मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा वर्चुअल साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (01 अक्टूबर 2020)

अक्तूबर 09, 2020

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः मित्रों, नमस्कार और शुभ संध्या। वर्चुअल प्रारूप में इस साप्ताहिक पत्रसार (ब्रीफिंग) में आपका स्वागत है। मैं, शुरुआत वंदे भारत मिशन पर अपडेट के साथ करूंगा। 30 सितंबर तक, वंदे भारत मिशन के अलग– अलग साधनों के माध्यम से 16.45 लाख भारतीयों को स्वदेश लाया गया। इसके साथ ही मिशन का छठा (6) चरण समाप्त हुआ। इस चरण के तहत, 24 देशों से भारत के 24 हवाईअड्डों के लिए 894 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें और 142 फीडर उड़ानें संचालित की गईं और अनुमानित 1.75 लाख लोगों को भारत लाया गया।

लगातार की जा रही मांग को पूरा करने के लिए वीबीएम (वंदे भारत मिशन) का सातवां (7) चरण आज, 1 अक्टूबर 2020 से शुरु कर दिया गया है। इस महीने, अब तक, सातवें (7) चरण के तहत 19 देशों से 820 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संचालन का निर्णय लिया गया है। इनमें मुख्य रूप से उन 14 देशों की उड़ानें शामिल हैं जिनके साथ भारत के द्विपक्षीय 'एयर बबल' समझौता है। यह उड़ानें भारत के 24 हवाईअड्डों के लिए होंगी और अनुमानित 1.5 लाख लोगों को देश वापस लाएंगीं।

मंत्रालय ने अन्य देशों से स्वदेश वापसी की मांग का आकलन किया है और एयर इंडिया को इससे अवगत कराया है। आने वाले दिनों में इन अतिरिक्त देशों के लिए भी उड़ानों की व्यवस्था की जाएगी। वंदे भारत मिशन पर यह अब तक की नवीनतम जानकारी थी।

अब मैं आपके प्रश्नों का उत्तर दूंगा और यतिन क्या अब आप कार्यभार संभालेंगें?

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
पहला प्रश्न मातृभूमि न्यूज़ से बसंत का है। उन्होंने पूछा है कि– "क्या यूएई ने सोने की तस्करी के मामले में त्रिवेंद्रम में यूएई के वाणिज्य दूतावास में सवाल–जवाब करने के भारत के अनुरोध का उत्तर दिया है? उन्होंने विदेश मंत्रालय से यह स्पष्ट करने का भी अनुरोध किया है कि केरल राज्य ने लाइफ मिशन प्रोजेक्ट के लिए यूएई रेड क्रिसेंट के साथ समझौता करने से पहले अनुमति ली थी या नहीं। क्या विदेश मंत्रालय ने केरल से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
बसंत आप जानते होंगे कि सीमा शुल्क विभाग ने विदेश मंत्रालय से सलाह लिया था और यूएई के पक्ष ने भी सहयोग किया था। प्रेषित वस्तु को यूएई के वाणिज्य दूतावास के अधिकारी की उपस्थिति में खोला गया था और आप जानते होंगे कि भारत और यूएई के बीच घनिष्ठ मैत्री संबंध हैं। यूएई इस मामले में पूरा सहयोग कर रहा है और आपके दूसरे प्रश्न के उत्तर में, मंत्रालय कानूनी दृष्टि से मामले की जांच कर रहा है और जैसा और जब आवश्यकता होगी हम उत्तर मांगेंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
द प्रिंट की नैनिमा ने पूछा है– "क्या बांग्लादेश के साथ हाल में हुई जेसीसी वार्ता के परिप्रेक्ष्य में म्यामांर के साथ रोहिंग्या के मुद्दे पर चर्चा हुई?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः नैनिमा, हमारे विकास सहयोग परियोजना के तहत कार्यान्वित किए जा रहे राखिने राज्य विकास कार्यक्रम में प्रगति पर चर्चा की गई थी।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
द हिन्दु की सुहासिनी ने पूछा है– " अमेरिकी सरकार और अमेरिकी कांग्रेस ने भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल जांच, जिसकी वजह से इसे बंद कर दिया गया है, पर चिंता व्यक्त की है। यूरोपीय संघ और यूके का कहना है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय एवं संबंधित मिशनों को भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल जांच के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में बताया है। क्या आप हमें चर्चाओं और टिप्पणियों पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया के बारे में बता सकते हैं? क्या इसकी वजह से भारत के आंतरिक मामलों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप होगा?" आउटलुक की सीमा गुहा ने पूछा– " किस आधार पर एमनेस्टी इंटरनेशनल के फंड को रोक दिया गया, विदेशी कंपनी होने के नाते यह स्वाभाविक रूप से अपनी मूल कंपनी से धन प्राप्त करती है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
जैसा कि आप जानते होंगे कि गृह मंत्रालय एफसीआरए से संबंधित मुद्दों और एनजीओ के विदेशी वित्तपोषण से संबंधित मामलों को देखता है। गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी और स्वंयसेवी संगठनों से विदेशी वित्तपोषण समेत हमारे सभी कानूनों का पालन करने की अपेक्षा उसी प्रकार की जाती है जिस प्रकार वे अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत अन्य देशों के कानूनों का पालन करते हैं। हम यह भी आशा करते हैं कि अन्य सरकारें किसी भी इकाई द्वारा भारतीय कानूनों के उल्लंघन की निंदा नहीं करेंगीं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
यूएनआई के अनीश पूछते हैं– "कुलभूषण जाधव पर कोई नई जानकारी?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
अनीश, इस मामले में हम राजनयिक चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान के संपर्क में हैं और जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, पाकिस्तान को आईसीजे के फैसले का अक्षरशः पालन करने की आवश्यकता है और इसमें सभी संबंधित दस्तावेज़ों को उपलब्ध कराने के साथ– साथ कुलभूषण जाधव को बिना किसी रोक–टोक के कांसुलर उपलब्ध कराना भी शामिल है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत ने पूछा है– "आर्मेनिया– अज़रबैजान के बीच जारी तनाव पर भारत की कोई प्रतिक्रिया?" न्यूज़ नेशन के मधुरेन्द्र का सवाल है– " आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच जारी जंग पर भारत का क्या कहना है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
मेरे पास इस बारे में विविरण है। हमने नागोर्नो– काराबख क्षेत्र में अर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध के फिर से शुरु होने की खबरें देखी हैं। यह 27 सितंबर 2020 की सुबह शुरु हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए थे। भारत क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली स्थितियों से चिंतित है। हम दोनों पक्षों द्वारा युद्ध का तत्काल समाप्त करने, संयम बनाए रखने एवं सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए सभी संभावित कदम उठाने की आवश्यकता को दुहराते हैं। भारत का मानना है कि युद्ध का कोई भी स्थायी समाधान मात्र कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। इस बारे में, हम आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान हेतु ओएससीई मिन्स्क ग्रुप के प्रयासों का समर्थन करते हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
प्रश्नों का अगला समूह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका की बैठक से जुड़ा है। द हिन्दू की सुहासिनी पूछती हैं– " ईएएम के टोक्यो और क्वाड के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक में चर्चा का एजेंडा क्या था?" डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत का सवाल है– "क्वाड में भारत के लिए एजेंडा क्या होगा?" दैनिक जागरण के जय प्रकाश ने पूछा– "6 अक्टूबर को जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका के विदेश मंत्रियों की होने वाली बैठक का मुख्य मुद्दा क्या होगा?" यही सवाल सुमन शर्मा और सुमित शर्मा ने भी पूछा।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः आपने इसी सप्ताह 6 और 7 अक्टूबर को जापान के ईएएम दौरे पर जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति देखी होगी। भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका के मंत्रियों की दूसरी बैठक इस दौरे के दौरान 6 अक्टूबर को होगी। इस बैठक में, संबंधित देशों के विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे। जहां तक एजेंडा की बात है, इसमें मोटे तौर पर मुख्य रूप से कोविड–19 के बाद अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर के साथ– साथ महामारी की चुनौतियों पर समन्वित प्रतिक्रियाओं की जरूरत पर ध्यान दिया जाएगा। प्रादेशिक मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। मैं फिलहाल इस संबंध में कोई ब्यौरा आपको नहीं दे सकता। विदेश मंत्रियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सामूहिक रूप से मुक्त खुले (फ्री ओपन) और समावेशी हिंद– प्रशांत के महत्व की पुष्टि करेंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): इंडिया टुडे की गीता मोहन ने पूछा है कि– "पड़ोसी देशों से बातचीत के मामले में यह सप्ताह बहुत व्यस्तता भरा रहा है। क्या आप बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान के संदर्भ में विशेष बिन्दुओं और विशेष चुनौतियों के बारे में बता सकते हैं?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः गीता जी, पिछले कुछ दिनों में, हमारे पड़ोसी देशों के साथ कई वार्ताएं हुई हैं। 26 सितंबर को हमारे प्रधानमंत्री और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे के बीच भारत–श्रीलंका वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन हुआ था, 29 सितंबर को विदेश मंत्रालय और बांग्लादेश के विदेश मंत्री के बीच संयुक्त सलाहकार आयोग की बैठक हुई थी और आज सुबह हमने भारत– म्यांमार विदेश कार्यालय परामर्श, जिसमें विदेश सचिव और उनके समकक्ष ने हिस्सा लिया, का आयोजन किया है। आपके प्रश्न की ब्यौरे में जाए बिना मैं आपको सामान्य रूप से यह बता सकता हूँ कि ये बैठकें हमारे पड़ोस प्रथम नीति का हिस्सा हैं। सरकार हमारे पड़ोसी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण एवं परस्पर लाभकारी संबंध विकसित करने को प्रतिबद्ध है और ये बैठकें निश्चित रूप से उसे ही प्रतिबिंबित करती हैं। इन देशों के साथ हमारी बैठकें परामर्शी, गैर– अन्योन्य और परिणामोन्मुख दृष्टिकोण पर आधारित है। हमारे पास इन देशों में विकास हेतु बड़े सहयोग की रूपरेखा है और हम बेहतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों में कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, ये परियोजनाएं मूलभूत सुविधाओं में सुधार एवं दो देशों की जनता के बीच व्यापक संपर्क को बढ़ावा देती हैं। पाकिस्तान के बारे में हमारी स्थिति स्पष्ट है। भारत सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता एवं हिंसा मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी राष्ट्र जैसे संबंध रखने को इच्छुक है। ऐसा वातावरण बनाने की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान की है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
ट्रिब्यून के संदीप दीक्षित ने पूछा है– "ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान त्रिपक्षीय संबंध, जिन्होंने हाल ही में आपूर्ति श्रृंखला संबंधी मुद्दों पर चर्चा की थी, के बारे में विदेश मंत्रालय का क्या विचार है? क्या मंत्रालय, समुद्री सुरक्षा एवं ब्लू इकॉनमी के लिए इस साझेदारी को जारी रखने की योजना बना रहा है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
संदीप, यदि आप भारत, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया के त्रिपक्षीय वार्ता की बात कर रहे हैं, जो 9 सिंतबर को वर्चुअल प्रारूप में आयोजित की गई थी, तो आपने इस विषय पर हमारी प्रेस विज्ञप्ति देखी होगी और जैसा कि पहले बताया गया था वार्ता का फोकस हिंद–प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर था। इस वार्ता में विशेष रूप से आर्थिक एवं भू–रणनीतिक चुनौतियों एवं हिंद– प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की गई थी। वार्ता के दौरान मरीन ग्लोबल कॉमन्स एवं व्यावहारिक सहयोग के साथ– साथ त्रिपक्षीय एवं क्षेत्रीय स्तर के संभावित क्षेत्रों पर भी चर्चा की गई थी। उस त्रिपक्षीय वार्ता में मोटे तौर पर इन्हीं विषयों पर चर्चा की गई थी।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
संजय राय ने पूछा– " पाकिस्तान में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आए फैसले की निंदा करते हुए अभियुक्तों को बरी किए जाने को शर्मनाक बताया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि अगर दुनिया के तथाकथित सबसे बड़े लोकतंत्र में इंसाफ का थोड़ा भी एहसास होता तो वो लोग जिन्होंने खुल कर एक आपराधिक कृत्य किया वो बरी नहीं हुए होते। विदेश मंत्रालय की क्या प्रतिक्रिया है?" डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत ने पूछा है– " पाकिस्तान ने बाबरी मस्जिद के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने आज कहा, 'भारतीय संस्थान एक विशेष विचारधारा से प्रभावित है।' इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
[00:10:52] संजय जी, भारत एक परिपक्व लोकतंत्र है। यहां सरकार और सभी नागरिक न्यायलय के फैसले का पालन करते हैं और विधि एवं शासन के प्रति सम्मान दिखाते हैं। ऐसे लोकतांत्रिक सदाचार को समझना ऐसे तंत्र के लिए मुश्किल है जहां न्यायलय और लोगों को सरकार की इच्छा पर खामोश किया जा सकता हो।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत ने यह भी पूछा है कि– "पिछले सप्ताहांत हमने पाकिस्तान में भारतीय दूतावास के सामने बड़ा प्रदर्शन देखा, जो चिंताजनक था। पाकिस्तान के अधिकारियों द्वारा भारतीय उच्चायोग के आस–पास विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति भी दी गई थी। क्या पाकिस्तान की सरकार से इस बारे में बात की गई है?" ऐसा ही सवाल न्यूज़ नेशन के मधुरेन्द्र ने भी पूछा था।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
सिद्धांत और मधुरेन्द्र, मैं इस मामले के तथ्यों को रखते हुए शुरुआत करूंगा। 11 प्रवासी पाकिस्तानी हिन्दुओं की मौत हो गई थी। हमें इसकी जानकारी 8 अगस्त को दी गई थी और हमें पाकिस्तान उच्च आयोग से इस घटना से संबंधित मीडिया रिपोर्टों और अन्य विवरणों की पुष्टि करने हेतु पत्र भी मिला था। हमने संबंधित अधिकारियों से तथ्य मंगाए और 11 मृतकों के नाम एवं अन्य प्रासंगिक विवरणों के साथ 14 अगस्त को उच्चायोग को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। हमने यह भी बताया कि रिकॉर्ड के अनुसार ये लोग सितंबर 2015 से भारत में रह रहे थे और किसी जहरीले पदार्थ के सेवन की वजह से इनकी मृत्यु हुई थी एवं मामले की विस्तृत जांच जारी है। दुर्भाग्यवश पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस घटना का प्रयोग भारत–विरोधी प्रचार के लिए किया। इस्लामाबाद में हिन्दू समुदाय से संबंध रखने का दावा करने वाले नागरिकों से सोचा–समझा विरोध– प्रदर्शन कराया गया। मैं कहना चाहूँगा कि भारतीय उच्चायोग एवं उसके कर्मचारियों के सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पाकिस्तानी अधिकारियों की है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): रक्षक न्यूज़ के रंजीत कुमार का प्रश्न है– "क्या भारत– अमेरिका टू प्लस टू वार्ता की तिथि और स्थान का निर्धारण किया जा चुका है?" द प्रिंट की नैनिमा पूछती हैं– "क्या अमेरिका– भारत लघु व्यापार समझौते पर अब विचार किया जा रहा है? क्या जापाम में पोम्पिओ के साथ विदेश मंत्रालय की द्विपक्षीय बैठक के दौरान इस पर चर्चा की जाएगी?" क्या टू प्लस टू का कार्यक्रम निर्धारित कर लिया गया है? यह कब होगा?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः टू प्लस टू मंत्रीस्तरीय बैठक के बारे में आप जानते हैं कि अमेरिका के साथ यह बैठक इसी वर्ष आयोजित की जानी है। पिछली बैठक अमेरिका में हुई थी और अब बैठक की मेजबानी करने की बारी हमारी है। तारीख पर सहमति बनाए जाने पर चर्चा जारी है और इस बारे में हम आपको सूचना उपलब्ध कराएंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): प्रश्नों का अगला सेट वास्तविक नियंत्रण रेखा पर है। सीएनएन न्यूज़18 के महा ने पूछा है– "डब्ल्यूएमसीसी वार्ता में क्या भारतीय पक्ष ने चीन द्वारा 1959 में निर्धारित एलएसी को न स्वीकार करने के अपने रूख को दुहराया है? चीन द्वारा एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा न मानने पर भारत की प्रतिक्रिया क्या है?" द हिन्दू की सुहासिनी ने पूछा है– " पिछले महीने मास्को में विदेश मंत्रियों के बीच हुए पांच–बिन्दु समझौते के बावजूद इलाके से वापसी की प्रक्रिया अभी तक शुरु नहीं हुई है। क्या एलएसी पर भारत–चीन वार्ता में कोई गतिरोध है?" लाइव मिंट से एलिजाबेथ ने पूछा है– "विदेश मंत्रालय और चीनी विदेश मंत्री के बीच 10 सितंबर को हुई बैठक के बाद से, लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए क्या किया गया है? क्या आने वाले सप्ताहों में दोनों देशों द्वारा सेना को वापस बुलाए जाने का कोई संकेत या संभावना है?" रक्षक न्यूज़ से रंजीत कुमार का प्रश्न है– " कल हुई डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में चीन ने भारतीय पक्ष को आश्वस्त किया था कि वे एलएसी से जल्द ही और पूरी सेना वापस बुला लेंगे?" ऐसे ही सवाल यूएनआई के अनीश, न्यूज़ नेशन के मधुरेन्द्र और राज्यसभा टीवी के अखिलेश सुमन ने पूछा है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः
भारत–चीन सीमा मामलों की परामर्श एवं समन्वय समिति (डब्ल्यूएमसीसी) की 19वीं बैठक कल आयोजित की गई थी। बैठक के बाद जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है।

दोनों पक्षों ने भारत–चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की समीक्षा की। 20 अगस्त 2020 को डब्ल्यूएमसीसी की हुई पिछली बैठक के बाद के घटनाक्रमों समेत इस बारे में उन्होंने विस्तार से चर्चा की।

दोनों पक्षों ने सितंबर महीने में मास्को में आयोजित दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के महत्व को स्वीकार किया। उन्होंने एलएसी पर संघर्ष के सभी स्थानों से सेना को वापस बुलाया जाना सुनिश्चित करने के लिए दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते को गंभीरता से लागू किए जाने का भी उल्लेख किया।

दोनों पक्षों ने 21 सितंबर को हुई छठी सीनयर कमांडरों की बैठक के परिणामों की भी समीक्षा की। जैसा कि मैंने पिछले सप्ताह बताया था, बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी और दोनों पक्षों ने संघर्ष के सभी क्षेत्रों से सेना को पूरी तरह से वापस बुलाने का काम जारी रखते हुए भी इलाके में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कुछ बातों पर सहमति जताई थी।

इस संबंध में, डब्ल्यूएमसीसी में दोनों पक्षों का मानना था कि सीनियर कमांडरों की पिछली बैठक में जिन बातों पर सहमति हुई थी उनका लागू किया जाना अनिवार्य था ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी से बचा जा सके और इलाके में स्थिरता बनाई रखी जा सके।

जैसा कि सीनियर कमांडर स्तर की पिछली बैठक में सहमति हुई थी, दोनों पक्ष अगले दौर (7वें) की बैठक का कार्यक्रम बनाने पर काम कर रहे हैं ताकि दोनों पक्ष वर्तमान द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के अनुसार एलएसी में सेना के जल्द और पूरी तरह से वापस बुलाए जाने पर काम कर सकें और पूरी तरह से अमन और शांति बहाल कर सकें।

पूछे गए प्रश्नों का ये उत्तर था।

यतिन क्या कोई और प्रश्न है?

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): नहीं, सर।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ताः धन्यवाद, इसके साथ ही यह साप्ताहिक ब्रीफिंग समाप्त होती है। धन्यवाद

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