मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (14 मई, 2020)

मई 15, 2020

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: नमस्कार। पहले मैं आपको कुछ अपडेट देना चाहता हूं। आपको पता होगा कि 7 मई से वंदे भारत मिशन के शुभारंभ के साथ, कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थिति का जवाब देने के लिए, सरकार के इस बड़े पैमाने पर उठाए गए प्रयासों ने एक नए चरण में प्रवेश किया है। वन्दे भारत मिशन विदेशों में फंसे हमारे नागरिकों के स्वदेश लौटने के लिए सरकार द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल अभ्यास है। हम इस अभ्यास में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आज इस मिशन का 8 वां दिन है। अब तक 56 उड़ानों के द्वारा 12 देशों से हमारे नागरिकों को वापस लाया गया है। इसके अलावा, 904 भारतीय नागरिकों को क्रमशः 10 मई और 12 मई को आईएनएस जलाशवा और आईएनएस मागर द्वारा मालदीव से वापस लाया गया था। कुछ अन्य विभिन्न देशों से निर्वासन उड़ानों के द्वारा पहुंचे हैं। पिछले कुछ दिनों में, 12,000 से अधिक भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस लौट आए हैं।

हम 16 तारीख से वंदे भारत मिशन का दूसरा चरण शुरू कर रहे हैं। यह 22 मई तक चलेगा। इस चरण में, हम 31 देशों से भारतीय नागरिकों को वापस लाएंगे। फीडर उड़ानों सहित 149 उड़ानों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस चरण के तहत 18 अतिरिक्त देशों को शामिल किया जाएगा और इन देशों में इंडोनेशिया, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, कनाडा, जापान, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, किर्गिस्तान, बेलारूस, जॉर्जिया, ताजिकिस्तान और आर्मेनिया शामिल हैं। अपनी संगरोध क्षमता, स्वास्थ्य प्रोटोकॉल आदि को ध्यान में रखते हुए, जैसा कि आप देख सकते हैं कि हम हर हफ्ते चरणबद्ध तरीके से इस दायरे को बढ़ा रहे हैं, और अब तक 1,88,646 भारतीय नागरिकों ने पोर्टल पर लौटने के लिए पंजीकरण किया है जो विदेश मंत्रालय द्वारा प्रबंधित है। वंदे भारत मिशन की पूरी उड़ान सूची के लिए आप हमारी वेबसाइट भी देख सकते हैं।

दूसरा अपडेट "मिशन सागर” पर है और हमने आपको पहले ही सूचित कर दिया है कि "मिशन सागर” के तहत, सरकार ने भारतीय नौसेना पोत केसरी को मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स भेजा है। इस जहाज को इन देशों से सहायता के लिए अनुरोध प्राप्त होने पर रवाना किया गया है और यह 2 चिकित्सा दलों, कोविड से संबंधित आवश्यक दवाओं की खेप, और आवश्यक खाद्य पदार्थों को लेकर रवाना हुआ है। यह मिशन प्रधान के SAGAR (Security and Growth for All in the Region) अर्थात क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण से प्रेरित है। यह क्षेत्र में पहले उत्तरदाता के रूप में भारत की भूमिका को ध्यान में रखते हुए भी है। आईएनएस केसरी जो 10 मई को भारत से रवाना हुआ था, आज की तारीख में माले में खड़ा है। वर्तमान में, 550 टन आवश्यक खाद्य पदार्थों को जहाज से उतारा जा रहा है। मालदीव के लोगों ने इस मदद को काफी सराहा है। विदेश मंत्री शाहिद और रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने हमारे उच्चायुक्त के साथ राहत सामग्री सौंपने के वर्चूअल समारोह में भाग लिया। राष्ट्रपति सोलीह, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने भी रमजान के पवित्र महीने के दौरान मालदीव की खाद्य सुरक्षा के लिए भारत की दोस्ती और सहायता की सराहना करते हुए संदेश जारी किए हैं। तो यह वंदे भारत मिशन और मिशन सागर पर अपडेट है। आपमें से कई लोगों ने भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर घटित घटनाओं पर हमारी प्रतिक्रियाएँ मांगी हैं। मेरे पास हमारी प्रतिक्रिया पर एक रीडआउट है। भारत और चीन, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के सभी क्षेत्रों में शांति और सुलह बनाए रखने पर अत्यधिक महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2018 में वुहान में और 2019 में चेन्नई में अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों में फिर से पुष्टि की थी कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्रों में शांति और सुलह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास जारी रखेंगे। यह द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। दोनों नेताओं ने सेनाओं को यह भी निर्देश दिया था कि दोनों पक्षों के बीच सहमति, विश्वास और समान सुरक्षा के सिद्धांत और सीमावर्ती क्षेत्रों में घटनाओं को रोकने के लिए मौजूदा संस्थागत व्यवस्था और सूचना साझा करने के तंत्र को मजबूत करने के लिए विभिन्न विश्वास-निर्माण उपायों को लागू करें। परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमा काफी हद तक शांतिपूर्ण रही है। कभी-कभी, हालांकि, वास्तविक नियंत्रण रेखा के संरेखण की समझ में अंतर के कारण, जमीन पर पैदा हुई स्थितियों से बचा जा सकता था अगर, हमें वास्तविक नियंत्रण रेखा की समान समझ होती। दोनों पक्षों ने इन उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए, सीमा कर्मियों की बैठक, फ्लैग मीटिंग, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र के साथ-साथ कूटनीतिक चैनल सहित, कार्य प्रणाली तंत्र स्थापित किए हैं। भारतीय पक्ष भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सुलह बनाए रखने के उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है। तो, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होने वाली घटनाओं पर हमारा यह वक्तव्य है। मुझे पीओके में गिलगिट बाल्टिस्तान में डायमर-भाशा बांध के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर होने से संबंधित कुछ प्रश्न मिले हैं। हमारी प्रतिक्रिया निम्नलिखित है:

हमारी स्थिति अटल और स्पष्ट है कि जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के भारतीय क्षेत्रों का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न और अविच्छेद्य हिस्सा रहा है और रहेगा। पाकिस्तान के अवैध कब्जे के तहत भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर हमने चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ लगातार अपना विरोध जताया है और चिंताओं को साझा किया है।

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