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यात्रा विवरण
Detail
राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा के दौरान भारत-म्यांमार संयुक्त वक्तव्य (10-14 दिसम्बर, 2018)
दिसम्बर 13, 2018
म्यांमार गणराज्य संघ के राष्ट्रपति महामहिम यू विन मिंट तथा प्रथम महिला डाव चो चो ने निमंत्रण पर, भारत गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविन्द और प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविन्द ने 10-14 दिसम्बर, 2018 तक म्यांमार की राजकीय यात्रा की। इस यात्रा से हाल के वर्षों में दोनों देशों के नेताओं के मध्य उच्च-स्तरीय विचार-विमर्श की परंपरा को पुन: बल प्रदान हुआ।
ने पई ताव में 11 दिसम्बर, 2018 को राष्ट्रपति के महल में राष्ट्रपति कोविन्द का समारोह के साथ स्वागत किया गया। राष्ट्रपति यू विन मिंट और राष्ट्रपति कोविन्द ने द्विपक्षीय वार्ताएं संचालित कीं तथा राष्ट्रपति यू विन मिंट ने अतिथि राष्ट्रपति के सम्मान में राजकीय भोज का आयोजन किया। राष्ट्रपति कोविन्द ने स्टेट काउंसलर महामहिम डाव आंग सैन सू की से भी भेंट की। नेताओं के बीच वार्तालाप अत्यंत सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुआ जो दोनों देशों के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है। राष्ट्रपति यू विन मिंट और राष्ट्रपति कोविन्द दोनों पक्षों के बीच न्यायिक और शैक्षणिक सहयोग के क्षेत्रों में समझौता-ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने की प्रक्रिया का अवलोकन किया। भारतीय पक्ष ने भारत सरकार द्वारा वित्त-पोषित रखीन राज्य विकास कार्यक्रम के अंतर्गत रखीन राज्य में बनाए गए पूर्व-निर्मित घरों की 50 इकाइयां भी सौंपी। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने काष्ठ अवैध व्यापार को रोकने, बाघ और अन्य वन्य-जीवों के संरक्षण पर सहयोग के लिए यथाशीघ्र समझौता-ज्ञापन किए जाने तथा व्यक्तियों के अवैध व्यापार के निवारण; अवैध व्यापार के पीड़ित व्यक्तियों के बचाव, मुक्ति, प्रत्यावर्तन और पुन: स्थापन पर द्विपक्षीय सहयोग पर समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने पर सहमति व्यक्त की जिन पर वार्तालाप समाप्ति के चरण पर है।
12 दिसम्बर, 2018 को राष्ट्रपति कोविन्द ने प्रगत कृषि अनुसंधान और शिक्षा केन्द्र तथा चावल जैविक-उद्यान का दौरा किया जिनकी स्थापना भारत सरकार की सहायता से येजिन कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में की गई है। राष्ट्रपति कोविन्द द्वारा दोनों सुविधाओं को औपचारिक रूप से म्यांमार की जनता को समर्पित किया गया। उन्होंने क्षमता निर्माण तथा समस्त महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्रों में तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए भारत की सतत् प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति कोविन्द ने यंगोन की भी यात्रा की जहां उन्होंने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थानों का भ्रमण किया तथा शहीदों के स्मारक पर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। उन्होंने भारतीय मूल के लोगों तथा म्यांमार में प्रत्यावासित भारतीय समुदाय के साथ भेंट की और उद्यम भारत प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें म्यांमार में व्यापार अवसरों के साथ जुड़ने, सहभागिता करने और उन्हें तलाशने के लिए भारतीय उद्योग की प्रतिभागिता का अवलोकन करने का अवसर प्रदान हुआ।
वार्ताओं के दौरान, दोनों देशों के नेताओं ने शांति, सामूहिक समृद्धि और क्षेत्र में एवं उसके परे विकास के लिए उनकी साझी आकांक्षा की पुन: पुष्टि की। उन्होंने सितम्बर, 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की म्यांमार यात्रा तथा जनवरी, 2018 में स्टेट काउंसलर डाव आंग सान सु की भारत की यात्रा के बाद से विकास की समीक्षा की तथा द्विपक्षीय क्षेत्र में बढ़ते हुए आदान-प्रदान को नोट किया जिनमें व्यापार, निवेश संस्कृति, लोगों-के-लोगों के साथ संपर्क और सुरक्षा के क्षेत्र भी शामिल हैं, जो म्यांमार की स्वतंत्र, सक्रिय और गुट-निरपेक्ष विदेश नीति और भारत की व्यावहारिक एक्ट ईस्ट और पड़ोसी प्रथम नीतियों के बीच विद्यमान अति-सक्रियता का साक्ष्य है। नेतागण दोनों देशों के लोगों के पारंपरिक लाभ के लिए द्विपक्षीय संबंधों को विस्तारित करने के प्रयोजनार्थ नए अवसरों की तलाश जारी रखने के लिए सहमत हुए।
भारत सरकार ने म्यांमार सरकार की उन भारतीय नागरिकों को आगमन पर वीजा देने की घोषणा, जो 1 सितम्बर, 2018 से क्रियान्वित की जा रही है, का स्वागत किया जो म्यांमार की यात्रा करना चाहते हैं। इससे लोगों-का-लोगों के साथ संपर्क प्रोत्साहित होगा तथा यह दोनों देशों में पर्यटकों के प्रवाह में वृद्धि करेगा। म्यांमार की सरकार ने भी भारत की यात्रा पर जाने वाले म्यांमार के सभी नागरिकों को ग्रेटिस वीजा प्रदान करने के लिए भारत सरकार को धनयवाद दिया।
राष्ट्रपति कोविन्द ने देश में शांति और राष्ट्रीय सामंजस्य हासिल करने के लिए म्यांमार सरकार के सतत् प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विभिन्न मानवीय सशस्त्र संगठनों के साथ संचालित की जा रही वर्तमान शांति प्रक्रिया के लिए भारत का पूर्ण सहयोग व्यक्त किया। उन्होंने रेखांकित किया कि म्यांमार में शांति और स्थायित्व भारत के अपने हित में भी है तथा भारत लोकतांत्रिक संघीय यूनियन के रूप में उभरने के लिए म्यांमार की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संबंध में, म्यांमार ने म्यांमार के संसदविदों और संसदीय कार्मिकों के लिए भारत द्वारा आयोजित किए जा रहे अनुभवजन्य दौरों के लिए भारत के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए निरंतर एक उल्लेखनीय चुनौती बना हुआ है तथा इसके समस्त स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में इसका विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से लड़ने के लिए चयनित और आंशिक दृष्टिकोण अपनाना समाप्त करने का आह्वान किया और इस संबंध में संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक कन्वेंश को शीघ्र अंतिम रूप प्रदान करने और उसे अंगीकृत करने का आह्वान किया।
नेताओं ने भारत-म्यांमार सीमाओं पर सुरक्षा और स्थिरता अनुरक्षित करने की आवश्यकता को भी नोट किया, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अनिवार्य है। इस संबंध में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संप्रभुत्ता और प्रादेशिक एकता के प्रति उनके पारस्परिक सम्मान को रेखांकित किया और आतंकवाद के सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के अभिशाप और उग्रवादी क्रियाकलापों के विरुद्ध संघर्ष के प्रति अपनी साझी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की। दोनों पक्षों ने अपनी इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि वे अपनी भूमि का प्रयोग अन्य पक्ष के विरुद्ध वैमनस्यपूर्ण क्रियाकलापों को संचालित करने के लिए उग्रवादी संगठनों को अनुमति न प्रदान करें जो कि सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थायित्व तथा सीमा पर रहने वाले लोगों की समृद्धि के लिए अनिवार्य है।
दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच पहले ही रेखांकित की गई सीमा के प्रति उनके सम्मान को दोहराया तथा विद्यमान द्विपक्षीय तंत्रों के माध्यम से यथाशीघ्र शेष सीमा के अंकन संबंधी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने की आवश्यकता पर बल प्रदान किया।
म्यांमार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर विश्व भर में समारोहों का आयोजन करने के भारत सरकार द्वारा की गई पहल का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने महात्मा गांधी तथा म्यांमार के लोगों और नेतृत्व के बीच घनिष्ठ सहयोग का भी स्मरण किया।
दोनों पक्षों ने प्रादेशिक और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया जिसें भारत-प्रशांत क्षेत्र की सीमा पर विभिन्न क्षेत्रों में घनिष्ठ द्विपक्षीय सहयोग में संवृद्धि करने की आवश्यकता भी शामिल है जिसमें सामुद्रिक सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा राहत, परा-राष्ट्रिक अपराध और पारस्परिक रूप से लाभप्रद विकास सहयोग पर विशेष रूप से बल प्रदान किया गया हो। वे सांस्थानिक द्विपक्षीय तंत्रों के माध्यम से दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग को गहन बनाने के लिए साथ मिलकर कार्य करने के लिए भी सहमत हुए, जिसमें उनकी भूमि और सामुद्रिक सीमाओं पर समन्वित गश्त लगाने की पहल भी शामिल है। वे बिमस्टेक के भीतर सहयोग को प्रोत्साहित करने पर भी सहमत हुए जो ऊर्जा, व्यापार और संयोजनता में भागीदारी के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराता है।
भारत ने अवसंरचना का निर्माण करने तथा उसके मानव संसाधन का विकास करने के लिए निरंतर प्रयासों में म्यांमार की सहायता करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। म्यांमार ने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उसके दोनों पक्षों ने म्यांमार के न्यायिक अधिकारियों, सेना कार्मिकों और पुलिसकर्मियों के लिए अनवरत क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर संतोष व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने भारत सरकार की तकनीकी और वित्तीय सहायता के साथ क्रियान्वित की जा रही परियोजनाओं में हासिल की गई प्रगति की समीक्षा की। कालादन बहु-मॉडल ट्रांजिट परिवहन परियोजना के संबंध में, दोनों पक्षों ने एक पत्तन प्रचालक नियुक्त करने के लिए समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया, जो सिटवे पत्तन और पालेट्वा आईडब्ल्यूटी अवसंरचना का प्रयोग आस-पास के क्षेत्रों के विकास के प्रयोजनार्थ वाणिज्यिक रूप से किए जाने को समर्थ बनाएगा। वे इस प्रयोजन के लिए प्रचालक की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए सहमत हुए। दोनों पक्षों ने इसबात को संतोष के साथ नोट किया कि परियोजना के अंतिम चरण-पालेटवा से भारतीय सीमा पर जोरिनपुई तक सड़क का निर्माण क्रियान्वित किया जा रहा है तथा वे परियोजना कार्मिकों, निर्माण सामग्री और उपकरणों को जोरिनपुई की सीमा में और पालेटवा से संचालित करने के लिए भी सहमत हुए।
दोनों पक्षों ने म्यांमार में त्रिपक्षीय राजमार्ग के विभिन्न खंडों पर भारतीय एजेंसियों द्वारा निष्पादित किए जा रहे कार्य की प्रगति का भी स्वागत किया। म्यांमार रिह-टेडिम सड़क पर कार्य प्रारंभ करने के लिए अपेक्षित जानकारी को तत्काल ही संप्रेषित करने पर भी सहमत हुआ। दोनों पक्षों ने यह नोट किया कि रिखावदार-जोखावदार पुल तथा चिन राज्य में बयाब्नू पुल के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) को तैयार करने के लिए सर्वेक्षण पहले ही निष्पादित किया जा चुका है। यह भी सहमति हुई कि भारत से म्यांमार को प्रदान किए गए विभिन्न रिआयती वित्त उपकरणों का उपयोग करने में सहयोग किया जाएगा।
दोनों पक्षों ने जमीनी सीमावर्ती क्रॉसिंग पर मई, 2018 को हुए ऐतिहासिक करार को क्रियान्वित किए जाने का स्वागत किया जिसका दोनों देशों के बीच लोगों के सुचारू आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने में सकारात्मक प्रभाव होगा। इस करार को सहायता प्रदान करने तथा विभिन्न अवसंरचना-संयोजनता परियोजनाओं से पूर्ण लाभ उठाने के लिए, दोनों पक्ष एक द्विपक्षीय मोटर वाहन करार को शीघ्र ही अंतिम रूप देने के लिए बातचीत प्रारंभ करने पर सहमत हुए जो सीमा पार करने में यात्रियों और कार्गो यातायात को समर्थ बनाएगा। भारत ने इस प्रयोजन के लिए शीघ्र ही एक शिष्टमंडल म्यांमार भेजने की इच्छा व्यक्त की। दोनों पक्षों ने म्यांमार और इंफाल के बीच (तमु/मोरेह सीमा पर यातायात) एक समन्वित बस सेवा का प्रचालन करने की इच्छा व्यक्त की ताकि सीमा के आर-पार म्यांमार और भारत के लोगों के बीच संपर्क में वृद्धि की जा सके और उसे सुकर बनाया जा सके। यह भी सहमति हुई कि दोनों देशों के बीच समन्वित यात्री बस सेवा के प्रचालन पर भी दोनों देशों के प्रासंगिक प्राधिकारियों के माध्यम से वार्तालाप आरंभ किया जाए।
भारतीय पक्ष ने म्यांमार पक्ष को यह भी सूचित किया कि काले विमानपत्तन के पुर्नविकास के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा डीपीआर भी तैयार की जा रही है। इसे शीघ्र ही टिप्पणियों के लिए म्यांमार सरकार को प्रेषित किया जाएगा जिसके बीच वित्तीय करार पर निर्णय लिया जा सकेगा।
दोनों पक्षों ने इस बात को साझा किया कि रखीन राज्य में स्थिति में मानवीय, विकासात्मक और सुरखा संबंधी आयाम हैं। भारत ने रखीन राज्य में विस्थापित अनेक व्यक्तियों के प्रत्यावर्तन के लिए म्यांमार और बांग्लादेश के लोगों के बीच करार स्थापित किए जाने के लिए अपने सहयोग की अभिव्यक्ति की और इस जटिल मुद्दे के समाधान में सहायता जारी रखने की अपनी इच्छा को प्रदर्शित किया। म्यांमार ने रखीन राज्य विकास कार्यक्रम के तत्वावधान में अवसंरचना विकास के लिए भारत द्वारा प्रदान की जा रही सहायता का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने उत्तरी रखीन में प्रायोगिक आवास परियोजना को निष्पादित करने में हासिल की गई प्रगति तथा राज्य में कृषि विकास और आईटी शिक्षा के लिए भारत द्वारा प्रदान की जा रही असायता को नोट किया। भारतीय पक्ष ने विद्यमान रखीन राज्य विकास कार्यक्रम के विस्तार पर अपनी इच्छा व्यक्त की जब एक बार 25 मिलियन डॉलर का विद्यमान आबंटन पूरी तरह प्रदान कर दिया जाएगा।
दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के वर्तमान स्तर को नोट किया तथा सहमति व्यक्त की कि हालांकि यह सहयोग अत्यधिक है, फिर भी इसके अनेक क्षेत्रों में विकास की असीम संभावनाएं विद्यमान हैं। इस संबंध में, उन्होंने बाजार पहुंच में सुधार करने तथा प्रासंगिक द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार व्यवस्थाओं के अंतर्गत दोनों देशों के बीच व्यापार को और सुकर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों पक्षों ने म्यांमार-भारत संयुक्त व्यापार समिति की आगामी बैठक यथाशीघ्र आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। यह भी निर्णय लिया गया कि चिह्नित किए गए सीमावर्ती बाजार/हाट शीघ्र ही प्रचालन में लाए जाएंगे।
दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि म्यांमार और भारत के बीच विद्युत के अत्यधिक सृजन और ऊर्जा आपूर्ति नेटवर्कों को प्रोत्साहित करने पर भी पारस्परिक लाभ होगा तथा उन्होंने इस संबंध में संचालित किए जा रहे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के पहलकदमों की समीक्षा की। म्यांमार ने अपने ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रतिभागिता का स्वागत किया तथा भारत ने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में अन्वेषण और उत्पादन के भावी अवसरों में भागीदारी करने की अपनी रुचि को अभिव्यक्त किया। भारत ने म्यांमार सरकार द्वारा चिह्नित पारंपरिक तथा नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित विद्युत विकास परियोजनाओं के लिए तकनीकी और परियोजना-निर्दिष्ट सहायता प्रदान करने की अपनी सहमति भी व्यक्त की। दोनों पक्षों ने यह नोट किया कि म्यांमार-भारत संयुक्त संचालन समिति सीमापार विद्युत ऊर्जा व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए समन्वय कर रही है। यह सहमति भी व्यक्त की गई कि म्यांमार के हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय सौर संधि में शामिल हो जाने से नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त संभावनाएं भी विद्यमान हैं। भारतीय पक्ष ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए शीघ्र ही एक सम्मिश्रित शिष्टमंडल म्यांमार भेजने पर सहमति व्यक्त की।
म्यांमार पक्ष ने बोध गया में म्यांमार के सम्राट मिंडन और सम्राट बाग्यीडॉ के मंदिरों और पाषाण उत्लेखों को परिरक्षित और संरक्षित करने के लिए परियोजना पूर्ण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की प्रशंसा की। दोनों पक्षों ने इस घटनाक्रम का दोनों सभ्यताओं की साझी विरासत के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में स्वागत किया। दोनों नेताओं ने बागान के ऐतिहासिक शहर में 92 पैगोडा के पुनरूद्धार और परिरक्षण के लिए निकट भविष्य में एएसआई द्वारा कार्य प्रारंभ करने के लिए तैयार की गई योजनाओं का भी स्वागत किया।
दोनों पक्षों ने यूएन तथा अन्य बहुपक्षीय संगठनों में घनिष्ठता के साथ कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धताओं की पुन: पुष्टि की तथा यह नोट किया कि अनेक साझे हित के मुद्दों पर उनकी स्थिति समान है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुधार के महत्व को दोहराया, जिसमें सुरक्षा परिषद का शीघ्र सुधार किया जाना शामिल है तथा सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधारों के लिए अंतर्सरकारी वार्तालापों को सहयोग देने की उनकी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की। म्यांमार ने एक विस्तारित और संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने के भारत के प्रयासों के लिए अपने सहयोग को दोहराया। दोनों पक्षों ने संधारणीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए मिलकर साथ कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुन: पुष्टि की। उन्होंने मानव अधिकार, सुरक्षा और विकास के क्षेत्रों में अपना कार्य करने के लिए संयुक्त राष्ट्र तथा उसकी विशेषीकृत एजेंसियों की विषयपरकता और निष्पक्षता के महत्व पर भी बल प्रदान किया।
दोनों पक्षों ने सभी क्षेत्रों में उनके संबंधों को और भी गहन बनाने तथा बेहतर पड़ोसी देशों के विद्यमान पथ पर इसी प्रकार चलना जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इस दिशा में, भारतीय पक्ष ने सूचित किया कि राजधानी में अपने दूतावास को पुन: स्थापित करने के एक प्रारंभिक कदम के रूप में भारत ने पई ताव में अपना एक अंतरित संपर्क कार्यालय स्थापित करने का आशय रखता है, जैसे ही म्यांमार के प्राधिकारियों के साथ कार्यालय खोलने की औपचारिकताओं पर विचार-विमर्श तथा संपत्ति को पट्टे पर लेने की औपचारिकता पूर्ण हो जाएगी।
राष्ट्रपति कोविन्द तथा प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविन्द ने म्यांमार में उनके प्रवास के दौरन उन्हें तथा भारतीय शिष्टमंडल को प्रदान किए गए जोशपूर्ण और उत्कृष्ट आतिथ्य-सत्कार के लिए राष्ट्रपति यू विन मिंट और प्रथम महिला डाव चो चो के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। राष्ट्रपति कोविन्द ने राष्ट्रपति यू बिन मिंट को पारस्परिक दृष्टि से सहमत समय पर भारत की यात्रा का निमंत्रण भी दिया, जिसे मेजबान राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार कर लिया गया। यात्रा की तारीख पर राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा की जाएगी।
ने पई ताव
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