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प्रधानमंत्री की भूटान की राजकीय यात्रा पर विदेश सचिव द्वारा विशेष वार्ता का प्रतिलेख (22 मार्च, 2024)

मार्च 23, 2024

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: देवियों और सज्जनों, नमस्कार, भारत के माननीय प्रधानमंत्री की चल रही राजकीय यात्रा पर विदेश सचिव श्री विनय क्वात्रा की इस विशेष वार्ता में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। मंच पर हमारे साथ भूटान में भारत के राजदूत, श्री सुधाकर दलेला और विदेश मंत्रालय में हमारे सहयोगी, श्री अनुराग श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव (उत्तर), जो भूटान का कार्यभार संभालते हैं, भी शामिल हैं। इसके साथ ही मैं विदेश सचिव महोदय को अपनी प्रारंभिक टिप्पणियाँ देने के लिए उन्हें यह मंच सौंपता हूँ।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: रणधीर, राजदूत सुधाकर दलेला, संयुक्त सचिव अनुराग और मीडिया के मित्रों को बहुत बहुत शुक्रिया। इस विशेष वार्ता के लिए आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, हालांकि काफी देर हो चुकी है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, जैसा कि आप सभी जानते हैं, भूटान की चल रही राजकीय यात्रा पर हैं, जो आज शुरू हुई और कल सुबह समाप्त होगी। प्रधानमंत्री मोदी जी भूटान के महामहिम राजा के निमंत्रण पर यहां आए हैं। सबसे पहले मैं आपको यात्रा के विभिन्न तत्वों, फिर कार्यक्रम की व्यापक समझ और तीसरा, इस यात्रा के महत्वपूर्ण परिणामों के बारे में जानकारी देना चाहूंगा।

तत्वों के संदर्भ में, माननीय प्रधानमंत्री आज सुबह भूटान पहुंचे और हवाई अड्डे पर भूटान के माननीय प्रधानमंत्री, वरिष्ठ मंत्रियों और भूटान की शाही सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। आज दोपहर दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद, भूटान के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए दोपहर के भोजन का आयोजन किया। इसके बाद, माननीय प्रधानमंत्री ने ताशिचो जोंग पैलेस में भूटान के महामहिम राजा से मुलाकात की। वहां से, प्रधानमंत्री सार्वजनिक पुरस्कार समारोह के लिए तेंड्रेलथांग फेस्टिवल ग्राउंड पहुंचे जहां उन्होंने महामहिम राजा से भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, ऑर्डर ऑफ ड्रुक ग्यालपो को स्वीकार किया और इसके साथ ही वह भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले विदेशी गणमान्य व्यक्ति बने।

शाम को, माननीय प्रधानमंत्री ने भूटान के महामहिम चौथे राजा से मुलाकात की और उसके बाद आज शाम को महामहिम राजा और महामहिम महारानी ने माननीय प्रधानमंत्री के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया।

परिणामों की बात करें तो विशेष रूप से इनमें से कुछ परिणामों के राजनीतिक महत्व को देखते हुए, आपको याद होगा कि 2014 के बाद से यह माननीय प्रधानमंत्री की भूटान की तीसरी यात्रा है। आप जानते हैं कि भूटान 2014 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पहला विदेशी गंतव्य था और 2019 में की गई शुरुआती यात्राओं में भी शामिल था। यह उस महत्व और प्राथमिकता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जो प्रधानमंत्री भारत-भूटान संबंधों को देते हैं। साथ ही, यह उच्च स्तरीय नेतृत्व स्तर पर ध्यान केंद्रित करने और रिश्ते की प्राथमिकता का भी प्रतीक है। यह न केवल भारत और भूटान के बीच नियमित उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा है, बल्कि यह दोनों देशों के नेतृत्व को विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों की स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन करने की भी अनुमति देता है। माननीय प्रधानमंत्री ने यह वर्तमान यात्रा, हाल ही में भूटान के प्रधानमंत्री महामहिम दाशो शेरिंग टोबगे की भारत यात्रा के बाद की है। जैसा कि मैंने बातचीत और बैठकों के संदर्भ में अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों में संक्षेप में उल्लेख किया था, महामहिम राजा के साथ बातचीत और प्रधानमंत्री टोबगे के साथ बैठक बहुत अच्छी रही थी, जिससे अनिवार्य रूप से दोनों प्रधानमंत्रियों और भारत के प्रधानमंत्री और महामहिम राजा को हमारे द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की व्यापक और संपूर्ण समीक्षा करने और साथ ही उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी रेखांकित करने का अवसर मिला जिन पर दोनों देश आगे बढ़ने के लिए ध्यान केंद्रित करेंगे।

आर्डर ऑफ़ ड्रक ग्यालपो के संदर्भ में, जैसा कि मैंने बताया, माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी को आज दोपहर में भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, ऑर्डर ऑफ ड्रक ग्यालपो से सम्मानित किया गया। आपको याद होगा कि भारत और भूटान के बीच के मित्रता को मजबूत करने में माननीय प्रधानमंत्री के योगदान के सम्मान में दिसंबर 2021 में भूटान के महामहिम राजा द्वारा पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई थी। जैसा कि मैंने बताया, प्रधानमंत्री मोदी जी पहले विदेशी गणमान्य व्यक्ति और चौथे व्यक्ति हैं जिन्हें भूटान में यह पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह स्पष्ट रूप से भूटान के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अद्भुत सफलता है।

आज हमने एक संयुक्त विज़न वक्तव्य, एक समग्र संयुक्त विज़न दस्तावेज़ और जलविद्युत क्षेत्र में भारत-भूटान साझेदारी के तत्वों के संबंध में एक विशिष्ट दस्तावेज़ भी जारी किया है। संयुक्त विज़न वक्तव्य भारत-भूटान सहयोग के सार पर ध्यान केंद्रित करता है, जो प्रगति और विकास के लिए भारत और भूटान का एक साथ आना है। इसमें न केवल नेतृत्व के उच्चतम स्तर पर चल रही चर्चाओं, पिछले साल महामहिम, भूटान के राजा की भारत यात्रा शामिल है लेकिन जैसा कि मैंने हाल ही में उल्लेख किया है, पिछले सप्ताह भूटान के माननीय प्रधानमंत्री की भारत यात्रा और निश्चित रूप से, माननीय प्रधानमंत्री की वर्तमान में चल रही यात्रा को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, संयुक्त वक्तव्य वर्तमान में भारत-भूटान के संबंधों के व्यापक क्षेत्रों और भविष्य में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को भी उल्लेखित और रेखांकित करता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने का हमारा दृष्टिकोण भी दर्शाता है।

भारत-भूटान की ऊर्जा साझेदारी पर संयुक्त विज़न वक्तव्य, जो आज पहले जारी किया गया है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिणाम है क्योंकि यह इस बात पर केंद्रित है कि दोनों देश आने वाले महीनों और वर्षों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद जलविद्युत सहयोग पर कैसे सहयोग करेंगे और गैर-जलविद्युत नवीकरणीय क्षेत्रों में हमारी ऊर्जा साझेदारी को गहरा करेंगे। चूंकि मैंने समझौता ज्ञापनों के बारे में उल्लेख किया है, मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि आपने आज सुबह देखा होगा, दोनों पक्षों के बीच सात समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। मैं केवल उन क्षेत्रों का उल्लेख करूँगा जो इनमें शामिल है और यदि किसी को चाहिए, तो एक हैंडआउट मीडिया के लोगों के साथ साझा किया जा सकता है। एक समझौता ज्ञापन भारत से भूटान को पेट्रोलियम तेल और लुब्रीकेंट, पीओएल उत्पादों की सामान्य आपूर्ति पर है।

दूसरा समझौता ज्ञापन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण और भूटान खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण के बीच है। यह अनिवार्य रूप से निर्यात निरीक्षण और प्रमाणन प्रणाली की मान्यता के लिए है। यह अनिवार्य रूप से व्यापर को समर्थित करने की और एक कदम है जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार में आसानी लाता है।

तीसरा, ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण उपायों के क्षेत्र में; खेल और युवा क्षेत्र में; भूटान में भारतीय फार्माकोपिया की मान्यता और स्वीकृति के क्षेत्र में; दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के लिए अंतरिक्ष सहयोग और समझौते पर; इसके अलावा दोनों देशों के बीच रेल संपर्क पर एक दस्तावेज़ पर भी आज हस्ताक्षर किए गए।

प्रधानमंत्री की इस चल रही राजकीय यात्रा से भारत-भूटान संबंधों के लिए एक और बहुत महत्वपूर्ण परिणाम प्रधानमंत्री की घोषणा थी कि भारत सरकार भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना को 10,000 करोड़ रुपये का समर्थन देगी। 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की इस सहायता में भूटान के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के लिए भारत का समर्थन भी शामिल है। जैसा कि आप जानते हैं, भूटान की पहली पंचवर्षीय योजना प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से भारत, भूटान का सबसे बड़ा विकास भागीदार रहा है। तुलनात्मक संदर्भ देने के लिए, 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए प्रदान की गई कुल सहायता 5,000 करोड़ रुपये थी। इसलिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा आज सार्वजनिक कार्यक्रम और निजी बातचीत में जितनी घोषणा की गई, वह पिछली पंचवर्षीय योजना के लिए की गई घोषणा से दोगुनी है। और यह फिर से हमारी साझेदारी की एक स्पष्ट प्रमाण है और 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए हमारे समर्थन को बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है, जो अनिवार्य रूप से दोनों प्रणालियों और दोनों जनता के बीच द्विपक्षीय सहयोग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है। योजना के लिए हमारी सहायता, हमारी साझेदारी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है और इससे दोनों देशों को आम प्राथमिकताओं के क्षेत्रों में हमारी द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर मिलता है।

कल, अपने कार्यक्रम के अंतर्गत, माननीय प्रधानमंत्री जी ग्यालत्सुएन जेत्सुन पेमा मातृ एवं शिशु अस्पताल का भी उद्घाटन करेंगे, जिसका निर्माण पिछली पंचवर्षीय योजना, 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भारत सरकार की सहायता से किया गया है। यह थिम्पू में 150 बिस्तरों वाला अस्पताल है, जो मूल रूप से भूटान में मातृ एवं शिशु देखभाल में सुधार पर केंद्रित है।

कल सुबह पारो से भारत लौटने और प्रस्थान से पहले माननीय प्रधानमंत्री का भूटान में यह आखिरी कार्यक्रम होगा। आप देखेंगे कि इस चल रही राजकीय यात्रा के दौरान चर्चा की गहराई और स्तर, कार्यक्रम के विभिन्न तत्व, परिणाम का सार स्पष्ट रूप से आर्थिक क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में भारत-भूटान साझेदारी की व्यापकता और गहराई की ओर इशारा करता है, फिर चाहे वह ऊर्जा साझेदारी हो, जलविद्युत विजन दस्तावेज़ के संदर्भ में हो, व्यापार और वाणिज्य के संदर्भ में हो, प्रधानमंत्री ने सीमाओं पर बनाए जा रहे एकीकृत चेक पोस्ट, बढ़ी हुई रेलवे कनेक्टिविटी, लोगों से लोगों के बीच के संबंधों को बढ़ाने वाले उपायों के बारे में बात की, जो हमारी साझेदारी के मुख्य आधारों में से एक है, जो स्पष्ट रूप से भारत और भूटान के विशेष संबंधों की ओर इशारा करता है, और जो भारत और भूटान के बीच विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ का प्रमाण है।

मुझे लगता है कि इन सबके अलावा, एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि इस यात्रा ने हमें हम महीनों और वर्षों में अपने सहयोग को कैसे आगे बढ़ाएंगे इस संदर्भ में आगे बढ़ने की दिशा, प्राथमिकता देने के लिए क्षेत्र, ध्यान केंद्रित करने की दृढ़ता का एक बहुत ही स्पष्ट रास्ता दिखाया है। मैं यहीं अपनी बात यही ख़त्म करूँगा और अब आप अपने प्रश्न मुझसे पूछ सकते है।

आयुषी: सर, शुभ संध्या, मैं आयुषी अग्रवाल हूँ, ANI से। मेरे दो प्रश्न हैं, पहला यह कि चूंकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट का उल्लेख किया था, तो क्या हमें इसके बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है, जैसे कि भारत इस परियोजना का किस प्रकार समर्थन करेगा । दूसरा, क्या चर्चा के दौरान सीमा विवाद, चीन-भूटान के बीच सीमा के विवाद पर चर्चा हुई?

आशीष: एबीपी न्यूज़ से आशीष सिंह। सर अंतरिक्ष को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने आज बहुत उल्लेख किया, उनके प्रमुख तत्वों में से एक था, भाषण में, और दूसरे, एमओयू में भी उसका आदान-प्रदान हुआ है, तो आईएनएस 2बी की पृष्ठभूमि में, जो हमने उपग्रह इसरो ने लॉन्च किया था भूटान के लिए, नवंबर 2022 में; और अप्रैल में हमने पिछले साल ग्राउंड स्टेशन का भी उद्घाटन किया, अगर थोड़ा सा विस्तार से बता सकें कि एमओयू को लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र में और आगे हमारे क्या प्लान हैं। दूसरा सर, जो आयुषी ने पूछा उसका थोड़ा सा और विस्तार से जानना चाहेंगे कि चीन, जैसी रिपोर्ट सैटेलाइट तस्वीर से भी आती रही हैं कि भूटान के कुछ इलाकों में अतिक्रमण को लेकर रिपोर्ट आती रही हैं पिछले डेढ़-दो सालों में, उसको लेकर कोई खास बातचीत?

ऋषिकेश: नमस्ते सर, पीटीआई से ऋषिकेश। आयुषी का जो सवाल था उसी से आगे कि, क्या भारत भूटान की सीमा पर चीन के रुख को आक्रामक मानता है?

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: क्या मानता है?

ऋषिकेश: आक्रामक सर। और दूसरा सवाल, क्या भारत और भूटान के बीच रेलवे प्रोजेक्ट को पूरा करने का कोई निर्धारित समय है?

वक्ता 1: मेरा सवाल उन समझौता ज्ञापनों के संबंध में है जिन पर हस्ताक्षर किए गए थे और विशेष रूप से भूटान और भारत के बीच रेलवे लिंक की स्थापना के बारे में है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने पहले ही उल्लेख किया था कि गेलेफू और कोकराझार और समत्से और बनारहाट के बीच दो रेलवे लिंक स्थापित किए जाएंगे। तो क्या हमें इस बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है, जैसा कि काम कब शुरू होने की संभावना है और काम पूरा होने में कितना समय लगेगा?

सौरव: मेरा सवाल रेल लिंक से ही जुड़ा है। जब पड़ोसी देशो के साथ रेलवे संपर्क की बात आती है, तो हमारे पास पहले से ही मौजूदा ट्रेन सेवाएं हैं जो विशेष रूप से देशों के बीच चलती हैं, उदाहरण के लिए बांग्लादेश के साथ, मैत्री। क्या रेल लिंक पूरा होने के बाद भूटान के साथ भी ऐसा कुछ होने की संभावना है?

संगे रबटेन: शुभ संध्या। मेरा नाम सांगे रबटेन है। मैं बिजनेस भूटान से हूं। मैं पुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के बारे में अधिक जानकारी जानना चाहूंगा जो रुकी हुई थी और हम जानते थे कि इस पर चर्चा हुई है। तो दोनों पक्षों के बीच क्या फैसला हुआ है? धन्यवाद।

वक्ता 2: शुभ संध्या, सर। मैं (अश्रव्य) से हूँ। आज सुबह से, सात समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, और एक समझौता ज्ञापन भूटान को पेट्रोलियम की आपूर्ति पर है। इसलिए भूटान ने पहले ही भारत सरकार से बिचौलिए को रखे बिना सीधे भूटान को आपूर्ति करने का अनुरोध किया है। तो यह कैसे काम करेगा? क्या यह सीधे भूटान को आपूर्ति करने जा रहा है?

वक्ता 3: शुभ संध्या सर। मैं बिजनेस भूटान से हूं। मेरा एक प्रश्न और (अश्रव्य) से एक अनुरोध है। मेरा प्रश्न है कि प्रधानमंत्री ने आज सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में बात की, लेकिन शायद हरित ऊर्जा पर किसी सहयोग का जिक्र नहीं था।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: किस पर?

वक्ता 3: हरित ऊर्जा। तो क्या यह हमारे लिए योजना में शामिल है? और दूसरा, अनुरोध। हम भारत सरकार के बहुत-बहुत आभारी हैं कि उन्होंने हमें झाबद्रुंग प्रतिमा दी, जो अभी सिम्टोखा में है, जिसे बहुत जल्द भारत वापस ले जाया जाएगा। तो हम में से कुछ नागरिकों का अनुरोध है कि इस प्रतिमा को यहीं रखा जाए। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: मुझे हरित निवेश पर आपका प्रश्न समझ नहीं आया? क्या आप हरित ऊर्जा की बात कर रहे हैं?

वक्ता 4: हाँ, हरित ऊर्जा। हरित ऊर्जा, हरित बांड।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: अच्छा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे लगता है कि मुझे उन प्रश्नों के समूह को एक साथ रखना चाहिए जो कनेक्टिविटी के व्यापक तत्वों और उस क्षेत्र के भीतर, विशेष रूप से रेल लिंक से संबंधित सहयोग से संबंधित हैं। अगर मैं सही ढंग से समझ पा रहा हूं तो पूछे गए तीन-चार प्रश्नों का व्यापक अर्थ था। जैसा कि मैंने आपको बताया था और जैसा कि आपने शायद देखा होगा जब आज सुबह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे, तब दो रेल लिंक के संबंध में भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। एक, जैसा कि वहाँ महिला ने उल्लेख किया, मूल रूप से 60 किलोमीटर के विस्तार, कोकराझार और गेलेफू के बीच और दूसरा, मूल रूप से 15 से 18 किलोमीटर के विस्तार, समत्से और बनारहाट के बीच। यदि मैं सही हूं, तो वर्तमान में क्षेत्र स्तरीय इंजीनियरिंग सर्वेक्षण चल रहे हैं, जो आम तौर पर पहली प्रक्रिया है, जो अनिवार्य रूप से इन रेल लिंक के संरेखण को स्थापित करने में मदद करती है और उसके बाद अगले चरण जो आम तौर पर डीपीआर की तैयारी और फिर अगले कदम उठाए जाएंगे। यह उम्मीद की जाती है कि अगले कुछ महीनों में क्षेत्र स्तरीय सर्वेक्षण जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा और उसके बाद निर्माण की विशिष्ट प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इन दोनों रेल लाइनों का निर्माण दोनों सरकारों के बीच की समान प्राथमिकता है।

और यहां ध्यान में रखने वाला बड़ा मुद्दा, जिसके साथ मैंने अपनी टिप्पणी शुरू की वह यह है कि भारत और अन्य साझेदारों के बीच क्षेत्रीय सहयोग के केंद्रीय जोर और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक बेहतर कनेक्टिविटी है। और कनेक्टिविटी केवल एकीकृत चेक पोस्ट के एक स्थान तक ही सीमित नहीं है जो कि अधिक बुनियादी ढांचे द्वारा संचालित है या इस विशेष मामले में, रेलवे लिंक तक है। आपने खुद उन लिंक के बारे में बात की जो भारत और बांग्लादेश के बीच संचालित होते हैं। अब भारत और नेपाल के बीच कुछ लिंक संचालित हो रही हैं और अब दो और लिंक यहां आ रही हैं। हम साथ ही कनेक्टिविटी के बारे में भी बात करते हैं जो नए युग की कनेक्टिविटी, वित्तीय कनेक्टिविटी, डिजिटल इंटरऑपरेबिलिटी है। ये ऐसी प्रणाली हैं जो न केवल दोनों देशों के लोगों को जोड़ते हैं बल्कि ये दोनों अर्थव्यवस्थाओं को भी करीब लाती हैं। इसलिए हम, भूटान के साथ और आपसी सहयोग से, उन दो रेलवे लिंक को प्राथमिकता देंगे और उन पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिनके लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए है। और जैसा कि मैंने कहा कि अगले कुछ महीनों में एफएलएस के पूरा होने के तुरंत बाद, दोनों पक्षों के बीच निर्माण और संबंधित दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। तो यह रेलवे क्षेत्र और भारत और भूटान के बीच कनेक्टिविटी के व्यापक क्षेत्र के संबंध में है।

गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी के संबंध में, जैसा की आयुषी जी ने पूछा, आपने आज पुरस्कार प्रस्तुति समारोह के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री का वक्तव्य सुना होगा। शायद आपने कुछ संयुक्त वक्तव्य भी सुने होंगे जो महामहिम राजा की हाल की और भूटान के माननीय प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान किए गए हैं। और इसका भाव आज प्रधानमंत्री के वक्तव्य में दो रूपों में व्यक्त हुआ है; एक, यह कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री भूटान के लोगों की समृद्धि के लिए, भूटान के महामहिम राजा के दृष्टिकोण का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। और उसमें गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना, महत्वपूर्ण प्राथमिकता वाली परियोजना के रूप में सामने आती है, जिसकी पहचान भूटान के महामहिम राजा द्वारा की गई है। और हम भारत से, नेतृत्व स्तर और प्रणाली के स्तर, दोनों पर, इस परियोजना का मज़बूत समर्थन करते हैं। बेशक यह परियोजना भूटान में है, इसलिए मुझे लगता है कि इसमें से बहुत कुछ भूटान में होगा। लेकिन इस प्रकार की परियोजनाओं में कार्यक्षमता, संचालन और नेटवर्क का बहुत व्यापक तंत्र होता है। और मुझे यकीन है कि किसी न किसी मुद्दे पर, चाहे यह निवेश साझेदारी से संबंधित हो या यह निर्माण साझेदारी की ओर ले जाता हो या यह बड़े प्रबंधन मुद्दे आदि की ओर ले जाता हो, आप देखेंगे कि जैसे-जैसे शहर विकसित होगा हम निश्चित रूप से भूटानी प्राथमिकताओं के अनुसार आगे बढ़ेंगे। मुझे लगता है कि जहां तक ​​गेलेफु माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट की बात है, भूटान सरकार की जो भी प्राथमिकताएं है, उसके आधार पर भारत सरकार भूटान सरकार के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित होगी।

जहां तक ​​अंतरिक्ष पर समझौता ज्ञापन के प्रश्न की बात है यह आज हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में से एक था, जो मूल रूप से सात समझौता ज्ञापनों की सूची में शामिल है। उपग्रह प्रक्षेपण के अलावा, जिस पर भारत और भूटान ने पहले सहयोग किया था, यह क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और अंतरिक्ष सहयोग कार्यक्रम के नए क्षेत्रों के लिए एक रोडमैप भी तैयार करता है। अंतरिक्ष सहयोग केवल पेलोड, सेटेलाइट के विकास और उनके प्रक्षेपण तक ही सीमित नहीं है। समाज में विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंधी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अंतरिक्ष सहयोग का उपयोग करके अंतरिक्ष सेवाओं के उपयोग का एक बहुत व्यापक तंत्र है। आज जिस दस्तावेज़ पर काम किया गया है वह वास्तव में एक संयुक्त कार्ययोजना है। इसमें सिर्फ सहयोग के इरादे के बारे में बात नहीं की गई। यह वास्तव में विशिष्ट गतिविधियों की पहचान करता है, यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन; अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इन क्षेत्रों में से कुछ को मजबूत करने के लिए भूटान सरकार के साथ काम करेगा, ताकि यह भूटानी समाज के भीतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रवेश और संबंधित नवाचार के बड़े विकास में योगदान दे सके।

चीन-भूटान सीमा के संबंध में व्यापक सवाल, जो आयुषी जी ने पूछा और बाद में यहां सज्जन ने भी पूछा, इन तीन सवालों का जवाब में एक साथ दूंगा। देखिए, जहां तक ​​भूटान और चीन के बीच सीमा संबंधित चर्चा का सवाल है, ये उन दोनों देशों के बीच के मामले हैं। जहां तक ​​भूटान के साथ भारत के संबंधों का सवाल है, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री की चल रही राजकीय यात्रा से पता चलता है, वे स्वयं में समर्थ हैं और वे अन्य देशों के साथ संबंधों से स्वतंत्र हैं। मैंने आपको भारत-भूटान साझेदारी के मूल तत्वों के बारे में विस्तार से बताया है। आप न केवल उनकी विस्तृत श्रृंखला बल्कि साझेदारी की गहराई और इस साझेदारी को मिलने वाले समर्थन की भी सराहना कर सकते हैं, वो भी न केवल नेतृत्व के स्तर पर बल्कि लोगों के स्तर पर भी। भारत-भूटान संबंधों के बारे में बात करते समय, विशिष्ट बातों के अलावा, मुझे यह भी उल्लेख करना चाहिए कि कुछ मूल बुनियादी बातें हैं जो इसके लिए आवश्यक हैं। इसमें से पहला, मैं कहूंगा, साझा मूल्य होंगे, जो मूल बुनियादी सिद्धांतों में से एक है; भरोसा, जो बेहद महत्वपूर्ण है; फिर है आपसी सम्मान, समझ और एक-दूसरे के हितों और समस्याओ के प्रति संवेदनशीलता। आज पहले पूछे गए प्रश्नों पर मेरे जवाब स्पष्ट रूप से हमारी दोस्ती और सहयोग की सीमा और गहराई और समन्वय और सहयोग के लंबे समय से चले आ रहे तत्वों और हमारे सुरक्षा सहयोग के लिए समय-परीक्षणित ढांचे की ओर इशारा करते है, जिसमें क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, दोनों तरफ की प्रणालियाँ शामिल हैं। इसलिए भूटान के साथ हमारे संबंधों के संबंध में, जब प्रधानमंत्री सहित, महामहिम राजा सहित, माननीय प्रधानमंत्री इस देश के नेताओं से मिलते हैं, भारत-भूटान के द्विपक्षीय संबंधों पर, हम कहाँ हैं, यहां से कहां जाएंगे, हमारा ध्यान इसी पर होता है और दिशा और रास्ता बहुत सकारात्मक है, गहनता बहुत मजबूत है और समर्थन पूर्ण और समग्र है।

एक और सवाल उन सज्जन ने पूछा था, एक सवाल और एक अनुरोध भी किया था। प्रश्न हरित ऊर्जा से संबंधित था। हमें उन व्यक्तिगत क्षेत्रो में जाने का मौका नहीं मिला है जिस पर माननीय प्रधानमंत्री की उनके समकक्ष और महामहिम राजा के साथ आज की बैठकों में चर्चा हुई थी। लेकिन इन क्षेत्रों में से एक, और मैंने ऊर्जा साझेदारी, जलविद्युत, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में बात की, इसलिए चर्चा का एक प्रमुख विषय हरित ऊर्जा था। अब, हरित ऊर्जा में दो, तीन तत्व हैं। एक गैर-परंपरागत हरित ऊर्जा है, इसलिए जलविद्युत से दूर जाकर, सौर ऊर्जा की ओर देखते हुए, जाहिर है, पवन ऊर्जा के तत्वों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। अब, जब हम इस क्षेत्र को देखते हैं, तो हम हरित ऊर्जा के क्षेत्र को काफी संभावनाओं और अपेक्षाओं के साथ देखते हैं। मैं कहना चाहूंगा कि दोनों देशों के बीच पहले से ही कुछ चर्चाएं हो चुकी हैं। वास्तव में, भारत का निजी क्षेत्र यह देखने में बहुत रुचि रखता है कि भूटान, जो पहले से ही हरित ऊर्जा का एक बहुत मजबूत गढ़ है, भूटान में हरित विकास को लेकर जिस तरह की प्रतिबद्धता और गहरा विश्वास है, मुझे लगता है कि यह पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है। इसलिए यह स्वाभाविक था कि आज की चर्चा में हरित ऊर्जा बहुत प्रमुखता से उठे। जल, हरित हाइड्रोजन के साथ मिलकर ऊर्जा का स्रोत अपने आप ही उस ओर ले जाता है। तो, हाँ, उस पर व्यापक चर्चा हुई।

जहां तक ​​अनुरोध का सवाल है, मैंने पूरी विनम्रता और नम्रता के साथ इस अत्यंत महत्वपूर्ण अनुरोध को बहुत गंभीरता से लिया है और हम इसे सही दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

पुना-1 पर एक प्रश्न था। अब, पुना-I, आप सभी पुना-I के ऐतिहासिक संदर्भ और इस परियोजना में आने वाली भूविज्ञान की चुनौतियों के बारे में वाकिफ हैं। मैं यह कहना चाहूंगा की हालिया प्रगति, केवल चर्चाएं ही नहीं, बल्कि पुना-I के संबंध में कुछ तकनीकी मुद्दों को हल करने में भारत और भूटान दोनों ने जो हालिया प्रगति की है, वह बहुत अच्छी रही है। और हमें पूरी उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच इन चर्चाओं में तकनीकी रूप से व्यवहार्य और लागत प्रभावी तरीके को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आभार।

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: इसके साथ, हम इस विशेष वार्ता को समाप्त करते हैं। देवियो और सज्जनों, आपकी उपस्थिति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। शुभरात्रि।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: धन्यवाद।

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