लॉस काबोस में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के औपचारिक शुभारंभ से पूर्व 18 जून, 2012 को ब्रिक्स नेताओं की एक अनौपचारिक बैठक हुई।
ब्रिक्स के सभी नेताओं ने इस बात पर अपनी सहमति व्यक्त की कि यूरोज़ोन संकट से विश्व की वित्तीय एवं आर्थिक स्थिरता को खतरा पहुँच रहा है और इस संकट का समाधान करने के लिए सहकारी समाधानों की आवश्यकता है।
इन नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास उपलब्ध संसाधनों में वृद्धि किए जाने पर अपनी सहमति व्यक्त की। इस संदर्भ में उन्होने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में अपने अंशदानों को बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।यह समझ भी बनी कि इन संसाधनों का उपयोग विद्यमान संसाधनों
का उपयोग किए जाने के बाद ही किया जाएगा जिसमे उधार लेने की नयी व्यवस्थाओं का पर्याप्त उपयोग किया जाना भी शामिल है। इससे अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से उधार लेने वाले देशों के बीच बोझ का पर्याप्त रूप से बँटवारा हो सकेगा।
दोनो नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्राओं की अदला–बदली से संबन्धित व्यवस्थाओं और रिजर्व पूलिंग पर भी चर्चा की। उन्होने अपने-अपने वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों को आंतरिक विधिक रूपरेखाओं के अनुरूप इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कार्य करने का निर्देश देने और
वर्ष 2013 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन नेताओं को इसकी रिपोर्ट सौंपने का निदेश देने पर भी अपनी सहमति व्यक्त की।
नेताओं ने बहुपक्षीय विकास बैंकों के संसाधन आधार को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि संवर्धित संसाधनों से विकासशील देशों में अवसंरचना एवं सामाजिक क्षेत्र में निवेशों को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होने महसूस किया कि जी-20 अपनी कार्यसूची में विकास पहलू को विशेष
महत्व दे।
नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान वैश्विक स्थिति और बाज़ारों में भरोसा बहाल करने की आवश्यकता को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि जी-20 शिखर सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय मंदी और यूरोज़ोन संकट का मुक़ाबला करने में एक ठोस मंशा वक्तव्य जारी करे।
सभी नेता इस बात पर सहमत हुए कि बहुपक्षीय कार्यक्रमों के दौरान अतिरिक्त समय में होने वाले इस प्रकार के अनौपचारिक विचार-विमर्श महत्वपूर्ण हैं और ये ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं के पारस्परिक हित से जुड़े मुद्दों पर घनिष्ठ समन्वय करने में योगदान देते हैं।
लॉस काबोस
18 जून, 2012