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राष्ट्रपति की म्यांमार की आगामी यात्रा के बारे में विदेश सचिव द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेखन (06 दिसम्बर, 2018)

दिसम्बर 07, 2018

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: नमस्कार मित्रो! राष्ट्रपति की म्यांमार की राजकीय यात्रा पर आयोजित इस विशेष ब्रीफिंग में आप सभी का स्वागत है। जैसी कि घोषणा की गई थी, इस यात्रा पर ब्रीफिंग के लिए मेरे साथ भारत के विदेश सचिव श्री विजय गोखले, संयुक्त सचिव बांग्लादेश और म्यांमार श्री विक्रम दुरैस्वामी तथा राष्ट्रपति के प्रेस सचिव श्री अशोक मलिक हैं। हम विदेश सचिव के प्रारंभिक उद्बोधन के साथ इसे प्रारंभ करेंगे और उसके बाद अन्य वक्ता अपनी बात रखेंगे तथा फिर हम प्रश्नों को आमंत्रित करेंगे। सर्वप्रथम, मैं विदेश सचिव को आमंत्रित करता हूं।

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : नमस्कार देवियों और सज्जनों! मैं आपको भारत के भारत के माननीय राष्ट्रपति और श्रीमती कोविन्द की म्यांमार की राजकीय यात्रा का संक्षिप्त ब्योरा दूंगा। यह तीन अर्थात् 11-13 दिसम्बर तक की राजकीय यात्रा होगी तथा यह भारत के राष्ट्रपति की 12 वर्ष बाद यहां की प्रथम यात्रा है। पिछले यात्रा वर्ष 2006 में की गई थी।

यह म्यांमार के नए राष्ट्रपति के लिए भी प्रथम यात्रा होगी। भारत से आने वाले आगंतुक उनके इस वर्ष मार्च में कार्यभार संभालने के बाद से प्रथम राजकीय अतिथि होंगे। हमारे राष्ट्रपति की यात्रा पिछले 18 माहों में किए गए अनेक महत्वपूर्ण राजनीतिक आदान-प्रदानों, प्रधानमंत्री की सितम्बर, 2017 की म्यांमार यात्रा, 26 जनवरी, 2018 के लिए डॉव आंग सैन सूकी की भारत की राजकीय यात्रा, जब वे आसियान स्मारक शिखर-सम्मेलन के 10 नेताओं में से एक थीं, तथा तत्कालीन विदेश मंत्री की मई 2018 को की गई म्यांमार की राजकीय यात्रा की पृष्ठभूमि से निकलकर आती है।

मैं हमारे राष्ट्रपति की म्यांमार की उनकी यात्रा के कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर दूं। राष्ट्रपति और उनकी पत्नी 10 दिसम्बर की देर शाम को नेपई पहुंचेंगे, अत: उस दिन उनका कोई अन्य कार्यक्रम निर्धारित नहीं है।

मुख्य दिवस, अर्थात् 11 दिसम्बर को राष्ट्रपति का नेपई में समारोह द्वारा स्वागत किया जाएगा जिसके उपरांत म्यांमार के राष्ट्रपति विन माइंट के साथ शिष्टमंडल स्तरीय वार्ताएं आयोजित की जाएंगी तथा उसके बाद एक बैठक स्टेट काउंसलर डॉव आंग सन सू की के साथ होगी जिन्हें अभी अंतिम रूप प्रदान किया जा रहा है तथा हम उनके बारे में आपको शीघ्र ही सूचित करने में समर्थ होंगे।

उसी शाम म्यांमार के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी द्वारा हमारे राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के सम्मान में राजकीय रात्रि भोज का आयोजन किया जाएगा तथा उसमें एक छोटा सांस्कृतिक प्रदर्शन भी रखा गया है।

अगले दिन 12 दिसम्बर को माननीय राष्ट्रपति एडवांस्ड सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन तथा राइस बायोपार्क का दौरा करेंगे। ये दोनों ही भारत सरकार द्वारा अनुदान के माध्यम से वित्त-पोषित परियोजनाएं हैं तथा एडवांस्ड सेंट फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च एंड एजुकेशन में भारत के राष्ट्रपति कृषि प्रौद्योगिकी के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन का शुभारंभ भी करेंगे। वे इस संस्थान में कुछ प्रयोगशालाओं का दौरा भी करेंगे और राइस बायो पार्क में वे ज्ञान केन्द्र का दौरा करेंगे।

इन दोनों दौरों के तत्काल उपरांत राष्ट्रपति और उनकी पत्नी यंगोन के लिए रवाना होंगे। 12 दिसम्बर को दिन में यंगोन में वे शहीदों के मकबरे पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे जो डॉव आंग सान सूकी के दिवंगत पिता जनरल आंग सान की समाधि भी है तथा वे म्यांमार में प्रसिद्ध श्वेडेगन पैगोडा का दौरा भी करेंगे।

शाम को उनकी एक लघु बैठक है तथा आजाद हिंद फौज के वयोवृद्ध सेनानियों, जो आजाद हिंद फौज के उत्तरजीवी सदस्य हैं, के साथ फोटोग्राफ लेंगे। इसके तुरंत उपरांत राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के सम्मान में सामुदायिक स्वागत कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें लगभग 500 व्यक्तियों, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के लोग होंगे, को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

राष्ट्रपति और उनकी पत्नी की यात्रा के तीसरे दिन की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ होगी, वे श्री काली मंदिर जाएंगे तथा अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर की मजार पर भी जाएंगे और उसके बाद राष्ट्रपतिजी इंटरप्राइज इंडिया प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। इस प्रदर्शनी का आयोजन लगभग 45-50 भारतीय कंपनियों के सीआईआई द्वारा किया गया है जो अत्यंत विशाल भारतीय कंपनियों से लेकर छोटे-छोटे उद्यमों की श्रृंखला तक फैला है, जिसमें भारतीय विनिर्माण सक्षमताओं और प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित किया जाएगा और शाम को राष्ट्रपति और उनकी पत्नी धम्म जोति विपशना ध्यान-केन्द्र का दौरा करेंगे। वे शुक्रवार, 14 दिसम्बर की सुबह नई दिल्ली लौटेंगे और इस प्रकार इस दिन उनका कोई राजकीय कार्यक्रम नहीं रहेगा। यह राष्ट्रपति जी और उनकी पत्नी की म्यांमार यात्रा के दौरान कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा है।

इससे पूर्व कि मैं अपनी बात समाप्त करूं, मैं उस बात का उल्लेख करना चाहता हूं कि इस यात्रा का भारत के लिए क्या अर्थ है। वास्तव में, म्यांमार हमारा निकटवर्ती पड़ोसी देश है। यह आसियान देश होने के नाते एकमात्र ऐसा देश है जिसके हमारे साथ भूमि और समुद्र से संपर्क हैं। अत: यह हमारे लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के संपर्क-सूत्र के रूप में कार्य करता है तथा इन कारणों से यह ऐसा देश है जिसे भारत रणनीतिक दृष्टिकोण से, आर्थिक दृष्टिकोण से तथा हमारे सांस्कृतिक संबंधों को और म्यांमार में बसने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के ध्यान में रखते हुए सांस्कृतिक दृष्टिकोण से पर्याप्त महत्व प्रदान करता है।

हमने विगत अनेक वर्षों से तथा हमारी श्रेष्ठ क्षमता और योग्यता के अनुसार म्यांमार को वित्तीय सहायता और परियोजना संबंधी सहायता प्रदान की है जिसकी राशि अनुदान के रूप में पिछले कुछ वर्षों में एक बिलियन यूएस डॉलर तथा लाइन ऑफ क्रेडिट के संदर्भ में लगभग 750 मिलियन यूएस डालर है। अनेक अवसंरचना योजनाएं प्रगति पर हैं। इसमें द्विपक्षीय राजमार्ग भी शामिल है जो भारत को म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड के साथ जोड़ता है और कालादन बहुमॉडल योजना भी इसके अंतर्गत आती है।

समुदाय विकास के लिए आशयित अनेक छोटी परियोजनाएं भी चल रही हैं अथवा पूर्ण की गई हैं। उनमें से दो का माननीय राष्ट्रपति द्वारा दौरा किया जाएगा। कुछ अन्य अस्पताल, व्यावसायिक केन्द्र या तो पूर्ण हो चुके हैं अथवा पूर्ण होने वाले हैं। हमने बागान में आनंद मंदिर का जीर्णोद्धार किया है जो सर्वाधिक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक स्थल है। इस जीर्णोद्धार की म्यांमार सरकार द्वारा अत्यंत प्रशंसा की गई है। पिछले वर्ष के अंत में हमने रखीन राज्य विकास कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए थे जो रखीन राज्य में विस्थापित लोगों की वापसी के लिए आवासीय संरचना का निर्माण करने के लिए म्यांमार सरकार को सहायता प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। प्रथम चरण के लिए 250 आवासीय इकाइयों की योजना बनाई गई है और भारत के राष्ट्र्पति वर्चुअल माध्यम से म्यांमार पक्ष को प्रथम 50 इकाइयां समर्पित करेंगे अथवा सौपेंगे। यह एक अन्य ऐसा कार्यक्रम है जिसकी न केवल म्यांमार सरकार द्वारा अपितु संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों द्वारा भी प्रशंसा की गई है।

हमारा म्यांमार के साथ संतोषजनक व्यापार है जो लगभग 1.6 बिलियन डॉलर का है तथा हम इसमें वृद्धि होती देखना चाहते हैं। हम म्यांमार को अत्यंत व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करते है जिसके तहत सिविलयन पक्ष और गैर-सिविलियन पक्ष, दोनों ही को लगभग 1000 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती है। अत: इस भावना में म्यांमार के साथ हमारे संबंध विविधतापूर्ण हैं तथा ये दिन-प्रति-दिन गहन होते जा रहे हैं। हमारे अत्यंत बेहतर राजनीतिक संबंध भी हैं जिसका साक्ष्य यह तथ्य है कि पिछे 18 महीनों में एक-दूसरे देशों में अनेक शीर्ष स्तरीय दौरे आयोजित किए जा चुके हैं तथा हमारा क्षेत्र में बेहतर सहयोग है क्योंकि म्यांमार आसियान का सदस्य है और म्यांमार बिमस्टेक का सदस्य भी है।

अत: मैं अपनी बात अब यहीं पर समाप्त करूंगा और यदि आपके प्रश्नों का उत्तर दूंगा, परंतु उससे पूर्व मैं अपने साथी और राष्ट्रपति जी के प्रेस सचिव श्री अशोक मलिक से अनुरोध करूंगा कि वे मेरे द्वारा दिए गए विवरण में कुछ और तथ्यों को जोड़ने की कृपा करें।

राष्ट्रपति के प्रेस सचिव श्री अशोक मलिक : आपका धन्वाद। विदेश सचिव द्वारा राष्ट्रपति कोविन्द के म्यांमार दौरे पर दिए गए विस्तृत विवरण के उपरांत मैं आपके समक्ष राष्ट्रपति कोविन्द की इस यात्रा के बारे में कुछ रुचिकर तथ्य प्रस्तुत करूंगा।

यह राष्ट्रपति कोविन्द की आठवीं तथा वर्ष 2018 की अंतिम राजकीय यात्रा है। यह उनकी ऐसे देश की प्रथम यात्रा है जिसके साथ भारत अपनी भूमि-सीमा को साझा करता है। यह आसियान देश की राष्ट्रपति की हाल की वियतनाम यात्रा के उपरांत किसी आसियान देश की दूसरी यात्रा है। जैसा कि विदेश सचिव ने उल्लेख किया राष्ट्रपति कोविन्द विभिन्न मुद्दों पर म्यांमार की सरकार तथा नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श करेंगे जो संयोजनता से लेकर निवेश लोगों-का-लोगों के साथ संपर्क और कृषि तक व्यापक होंगे। वे अत्यंत प्रसन्न हैं कि वे सांस्कृतिक समुदाय के कतिपय सुप्रसद्धि स्थलों की यात्रा कर रहे हैं, जैसे श्वेडैगन पैगोडा, ऐतिहासिक काली मंदिर जो लगभग 150 वर्ष प्राचीन है तथा बहादुरशाह जफर का मकबरा, जो 1857 की क्रांति का प्रतीक है। वे उन स्थलों और विशेष रूप से मकबरे का दौरा करने वाले राष्ट्रपति कलाम के पश्चात् दूसरे राष्ट्रपति होंगे।

राष्ट्रपति के साथ एक तीन-सदस्यीय राजनीतिक शिष्टमंडल भी म्यांमार जा रहा है। इसमें श्री राजन गोहिल, रेल राज्य मंत्री, श्री रामप्रसाद शर्मा, तेजपुर असम से लोक सभा सदस्य और श्री के भवनंद सिंह शामिल हैं, जो मणिपुर से राज्य सभा के सदस्य हैं।

आप यह भी जानना चाहेंगे कि इस शिष्टमंडल के सभी तीन सदस्य अर्थात् यह पूरा ही शिष्टमंडल पूर्वोत्तर के राज्यों से क्यों है। यह इस बात का परिचायक है कि पूर्वोत्तर का विकास म्यांमार के विकास तथा म्यांमार के साथ हमारे संबंधों के साथ जुड़ा हुआ है तथा यह सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है और पूर्वोत्तर को केन्द्र में रखने के हमारे संकल्प से जुड़ा है। मैं यही अपनी बात समाप्त करूंगा तथा आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करूंगा।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: इस विवरण के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अशोक जी। अब मैं आपके प्रश्नों को आमंत्रित करता हूं। हम एक बार में दो प्रश्न लेंगे।

प्रश्न : क्या म्यांमार के लिए सैन्य सहायता कार्यक्रम को भी प्रारंभ कर रहे हैं। ऐसी रिपोर्टे प्राप्त हुई हैं कि छह किरण जेट प्रशिक्षण वायुयान बहुत जल्द म्यांमार को सौंपे जाने वाले हैं?

प्रश्न : जैसा कि आपने उल्लेख किया माननीय राष्ट्रपति म्यांमार को 50 आवासीय इकाइयां सौंपेंगे, तो क्या भारत इस बात से संतुष्ट है कि रखीन राज्य अब शांतिपूर्ण हो गया है और विस्थापित लोग अपने घरों को वापस जा सकते हैं क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अभी भी कुछ चिंताएं व्यक्त कर रहा है।

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : हम म्यांमार सरकार को उनकी सेना के लिए प्रशिक्षण स्थान उपलब्ध कराते हुए उन्हें सैन्य सहायता प्रदान कर रहे हैं परंतु जहां तक उपकरणों का संबंध है, और जैसाकि आपने विशेष रूप से छह प्रशिक्षण जेटों की बात कही है, मुझे ऐसे किसी भी प्रस्ताव के विषय में जानकारी नहीं है।

जहां तक रखीन राज्य में स्थिति का सवाल है, मैं अपने रखीन राज्य विकास कार्यक्रम तथा वहां विद्यमान स्थिति के बीच अंतर स्पष्ट करना चाहता हूं। जो आवासीय इकाइयां हम तैयार कर रहे हैं, वे म्यांमार की सरकार की सहायता करने का हमारा एक तरीका है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां उस समय आवश्यक अवसंरचना विद्यमान रहे जब कभी विस्थापित लोग अपने घरों को वापस लौटें तथा इसी तरीके से हम बांग्लादेश की सरकार को भी विभिन्न प्रकार की सहायता, मानवीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।

जहां तक रखीन राज्य में स्थिति का प्रश्न है, भारत सरकार ने यह नोट किया है कि बांग्लादेश और म्यांमार की सरकारों ने हाल ही में द्विपक्षीय समझौता किया है तथा यह स्वाभाविक ही है कि बांग्लादेश अथवा म्यांमार का एकमात्र पड़ोसी देश होने के नाते, हमारा यह मानना है कि क्षेत्र के हित में यह द्विपक्षीय समझौता यथाशीघ्र क्रियान्वित किया जाना चाहिए और विस्थापित व्यक्तियों को उनके राज्यों में शीघ्रातिशीघ्र लौट जाना चाहिए।

जहां तक समय का, शर्तों का और कानून-व्यवस्था का तथा अन्य मुद्दों का सवाल है, यह बांग्लादेश और म्यांमार द्वारा निर्धारित किया जाता है।

प्रश्न : मैं पिछले वर्ष मणिपुर चुनावों को कवर करने गया था और मैं वहां लोगों के संपर्क में था। जो बात वहां मैंने शिकायत में देखी, वह यह थी कि भारत और म्यांमार की सीमा पर अनेक बार ऐसा होता है कि म्यांमार सेना भारतीय सीमा में घुस जाती है तथा वे लोगों को घरों और अन्य संभार-तंत्र को भी तोड़ देते हैं। तो क्या विदेश मंत्रालय इस बात से अवगत है और क्या भारत की सीमा में ऐसे हस्तक्षेपों को रोकने के लिए म्यांमार सेना द्वारा कोई कदम उठाया गया है?

प्रश्न : क्या राष्ट्रपति की इस यात्रा के दौरान भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की समयबद्ध तरीके से वापसी के बारे में भी कोई एजेंडा रखा गया है? दूसरा प्रश्न भारतीय रेल के ट्रांस-एशिया लिंक के बारे में है, तो क्या इस यात्रा के दौरान रेल लिंक के माध्‍यम से भारत के साथ म्यांमार को जोड़ने पर भी चर्चा होगी?

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : जैसा कि आप जानते हैं, भारत-म्यांमार सीमा को अंकित कर दिया गया है, हालांकि ऐसे कुछ क्षेत्र शेष हैं जहां अंकन का कार्य अभी किया जाना है तथा उनमें से कुछ क्षेत्र मणिपुर का एक भाग है। अत: स्वाभाविक रूप से इस अतिव्याप्ति की स्थिति में गलती से घुसपैठ हो जाती है। लेकिन, मैं समझता हूं कि दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच बहुत अच्छा तालमेल है और हम स्थानीय स्तर पर इन सभी मुद्दों का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं।

अत: हम इस संबंध में म्यांमार की सरकार के साथ किसी भी समस्या को नहीं देखते हैं तथा हम भी यही समझते हैं कि म्यांमार की सरकार को भी हसमे कोई समस्या नहीं हैं। हम राज्य सरकार के साथ परामर्श करके तथा म्यांमार की सरकार के साथ चर्चा करते हुए स्थिति का समाधान करना जारी रखेंगे।

जहां तक ट्रांस-एशिया से संबंधित दूसरे प्रश्न की बात है, कृपया ध्यान दें कि यह भारतीय तथा अन्य सरकारों की दीर्घकालिक योजना है। जो लाइन ऑफ क्रेडिट हमने उन्हें दिया है, उसमें यह परियोजना शामिल नहीं हैं, हालांकि हम यह चाहते हैं कि भूमि के संपर्क के अलावा रेल संपर्क भी भारत और थाइलैंड के बीच स्थापित हो जाए।

जहां तक रोहिंग्या के मुद्दे की बात है, जैसा मैंने पहले कहा था कि भारत सरकार चाहती है कि चूंकि वे दोनों ही हमारे पड़ोसी देश हैं, दोनों देशों से जो बात की गई है अथवा दोनों के बीच समझौता हुआ है, उसे जितना जल्दी लागू किया जाएगा उतना ही क्षेत्र के लिए अच्छा है, लेकिन समझौता कब लागू होगा, किस तरह लागू होगा, वे कब वापसी जाएंगे, ये दोनों देशों की सरकार की बात करके निर्णय लेगी।

प्रश्न (जारी): महोदय, मैंने जो बात की है, वह भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों से संबंधित है। अनेक भारतीय एजेंसियों ने यह सूचना प्रदान की है कि भारत में रोहिंग्या शरणार्थी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं तथा उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए। तो क्या उन्हें वापस भेजने का एजेंडा इस यात्रा में शामिल है?

विदेश सचिव श्री विजय गोखले :
देखिए यह प्रश्न आपको गृह मंत्रालय को पूछना चाहिए। विदेश मंत्रालय इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है।

प्रश्न : मैं ट्रांस-एशियाई राजमार्ग के बारे में पूछना चाहता हूं, हम इस बात को पिछले बीस सालों से सुन कर रहे हैं। क्या इसे चालू करने के विषय में कोई समय-सीमा है? मैंने सुना है कि अनेक क्षेत्र इस पर कार्य कर रहे हैं परंतु हम इस बारे में क्रियान्वयन का समाचार कब सुनेंगे? एक और बात, म्यांमार में भारतीय निवेश कितना किया गया है?

प्रश्न : पिछ्ले कुछ महीनों से अनेक रिपोर्टें ध्यान में आ रही हैं और कुछ मैक में भी आई हैं, जो बर्मा और म्यांमार से आईईडी के साथ मणिपुर में आने वाले उग्रवादियों के बारे में हैं। यह सुरक्षा के लिए एक समस्या है, तो क्या इस मुद्दे को भी आंग सान सुकी अथवा राष्ट्रपति के साथ उठाए जाने की आशा है?

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : ट्रांस-नेशनल राजमार्ग अथवा त्रिपक्षीय राजमार्ग का एक बड़ा भाग तीन अलग-अलग सरकारों द्वारा पूरा किया गया है। अब हमें एक मुद्दे का समाधान करना है, तथा संभवत: वह अंतिम मुद्दा है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण पुल हैं जो नदियों और धाराओं के ऊपर बने हैं जिनका निर्माण कार्य किया जा रहा है तथा वहां कार्य पहले ही हो चुका है और ये लाइन और क्रेडिट से पूरा किया जा रहा है।

प्रश्न (जारी): क्या वह तीन वर्ष पूर्व हुआ था?

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : जी हां, लेकिन अब वहां काम चल रहा है। इसमें समय लग सकता है क्योंकि हम भौगोलिक दृष्टि से तथा कुछ मामलों में सुरक्षा के संदर्भ में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं क्योंकि म्यांमार के विभिन्न भागों में अशांति है परंतु यह परियोजना दोनों सरकारों के सहयोग की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा हम इस पर पूर्ण ध्यान-केन्द्रित कर रहे हैं।

निवेश के संबंध में, मैं आपो बाद में उत्तर दूंगा क्योंकि मुझे आंकड़ों की जानकारी नहीं है। मेरे साथी आपसे बाद में भेंट करेंगे और आपको आंकड़े उपलब्ध कराएंगे।

जहां तक आईईडी से जुड़े मामलों का संबंध है, मैं उस बारे में कोई विशेष टिप्पणी नहीं कर सकता हूं कि पिछ्ले एक या दो महीने में क्या हुआ है, परंतु यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे हमने स्थानीय तथा उच्चतर, सभी स्तरों पर उठाया है, जहां हमारे कमांडरों की परस्पर बैठक होती है।

यह वास्तव में राष्ट्रपति की यात्रा है तथा राष्ट्रपति की यात्राओं के स्तर पर उन संबंधों का एक व्यापक परिदृश्य ही शामिल किया जाता है, जो सामान्यत: घटित होते हैं। राष्ट्रपति देश के कार्यकारी प्रमुख नहीं हैं, परंतु हम किसी न किसी तरीके से अपनी भावनाओं को व्यक्त करेंगे। मैंने यह बात पहले भी कही है तथा इस पर पुन: बल प्रदान करूंगा कि दोनों सरकारें तथा दोनों देशों की सशस्त्र सेनाओं के बीच बहुत अच्छी समझ है तथा हम मुद्दों का समाधान करने में समर्थ रहे हैं। हम उन पर खुलकर चर्चा करने में समर्थ रहे हैं और उन्हें हल करने में समर्थ हैं। हमें आशा है कि इस समय आपके द्वारा उल्लेख किए गए मामले पर हम उसका समाधान ढूंढने में सफल रहेंगे।

मेरे साथी ने मुझे सूचित किया है कि म्यांमार में हमने लगभग 740 मिलियन यूएस डॉलर का निवेश किया है।

प्रश्न : अपना कालादान बहुमॉडल परियोजना का उल्लेख किया, इससे जुड़ा सिटवे पत्तन है तथा समय-सीमा के अनुसार इसे 2019 तक चालू किया जाना था। क्या इस बात पर कोई समाचार है कि इसकी क्या प्रगति है।

प्रश्न : क्योकफ्यू पर चीनी पत्तन का निर्माण किया जा रहा है। क्या चीनी पत्तन में भी हमारी अवसंरचना को शामिल करने की कोई योजना है?

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : सिटवे पत्तन पहले ही चालू हो चुका है। इस अवस्था पर हम म्यांमार में किसी स्थायी पत्तन प्रचालक की नियुक्ति करने के लिए निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में हैं। अत: सिटवे पत्तन प्रचालन में आ गया है तथा अब सिटवे पत्तन को म्यांमार-मिजोरम सीमा पर सड़क से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह कालदान बहुमॉडल परियोजना का भाग बन सके जोकि अभी पूर्ण नहीं हो पाई है।

क्योकफ्यू पत्तन को हमारी किसी भी परियोजना के साथ जोड़ने की कोई योजना नहीं है।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: धन्यवाद महोदय। इसके साथ ही हमारी राष्ट्रपति की म्यांमार की राजकीय यात्रा पर विशेष प्रेस ब्रीफिंग समाप्त होती है। यहां मौजूद रहने के लिए आपका बहुता-बहुत धन्यवाद।

(समाप्त)



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