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बीजिंग में आयोजित विदेश मंत्रियों की एससीओ परिषद में विदेश मंत्री का वक्तव्य (24 अप्रैल, 2018)

अप्रैल 24, 2018

महामहिम श्री वांग यी,
चीन के जनवादी गणराज्य के विदेश मंत्री

महामहिम श्री कैरत अब्द्राखमानोव,
कज़ाखस्तान गणराज्य के विदेश मंत्री

महामहिम श्री अब्द्यलेदेव एर्लान बेकेशोविच.
किर्गिज गणराज्य के विदेश मंत्री

महामहिम श्री खवाजा मुहम्मद असिफ,
पाकिस्तान के इस्लामी गणराज्य के विदेश मंत्री

महामहिम श्री सेर्गेई लावरोव,
रूसी संघ के विदेश मंत्री

महामहिम श्री सिरोजिदीन मुरिदिनोविच अस्लोव
ताजाकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्री

महामहिम श्री अब्दुल अज़ीज खाफिजोविच कैमिलोव
उजबेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्री

एससीओ के महासचिव और एससीओ आरएटीएस के कार्यकारी निदेशक

महामहिम, देवियों और सज्जनों,

बीजिंग के ऐतिहासिक शहर में विदेश मंत्रियों की एससीओ परिषद की इस बैठक के लिए मैं अपनी हार्दिक शुभकामना और सराहना व्यक्त करती हूँ।

मेरे और मेरे प्रतिनिधिमंडल के लिए स्वागत और उदार आतिथ्य के लिए मैं हमारे मेजबान का धन्यवाद करती हूँ।
एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद, भारत के लिए इस बैठक का विशेष महत्व है, इसलिए हम इस वर्ष जून में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन से संबंधित मुद्दों पर विचार करेंगे।

महामहिम गण,

एससीओ देशों को ऐतिहासिक समानताओं ने ऐतिहासिक रूप से जोड़ा है, जिसका हम लगातार कायाकल्प कर रहे हैं।

महामहिम गण,

भारत अपने आर्थिक और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए एससीओ के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि आर्थिक वैश्वीकरण को पारस्परिक लाभ के लिए अधिक खुला, समावेशी, न्यायसंगत और संतुलित होना चाहिए। संरक्षणवाद को इसके सभी रूपों में नकारा जाना चाहिए और व्यापार की बाधाओं का अनुशासित करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

विश्व अर्थव्यवस्था में अधिक उत्साह उत्पन्न करने के लिए हमें व्यापार और निवेश के उदारीकरण और सुविधा को बढ़ावा देना चाहिए। इस संबंध में हमें नवाचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, कृषि, खाद्य सुरक्षा और सहयोग में विविधता जारी रखनी चाहिए।

महामहिम गण,

एससीओ, टिकाऊ विकास, स्वच्छ और स्वस्थ जीवन, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, दोहा विकास एजेंडा, निरस्त्रीकरण और अप्रसार पर हमारे विचारों में अभिसरण के लिए एक प्रमुख मंच है।

हम जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचनागत सम्मेलन और 2015 के पेरिस समझौते के अनुसार जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जलवायु परिवर्तन को संबोधित करना और सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना हमारी साझा प्राथमिकताओं में शामिल है।

हम अक्षय ऊर्जा की तैनाती की लागत को कम करने के लिए आपस में सहयोग करने की हमारी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करते हैं।

दिसंबर 2017 में "अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन" की स्थापना के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में अपने संस्थापक सम्मेलन की मेजबानी की, इस सम्मेलन में "दिल्ली सौर एजेंडा" अपनाया गया।

महामहिम गण,

एससीओ देशों के साथ संपर्क भारत की प्राथमिकता है। हम अपने समाजों में सहयोग और विश्वास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संपर्क चाहते हैं।

इसके लिए, संप्रभुता का सम्मान करना आवश्यक है। समावेश, पारदर्शिता और स्थायित्व अनिवार्य हैं। भारत ने उन्नत कनेक्टिविटी के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ बड़े पैमाने पर सहयोग किया है।

यह अन्य पहलों के साथ हमारी निम्न भागीदारियों से स्पष्ट है,

(i) अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा,
(ii) चाबहर बंदरगाह विकास,
(iii) अशगाबत समझौते,
(iv) भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग परियोजना,
(v) बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीआईएन)।

भारत ने पिछले वर्ष काबुल, कंधार, नई दिल्ली और मुंबई के बीच एयर फ्रेट कॉरिडोर परिचालित किया है।
इन सभी पहलों से एससीओ में बहु-विध नेटवर्क के पूरे परिदृश्य को और मजबूत किया जाएगा।

महामहिम गण,

आज विश्व के सामने कई चुनौतियां हैं, हम सभी को इनका सामना करना पड़ रहा है, इनमें वैश्विक आतंकवाद का खतरा सबसे प्रमुख है और इससे लड़ने के लिए तत्काल एक मजबूत सुरक्षा संरचना बनाना आवश्यक है। आतंकवाद बुनियादी मानवाधिकारों: जीवन, शांति और समृद्धि का शत्रु है।

आपराधिक आतंकवादी सीमाओं से बाधित नहीं हैं क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के ढांचे को नष्ट करना चाहते हैं और बहुलवाद में विश्वास करने वाले समाजों में डर की दीवारें उठाना चाहते हैं।

हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को केवल आतंकवादियों को खत्म करने तक सीमित न रख कर आतंकवाद को प्रोत्साहित करने, समर्थन देने, वित्त पोषित करने और आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों को अभयारण्य प्रदान करने वाले राष्ट्रों के खिलाफ मजबूत उपायों की भी तलाश करनी चाहिए।

अनजाने में निर्दोष लोगों को मारना, मानवाधिकारों का सबसे अधिक उल्लंघन करना है। हमें धरती के चेहरे से इस धब्बे को मिटाने के लिए मिलकर काम करना है।

इस उद्देश्य को समझने के लिए, अपने मतभेदों को दूर कर हमें एकजुट होना होगा, हमारे संकल्प और आलेख को आतंक के खिलाफ एक प्रभावी रणनीति बनानी होगी। हम एससीओ द्वारा अपनी शुरुआत से आतंकवाद के बारे में दर्शाई गई स्पष्टता का स्वागत करते हैं।

हमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन स्थापित कर तत्काल इसे हल करना चाहिए, भारत ने दो दशकों से अधिक पहले इसे संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तावित किया था। हम एससीओ ढांचे के भीतर व्यापक, सहकारी और टिकाऊ सुरक्षा के लिए लगातार सहयोग को मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं।

महामहिम गण,

मेरा मानना है कि अफगानिस्तान में शांति और विकास सदस्य राज्यों और पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि में योगदान देता है। इसे केवल अफगान संविधान के ढांचे के भीतर आतंकवाद और हिंसा से मुक्त वातावरण में राजनीतिक वार्ता और सुलह के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।

अफगान नेतृत्व, अफगान स्वामित्व और अफगान नियंत्रित, समावेशी शांति और सुलह प्रक्रिया को लागू करने के लिए हमें अफगान सरकार के सक्रिय प्रयासों का दृढ़ समर्थन करना चाहिए। भारत सक्रिय रूप से एससीओ-अफगानिस्तान संपर्क समूह, मॉस्को परामर्श प्रारूप और अफगानिस्तान में शांति और विकास की बहाली के लिए संवाद और सहयोग के अन्य तंत्रों के सक्रियण का सक्रिय समर्थन करता है।

महामहिम गण,


हम में से कई के लिए यह स्पष्ट है कि सुरक्षा परिषद हमारे समय की सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देने और उनके दुखद परिणामों को रोकने में तेजी से असमर्थ, या कभी-कभी अनिच्छुक होता जा रहा है।हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र को वास्तविकताओं के लिए अधिक प्रतिनिधित्व पूर्ण बनाने और सुरक्षा परिषद में सुधार किए बिना इसके सुधार अपूर्ण रहेंगे।

2008 से, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने यूएनएससी सुधारों पर हमारी चर्चाओं को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में चल रही अंतर सरकारी वार्ता का ध्यानपूर्वक अनुसरण किया है। सदस्यों के भारी बहुमत ने इन बातचीत को एक पाठ के आधार पर जारी रखने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। इ समय संयुक्त राष्ट्र एजेंडा पर हमारे लिए यह सबसे ज़रूरी काम है।

महामहिम गण,

भारत, एससीओ को समेकित और समृद्ध करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे यकीन है कि हमारे आज के विचार-विमर्श इस वर्ष जून में राष्ट्र प्रमुखों के आगामी शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।अंत में, मैं बैठक के सफल आयोजन के लिए एक बार फिर अध्यक्ष और विदेश मंत्री वांग यी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ। मैं इस वर्ष जून में क़िंगदाओ में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करती हूँ।



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