मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा वर्चुअल साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (23 जुलाई 2020)

जुलाई 27, 2020

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: शुभ संध्या और नमस्कार!वर्चुअल प्रारूप के इस साप्ताहिक ब्रीफिंग में आपका स्वागत है।

मैं दो घोषणाओं के साथ शुरू करूँगा। पहला वंदे भारत मिशन पर एक अपडेट है। वंदे भारत मिशन के चौथे चरण के तहत, अब तक कुल 1197 उड़ानें (945 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें और 252 फीडर उड़ानें) निर्धारित की गई हैं। इन उड़ानों को एयर इंडिया समूह, इंडिगो, स्पाइसजेट और गोएयर द्वारा 29 देशों से भारत के 34 हवाई अड्डों के लिए संचालित किया जाता है।

इनमें से 694 उड़ानें 22 जुलाई 2020 तक भारत पहुंच चुकी हैं, जिनसे अब तक लगभग 1 लाख लोगों को स्वदेश लाया जा चुका है। चौथे चरण के 2 अगस्त 2020 तक जारी रहने की उम्मीद है, और उस समय तक लगभग 80,000 और लोगों के लौटने की उम्मीद है।

पिछले हफ्ते, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कुछ देशों के साथ द्विपक्षीय हवाई कोरिडोर की स्थापना की घोषणा की थी। 22 जुलाई से 31 अगस्त के बीच, एयर इंडिया अमेरिका (न्यूयॉर्क, शिकागो, वाशिंगटन, न्यू जर्सी और सैन फ्रांसिस्को) के लिए एक सप्ताह में 30 उड़ानों का संचालन करेगी, जर्मनी (फ्रैंकफर्ट) के लिए एक सप्ताह में 4 उड़ानों और फ्रांस (पेरिस) के लिए एक सप्ताह में 3 उड़ानों का संचालन करेगी।

22 जुलाई तक, 7,88,217 भारतीय नागरिक वापस आ चुके हैं। 1,03,976 भारतीय नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से ज़मीनी सीमाओं के ज़रिये लौटे हैं।

मंत्रालय विदेश में अपनी शिक्षा पूरी कर रहे छात्रों, श्रमिकों और विशिष्ट मांगों वाले अन्य फंसे हुए भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए मिशनों के ज़रिये संपर्क में है।

मैं आज इस बात की भी घोषणा करना चाहूँगा कि आज हमने भारत-बांग्लादेश समुद्री और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि को चिह्नित किया है। पहली बार कोलकाता से अगरतला तक कंटेनर कार्गो का चट्टोग्राम बंदरगाह के ज़रिये सफलतापूर्वक परिवहन हुआ। कार्गो को आज सुबह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री बिप्लब कुमार देब ने प्राप्त किया। इसके साथ ही, भारत के लिए विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए माल के परिवहन में लगने वाली दूरी और समय कम हो जाएगा। यह बांग्लादेश में व्यावसायिक सेवाओं और राजस्व उत्पादन को बढ़ाएगा। लॉजिस्टिक सेक्टर को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा। यह परिचालन बांग्लादेश के चट्टोग्राम और मोंगला पोर्ट के ज़रिये भारत के पारगमन कार्गो की आवाजाही के लिए किये गए समझौते के तहत किया गया था। अक्टूबर 2019 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान इसके लिए एसओपी को अंतिम रूप दिया गया था। यह विकास इस दृष्टि के अनुरूप है कि दोनों देश द्विपक्षीय संपर्क को और अधिक मजबूत बनाने और दोनों पक्षों के लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी की दिशा में अग्रसर हैं।

तो ये थीं वे दो घोषणाएं। अब हम आपके प्रश्नों पर आगे बढ़ेंगे। यतिन, कृपया आप संभालेंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सर, द वीक से रेखा दीक्षित ने पूछा है- "हमारे दूसरे टर्मिनल चाबहार फेज-2 पर काम कब शुरू हो सकता है, कृपया अपडेट करें?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: रेखाजी, पिछले सप्ताह अपनी ब्रीफिंग में, मैंने चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे लाइन पर उस समय विभिन्न सवालों के जवाब दिए थे और मैंने इस परियोजना के अंतर्गत सहयोग की स्थिति पर एक अपडेट भी उपलब्ध कराया था। अपडेट के तौर पर, आपने 20 जुलाई को ईरान में हमारे दूतावास द्वारा एक ट्वीट देखा होगा, हमारे राजदूत को उप मंत्री और ईरानी रेलवे के प्रमुख सईद रसौली ने परियोजना के तहत सहयोग की समीक्षा के लिए एक बैठक के लिए आमंत्रित किया था। और उनकी मुलाकात अच्छी रही थी। उस बैठक के दौरान, चल रहे सहयोग की समीक्षा की गई थी और मैं विशेष रूप से उप मंत्री और ईरानी रेलवे के प्रमुख के उस वक्तव्य पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन रिपोर्टों के पीछे निहित स्वार्थ थे जिनमें बताया गया था कि ईरान ने इस परियोजना से भारत को बाहर रखा है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि मुझे इस मामले पर और स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता है, लेकिन ये वो अपडेट है जो आप चाहती थीं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सर, न्यूज़ 18 से शैलेन्द्र ने पूछा है- "ऐसी खबरें हैं कि ब्रिटेन के जिस संसदीय समूह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया था, उसे पाकिस्तान से फंड मिला है, आपकी उस पर प्रतिक्रिया?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: देखिए, हमने इन रिपोर्टों को देखा है, और वे इस समूह की निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता पर गंभीर सवाल उठाती हैं। वास्तव में, आपमें से कुछ ने इस समूह की यात्रा के बारे में पहले भी रिपोर्ट किया था, और मुझे नहीं लगता कि मैं इस पर आगे कुछ कहूंगा।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सर, मातृभूमि से बी बालगोपाल ने पूछा है- मीडिया में यह बताया गया है कि केरल सोने की तस्करी मामले का एक आरोपी फैसल फरीद यूएई पुलिस की हिरासत में है। क्या यूएई की सरकार ने आधिकारिक रूप से भारत को उसकी हिरासत के बारे में सूचित किया था? यदि हाँ, तो क्या भारत ने इस आरोपी के प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है? क्या यूएई सरकार ने भारत के साथ केरल सोने की तस्करी मामले के जांच निष्कर्ष को साझा किया है?" मातृभूमि से मनोज मेनन ने पूछा है - "हमें पता चला है कि यूएई भी इस मामले की जांच कर रहा है, कृपया विवरण साझा करें। क्या यूएई पुलिस द्वारा फैसल फरीद की गिरफ्तारी के बारे में हमारे पास कोई आधिकारिक पुष्टि है? क्या त्रिवेंद्रम में यूएई वाणिज्य दूतावास के कामकाज पर विदेश मंत्रालय द्वारा कोई तहकीकात की गई है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: इस केरल सोने की तस्करी मामले पर आपके सवालों के जवाब में, मैं इतना ही कहूँगा, आप जानते हैं कि इस मामले की एनआईए द्वारा जांच की जा रही है, इसलिए मैं इस मुद्दे पर विशिष्ट प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं यही कहूंगा कि यूएई के अधिकारी जांच में हमें सभी आवश्यक सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत का सवाल है- "भारत अफगानिस्तान से हिंदुओं और सिखों को वापस लाने की सुविधा किस प्रकार दे रहा है, क्या उन्हें नागरिकता देने की कोई योजना है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सिद्धांत, मुझे लगता है कि आपका प्रश्न हाल के श्री निदान सिंह के अपहरण के संदर्भ में है और आपने इस सप्ताह के आरंभ में हमारा बयान देखा होगा। अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय पर हाल ही में हमले हुए हैं और ये हमले आतंकवादियों ने अपने बाहरी समर्थकों के इशारे पर किए हैं। हमें इन समुदायों के सदस्यों से अनुरोध प्राप्त होते रहे हैं। वे भारत आना चाहते हैं। वे यहां बसना चाहते हैं। और मौजूदा कोविड संकट के बावजूद हम इस अनुरोध को सुविधाजनक बना रहे हैं। काबुल में हमारा दूतावास यहां आने के लिए आवश्यक वीजा प्रदान कर रहा है। और एक बार जब वे यहां पहुंच जाते हैं, तो उनके अनुरोध की जांच की जाएगी और मौजूदा नियमों और नीतियों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सर, डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत ने यह भी पूछा है- "पाकिस्तान में बुद्ध की मूर्ति के साथ तोड़-फोड़ की गई थी, उस पर कोई प्रतिक्रिया?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मुझे लगता है कि आप 18 जुलाई की उस घटना का जिक्र कर रहे हैं जिसमें खैबर पख्तुन्ख्वा के मर्दान जिले में एक मकान की खुदाई के दौरान गंधार शैली की बुद्ध की प्रतिमा मिली थी और जहाँ तक हम समझते हैं, एक धार्मिक मौलवी के इशारे पर चार पाकिस्तानी नागरिकों ने उस मूर्ति को हथोड़े से तोड़ दिया, क्योंकि मौलवी ने उन्हें कहा था किअगर वे उस मूर्ति को नहीं गिराते हैं तो उनकी आस्था खत्म हो जाएगी। अब, इसकी व्यापक रूप से निंदा की गई है। गया शहर के भिक्षुओं ने इस बर्बरता की निंदा की है। हमारे देश में अलग-अलग समुदायों के लोगों द्वारा भी व्यापक चिंता व्यक्त की गई है और हमने पाकिस्तान को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है। हमने उन्हें बता दिया है कि हमें उम्मीद है कि वे वहां के अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा, सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करेंगे, साथ ही उनकी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करेंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): सर, न्यूज मोबाइल से सौरभ ने पूछा है- "भारत में सीधे तौर पर चीनी सरकार और पीएलए के स्वामित्व वाली कंपनियों के कारोबार को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंता जाहिर की गई हैं। भारत सरकार उनकी गतिविधियों की जाँच करने के लिए क्या कर रही है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: वैसे, मुझे उन रिपोर्टों के आधार के बारे में पता नहीं है जिनके आधार पर यह प्रश्न पूछा गया है, लेकिन मैं ये कह सकता हूं कि भारत दुनिया में कहीं भी एफडीआई के लिए सबसे खुला क्षेत्र प्रदान करता है। और सरकार समय-समय पर राष्ट्रीय हितों के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एफडीआई से संबंधित नियम जारी करती है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): बीबीसी से सुभज्योति ने पूछा है- "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत में कश्मीर का मुद्दा उठाया है। इस मुद्दे पर भारत का रुख क्या है?" हिंदू से कलोल ने भी यही सवाल पूछा था।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: देखिए, बांग्लादेश के साथ हमारे संबंध परखे हुए और ऐतिहासिक हैं। आपको पता होगा कि इस वर्ष मुजीब बोरशो का उत्सव है और दोनों देश इस वर्ष इस साझेदारी को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। हम बांग्लादेश के साथ खड़े हैं क्योंकि हमारे संबंध हमारे साझा बलिदानों से, इतिहास से जुड़े हुए हैं। जहाँ तक जम्मू-कश्मीर का संबंध है, हम उनके इस सतत रुख की सराहना करते हैं कि जम्मू-कश्मीर और वहां विकास के सभी घटनाक्रम भारत के आंतरिक मामले हैं और यह एक ऐसा स्टैंड है जिसपर वे हमेशा कायम रहे हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, वेंकट नारायण का सवाल है- "ऐसी खबरें हैं कि 3 चीनी पत्रकारों को निष्कासित कर दिया गया है। वे कौन हैं? उन्हें क्यों निकाला गया? कृपया स्पष्ट करें।" टेलीग्राफ की अनीता जोशुआ ने पूछा है- "क्या भारत स्थित तीन चीनी पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा गया है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): न्यूज 18 के नीरज ने पूछा है- "वीबीएम का चौथा चरण आज खतम होने वाला है। क्या पांचवा चरण शुरू हो गया है या चौथे को विस्तारित किया गया है?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: नीरज जी! जो चौथा चरण है, जैसा कि मैंने बताया, वो 2 अगस्त को ख़त्म होगा और पांचवे चरण के बारे में जो भी फैसला होगा, उचित समय पर हमलोग आपको सूचना दे देंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): फाइनेंशियल एक्सप्रेस से हुमा ने पूछा है- "किर्गिस्तान से मेडिकल छात्रों के स्वदेश प्रत्यावर्तन की स्थिति क्या है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: जहाँ तक किर्गिस्तान से स्वदेश वापसी का सवाल है, हम अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था कर रहे हैं, वास्तव में, बड़ी संख्या में ऐसे विमानों को लगाया जा चुका है, और हमें उम्मीद है कि इन अतिरिक्त उड़ानों से हम अपने ज्यादा से ज्यादा छात्रों को वहां से वापस ला सकेंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): बिज़नेस वर्ल्ड के मनीष सराफ ने पूछा है- "बिहार में नेपाली पुलिस द्वारा एक और भारतीय नागरिक की हत्या कर दी गयी है, क्या विदेश मंत्रालय द्वारा नेपाल को कोई प्रतिक्रिया दी गयी है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: नेपाल की लड़ाई की घटना पर, मुझे लगता है कि आप अथरजुलाई की घटना का उल्लेख कर रहे हैं, और इसमें एक भारतीय नागरिक घायल हो गया था, और मैं ये कह सकता हूं कि सीमा सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नेपाल के साथ हमारा व्यापक और सतत सहयोग है। और वास्तव में, दोनों पक्षों के संबंधित विभागों के बीच सकारात्मक समन्वय है। हमने एसओपी और तंत्र स्थापित किए हैं और इन स्थापित एसओपी और तंत्रों के तहत हमने नेपाल के साथ इस मुद्दे को उठाया है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): नवभारत टाइम्स के नरेंद्र नाथ मिश्रा का सवाल है- "क्या इंडिया को जी7 शिखर सम्मलेन में शामिल होने के लिए यूएसए की ओर से औपचारिक निमंत्रण मिला है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: नरेंद्र जी, 2 जून को बातचीत हुई थी, राष्ट्रपति ट्रम्प और हमारे प्रधानमन्त्री के बीच में, तो उस दौरान एक न्योता दिया गया था कि जी7 शिखर सम्मलेन में भारत भाग ले, और प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को बताया था कि हम इसमें ख़ुशी से भाग लेंगे और हम इस समिट की सफलता के लिए उनके साथ काम करेंगे। उसके बाद हमारी ये समझ है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जो है, मेज़बान के तौर पर, होस्ट के तौर पर, जो भी इससे रिलेटेड इश्यूज हैं, उस पर काम करेगा।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): द वीक की रेखा दीक्षित ने पूछा है- "पिछले पांच वर्षों में भारत ने अपने पड़ोसियों को कितनी सहायता दी है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: रेखाजी, मेरे पास अभी ये आंकड़े नहीं हैं, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि आप इन आंकड़ों को प्राप्त कर सकते हैं, वे विदेश मंत्रालय प्रदर्शन डैशबोर्ड पर आसानी से उपलब्ध हैं। अब यह डैशबोर्ड एमईए की वेबसाइट पर है, वहां एक लिंक है और मैं आपको उस पर जाने और उसे देखने के लिए कहूंगा।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): द हिंदू से सुहासिनी ने पूछा है- "अमेरिकी विदेश मंत्री, पोम्पिओ ने चीन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने का आह्वान किया है। आपकी प्रतिक्रिया क्या है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सुहासिनी, मैं पहले ही बता चुका हूं कि हम चीन के साथ अपनी सीमाओं पर शांति और सद्भाव के मुद्दे पर लगे हुए हैं। हम स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से उनसे बात कर रहे हैं। अब, चूंकि भारत और चीन दोनों प्रमुख देश हैं, इसलिए इस मुद्दे ने पूरी दुनिया में दिलचस्पी पैदा की है। मैं कह सकता हूं कि हमारी कूटनीति के हिस्से के रूप में, हम अपने दृष्टिकोण को व्यक्त करने के इच्छुक लोगों के साथ काम कर रहे हैं।

मैं किर्गिस्तान के प्रश्न पर वापस जाना चाहूंगा। मेरे पास कुछ विशिष्ट आंकड़े हैं जिन्हें मैं साझा करना चाहूंगा। मुझे लगता है कि हुमा ने वह सवाल पूछा था। देखिये, किर्गिस्तान पर मैंने आपसे कहा था कि हम अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था कर रहे हैं। वास्तव में, उल्लखनीय संख्या में उड़ानों की व्यवस्था की गई है। इस महीने ही 3 से 30 जुलाई तक, बिश्केक से भारत के 13 गंतव्यों तक 25 उड़ानों की व्यवस्था की गयी है। और जब वंदे भारत का वर्तमान चरण समाप्त होगा, तो हमारे पास 88 उड़ानें होंगी जो लगभग 13,600 भारतीय नागरिकों को वापस लाएंगी और इसमें छात्र भी शामिल हैं। और मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि कोविड की स्थिति के कारण किर्गिस्तान में चार्टर्ड उड़ानों के लिए कुछ प्रतिबंध लागू थे और हमारे राजदूत के हस्तक्षेप के कारण हम इसमें छूट प्राप्त कर सके और वहां से चार्टर्ड उड़ानों को संचालित कर सके।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर ने पूछा है- "क्या विदेश मंत्रालय कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की मांग वाली पाक सरकार की इस्लामाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर प्रतिक्रिया देगा?" टाइम्स नाउ से अथर ने पूछा है- "जाधव पर क्या साझा किया जा सकता है, खासतौर पर तब जब उनके लिए वकील नियुक्त करने में असमर्थता जताने के बाद पाकिस्तान ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया है? उन्होंने मुख्य हितधारकों यानी भारत सरकार और खुद जाधव को भी साथ नहीं लिया?"। टाइम्स नाउ से श्रीन्जोय ने पूछा है- "सरकार ने कुलभूषण जाधव को बचाने की बात कही है। सरकार द्वारा पाकिस्तान के मौजूदा और एकतरफा फैसलों को देखते हुए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: वास्तव में, इन सवालों का जवाब देने के लिए, मुझे लगता है कि मुझे इस पर कुछ पृष्ठभूमि में जाने की आवश्यकता है।

अब, आपको पता होगा कि हमने पिछले एक साल में 12 बार अनुरोध किया है। हमने श्री कुलभूषण जाधव तक वाणिज्य दूत की पहुँच के लिए अनुरोध किया है और पाकिस्तान बिना शर्त, बेरोकटोक पहुँच प्रदान करने में सक्षम नहीं रहा है। आपने 16 जुलाई के मेरे प्रेस वक्तव्य को भी देखा होगा जहां हमने बताया था कि वाणिज्य दूतावास अधिकारियों के साथ मुलाकात, तथाकथित मुलाकात, जिसकी व्यवस्था पाकिस्तान द्वारा करवाई गई थी, श्री जाधव के साथ वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की उस बैठक को बर्बाद कर दिया गया था। हमारे अधिकारियों को उन्हें दस्तावेज सौंपने की अनुमति नहीं थी। उन्हें श्री जाधव से पावर ऑफ अटॉर्नी प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी।

तत्पश्चात, और इसी तरह, दूसरे मोर्चे पर, उनकी समीक्षा याचिका दायर करने के लिए प्रासंगिक दस्तावेज मांगने के संदर्भ में, हमें पाकिस्तान द्वारा सलाह दी गई थी कि उन्हें एक अधिकृत पाकिस्तानी वकील को सौंप दिया जाएगा। अब, ये दस्तावेज एफआईआर, चार्जशीट, पाकिस्तानी कोर्ट के आदेशों के संदर्भ में थे, जिसमें फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल भी शामिल था। इसलिए, हमें सलाह दी गई थी कि इन्हें एक अधिकृत पाकिस्तानी वकील को सौंप दिया जाएगा। अब, भारत ने एक वकील की नियुक्ति की और हम संबंधित दस्तावेजों को प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन आश्चर्य है कि जब अधिकृत वकील संबंधित अधिकारियों के पास गए, तो उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया।

अब, वाणिज्य दूतावास अधिकारियों की एक सार्थक मुलाकात और अंतिम दस्तावेज के रूप में प्रासंगिक दस्तावेज, इन दोनों की ही अनुपस्थिति में, हमने 18 जुलाई को अदालत में अपनी समीक्षा याचिका दायर करने की कोशिश की। हालांकि, हमारे पाकिस्तानी वकील को सूचित किया गया था कि पावर ऑफ अटॉर्नी और सहायक दस्तावेजों की अनुपस्थिति में समीक्षा याचिका दायर नहीं की जा सकती है। तो, क्या हुआ है कि पाकिस्तान ने दाखिल करने की अंतिम तारीख के मामले में भी भ्रम पैदा किया है। उन्होंने पहले हमें बताया कि यह 19 जुलाई होगा। इसके बाद, उन्होंने कहा कि यह 20 जुलाई है। अध्यादेश में काफी अपर्याप्तताएँ और कमियाँ भी हैं, जिन्हें उनके द्वारा प्रचारित किया गया है। यह किसी भी तरह से इसे पूरा नहीं करता है या आईसीजे के फैसले का पालन करता है। भारत को सूचित करने में भी काफी देरी हुई है। हमें इस अध्यादेश के बारे में सूचित करने में उन्होंने लगभग दो सप्ताह का समय लिया। और वो भी तब जब हमने पूछा कि क्या उन्होंने हमें अध्यादेश की एक प्रति प्रदान कर दी है।

तो, ऐसा प्रतीत होता है कि अध्यादेश के संबंध में पाकिस्तान की कार्रवाई, हमारे द्वारा अनुरोध किए गए दस्तावेजों को उपलब्ध न कराने की पूरी कवायद, बेरोकटोक, बिना शर्त वाणिज्य दूतावास अधिकारियों के साथ मुलाकात नहीं करवाने के साथ-साथ हाल ही में उच्च न्यायालय तक जाने की एकतरफा कार्रवाई को लेकर आ रही रिपोर्ट, यह सब एक बार फिर से पाकिस्तान के हास्यास्पद तौर-तरीकों को उजागर करता है। पाकिस्तान ने भारत को उपलब्ध प्रभावी उपाय के लिए सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। अब, पाकिस्तान न केवल आईसीजे के फैसले का उल्लंघन कर रहा है, बल्कि स्वयं अपने अध्यादेश का भी। और इस प्रकाश में, भारत इस मामले में अपनी स्थिति पर कायम है, जिसमें आगे के उपायों का लाभ उठाने का अधिकार भी शामिल है। तो यह आपके संदर्भ में है, यह आपके प्रश्नों का एक लंबा जवाब है, लेकिन मुझे लगता है कि यह पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण थी और यह स्पष्ट रूप से हमारी वर्तमान स्थिति है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, चीन पर, न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर ने पूछा है- "एलएसी से पीछे हटने की प्रक्रिया धीमी होने की रिपोर्ट आई हैं। क्या यह चीन द्वारा कोर कमांडर स्तर और एसआर स्तर की वार्ता के दौरान किए गए समझौतों का पालन नहीं करने का संकेत है? " सीएनएन न्यूज़18 से महा का सवाल है- "अगली डब्ल्यूएमसीसी बैठक में, क्या भारत विशेष रूप से पैंगॉन्ग झील से पीछे हटने का मुद्दा उठाएगा? चीन के लिए भारत का संदेश क्या होगा क्योंकि पीछे हटने में रुकावट ने हमें फिर से सकते में डाल दिया है?" रक्षक न्यूज़ से रंजीत कुमार ने पूछा है - "पिछली डब्ल्यूएमसीसी बैठकों के दौरान बनी सहमति के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख में एलएसी से पीछे हटने और तनाव की तीव्रता कम करने की प्रक्रिया की स्थिति क्या है?" टाइम्स नाउ से अथर ने पूछा है- "कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पैंगॉन्ग फिंगर क्षेत्र के साथ-साथ अन्य स्थानों पर चीनी सैनिकों के वापस लौटने का वादा करने के बावजूद, जैसी उम्मीद हम कर रहे थे वैसा नहीं हुआ है। क्या आप टिप्पणी कर सकते हैं कि केवल दिखावटी वापसी की रिपोर्ट को कल होने वाली डब्ल्यूएमसीसी बैठक में किस प्रकार देखा जाएगा? क्या इसे उठाया जाएगा? " इसी तरह के सवाल टाइम्स नाउ से श्रींजॉय, इंडिया बनाम डिसइनफोर्मेशन से शंकर कुमार, डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत, न्यूज 18 से नीरज कुमार, एशियन एज से श्रीधर, यूएनआई से अनीश, रिपब्लिक से अभिषेक, हिंदुस्तान टाइम्स से रेजाउल, और यूनिवार्ता से सचिन द्वारा भी पूछे गए हैं।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए, सबसे पहले, मैंने पिछले कई हफ्तों में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संबंध में कई बयानों के माध्यम से सरकार की स्थिति को स्पष्ट किया है।

जैसा कि पहले बताया गया है, एलएसी पर सम्मान और सख्ती का पालन करना सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है। 1993 से भारत और चीन द्वारा किए गए कई समझौते इसे मजबूती से स्वीकार करते हैं। 26 जून के अपने बयान में, मैंने बताया था कि इस वर्ष चीनी सेनाओं का आचरण, जिसमें सैनिकों के बड़े दल की तैनाती और व्यवहार में बदलाव के साथ-साथ अनुचित और अस्थिर दावे शामिल हैं, सभी आपसी समझौतों की पूर्ण अवहेलना है। हमने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत एलएसीकी निगरानी और सम्मान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम एलएसी के साथ यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास को स्वीकार नहीं करेंगे।

दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव की पूर्ण बहाली के लिए एलएसी के साथ पीछे हटने और युद्ध का तनाव कम करने की दिशा में काम करने के लिए सहमति व्यक्त की है।

दोनों पक्ष इस उद्देश्य को तेजी से हासिल करने के लिए स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चर्चा में लगे हुए हैं। मैंने पिछले सप्ताह जानकारी दी थी कि 14 जुलाई को वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का चौथा दौर आयोजित किया गया था, जहाँ उन्होंने पूर्ण रूप से पीछे हटना सुनिश्चित करने के लिए और कदमों पर चर्चा की। इस संदर्भ में, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय (WMCC) के लिए कार्य तंत्र की एक और बैठक भी जल्द ही होने वाली है। जैसा कि हमने पहले कहा है, सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव कायम रखना हमारे द्विपक्षीय संबंधों का आधार है। इसलिए हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष ईमानदारी से पूर्ण डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन तथा सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव की पूर्ण बहाली के लिए जल्द से जल्द काम करेगा, जैसा कि विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी।

तो ये उन सवालों के जवाब हैं।

क्या कोई और सवाल है, यतिन?

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): नहीं, सर।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद। तो यह साप्ताहिक ब्रीफिंग समाप्त होती है।

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