श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
नमस्कार तथा शुभ संध्या
इस आभासी विशेष ब्रीफिंग में आपका स्वागत है।
जैसा कि आप जानते हैं, हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री तथा डेनमार्क के प्रधानमंत्री के बीच भारत-डेनमार्क आभासी शिखर सम्मेलन का समापन हुआ है। आपको इस शिखर सम्मेलन के बारे में बताने के लिए, हमारे साथ संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप), श्रीमती नीता भूषण जी मौजूद हैं। सबसे
पहले संयुक्त सचिव जी अपना प्रारंभिक संबोधन देंगी और फिर हम आपके सवालों कावाब देंगे। आइए, महोदया।
श्रीमती नीता भूषण, संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप): धन्यवाद अनुराग। शुभ संध्या!
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री, महामहिम श्रीमती मेट्टे फ्रेडेरिकसेन के बीच आज 28 सितंबर को पहला आभासी शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। यह बैठक लगभग एक घंटे तक चली। यह यूरोपीय संघ में किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय रूप से आयोजित होने
वाला पहला ऐसा आभासी शिखर सम्मेलन था। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच चर्चा बहुत ही मैत्रीपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच भावनात्मक सामंजस्य देखा गया।
वर्तमान कोविड-19 महामारी के बीच, इस आभासी शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन दोनों नेताओं द्वारा अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने 14 मई 2020 को टेलीफोन के माध्यम से हुई अपनी बातचीत को याद किया, जिसके दौरान
उन्होंने कोविड-19 की परिस्थिति तथा इससे निपटने के लिए आगे के तरीकों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया था। हमारे प्रधानमंत्री ने कोपेनहेगन में दूसरे नॉर्डिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की पेशकश करने पर डेनमार्क की प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया और कहा कि जैसे
ही कोविड की परिस्थिति में थोड़ा सुधार होता है, वो डेनमार्क आना चाहेंगे। उन्होंने डेनमार्क की प्रधानमंत्री को भारत आने का निमंत्रण भी दिया। दोनों पक्षों ने ऐतिहासिक संबंधों, साझा लोकतांत्रिक परंपराओं और लोकतंत्र, बहुलवाद, समावेशिता एवं स्वतंत्रता के साझा मूल्यों
पर आधारित अपने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास पर संतोष भी व्यक्त किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने हरित रणनीतिक साझेदारी के लिए भारत-डेनमार्क संबंधों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक नए युग की साझेदारी थी और हम अपने द्विपक्षीय संबंधों में एक नया आयाम जोड़ेंगे। इस कदम से दोनों देशों को आर्थिक संबंधों
और हरित विकास के विस्तार में मदद मिलेगी वहीं जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ वैश्विक चुनौतियों के समाधान में सहयोग को मजबूती मिलेगी। हमारे प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वृत्तीय अर्थव्यवस्था की अवधारणा को शामिल किया जाना
चाहिए तथा इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री ने उन क्षेत्रों में "इंडिया-डेनमार्क ग्रीन एनर्जी पार्क" की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा, जहां डेनिश कंपनियां अधिक संख्या में मौजूद हैं। उन्होंने भारत डेनमार्क कौशल संस्थान की स्थापना
का भी प्रस्ताव रखा जिससे डेनमार्क की कंपनियां अपनी आवश्यकता के अनुसार कुशल श्रमिक प्राप्त कर सकेंगी। दोनों पक्षों ने व्यापार तथा निवेश के मजबूत जुड़ाव पर चर्चा की। भारत में 140 से अधिक डेनिश कंपनियां हैं और मेक इन इंडिया पहल में भाग ले रही हैं। प्रधानमंत्री
ने यह भी उल्लेख किया कि डेनिश कंपनियां पहले से ही "दुनिया के लिए भारत में निर्माण कर रही हैं"। प्रधानमंत्री ने इस दौरान उल्लेख किया कि - डेनमार्क के पास कौशल है और भारत के पास पैमाना है। इसके लिए "स्कोप" और "स्पीड" को जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय
सौर गठबंधन में शामिल होने के डेनमार्क के फैसले का स्वागत भी किया।
इस दौरान कई क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इस संबंध में एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जा रहा है। धन्यवाद।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद महोदया। अब हम आपके प्रश्नों पर आगे बढ़ेंगे। बिजनेस वर्ल्ड के मनीष झा, भारत के साथ हरित साझेदारी पर हुए हस्ताक्षर के संबंध में भारत-डेनमार्क वर्चुअल समिट का परिणाम जानना चाहते हैं - "वास्तव में हरित साझेदारी
किससे संबंधित है और इस तरह के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए क्या कार्य योजना है?"
श्रीमती नीता भूषण, संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप): यह इस तरह का पहला समझौता है। इससे नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण, वृत्तीय अर्थव्यवस्था, जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, वायु प्रदूषण को कम करने आदि में सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके
लिए कई क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिन पर दोनों पक्ष सहयोग, संयुक्त उद्यम और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण आदि को बढ़ाने हेतु सहयोग करेंगे। जैसा कि आपको ज्ञात है, इसके लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी ताकि इस पर अगले कुछ वर्षों के लिए कुछ विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित
हो सकें।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: अगला सवाल सीएनएन न्यूज 18 से महा ने पूछा है - "डेनमार्क की कंपनियों ने धान के डंठलों से निपटने हेतु कुछ अपशिष्ट से ऊर्जा में परिवर्तन की सुविधाएं स्थापित की हैं। क्या वे धान के डंठलों के पूरे प्रबंधन में भी
निवेश करना चाहते हैं, जो पहले कम लागत वाले स्टबल एक्सट्रैक्टर्स हैं? क्या धान के डंठलों को जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की इस आवर्ती समस्या से निपटने हेतु भारत के लिए इन कंपनियों के पास ऐसा कोई समग्र समाधान है?"
श्रीमती नीता भूषण, संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप):
हाँ, डेनिश कंपनियों के पास ऐसे क्षेत्रों में बहुत अधिक तकनीक तथा विशेषज्ञता है और उन्होंने हमारी बैठक में वायु प्रदूषण को कम करने के लक्ष्य में हमारी मदद करने की पेशकश की है और मुझे लगता है कि डेनिश कंपनियां पहले से ही हमारी कंपनियों के संपर्क में हैं और इस
पर बात कर रही हैं कि इस दिशा में आगे कैसे बढ़ा जाए।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, सरकारी प्रवक्ता: डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत का सवाल कोविड संकट पर है - "इस पर किस तरह की चर्चा हुई? क्या कोविड के टीके के संबंध में कोई जानकारी है?"
श्रीमती नीता भूषण, संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप): हाँ, बैठक के दौरान कोविड संकट चर्चा की गई थी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस पैमाने पर भारत में इसे संभाला जा रहा है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है तथा इस संबंध
में उन्होंने हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व के लिए उनकी प्रशंसा की। टीके के मुद्दे पर, यह चर्चा हुई थी कि समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग से इस महामारी की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी और भारत को अपनी दवा संबंधी क्षमताओं के लिए जाना जाता है,
और हम टीके के विकास के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: बिजनेस वर्ल्ड से मनीष झा का सवाल है - "क्या यूरोपीय संघ-भारत एफटीए पर भी कोई चर्चा हुई? किन मुद्दों पर चर्चा हुई और भारत तथा यूरोपीय संघ के साथ टैरिफ एवं ताजा वार्ता के समाधान में डेनमार्क की क्या स्थिति है?"
श्रीमती नीता भूषण, संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप): हाँ, इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी और इस बात पर सहमति हुई थी कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापक-आधारित व्यापार एवं निवेश समझौते के शुरुआती निष्कर्ष पर साथ मिलकर काम करेंगे।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत का एक और सवाल है - "क्या भारतीय पक्ष द्वारा किम डेवी के प्रत्यर्पण पर कोई चर्चा की गई थी?"
श्रीमती नीता भूषण, संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप): हाँ, इसका उल्लेख किया गया था और इस बात पर सहमति व्यक्त की गई थी कि दोनों पक्षों के संबंधित अधिकारी एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे और दोनों पक्ष मुद्दे के शीघ्र समाधान हेतु साथ मिलकर काम करेंगे।
श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: शायद अब कोई और सवाल नहीं है। महोदया, हमारे साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। तो इसी के साथ यह विशेष ब्रीफिंग समाप्त होती है।