मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा वर्चुअल साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (09 जुलाई 2020)

जुलाई 10, 2020

इस वर्चुअल साप्ताहिक ब्रीफिंग में आपका स्वागत है। मैं दो घोषणाएं करना चाहूँगा। पहली घोषणा भारत यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के बारे में है। भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन की 15 वीं बैठक 15 जुलाई 2020 को वर्चुअल मोड में आयोजित की जाएगी। शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष करेंगे। शिखर सम्मेलन में भारत-यूरोपीय संघ के सहयोग की समीक्षा होगी, जिसमें राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों, व्यापार और निवेश और आर्थिक सहयोग शामिल होंगे। शिखर सम्मेलन में कोविड-19 महामारी के संबंध में विकास और दोनों पक्षों के हित संबंधी समकालीन वैश्विक मामलों पर चर्चा होने की अपेक्षा है। आपको याद होगा कि 14 वां भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन 6 अक्टूबर 2017 को नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। यह पहली घोषणा थी।

दूसरी घोषणा वंदे भारत मिशन पर एक अपडेट है।

वन्दे भारत मिशन का चरण 4 वर्तमान चल रहा है। इस चरण के तहत, 637 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें पहले ही निर्धारित की जा चुकी हैं। ये उड़ानें भारत की 29 हवाई अड्डों से चलेंगी। इन उड़ानों का विवरण हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है।

8 जुलाई 2020 तक, भारत में प्रत्यावर्तन के लिए विदेश में हमारे मिशनों में अपना अनुरोध पंजीकृत करवाने वाले कुल 6,61,352 व्यक्तियों में से 5,80,000 से अधिक इस मिशन के तहत वापस लौट चुके हैं। इस संख्या में 97,000 से अधिक भारतीय शामिल हैं, जो नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से भूमि सीमा आव्रजन चौकियों के माध्यम से लौटे हैं।

अब मुख्य रूप से जीसीसी देशों, मलेशिया और सिंगापुर से फंसे हुए भारतीयों की वापसी की मांग आ रही है। हमारे मिशन दूरदराज के क्षेत्रों से हमारे नागरिकों को वापस लाने के लिए नियमित रूप से काम कर रहे हैं। इस संबंध में, हमनें लैटिन अमेरिकी देशों के यात्रियों को वापस लाने के लिए एम्स्टर्डम से उड़ानें चलाने का कार्यक्रम बनाया है, साथ ही अफ्रीका से आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लागोस, नैरोबी और दक्षिण अफ्रीका से भी उड़ानें रवाना होंगी।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, एयर इंडिया और भारत की निजी एयरलाइंस के समन्वय में विदेश मंत्रालय उन सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने के हमारे प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है जो बाहर फंसे हुए हैं और भारत वापसी की इच्छा रखते हैं।

अब हम आपके प्रश्नों की ओर बढ़ेंगे और मैं यतिन से प्रश्न पढ़ने का अनुरोध करूंगा।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, पहला प्रश्न भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन पर है, रक्षक न्यूज से रंजीत कुमार ने पूछा है – "आगामी भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के दौरान, एफटीए वार्ताओं पर कोई प्रगति की उम्मीद है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
रंजीत जी, मैंने आपको अभी-अभी भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन की घोषणा के बारे में पढ़ कर सुनाया। और, जैसा कि मैंने कहा था, शिखर सम्मेलन में हमारे सहयोग की संपूर्ण श्रृंखला ​​की समीक्षा होगी और इसमें व्यापार और निवेश और आर्थिक सहयोग के मुद्दे भी शामिल होंगे। एफटीए वार्ताओं पर प्रगति के बारे में, मुझे नहीं लगता कि शिखर सम्मेलन के परिणाम का पूर्वानुमान लगाना मेरे लिए सही होगा।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, अगला प्रश्न वंदे भारत मिशन पर है। न्यूज़ 18 तमिल से सुचित्रा ने पूछा है – "किर्गिस्तान में फंसे लगभग 637 भारतीय छात्रों, जो विभिन्न चिकित्सा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं, ने वापसी के लिए विदेश मंत्री से अपील की है। क्या इन छात्रों को वापस लाने हेतु किर्गिस्तान के लिए अतिरिक्त उड़ानों का समय निर्धारित करने की कोई योजना है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सुचित्रा, हम इस आवश्यकता से परिचित हैं और हम अतिरिक्त उड़ानों का समय निर्धारित कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इन उड़ानों के निर्धारित होने के बाद, हम किर्गिस्तान से इस आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, अगला प्रश्न अमेरिका में छात्रों के मुद्दे पर है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर बनाकर ने पूछा है – "विदेश कार्यालय परामर्श के दौरान अमेरिकी वीजा का मुद्दा उठाया गया था, क्या इस बारे में कोई अपडेट है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: हमने अमेरिकी छात्र और एक्सचेंज वीज़ा प्रोग्राम का समाचार देखा है और हम इस संभावना को लेकर चिंतित हैं कि इसके परिणामस्वरूप अमेरिका में पढ़ाई कर रहे बड़ी संख्या में भारतीय छात्र वापस लौट सकते हैं। हमने अमेरिकी पक्ष को अपनी चिंता से अवगत कराया है और 7 जुलाई को आयोजित विदेश कार्यालय परामर्श के दौरान विदेश सचिव ने अपने समकक्ष के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। हमने अमेरिकी पक्ष से आग्रह किया है कि हमें अपने संबंधों के विकास में शैक्षिक आदान-प्रदान और लोगों से लोगों के संपर्क की भूमिका को याद रखने की आवश्यकता है और अमेरिकी पक्ष ने इस संबंध में हमारी चिंताओं पर ध्यान दिया है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, अगला प्रश्न कुवैत के बिल पर है। बीबीसी से एंड्रयू ने पूछा है – "क्या कुवैत के प्रस्तावित एक्सपैट कोटा बिल के संबंध में मंत्रालय द्वारा कोई बयान जारी किया गया है और भारतीय प्रवासी समुदाय पर इसका क्या प्रभाव होगा? यह बिल कुवैत से भारत के विदेशी प्रेषण को कैसे प्रभावित करता है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: एंड्रयू, हम कुवैत के घटनाक्रमों पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और मैं आपको ये बता सकता हूं कि इस मामले पर हाल ही में दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों के बीच चर्चा हुई थी। हम कुवैत के साथ उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं, और ये संबंध हमारे लोगों से लोगों के संपर्क की जड़ों में निहित है। भारतीय समुदाय को कुवैत के साथ-साथ बाकी के अन्य क्षेत्रों में भी माना जाता है, और उनके योगदान को भी मान्यता प्राप्त है। इसलिए, हमने कुवैती पक्ष से अनुरोध किया है कि उनके निर्णय में इसका ध्यान रखा जाए।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, प्रश्न का अगला सेट एनरिका लेक्सी के मामले पर है। मलयाला मनोरमा के जोमी थॉमस ने पूछा है – "एनरिका लेक्सी के मामले में, 21 मई को आईटीएलओएस का आदेश आया। 6 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ट्रिब्यूनल का फैसला जैसे आएगा, अदालत और केरल राज्य को इस बारे में तुरंत सूचित किया जाना चाहिए, खासकर इसलिए क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था और आरोपी सशर्त जमानत पर थे। केंद्र को अदालत और केरल राज्य को सूचित करने में 40 दिन क्यों लग गए?” न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर बनाकर ने पूछा है – "ट्रिब्यूनल का यह फैसला आने के बाद कि जीवन-हानि के लिए भारत मुआवजा पाने का हक़दार है, क्या भारत और इटली ने इटली के समुद्री मामले में मुआवजे पर चर्चा की है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: देखिए, मैं कहूंगा कि यह कहना गलत होगा कि फैसले के बारे में सूचना देने में देरी हुई थी। वास्तव में, भारत सरकार को यह फैसला आने के कुछ हफ्ते बाद ही इसकी सूचना मिली थी और इसके बाद हमें अपनी ओर से इसका कानूनी मूल्यांकन भी करना था। जब यह पूरा हुआ तब हमने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ केरल सरकार को इसकी सूचना दी।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): महोदय, प्रश्नों का अगला सेट केरल में सोने की जब्ती पर है। मलयाला मनोरमा से जोमी थॉमस ने पूछा है – "त्रिवेंद्रम में संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास के राजनयिक सामान का उपयोग कर सोने की तस्करी के मामले में विदेश मंत्रालय का क्या रुख है? क्या विदेश मंत्रालय ने यूएई सरकार या दिल्ली में उसके राजदूत से कोई स्पष्टीकरण मांगा है?” टाइम्स नाउ से श्रीनिजॉय ने पूछा – "सोने की तस्करी के मामले में क्या भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: इस मामले की पृष्ठभूमि देने के लिए, कस्टम अधिकारियों ने, स्थापित प्रोटोकॉल और प्रक्रिया का पालन करते हुए, तिरुवनंतपुरम में संयुक्त अरब अमीरात के महावाणिज्य दूतावास में काम करने वाले एक अधिकारी के नाम पर विदेश से भेजी गए एक कन्साइनमेंट को जब्त किया है।

विदेश मंत्रालय ने यूएई के दूतावास को इस मामले की सूचना दी थी। यूएई मिशन ने उक्त कन्साइनमेंट की जांच में कस्टम अधिकारियों के साथ हर सहयोग किया है। मामले की आगे जांच चल रही है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): तो, प्रश्नों का अगला सेट श्री कुलभूषण जाधव पर है। टाइम्स नाउ से श्रीनिजॉय ने पूछा है – "सरकार ने कुलभूषण जाधव को बचाने का फैसला किया है। सरकार क्या उपाय करेगी? क्या इसका मतलब है कि भारत आईसीजे जाएगा?” वायर से देविरुपा ने पूछा है – "भारत ने कहा है कि यह अध्यादेश आईसीजे के फैसले का उल्लंघन करता है, कृपया विस्तार में बताएं कि ये किस प्रकार है ?” देविरुपा से एक और प्रश्न – "यदि भारत नए अध्यादेश के तहत दिए गए विकल्पों को नहीं चुनता है तो भारत के पास क्या रास्ता बचेगा ?” अगला प्रश्न - "क्या भारत दूसरे कांसुलर एक्सेस का प्रस्ताव स्वीकार करेगा, और साथ ही, क्या जाधव की पत्नी और पिता के पाकिस्तान की यात्रा को मंजूरी देगा?” टाइम्स नाउ से अथर खान ने पूछा है – "पाकिस्तान ने भारत सरकार के लिए आईसीजे में समीक्षा का एक विकल्प खुला रखते हुए नैतिक उच्च भूमि का दावा करने की कोशिश की है, इसके बावजूद दया याचिका के संबंध में श्री जाधव को डराने का हास्यजनक प्रयास भी किया है। क्या सरकार आईसीजे से दुबारा गुहार लगाने की योजना रखती है?” ट्रिब्यून से संदीप दीक्षित ने पूछा है – "क्या भारतीय उच्चायोग कुलभूषण जाधव की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा?” एनडीटीवी इंडिया से कादम्बिनी ने पूछा है – "क्या भारत जाधव की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा, क्योंकि पाकिस्तान ने अध्यादेश के तहत कहा है, ऐसा किया जा सकता है?” अगला प्रश्न – "पाकिस्तान ने कांसुलर एक्सेस का प्रस्ताव दिया है, क्या भारत इसे स्वीकार करेगा?” पीटीआई भाषा से दीपक रंजन ने पूछा है – "कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान के दावे पर मंत्रालय की क्या प्रतिक्रिया है? अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में इस मामले की क्या स्थिति है?” एबीपी से प्रणय ने पूछा है – "कुलभूषण जाधव के लिए पाकिस्तान के दूसरे कांसुलर एक्सेस के प्रस्ताव पर मंत्रालय की क्या प्रतिक्रिया है? इसके अलावा, क्या कुलभूषण जाधव को अपने पिता और पत्नी से मिलने की अनुमति देने के लिए कोई फैसला किया गया है? यदि ऐसा है, तो यह कब संभव होगा?” न्यूज़ 18 से शैलेंद्र ने पूछा है – "क्या भारत कुलभूषण जाधव के कांसुलर एक्सेस के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा?” डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत ने पूछा है – "क्या भारत आईसीजे में जाएगा?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: खैर, आप सभी ने कल जारी किया गया विस्तृत वक्तव्य देखा होगा। वक्तव्य में अनिवार्य रूप से, हमने बताया था कि पाकिस्तान का यह दावा कि श्री कुलभूषण जाधव, जो उनकी हिरासत में हैं, ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया है, यह पिछले 4 वर्षों से चल रहे फरेब का ही एक सिलसिला है। आपके सवालों का जवाब देने के लिए, इस चरण में, हम अपने कानूनी विकल्पों का आंकलन कर रहे हैं और हम अपने भारतीय नागरिक के जीवन की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं दीपक रंजन को हिंदी में जवाब दूंगा जिन्होंने हिंदी में यही प्रश्न पूछा है। दीपक, हमने कल एक विस्तृत वक्तव्य जारी किया था और इस वक्तव्य में हमने कहा था कि पाकिस्तान का दावा है कि श्री कुलभूषण जाधव, जो उनकी हिरासत में हैं, ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया गया है जो पिछले चार वर्षों से चल रहे फरेब के खेल का सिलसिला है। वर्तमान में हम कानूनी विकल्पों का आंकलन कर रहे हैं और हम एक भारतीय नागरिक के जीवन की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
प्रश्नों का अगला सेट नेपाल पर है। द हिंदू के कल्लोल ने पूछा है – "नेपाली अधिकारियों ने भारत पर धारचूला-लिपुलेख मार्ग को चौड़ा करने के लिए चट्टानों को डायनामाइट से उड़ाने का आरोप लगाया है, जिससे उस सड़क का कुछ हिस्सा नष्ट हो गया है जो नेपाल महाकाली नदी के पास अपने क्षेत्र में बना रहा है। नेपाल ने जमीन पर अपना दावा किया है और कालापानी के क्षेत्र पर चर्चा के लिए पूछा है यह कहते हुए कि यथास्थिति में बदलाव नहीं होना चाहिए। भारत सीमा वार्ता पर नेपाल के साथ कब जुड़ने की योजना बना रहा है?” एक और प्रश्न - "चीनी राजदूत पुष्पकमल दाहाल प्रचंड, माधव नेपाल और पीएम ओली के साथ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के आंतरिक मतभेदों को दूर करने में मदद के लिए मध्यस्थता कर रही हैं। उनकी कार्रवाई के खिलाफ कुछ लोक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह कूटनीति के स्थापित नियमों का उल्लंघन है। क्या आपको लगता है कि नेपाल के शीर्ष नेताओं के साथ राजदूत हाउ की बातचीत चीन द्वारा नेपाल की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है?” पीटीआई भाषा से दीपक रंजन ने पूछा है - "नेपाल के खिलाफ क्या कदम उठाए जा रहे हैं जो सीतामढ़ी-रक्सौल और बिहार में अन्य स्थानों पर निर्माण कार्य को बाधित कर रहा है?” दूसरा प्रश्न है - "नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव पर सरकार और मंत्रालय क्या कर रहे हैं?” न्यूज़ 18 से नीरज कुमार ने पूछा है - "नेपाल की राजनीति में चीनी राजदूत और चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को भारत किस तरह देखता है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: हमने भारत-नेपाल सीमा मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपना रुख प्रकट किया है, और नेपाल के आंतरिक राजनीतिक मामलों पर हम कोई टिप्पणी नहीं देना चाहते हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): प्रश्नों का अगला सेट करतारपुर पर है। आदित्य राज कौल ने पूछा है - "पाकिस्तान ने करतारपुर गुरुद्वारा को एकतरफा खोल दिया है, कॉरिडोर को खोलने के समबन्ध में भारत की क्या स्थिति है?” एक और प्रश्न - "भारत ने हाल ही में 9 खालिस्तानी आतंकवादियों को नामित किया है, जिनमें से कई पाकिस्तान के बासिन्दे हैं। क्या भारत को लगता है कि पाकिस्तान भारत में खालिस्तानी आतंक फैलाने के लिए करतारपुर कॉरिडोर का उपयोग कर सकता है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: आदित्य, आपको पता होगा कि करतारपुर साहिब को लेकर हमारा एक समझौता हुआ है और हम वर्तमान में इस संबंध में विभिन्न हितधारकों से परामर्श कर रहे हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): तो, अगला प्रश्न डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत का श्रीलंका पर है - "क्या ऋण राहत के लिए श्रीलंका के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सिद्धांत, आपने हाल ही में वह प्रेस विज्ञप्ति देखी होगी जो हमारे उच्चायोग द्वारा कोलंबो में जारी की गई थी और जिसमें श्रीलंकाई सरकार के इस विशेष अनुरोध पर अपडेट दिया गया था। मैं आपको ये जानकारी दे सकता हूं कि मामला आगे बढ़ा है और वर्तमान में तकनीकी स्तर पर चर्चा चल रही है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): तो, अगला प्रश्न न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर बनाकर का है - "अमेरिकी राज्य सचिव, माइक पोम्पिओ ने कल कहा था कि उन्होंने विदेश मंत्री श्री जयशंकर से गल्वान घाटी के मुद्दे पर कई बार बात की है। उन्होंने कितनी बार बात की है और इन वार्तालापों का परिणाम क्या निकला?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: वैसे, पुष्कर, आज की कूटनीति में, आपको पता होगा कि राज्य प्रमुखों, शासनाध्यक्षों और विदेश मंत्रियों के बीच कई बातचीत होती रहती हैं, और विशेष रूप से कोविड के दौरान इस तरह की बातचीत बहुत बढ़ गई है। टेलिफोन कॉल पर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर हमारी कई बार बातचीत हुई है। हम आपके साथ समय-समय पर इस तरह की बातचीत का रीडआउट साझा करते हैं और जाहिर तौर पर आपसी हित के जारी मामले ऐसी बातचीत का हिस्सा बनते हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
तो, प्रश्नों का अगला सेट चीन पर है। रक्षक न्यूज से रंजीत कुमार ने पूछा है - "क्या चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बहाल करने के लिए किसी समय-सीमा पर सहमत हुआ है?” एबीपी से अग्नि रॉय ने पूछा है - "क्या भारत डब्ल्यूएमसीसी की आगामी बैठक या विशेष प्रतिनिधि (एसआर)-स्तरीय वार्ता के अगले दौर में एलएसी में पीएलए की तैनाती का मुद्दा उठाएगा?” उनका एक और प्रश्न है - "हमारी तरफ एक बफर जोन बनाने में भारत वास्तव में हमारे अपने क्षेत्र से पीछे आ चुका है। इस पर हमारी निकट भविष्य की रणनीति क्या होगी?” टाइम्स नाउ से श्रीनिजॉय ने पूछा है - "क्या पीएलए के सैनिक भी पैंगोंग और देपसांग क्षेत्र में फिंगर 4 से बाहर जा रहे हैं?” टाइम्स नाउ से अथर खान ने पूछा है कि - "क्या प्रवक्ता इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि 6 जुलाई की एसआर-स्तरीय वार्ता से पहले 2 जुलाई को गल्वान में डिसइंगेजमेंट शुरू हो चुका था?” इसके अलावा, एसआर-स्तरीय वार्ता के बाद चीनी एमओएफए के बयान पर कोई टिप्पणी देना चाहेंगे जिसमें यह इशारा किया गया है कि वो आज तक भारत को गल्वान घाटी में तथाकथित आक्रामकता के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, एक ऐसा दावा जो टकराव की हमारी समझ से पूरी तरह से अलग है?” ट्रिब्यून से संदीप दीक्षित ने पूछा है - "भारत चीन डब्ल्यूएमसीसी की अगली बैठक कब हो रही है?” एनडीटीवी इंडिया से कादम्बिनी ने पूछा है - "क्या सीमा तंत्र की कोई बैठक जल्द होने वाली है?” एबीपी से प्रणय ने पूछा है - "भारत और चीन के बीच सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के अगले दौर की योजना कब बनाई जा रही है? क्या आप डब्ल्यूएमसीसी और सैन्य कमांडर स्तर की बैठकों की तारीखें साझा कर सकते हैं? अगला प्रश्न – "5 जुलाई, 2020 को हुई एसआर-स्तरीय वार्ता के लिए पहल किसने की थी? क्या गल्वान घाटी के विवादित क्षेत्र में एक बफर ज़ोन या नो पट्रोलिंग ज़ोन बनाने के लिए कोई समझौता हुआ है?” अगला प्रश्न – "क्या गल्वान घाटी पर संप्रभुता के दावों के संबंध में विदेश मंत्रालय ने औपचारिक रूप से चीनी अधिकारियों का विरोध शुरू किया है, खासकर दोनों एसआर के बीच बातचीत होने के बाद? यदि हाँ, तो यह विरोध कब और कैसे शुरू हुआ?” एनएचके जापान से अभिषेक धूलिया ने पूछा – "क्या आप स्थिति को आगे सुलझाने के लिए भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच प्रस्तावित अगले दौर की बातचीत पर कोई अपडेट दे सकते हैं?” डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत सिबल ने पूछा है – "एलएसी की क्या स्थिति है?” न्यूज़ 18 से नीरज ने पूछा है - "भारत और चीन के बीच कूटनीतिक स्तर पर अगली बैठक कब होगी?” "रिपब्लिक से अभिषेक कपूर ने पूछा है – "क्या आप 6 जुलाई की चीनी एमओएफए बयान पर थोड़ी और स्पष्टता प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि इसमें एलएसी पर कुछ नहीं कहा गया था और सैनिकों के डिसइंगेजमेंट की वर्तमान स्थिति क्या है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: इन सवालों के जवाब में, मेरे पास एक विस्तृत रीडआउट है। सीमा पर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि (एसआर) के सवाल के जवाब में कहूँगा कि श्री अजीत डोभाल, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और श्री वांग यी, चीन के राज्य सलाहकार और विदेश मामलों के मंत्री ने 5 जुलाई 2020 को टेलीफोन पर बातचीत की थी। जैसा कि हमने 6 जुलाई को जारी हमारी प्रेस रिलीज में बताया था, दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों पर विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया।

बातचीत के दौरान, एनएसए ने गल्वान घाटी क्षेत्र सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए हाल के घटनाक्रमों पर स्पष्ट रूप से भारत की स्थिति से अवगत कराया। एनएसए ने इस संदर्भ में जोर देकर कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है और साथ ही, हमारी सेनाएं भारत की संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गहरी प्रतिबद्धता रखती है।

अपनी बातचीत के दौरान दोनों एसआर ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन कायम करना द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। इस संबंध में उन्होंने यह राय भी साझा की कि द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के अनुसार शांति और अमन की पूर्ण बहाली के लिए एलएसी पर दोनों पक्षों के सैनिकों के मध्य जल्द से जल्द सम्पूर्ण डिसइंगेजमेंट और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में डीएस्केलेशन सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन द्विपक्षीय समझौतों का एक प्रमुख प्रावधान यह है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का कड़ाई से सम्मान और अनुसरण करेंगे। दोनों एसआर इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि भविष्य में किसी भी ऐसी घटना, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन भंग हो सकता है, से बचने के लिए दोनों पक्षों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।

विशेष प्रतिनिधियों की सहमति के अनुसार, दोनों पक्षों के राजनयिक और सैन्य अधिकारी, डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अपनी बैठकें जारी रखेंगे। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की अगली बैठक जल्द होने की अपेक्षा है।

हमने यह भी नोट किया कि डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया और इसके निहितार्थों के बारे में कुछ गलत और असूचित टिप्पणियां की गई हैं। आपको याद दिला दूं कि पिछले कुछ हफ्तों में, हमने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र की मौजूदा स्थिति के विभिन्न पहलुओं पर सरकार के रुख को स्पष्ट करते हुए कई वक्तव्य दिए हैं। इसमें हमारा यह रुख भी शामिल है कि गल्वान घाटी क्षेत्र को लेकर हाल ही में किए गए चीनी दावे अतिरंजित और अस्थिर हैं; एलएसी का कड़ाई से सम्मान और अनुसरण किया जाना चाहिए क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन का आधार है; और किसी भी पक्ष को यथास्थिति बदलने के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। हम सीमा क्षेत्रों में शांति और अमन के रखरखाव और बातचीत के माध्यम से मतभेदों के समाधान की आवश्यकता के बारे में आश्वस्त हैं, साथ ही, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।

तो इन प्रश्नों के जवाब में ये मेरा रीडआउट था। कोई और प्रश्न है क्या यतिन?

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): नहीं महोदय, आगे कोई प्रश्न नहीं है, कोई फॉलोअप नहीं है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद। आज की ब्रीफिंग यही समाप्त होती है।

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