वाशिंगटन में आयोजित होने वाली जी-20 बैठक में भाग लेने के लिए आज प्रस्थान करने के अवसर पर प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह के वक्तव्य का पाठ निम्नलिखित है:
''राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश के निमंत्रण पर आज मैं वित्तीय बाजारों एवं विश्व अर्थव्यवस्था पर वाशिंगटन डीसी, अमरीका में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जा रहा हूँ।
विश्व के नेताओं का यह जमावड़ा उस वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में हो रहा है जो संयुक्त राज्य अमरीका और यूरोप में उत्पन्न हुआ। पिछले अनेक हफ्तों के दौरान यह स्पष्ट हो चुका है कि इस संकट के प्रभावों का विस्तार हो रहा है। इसका प्रभाव कुछ न कुछ सीमा तक
सभी देशों पर पड़ेगा। हम वैश्विक आर्थिक मंदी की संभावनाओं का सामना कर रहे हैं।
मैं इस शिखर सम्मेलन को हाल के घटनाक्रमों के कारणों पर अन्य नेताओं के साथ विचार-विनिमय करने तथा इसके नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए जाने वाले उपायों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक उपयुक्त अवसर के रूप में देखता हूँ।
इस शिखर सम्मेलन को ऐसे घटनाक्रमों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उपचारी कदमों पर विचार-विमर्श करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसमें शामिल मुद्दे जटिल हैं और कुछ समय तक इन पर निरन्तर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता पड़ेगी।
एक बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था, जो उत्तरोत्तर वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होती जा रही है, के रूप में भारत का अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता में महत्वपूर्ण हित निहित है। मैं अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को
और समग्र रूप देने की आवश्यकता, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता कि देशों की विकास संभावनाएं दुष्प्रभावित न हों, और साथ ही संरक्षणवादी प्रवृत्तियों से बचने की आवश्यकता पर अपने विचार रखूंगा।''
भारतीय अर्थव्यवस्था के मौलिक तत्व अत्यंत सुदृढ़ हैं। हमने वित्तीय प्रणाली में पर्याप्त नकद राशि और ऋण सुनिश्चित करने के लिए अनेक उपाय किए हैं। शिखर सम्मेलन से पूर्व मैंने अनेक भागीदारों के साथ बातचीत की है।
मैं हमारी अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं के प्रति आश्वस्त हूँ। वस्तुत: भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक आर्थिक विकास में योगदान करने की क्षमता है। इस शिखर सम्मेलन में मेरी भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के इस बदलते परिवेश को परिलक्षित करती
है।