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प्रधानमंत्री का मनीला, फिलीपीन्स दौरे के संबंध में सचिव द्वारा विवरण का प्रतिलेखन

नवम्बर 09, 2017

प्रधानमंत्री के मनीला, फिलीपीन्स दौरे जो 12 से 14 नवम्बर से शुरू होगा, के संबंध में इस विशेष संक्षिप्त विवरण के लिए इस दोपहर हमारे साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। वे वहां 15वें आसियान भारत सम्मेलन और 12वें पूर्वी एशियाई सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जाएंगे। यह हमारे प्रधानमंत्री को फिलीपीन्स का प्रथम सरकारी दौरा होगा तथा वार्षिक आसियान-भारत व पूर्वी एशियाई सम्मेलन में चौथी भागीदारी होगी।

फिलीपीन्स के इस दौरे के साथ भारत ने पिछले तीन वर्षों में सभी दस आसियान देशों का हमारे राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी और हमारे प्रधानमंत्री जी का उच्च स्तरीय दौरा होगा। यह दर्शाता है कि भारत सरकार आसियान क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देती है। यह विशेष रूप से आसियान रूप से आसियान के सदस्य राष्ट्रों के साथ और सामान्य रूप भारत-प्रशांत क्षेत्र में हमारी सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के तहत संबंधों को और प्रगाढ़ करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है जिसकी शुरूआत 2014 में नैपैताव में हुए भारत-आसियान सम्मेलन में हमारे प्रधानमंत्री द्वारा की गयी थी।

हमारे प्रधानमंत्री का दौरा महत्वपूर्ण वर्ष में हो रहा है क्योंकि हम भारत-आसियान वार्ता साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ, शिखर स्तरीय भागीदारी की 15वीं वर्षगांठ और आसियान के साथ हमारी रणनीतिक भागीदारी की 5वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस दौरे के दौरान हमारे प्रधानमंत्री फिलीपीन्स के राष्ट्रपति ड्यूटर्टी के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे जो वर्तमान में आसियान के अध्यक्ष भी हैं। वे कुछ अन्य विश्व नेताओं के साथ भी मिलेंगे जो मनीला में पूर्वी-एशियाई सम्मेलसन में शिरकत कर रहे हैं।

इन दो सम्मेलनों में भाग लेने के और इस क्षेत्र के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों के अतिरिक्त हमारे प्रधानमंत्री आसियान की पचासवीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष समारोहों में भी भाग लेंगे, इसलिए जहां हम भारत-आसियान की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं वहीं आसियान अपनी स्थापना का 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। प्रधानमंत्री क्षेत्रीय वृहत आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) नेताओं की बैठक में भी हिस्सा लेंगे जो मनीला में 14 नवम्बर को आयोजित होगा तथा आसियान, एक कारोबारी और निवेश सम्मेलन (एबीआईएस) में भी हिस्सा लेंगे जो 13 नवम्बर को आयोजित होगा। ये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हम आसियान के सदस्य राष्ट्रों के साथ अपने व्यापार और कारोबार को बढ़ा रहे है जो हमारे विदेशी कारोबार का महत्वपूर्ण 10 प्रतिशत हिस्सा है।

भारत और आसियान क्षेत्र को मिलाकर कुल जनसंख्या 1.85 बिलियन है जो वैश्विक जनसंख्या का एक चौथाई है और कुल जीडीपी 3.8 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, जो विश्व में सबसे बड़ा आर्थिक क्षेत्रों में से एक सृजित करता है। पिछले 17 वर्षों में आसियान से निवेश 70 बिलियन डॉलर से अधिक रहा है जो हमारी कुल एफडीआई का 17 प्रतिशत से अधिक है तथा इसी अवधि के दौरान आसियान में भारतीय निवेश 40 बिलियन डॉलर से अधिक रहा है।

इन कार्यक्रमों जिनके बारे में मैंने अभी बताया, के अतिरिक्त प्रधानमंत्री फिलीपीन्स में हमारे राजदूत द्वारा आयोजित एक समारोह में भारतीय समुदाय के सदस्यों से मिलेंगे। वे अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान और महावीर फिलीपीन्स फाउंडेशन इंक (एमपीएफआई) का भी दौरा करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान, जो मनीला के निकट लोस बनोस नामक स्थान पर अवस्थित है, एक विश्व प्रसिद्ध अग्रणी संस्थान है। वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के माध्यम से इसने धान के बेहतर गुणवत्ता वाले बीजों को विकसित किया है और खाद्य समस्या के मुद्दों के समाधान में भारतीय वैज्ञानिकों सहित विश्व समुदाय की सहायता की है। बड़ी संख्या में भारतीय वैज्ञानिक आईआरआरआई में कार्य कर रहे हैं और वे इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में योगदान दे रहे हैं। इस विशेष संस्थान का एक केन्द्र जल्द ही वाराणसी में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय केन्द्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। यह फिलीपीन्स के बाहर पहला ऐसा केन्द्र होगा।

दूसरी ओर महावीर फिलीपीन्स प्रतिष्ठान भगवान महावीर विक्लांग सहायता समिति का एक सहायक केन्द्र है जो जयपुर में स्थित है और यह ‘’जयपुर फुट’’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह एक गैर लाभकारी मानव हितैषी संगठन है जिसकी स्थापना प्रसिद्ध फिलीपीन्स और भारतीय प्रवासी समुदायों द्वारा की गयी है और इस प्रतिष्ठान ने जरूरतमंद छिन्नावयवों को नि:शुल्क ‘’जयपुर फुट’’ वितरित किया है। हमारे प्रधानमंत्री इस अतिमहत्वपूर्ण परोपकारी कार्य के लिए भारत के समर्थन दर्शाने के लिए यह दौरा करेंगे। इस प्रतिष्ठान की स्थापना से अब तक इसने फिलीपीन्स में लगभग 15000 छिन्नावयवों को जयपुर फुट प्रदान किया है ताकि वे एक नए जीवन जीने में सक्षम हो सकें।

मैं फिलीपीन्स के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों पर थोड़ा फोकस करूंगा। हमें आशा है कि हमारे प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति ड्यूटरटे के साथ बैठक होगी ताकि फिलीपीन्स के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में गुणात्मक बदलाव के लिए स्थिति बन सके। कुछ वर्ष पूर्व सिबू में आसियान से जुड़े एक अन्य सम्मेलन में भारत के एक दूसरे प्रधानमंत्री ने यात्रा की थी किंतु कुछ समय से भारत से प्रधानमंत्री स्तर का दौरा नहीं हुआ था। हम इन संबंधों को बहुत अधिक महत्व देते हैं जो अनेकत्व, लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति सम्मान जैसे साझा मूल्यों के नींव पर आधारित है। इस क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण देश, जहां बड़ी संख्या में शिक्षित और युवा लोग रहते हैं और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, के रूप में फिलीपीन्स भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण साझेदार है। भारत की तरह फिलीपीन्स एक सेवा प्रदान करने वाला पावरहाउस है।

आप तो अवगत होंगे कि 10 मिलियन प्रवासी फिलिपिनी नागरिक दुनिया भर में कार्य करते हैं। भारत और फिलीपीन्स दोनों ही देशों की वर्तमान सरकारों का ध्यान सुशासन, समावेशी विकास, अवसंरचना विकास और सहयोगी संघवाद पर है, इसलिए हमारे विश्व विचार में बहुत अभिसरण हुआ है। कई संपूरक हैं और हम फिलीपीन्स के साथ अपने आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने में असीम क्षमता देखते हैं। हमें आशा है कि कृषि, कौशल विकास और क्षमता वर्धन एवं अन्य क्षेत्रों पर आधारित विशिष्ट चर्चा होगी। हमारे द्विपक्षीय सहयोग और आसियान-भारत सम्मेलन, पूर्वी एशियाई सम्मेलन, आसियान क्षेत्रीय मंच, एडीएमएम+ (आसियान रक्षा मंत्री बैठक+) और ऐसे ही अन्य मंचों जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग के साथ हम अपने द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत एवं बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं और हमें आशा है कि इस क्षेत्र में भू-रणनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे और उस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

जहां तक आसियान से संबंधित बैठकों में प्रधानमंत्री की व्यस्तता का संबंध है, जैसा कि मैंने पहले कहा है, आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति के केन्द्र में है, इसलिए हमारे प्रधानमंत्री की आसियान-भारत सम्मेलन और पूर्वी एशियाई सम्मेलन में भागीदारी से इस साझेदारी में हमारी प्रतिबद्धता को दुहराने के लिए अधिक महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होगा विशेषकर तब जब हम इस बार महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वर्ष मना रहे हैं। आसियान के दस सदस्य देशों में प्रत्येक के साथ हमारे बड़े मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के अतिरिक्त आज हमारे पास आसियान के साथ लगभग 30 क्षेत्रीय वार्ता तंत्र और 7 मंत्री स्तरीय वार्ता है। ये विदेशी मामलों, रक्षा, वाणिज्य, उद्योग, दूरसंचार, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण और पर्यटन के क्षेत्रों में है।

हमारे नेता जब मिलेंगे तो वे हमारे समग्र संबंधों की समीक्षा करेंगे, वे कार्यक्रमों और क्रियाकलापों की श्रृंखलाओं की भी समीक्षा करेंगे जिन्हें हमने हमारी वार्ता साझेदारी के 25वें वर्ष को मनाने के लिए जनवरी से शुरू किया है। हमारा द्विपक्षीय व्यापार और निवेश मजबूत है और भारत और आसियान के सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं की गतिशीलता को देखते हुए इसमें और बढ़ोतरी होने के अवसर हैं तथा इसमें बड़े संपूरक हैं इसलिए हम आसियान के देशों के साथ अपने आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने की व्यापक संभावना देखते हैं।

भारत आसियान की एकता और क्षेत्रीय सुरक्षा बनावट में केन्द्रिकता का समर्थन करता है। हमने क्षमता वर्धन, आसियान की अखंडता के लिए पहल के भाग के रूप में परियोजनाओं को शुरू करने विशेष कर सीएलएमवी अर्थात कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम पर आधारित परियोजनाओं को शुरू करने के लिए कई पहलें की हैं। हमारे पास तीन ऐसे कोष हैं जो परियोजनाओं के वित्तपोषण में सहायता प्रदान करता है, एक कोष को भारत-आसियान सहायोग निधि कहा जाता है जिसमें कायिक निधि 100 मिलियन डॉलर की है। अन्य कोष हैं: आसियान- भारत हरित कोष तथा आसियान –भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कोष। इस क्षेत्र के साथ हमारे गहरे ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों को देखते हुए भौतिक, डिजिटल, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क सहित संपर्क बढ़ाना आसियान क्षेत्र के साथ हमारा सहयोग महत्वपूर्ण फोकस है। हमें इस क्षेत्र में व्यापक सहयोग भी मिलता है। जहां तक पूर्वी एशियाई सम्मेलन का संबंध है, इसमें आसियान के दस देश और आठ अन्य देश यथा भारत, चीन, अमेरिका, रूस, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल है। भारत पूर्वी एशियाई सम्मेलन का संस्थापक सदस्य है। हम इस मंच को सर्वोच्च महत्व देते हैं, हम इसे नेताओं के नेतृत्व वाला मंच मानते हैं और इसलिए भारत के प्रधानमंत्री ने इसकी शुरूआत से और संस्थापक सदस्य होने के नाते वर्ष 2005 से पूर्वी एशियाई सम्मेलन में सतत रूप से हिस्सा लिया है। एक मंच के रूप में पूर्वी एशियाई सम्मेलन इस क्षेत्र के नेताओं को परंपरागत और गैर परंपरागत सुरक्षा खतरों, मुख्यत: आतंकवाद, समुद्री सहयोग, समुद्री सुरक्षा और अप्रसार आदि सहित चिंताजनक अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों के आदान प्रदान करने और स्थिति का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

मनीला में हमारे प्रधानमंत्री के दौरे से फिलीपीन्स के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध नए तरह से संवर्धित होगा और आसियान के साथ हमारी वचनबद्धता के राजनीतिक- सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक-आर्थिक स्तंभ और मजबूत होंगे। मैं यहीं समाप्त करता हूं और अब आपके प्रश्नों के उत्तर देने में मुझे खुशी होगी।



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