मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा वर्चुअल साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (18 जून 2020)

जून 19, 2020

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: ठीक है दोस्तों, आपका दुबारा स्वागत है। मैं आभासी प्रारूप में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग फिर से शुरू कर रहा हूं। मैं एक घोषणा के साथ शुरू करूँगा। यह वंदे भारत मिशन पर एक अपडेट है। जैसा कि पिछले सप्ताह उल्लेख किया गया है, वंदे भारत मिशन का तीसरा चरण 11 जून 2020 को शुरू हुआ। अपडेटेड उड़ान कार्यक्रम हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इस चरण में, 550 उड़ानें भरी जाएंगी, जिसमें 191 फीडर उड़ानें शामिल हैं और हम 41 देशों को कवर करेंगे और 55 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और 27 घरेलू हवाई अड्डों से परिचालन करेंगे। आज तक, वंदे भारत मिशन के तहत 2,50,087 भारतीय वापस आ चुके हैं। वापस लौटे लोगों में से 21% प्रवासी श्रमिक हैं। 75,000 से अधिक भारतीय नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से भूमि सीमा आव्रजन चौकियों के माध्यम से लौटे हैं। लगभग 4,50,000 व्यक्तियों ने भारत में प्रत्यावर्तन के लिए हमारे मिशनों में अपना अनुरोध पंजीकृत किया है। चार्टर्ड उड़ानों का संचालन 26 मई 2020 से शुरू हुआ है और तब से परिचालन की गति में तेजी आई है। आज की तारीख तक, 57,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को चार्टर्ड उड़ानों द्वारा वापस लाया गया है। 16 जून को ही 36 उड़ानों में 6,400 से अधिक भारतीय नागरिक वापस लौटे हैं। 12 जून को विदेश मंत्रालय की सिफारिश पर गृह मंत्रालय ने यात्रा के दिशानिर्देशों को उदार बनाया, जिसमें ऐसी श्रेणियां भी शामिल की गईं, जो विदेशी नागरिकों के परिवार के सदस्य हैं और जिनके पास ओ.सी.आई कार्ड नहीं है। आपको ज्ञात होगा कि समय-समय पर, हम मानदंडों का विस्तार करते रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक व्यक्तियों को शामिल किया जा सके, जो भारत लौटना चाहते हैं। तो यह वंदे भारत मिशन पर अपडेट है। आगे बढ़ते हुए, हम आपके सवालों का जवाब देंगे। मैं पवन से अनुरोध करूंगा कि वे सवाल पढ़ें।

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर):
सवालों का पहला सेट वंदे भारत मिशन पर है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन से हुमा सिद्दीकी ने पूछा है - वंदे भारत मिशन पर क्या अपडेट है? अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से कितने भारतीय आए हैं? किर्गिस्तान में बड़ी संख्या में छात्र फंसे हुए हैं, क्या उस तरफ उड़ान भेजने की कोई योजना है?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: हुमा, मैंने पहले ही वंदे भारत मिशन के माध्यम से वापस आने वाले लोगों की संख्या के संदर्भ में एक अपडेट दिया है। आप जानना चाहती हैं कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से कितने भारतीय लौटे हैं। मेरे पास जो आंकड़े हैं, वो बताते हैं कि 5,700 से अधिक लोग अफ्रीका से और 750 से अधिक लोग लैटिन अमेरिकी देशों से लौटे हैं। किर्गिस्तान से, हमने 550 से अधिक भारतीयों की वापसी करवाई है और तीसरे चरण के तहत हम किर्गिस्तान से भारत के लिए 10 और उड़ानें चलाएंगे, इस उद्देश्य के लिए भारत में 9 फीडर उड़ानें चलेंगी और उड़ानों का विवरण हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है।l

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर):
अगला सवाल एशिया नेट से प्रशांत का है। कुछ राज्य वंदे भारत की उड़ानों और चार्टर्ड उड़ानों के माध्यम से विदेशों से लौटने वाले सभी व्यक्तियों की बोर्डिंग से पहले कोविड परीक्षणों की मांग कर रहे हैं। क्या इस पर मुझे कोई प्रतिक्रिया मिल सकती है?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
प्रशांत, मुझे लगता है कि मैंने अपनी एक ब्रीफिंग में इस बात का उल्लेख पहले भी किया है कि हम वंदे भारत की उड़ानों में लोगों को वापस लाने के दौरान सभी स्वास्थ्य संबंधी सावधानी बरतते हैं। इन उड़ानों में बोर्डिंग करने वाले सभी लोग मेडिकल स्क्रीनिंग से गुजरते हैं और केवल उन्ही लोगों को बोर्ड करवाया जाता है जिनमें कोई लक्षण नहीं है और लोगों के विमानों पर चढ़ाने से पहले, उड़ान के दौरान और उतरने के बाद सभी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इसलिए, यह चिंता का कोई विषय नहीं होना चाहिए।

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर): महोदय, सवालों का अगला सेट नेपाल पर है। डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत सिबल ने पूछा है - नेपाल संसद ने एक नया मानचित्र संशोधन विधेयक पारित किया है, क्या इस पर हमें कोई प्रतिक्रिया मिल सकती है? एनडीटीवी इंडिया से कादम्बिनी शर्मा ने पूछा है - क्या भारत और नेपाल के बीच नए मानचित्र पर कोई संवाद हुआ है? न्यूज़ नेशन से मधुरेंद्र ने पूछा है - नेपाल के नए नक्शे पर भारत की प्रतिक्रिया पे नेपाल ने क्या जवाब दिया है? क्या कूटनीतिक मार्ग से ये मामला किसी निष्कर्ष की ओर जाता हुआ दिखाई देता है? भारत नेपाल के इस अनुचित कदम पर आगे क्या कार्यवाही करना चाहेगा? डीडी न्यूज से अभिषेक झा ने पूछा है - नेपाली संसद द्वारा नए मानचित्र के समर्थन के बाद, क्या यह नेपाल के साथ द्विपक्षीय संबंधों में यथास्थिति को बदल देगा? स्ट्रेटेजिक न्यूज़ ग्लोबल से पारुल चंद्रा ने पूछा है - अब जब नेपाल ने अपने राष्ट्रीय प्रतीक पर अपना नक्शा बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित कर दिया है। क्या इसने सरकार के साथ तत्काल भविष्य में बातचीत के दरवाजे बंद कर दिए हैं? कांतिपुर प्रेस नेपाल के सुरेश ने पूछा है - नेपाल और भारत कब सीमा के मुद्दों पर बात करने के लिए बैठक करेंगे?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: देखिए, इस मुद्दे पर मैंने पहले ही 13 जून को मीडिया क्वेरी में हमारी स्थिति स्पष्ट कर दी है। हमने कहा था कि हमने उस घटनाक्रम पर गौर किया है जब नेपाल के प्रतिनिधि सदन ने संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित किया था। तो हमने पहले ही इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और मुझे नहीं लगता कि मेरे पास और कुछ कहने को है।

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर): अगला विषय चीन पर है। हमें चीन पर कई सवाल मिले हैं और मेरे लिए यह संभव नहीं होगा कि मैं वो सभी सवाल पढ़ सकूँ। इसलिए हमने विषयों के अनुसार सवालों को अलग-अलग सेट में रखा है और उन सभी को शामिल करने का प्रयास किया है। सवालों का पहला सेट भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर के जुड़ावों पर है। मैं कुछ सवाल पढ़ूंगा। टाइम्स नाउ से श्रीनिजोय चौधरी ने पूछा है - क्या भारतीय और चीनी राजनयिकों के बीच बैठक करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं? और क्या आप हमें बता सकते हैं कि ये बैठकें कब और कहां पर तथा किस स्तर पर होंगी? डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत सिबल ने पूछा है - क्या दोनों पक्ष एक-दूसरे के संपर्क में हैं? यदि हाँ, तो राजनयिक मोर्चे पर हमने चीनी दूतों को कैसे बुलाया है? एपी से ऐश्वर्या ने पूछा है - भारत और चीन के बीच बातचीत की वर्तमान स्थिति क्या है? क्या पिछली रात गल्वन वैली के दावों को लेकर की गई प्रतिक्रिया पर चीनी अधिकारियों से कोई जवाब मिला है? रेडिफ.कॉम से शीला भट्ट ने पूछा है - मई में चीनी घुसपैठ के बाद पहला राजनयिक संपर्क कब स्थापित किया गया था? क्यों यह परिणाम देने में विफल रहा? शंघाई शिनबुन के डेव डी, न्यूज 18 इंडिया से नीरज, न्यूज नेशन के मधुरेंद्र, टाइम्स नाउ से अजहर खान सहित अन्य लोगों ने भी इस विषय पर इसी तरह के सवाल पूछे हैं। चीन पर सवालों का दूसरा सेट - सीएनएन न्यूज़ 18 से माहा सिद्दीकी ने पूछा है - कुछ रिपोर्टें मिली हैं कि 15 जून के हिंसक फेस-ऑफ के बाद से अभी तक सभी भारतीय सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं ली गयी है, क्या यह सही है? इसी तरह के सवाल आर्चडेली से संजय राय, न्यूज 18 इंडिया के नीरज और एशियन एज से श्रीधर कुमारस्वामी ने पूछे हैं। तीसरे सेट के सवाल गल्वन वैली पर चीनी दावों के संबंध में है। ये सवाल हैं: स्ट्रेटेजिक न्यूज़ ग्लोबल से पारुल चंद्रा पूछती हैं - चीनियों ने पूरी गल्वन वैली पर संप्रभुता का दावा किया है, जबकि भारत ने इन दावों को असमर्थनीय और अतिरंजित बताया है, क्या ऐसे दावों का मतलब यह नहीं है कि चीन प्रभावी रूप से यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है? स्पुतनिक न्यूज़ से एनबी नायर ने पूछा है - भारत और चीन ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों के स्तर पर 22 दौर की वार्ता की है, दोनों पक्षों के बीच अब तक गल्वन वैली के एलएसी पर क्या समझौता हुआ है? क्या बीजिंग ने पहले के समझौते को माना है या गल्वन वैली पर नए दावे कर रहा है? डीडी न्यूज से अभिषेक झा ने पूछा है - क्या विदेश मंत्री स्तर की वार्ता में गल्वन वैली की संप्रभुता का मुद्दा सामने आया था? इसी विषय पर, हमारे पास ज़ी न्यूज़ से ब्रह्म प्रकाश और दूसरे लोगों से सवाल हैं। चीन पर सवालों का चौथा सेट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़ाव से संबंधित है। वे हैं: सिद्धांत सिबल पूछते हैं - हमने कितने देशों को इस मुद्दे पर जानकारी दी है? इंडिया वर्सेज डिसइनफार्मेशन से श्री शंकर कुमार पूछते हैं – अब जब एलएसी पर चीन के साथ तनाव बढ़ गया है, क्या भारत को अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील और अफ्रीका से समर्थन मिल रहा है? पीटीआई से मानस ने पूछा है - क्या भारत ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी की स्थिति पर अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन को जानकारी दी है? एनडीटीवी इंडिया से कादम्बिनी शर्मा ने पूछा है - क्या एलएसी की स्थिति पर किसी अन्य देशों के दूतों को जानकारी दी गई है? रक्षक न्यूज़ से रंजीत कुमार पूछ रहे हैं - अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति पर शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है। क्या भारत महत्वपूर्ण साझेदारों के साथ बातचीत कर रहा है? चीन के सवालों का अगला सेट इस बात पर है कि सरकार क्या करने की योजना बना रही है। वे इस तर्ज पर हैं। पीटीआई से मानस पूछ रहे हैं - पीएम ने चीन को बहुत कड़ा संदेश दिया है कि अगर उकसाया गया तो भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। यदि चीनी सेना पानगोंग और गल्वन के भारतीय क्षेत्रों को खाली नहीं करती है तो भारत के पास क्या विकल्प हैं? मानस ने यह भी पूछा है - क्या भारत चीन या चीनी कंपनियों के खिलाफ कोई आर्थिक उपाय करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि गल्वन टकराव से द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा। इंडिया वर्सेज डिसइनफार्मेशन से शंकर कुमार ने पूछा है - वर्तमान में चीन से काम करती कितनी विदेशी कंपनियों ने अपने व्यापार को भारत में शिप करने में अपनी रुचि दिखाई है और उन्हें देश से क्या सुविधाएँ मिलने वाली हैं? सीएनबीसी टीवी18 से परीक्षित लूथरा ने पूछा - क्या चीन की कार्यवाही ने आपूर्ति श्रृंखला भागीदार के रूप में अपनी विश्वसनीयता को गंभीर संदेह में डाला है? क्या इस कार्यवाही के बाद अब भारत में सभी चीनी निवेशों और चीनी कंपनियों के कामकाज की अधिक संवीक्षा होगी? चीन पर सवालों के आखिरी सेट में इस घटना और एलएसी पर वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी गई है। न्यूज़ नेशन के मधुरेंद्र ने पूछा है – चीन का आरोप है कि भारतीय सैनिक उसके इलाके में घुसे और चीन गल्वन के उसी इलाके को अपना बताने लगा है, जो भारत का हिस्सा है, भारत के नियंत्रण में है। चीन के इस आरोप का क्या जवाब देना चाहेंगे? एनडीटीवी इंडिया से कादंबिनी शर्मा ने पूछा है - क्या कल की घटना के बाद एलएसी में कोई परिवर्तन दिखाई दे रहा है? रायटर के अलासादिर पाल ने भी इस विषय पर कई सवाल पूछा है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद पवन। मैं इन सभी सवालों का विस्तार से जवाब देने की कोशिश करूंगा। आप 16 जून को जारी किए गए वक्तव्य और भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों पर विदेश मंत्री और चीनी विदेश मंत्री के बीच फोन पर हुई बातचीत के संबंध में कल जारी किए गए रीडआउट पहले ही पढ़ चुके होंगे। आपको एक पृष्ठभूमि देने के लिए बताता हूँ, भारत और चीन सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से पूर्वी लद्दाख में सीमा क्षेत्र की स्थिति के डी-एस्केलेशन के बारे में चर्चा कर रहे हैं। 6 जून, 2020 को भारत और चीन के कोर कमांडरों ने चुशुलमोल्डो क्षेत्र में एक बैठक की, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डी-एस्केलेशन और डिसइंगेजमेंट पर एक समझौता हुआ। ग्राउंड कमांडर पिछले सप्ताह इस सहमति को लागू करने के लिए नियमित रूप से बैठक कर रहे थे। हालांकि हमें उम्मीद थी कि इससे अच्छे नतीजे निकलेंगे, लेकिन चीनी पक्ष गल्वन वैली में एलएसी का सम्मान करने की सर्वसम्मति से पीछे हट गया। 15 जून 2020 की देर शाम और रात को, एक हिंसक फेस-ऑफ हुआ जब चीनी पक्ष ने एकतरफा रूप से वहां की यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। उन्होंने सोची-समझी और योजनाबद्ध कार्यवाही की, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई और दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए। इससे बचा जा सकता था यदि चीनी पक्ष की ओर से उच्च स्तर पर किए गए समझौतों का निष्ठापूर्वक पालन किया गया होता। सीमा प्रबंधन के प्रति अपने जिम्मेदार दृष्टिकोण को देखते हुए, भारत बहुत स्पष्ट है कि सभी गतिविधियां हमेशा एलएसी के भारतीय पक्ष में हों। हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष भी एलएसी के अपने पक्ष में ही अपनी गतिविधियों को सीमित करेगा। चीनी विदेश मंत्री के साथ अपनी टेलीफोन वार्ता के दौरान, विदेश मंत्री ने संदेश दिया कि इस समय यह आवश्यक है कि चीनी पक्ष अपनी कार्यवाही का पुनः आंकलन करे और सुधारात्मक कदम उठाए। उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान और पालन करना चाहिए और इसे बदलने के लिए एकतरफा कार्यवाही नहीं करनी चाहिए। इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्ष 6 जून के डिसइंगेजमेंट समझौते को निष्ठापूर्वक लागू करेंगे। कोई भी पक्ष मामलों को एस्कलेट करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं करेगा बल्कि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार शांति सुनिश्चित करेंगे। दोनों पक्ष संबंधित दूतावासों और विदेशी कार्यालयों के माध्यम से नियमित संपर्क में हैं। जमीनी स्तर पर, दोनों पक्षों ने कमांडर के स्तर पर संचार बनाए रखा है। अन्य स्थापित राजनयिक तंत्रों की बैठकें, जैसे कि, सीमावर्ती मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र, डब्ल्यूएमसीसी पर चर्चा चल रही है। जबकि हम सीमा क्षेत्रों में शांति के रखरखाव की आवश्यकता और बातचीत के माध्यम से मतभेदों के समाधान के बारे में दृढ़ता से आश्वस्त हैं, उसी समय, जैसा कि माननीय प्रधान मंत्री ने कल कहा था, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।

मैं भारतीय सैनिकों की स्थिति पर विशिष्ट सवालों के जवाब भी दूंगा। सेना द्वारा आज दोपहर स्पष्ट कर दिया गया है कि इस कार्यवाही में कोई भारतीय सैनिक लापता नहीं है। विशेष रूप से गल्वन वैली पर चीनी दावों पर पूछे गए सवालों पर, मैं आपको कल शाम के मेरे वक्तव्य का संदर्भ दूंगा।

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर): तो सवालों का अगला सेट आरआईसी शिखर सम्मेलन पर है। डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत सिबल ने पूछा है - क्या भारत 23 जून को आरआईसी शिखर सम्मेलन में भाग लेगा? एपी से ऐश्वर्या ने पूछा है - क्या आरआईसी की बैठक अभी भी योजना के अनुसार होने वाली है? कल रूसी पक्ष से दो टिप्पणियां आई थीं, हमारे तरफ से भी पुष्टि के लिए आभारी होंगे? सीएनएन न्यूज़18 से माहा सिद्दीक ने पूछा है - क्या चीन के साथ हालिया फेस-ऑफ के बावजूद विदेश मंत्री 23 तारीख को रूस-भारत-चीन बैठक में भाग लेंगे? क्या ये तीनों पक्ष, मामले सुलझाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं। हरिभूमि समूह से शिशिर सोनी ने पूछा है - क्या भारत, रूस और चीन के साथ होने वाली बैठक में शामिल होगा? डीडी न्यूज से अभिषेक झा ने पूछा है - क्या भारत रूस द्वारा प्रस्तावित 23 जून को होने वाले आरआईसी आभासी बैठक के लिए सहमत हो गया है या नई तारीख तय की जा रही है? एनएचके जापान ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के अभिषेक धूलिया ने पूछा है - सर, क्या विदेश मंत्री 23 जून को होने वाली आरआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे और क्या आप बैठक के एजेंडे की कुछ जानकारी साझा कर सकते हैं? एशियन एज के श्रीधर कुमारस्वामी ने पूछा है - क्या विदेश मंत्रालय हमें आगामी आरआईसी बैठक में भारतीय भागीदारी के बारे में जानकारी दे सकता है?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: रूस-भारत-चीन विदेश मंत्रियों की बैठक 23 जून को होनी है। रूस इस साल अध्यक्ष है। रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध में नाजीवाद पर जीत और संयुक्त राष्ट्र के निर्माण की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आरआईसी बैठक के एक विशेष सत्र का आह्वान किया है। यह आरआईसी के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक होगी, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की जाएगी। इस बैठक में विदेश मंत्री भाग लेंगे। जैसा कि किसी ने पूछा था, इस बैठक का एजेंडा ये है कि तीनों मंत्रियों के बीच वैश्विक महामारी की वर्तमान स्थिति और वैश्विक सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता की चुनौतियों और उस संदर्भ में आरआईसी सहयोग पर चर्चा होने की उम्मीद है। यह एक त्रिपक्षीय बैठक होगा।

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर):
एबीपी न्यूज़ से प्रणय उपाध्याय और न्यूज़ 18 से नीरज कुमार ने टिड्डी प्रबंधन पर भारत और पाकिस्तान के बीच बैठक के बारे में अपडेट मांगा है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मैंने पिछले हफ्ते आपको इस संदर्भ में घटनाक्रमों की जानकारी दी थी और आपको याद होगा कि मई 2020 में हमने दोनों देशों की टिड्डी चेतावनी संगठनों के बीच गहन संपर्क के लिए पहल की थी और ये संपर्क पिछले 60 वर्षों से होते आ रहे हैं। हमें लगा कि यह रेगिस्तानी टिड्डे द्वारा उत्पन्न खतरे के मद्देनजर महत्वपूर्ण है और हमने पाकिस्तान को समन्वित टिड्डी नियंत्रण परिचालनों का प्रस्ताव भी दिया और हमने यह भी प्रस्ताव दिया था कि हम टिड्डी नियंत्रण परिचालनों के लिए कीटनाशक की आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। वास्तव में, हम ईरान को अपने क्षेत्र में रेगिस्तान टिड्डों के नियंत्रण के लिए 20,000 लीटर मैलाथियान कीटनाशक वितरित कर चुके हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ने इस बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया है, जो आज आयोजित होना था। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान अब भी चुप्पी साधे हुआ है, तब भी जब उसके अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। हम इस मामले में एफएओ के साथ समन्वय जारी रखेंगे। पवन, क्या कोई और सवाल हैं?

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर): सर, मेरे पास कुछ फॉलो-अप सवाल हैं? डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत ने पूछा है - क्या विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर कोई अपडेट है?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सिद्धांत, मैंने पिछले हफ्ते आपको अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में ब्रीफ किया था कि विजय माल्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए छुट्टी की अर्जी खारिज होने के बाद, हम भारत में उनके शीघ्र प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन पक्ष के साथ संपर्क में हैं। और हमने ब्रिटेन से अनुरोध किया है कि वो उन्हें शरण देने पर विचार न करें। तो इससे आगे कोई अपडेट नहीं है।

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर): तो, चीन पर मेरे पास कुछ फॉलो-अप सवाल हैं। प्रणय उपाध्याय ने पूछा है - रूसी विदेश मंत्रालय ने, मॉस्को में राजदूत और रूस के उप-विदेश मंत्री के बीच भारत की ओर से किए गए एक फोन कॉल के बारे में बयान दिया है। इसमें भारत-चीन एलएसी तनाव के संबंध में चर्चा का भी उल्लेख किया गया है। क्या अन्य रणनीतिक साझेदारों जैसे कि अमेरिका, फ्रांस आदि के साथ भी इस तरह का संचार किया गया है? क्या हमने अन्य विदेशी साझेदारों को जानकारी दी है? एनडीटीवी इंडिया से उमा शंकर ने पूछा है – विदेश मंत्रियों की फोन पर बातचीत को चीन बार-बार अपने तरह से पेश किए जा रहा है। वो ऐसा सन्देश दे रहा है कि शांति पूर्ण समाधान की तरफ कदम बढ़ाने की बजाय उसने इस फोन कॉल के मौके का इस्तेमाल धमकाने के लिए किया है, ऐसे में किसी नतीजे की कैसे उम्मीद की जा सकती है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, सरकारी प्रवक्‍ता: प्रणय मैंने उन रिपोर्टों को नहीं देखा है इसलिए मैं आपको इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं दे पाऊंगा। में इसकी जांच करूँगा। विदेश मंत्री और चीनी विदेश मंत्री के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के संबंध में आपने हमारा रीडआउट पढ़ा होगा, यह काफी विस्तृत है और आपको उस बातचीत की समझ दिलाता है। मैं इसके आगे और कुछ नहीं कहना चाहूंगा। पवन, क्या कोई और सवाल हैं?

श्री पवन बढ़े, ओ.एस.डी (पी.आर): नहीं, सर।मेरे पास और कोई सवाल नहीं है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद। तो ये साप्ताहिक ब्रीफिंग यही समाप्त होता है।

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