणाली तैयार करने को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आईसीटी के शांतिपूर्ण, सुरक्षित, खुला, सहयोगात्मक और व्यवस्थित इस्तेमाल के लिए साथ मिलकर कार्य करने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी।
13. शांति और सुरक्षा की अविभाज्य प्रकृति पर जोर देते हुए इन मंत्रियों ने इस पर बल दिया कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की वर्तमान चुनौतियों के लिए तत्काल प्रयास किए जाने की आवश्यकता है ताकि वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके। ऐसे प्रयास रूचि वाले सभी राष्ट्रों
की दिलचस्पी और चिंताओं के लिए आम सहमति और सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिएं।
14. बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को रोकना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए मुख्य कारक है। मंत्रियों ने बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ की संभावना तथा बाह्य अंतरिक्ष को सैन्य संघर्ष का मंच बनने के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त
की है। उन्होंने इसकी अभिपुष्टि की कि बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों को स्थापित करने सहित हथियारों की होड़ की रोकथाम से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे से बचा जा सकता है। इन मंत्रियों ने बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का प्रावधान करते
हुए विद्यमान कानूनी व्यवस्था के कठोर अनुपालन के सर्वाधिक महत्व पर बल दिया। उन्होंने इसकी भी अभिपुष्टि की कि इस व्यवस्था को समेकित करने और पुनर्प्रवर्तित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों को स्थापित करने को रोकने के संबंध में
अन्य बातों के साथ-साथ बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को रोकने के संबंध में कानूनी रूप से बाध्यकारी लिखत के लिए संभावित संघटकों पर चर्चा करने के लिए सरकारी विशेषज्ञों के समूह की बैठक का स्वागत किया। उन्होंने इस पर बल दिया कि व्यावहारिक पारदर्शिता
और विश्वास बहाली उपायों से भी बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों के गैर स्थापन में सहायता मिल सकती है। उन्होंने इसे दुहराया कि एकल बहुपक्षीय निशस्त्रीकरण समझौता मंच के रूप में निशस्त्रीकरण संबंधी सम्मेलन की सभी दृष्टिकोणों में बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की
होड़ को रोकने के संबंध में यथा उपयुक्त बहुपक्षीय समझौता अथवा समझौतों को करने में प्राथमिक भूमिका होती है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सरकारी विशेषज्ञों के समूह का उपर्युक्त अंतरराष्ट्रीय बाध्यकारी लिखत के पर्याप्त संघटकों के संबंध में विचार करने और
सिफारिश करने को समर्थन प्रदान किया।
15. उन्होंने प्रभावी सत्यापन तंत्र के साथ इस अभिसमय के प्रोटोकोल को अंगीकार करते हुए जैविक और जहरीले हथियारों को विकसित करने, उत्पादन करने और भंडारण करने पर प्रतिबंध लगाने व उन्हें नष्ट करने के संबंध में इस अभिसमय के अनुपालन और सुदृढ़ीकरण करने की वकालत
की। रसायनिक और जैविक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए उन्होंने निशस्त्रीकरण संबंधी सम्मेलन में ही रसायनिक और जैविक आतंकवाद के कृत्यों को दबाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभिसमय पर बहुपक्षीय समझौता किए जाने की आवश्यकता का समर्थन और जोर दिया।
16. इन मंत्रियों ने अफगान –नीत, अफगान स्वाधिकृत शांति और सामंजस्य प्रक्रिया शुरू करने एवं एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, एकीकृत, संप्रभु, लोकतांत्रिक, स्थिर, समृद्ध और समावेशी देश, जिसमें अपने पड़ोसी देशों के लिए भाईचारा विद्यमान हो, बनाने के लिए अफगान सरकार और
वहां के लोगों हेतु सहायता देने की प्रतिबद्धता दुहरायी। इन मंत्रियों ने आतंकी संगठनों से संघर्ष में अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के प्रयासों के प्रति अपने समर्थन की अभिपुष्टि की।
17. मंत्रियों ने एससीओ, मास्को प्रारूप, हार्ट आफ एशिया इस्तांबुल प्रोसेस, काबुल प्रोसेस और अफगानिस्तान संबंधी क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग सम्मेलन सहित अफगानिस्तान मुद्दे पर बहुपक्षीय बातचीत के महत्व पर जोर डाला। उन्होंने 28 मई, 2018 को बीजिंग में उप विदेश
मंत्री स्तर पर एससीओ-अफगानिस्तान संपर्क समूह की बैठक और 9 नवम्बर, 2018 को अफगानिस्तान संबंधी मास्को प्रारूप परामर्श के दूसरे दौर की बैठक के सफल आयोजन का स्वागत किया। भारत ने 2019 में उप विदेश मंत्री स्तर पर अगले एससीओ-अफगानिस्तान संपर्क समूह की बैठक
की मेजबानी करने का आफर दिया है।
18. इन मंत्रियों ने 2018 से ही कोरियाई प्रायद्वीप में महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलावों तथा परमाणु विहीन करने हेतु डीपीआरके की घोषित प्रतिबद्धता का स्वागत किया। उन्होंने अमेरिका और डीपीआरके के बीच बातचीत व परामर्श तथा अंतर कोरियाई संबंध में सुधार का स्वागत
किया। मंत्रियों ने इसकी अभिपुष्टि की कि कोरियाई प्रायद्वीपीय मुद्दों को शांतिपूर्ण और कूटनीतिक माध्यमों से हल किया जाना चाहिए तथा आशा व्यक्त की कि सभी संबंधित पक्ष राजनीतिक निवारण प्रक्रिया में सतत प्रगति के लिए एक साथ मिलकर कार्य करें तथा यथाशीघ्र इस प्रायद्वीप
पर परमाणु विहीन और दीर्घकालिक शांति स्थापित हो।
19. इन मंत्रियों ने इसे रेखांकित किया कि ईरानी परमाणु मुद्दे संबंधी व्यापक संयुक्त कार्य योजना बहुपक्षीय कूटनीति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, इस कार्य योजना से अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामान्य हितों की पूर्ति
होती है। ईरानी परमाणु कार्यक्रम संबंधी संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् संकल्प 2231 को स्मरण करते हुए उन्होंने सभी पक्षों को अपने दायित्वों का पूर्ण अनुपालन करने एवं अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा
को बढ़ावा देने के लिए जेसीपीओए के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के ईरान के अधिकार तथा ईरान के परमाणु कार्यक्रम की शांतिपूर्ण प्रकृति में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मजबूत हित को
मान्यता प्रदान की।
20. इन मंत्रियों ने इस बात को दुहराया कि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संगत यूएन संकल्पों, ‘’शांति भूमि’’ सिद्धांत, अरब शांति पहल और इनके बीच पूर्व निर्धारित समझौतों के आधार पर समझौते के माध्यम से फिलिस्तीन मुद्दे का एक व्यापक, न्यायोचित और दीर्घकालिक समाधान
निकालने के लिए दो राष्ट्र समाधान निकाला जाना चाहिए जिससे कि इजराइल राष्ट्र के साथ सहअस्तित्व में एक संप्रभु, स्वतंत्र और संयुक्त फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना हो सके।
21. इन मंत्रियों ने इस पर बल दिया कि सीरियाई मुद्दे के हल के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान एकमात्र रास्ता है। उन्होंने जेनेवा शांति वार्ता, मध्यस्थता के मुख्य माध्यम के रूप में यूएन की भूमिका तथा यूएनएससी संकल्प 2254 के समर्थन की अभिपुष्टि की। इन मंत्रियों
ने सीरिया में स्थिति में सुधार लाने के लिए अस्ताना गारेंटर के प्रयासों तथा फरवरी, 2019 में सोची में चौथे त्रिपक्षीय बैठक के परिणामों का स्वागत किया। मंत्रियों ने आशा व्यक्त की कि संवैधानिक समिति यथाशीघ्र अपना कार्य शुरू करे तथा एक राजनीतिक समाधान हो जिसमें
सभी पक्षों की तर्कसंगत चिंताएं समाहित हो, जिसे सीरियाई संघर्ष के राजनीतिक समाधान तथा सीरिया के संप्रभु, स्वतंत्र और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने के विचारार्थ समावेशी ‘’सीरिया नीत और सीरिया स्वाधिकृत’’ राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जा सके।
इन मंत्रियों ने यूएनएससी द्वारा सूचीबद्ध आतंकी संगठनों सहित सभी आतंकी सगठनों के विरूद्ध संघर्ष करने के लिए एक संवर्धित समन्वय का आह्वान किया। मंत्रियों ने सीरिया में सामाजिक-आर्थिक पुनर्गठन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान
किया कि वे सीरियाई शरणार्थियों की वापसी के साथ –साथ राजनीति रहित और गैर विभेदकारी तरीके से आवश्यक सहायता प्रदान करें।
22. इन मंत्रियों ने यमन गणतंत्र में चल रहे संघर्ष, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक हताहत हुए और असैन्य अवसंरचनाओं को क्षति पहुंची है, पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से राजनीतिक समाधान प्रक्रिया का समर्थन करने तथा यमन की आर्थिक व सामाजिक स्थिति
में सुधार लाने के लिए आवश्यक उपाय करें। उन्होंने संघर्षरत सभी पक्षों से स्टॉकहोम समझौते का पालन करने का भी आह्वान किया।
23. इन मंत्रियों ने इस पर बल दिया कि लीबिया की स्वतंत्रता, संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए और इसे बनाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने लीबिया में विभिन्न गुटों को अपने मतभेदों को समाप्त करने और व्यापक आधार पर लीबिया राजनीतिक समझौते के
अनुसरण में समावेशी राजनीतिक व व्यापक वार्ता में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि सभी मुद्दों पर परस्पर स्वीकार्य समाधान हो सके। मंत्रियों ने लीबिया घसान सालाम हेतु संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि द्वारा प्रस्तावित राजनीतिक परिवर्तन तथा यूएन
नेतृत्व वाली राजनीतिक समाधान प्रक्रिया के समर्थन की अभिपुष्टि की तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि वे इस राजनीतिक समाधान प्रक्रिया में पर्याप्त प्रगति का संयुक्त प्रयास करें। इन मंत्रियों ने आईएसआईएल, अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों से अपने
संघर्ष में लीबिया को समर्थन दिया।
24. मंत्रियों ने इसकी घोषणा की कि वे वेनेजुएला में उभर रही स्थिति पर निकट से नजर रखे हुए हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानून का आह्वान किया कि इनका सभी अनुपालन करें। उनका विचार है
कि वेनेजुएला की जनता को हीं हिंसा का सहारा लिए बिना रचनात्मक वार्ता और चर्चाओं के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने हेतु राजनीतिक समाधान ढ़ूंढ़ना होगा। उन्होंने का कि वेनेजुएला में लोकतंत्र, विकास, शांति और सुरक्षा वहां की जनता की प्रगति और समृद्धि के लिए
सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
25. इन मंत्रियों ने मुख्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा मौद्रिक नीति समायोजन के परिणामस्वरूप सीमा पार तीव्र पूंजी प्रवाह और जोखिम को नोट किया। इन मंत्रियों ने मुख्य रूप से आईएमएफ द्वारा पर्याप्त रूप से संसाधित मजबूत, कोटा आधार पर वैश्विक वित्तीय सुरक्षा
नेट (जीएफएसएन) को मजबूत करने को समर्थन दिया। मंत्रियों ने यह देखने के लिए इस पर बल दिया कि आईएमएफ 2019 के वसंतकालीन बैठकों में कोटा संबंधी 15वीं सामान्य समीक्षा पूरी करे और वे विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी सापेक्षिक स्थिति की तर्ज पर गतिशील अर्थव्यवस्था
हेतु वर्धित हिस्सेदारी में परिणाम हेतु कोटा हिस्सेदारी के पुनर्संरेखण के लिए आधार के रूप में नए कोटा सूत्र पर सहमत हों और इस प्रकार समग्र रूप से उभरते बाजारों और विकासशील देशों की हिस्सेदारी के बढ़ने की संभावना होगी और इसके साथ हीं गरीब देशों की सहायता
को सुनिश्चित किया जाए।
26. इन मंत्रियों ने डब्लूटीओ पर केन्द्रित नियम-आधारित, पारदर्शी, गैर-भेदभाव, मुक्त और समावेशी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी और एकपक्षीयता और संरक्षणवाद का कड़ाई से विरोध किया। उन्होंने डब्लूटीओ में सुधार के प्रयासों का समर्थन
किया और माना कि ऐसे प्रयासों से इसके मूल सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिए तथा इसमें इसके सभी सदस्यों विशेषकर विकासशील देशों के हित परिलक्षित हों। महत्वपूर्ण कार्य अपीलीय निकाय के लिए नियुक्तियों संबंधी अवरोध का समाधान करना है क्योंकि यह एक ऐसी चिंता है जो
डब्लूटीओ के बने रहने से जुड़ी हुई है।
27. मंत्री इस पर सहमत हुए कि यूएनएससी और ‘’व्यापक क्षेत्राधिकार’’ द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंधों से परे एकपक्षीय प्रतिबंध लगाया जाना अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के असंगत है और इस एकपक्षीय प्रतिबंध ने यूएनएससी प्रतिबंध व्यवस्था के प्रभाव और वैधता
के मान को कम किया है तथा इसका तीसरी दुनिया व अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था एवं व्यापार संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
28. मंत्रियों ने आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों में संतुलित व समन्वित तरीके से साम्य, समावेशी, मुक्त, चहुंमुखी, नवोन्मेषी और धारणीय विकास की प्राप्ति के लिए धारणीय विकास और धारणीय विकास लक्ष्यों हेतु 2030 कार्यसूची के कार्यान्वयन करने तथा 2030 तक
गरीबी के उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपनी प्रतिबद्धता की अभिपुष्टि की। इन मंत्रियों ने विकसित देशों से आग्रह किया कि वे आदिस अबाबा एक्शन एजेंडा के अनुसार विकसित देशों के लिए समय पर और पूरी तरह से पूंजी प्रदान करने, प्रौद्योगिकी और क्षमता वर्धन
सहायता प्रदान करने की अपनी ओडीए प्रतिबद्धताओं का सम्मान करें।
29. इन मंत्रियों ने पेरिस समझौते को कार्यान्वित करने के लिए दिशानिर्देशों संबंधी कोटावाइस में जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र संघ की रूपरेखा अभिसमय (यूएनएफसीसीसी) के सीओपी 24 पर हुए समझौते का स्वागत किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रति
अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।
30. इन मंत्रियों ने मास्को में मई, 2018 में अफगानिस्तान के संबंध में रूस-भारत-चीन के उप विदेश मंत्रियों/उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक आयोजित करने का स्वागत किया।
31. इन मंत्रियों ने मई, 2017 में रूस में हुए 16वें त्रिपक्षीय अकादमी सम्मेलन के परिणामों पर संतोष जाहिर किया और चीन में होने वाले 17वें त्रिपक्षीय अकादमी सम्मेलन का स्वागत किया।
32. इन मंत्रियों ने अप्रैल, 2018 में भारत द्वारा आयोजित आरआईसी युवा कूटनीतिज्ञों के दूसरे सफल दौरे का स्वागत किया और 2019 में रूस में तीसरे ऐसे दौरे आयोजित करने पर सहमत हुए।
33. रूसी संघ के विदेश मंत्री और भारतीय गणतंत्र के विदेश मंत्री ने इस बैठक की मेजबानी करने और बेहतरी इंतजाम करने के लिए चीनी लोक गणतंत्र को धन्यवाद दिया।
34. सदस्यों ने अगली त्रिपक्षीय बैठक रूस में करने का निर्णय लिया। कूटनीतिक चैनलों के जरिये बैठक के समय और स्थान पर सहमति होगी।
झेजियांग
27 फरवरी, 2019