मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (09 जनवरी, 2020)

जनवरी 10, 2020

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : नमस्कार, और इस साप्ताहिक ब्रीफिंग में आपका स्वागत है। मैंने दिल्ली में स्थित विदेशी मिशनों के एक समूह प्रमुखों की केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की यात्रा के बारे में पढ़ा है।

विदेशी मिशनों के 15 निवासी प्रमुखों का एक समूह जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर है। यह आज और कल है। इस यात्रा को भारत सरकार सुकर कर रही है। इस समूह के जो दूत हैं, वे संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नॉर्वे, फिलीपींस, मोरक्को, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, गुयाना और टोगो से हैं।

मैं, बस संक्षेप में आज के कार्यक्रम के बारे में बताऊंगा।

प्रश्न : क्या आप कृपया देशों का नाम दोहरा सकते हैं?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नॉर्वे, फिलीपींस, मोरक्को, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, गुयाना और टोगो।

आज सुबह उनके आगमन के बाद से उनके कार्यक्रम के बारे में पहली बैठक सुरक्षा अधिकारियों के साथ हुई, ताकि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सके और केंद्र शासित प्रदेश में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में आतंकवाद से उत्पन्न खतरे को भी देखा जा सके। इसके बाद,जन-जीवन के सभी क्षेत्रों से नागरिक समाज के सदस्यों के साथ बातचीत की गई जो पूरे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से आए थे । समूह ने स्थानीय मीडिया से भी बातचीत की जिसके बाद अनेक राजनेताओं के साथ बातचीत हुई।

वे कल जम्मू के लिए रवाना होंगे जहां दिल्ली लौटने से पहले जम्मू में कुछ बैठकें होंगी।

इस यात्रा का उद्देश्य राजदूतों को, स्थिति को सामान्य बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास देखना था और मूल रूप से यह भी देखना था कि प्रगति कैसे हुई है और इसके बाद से काफी हद तक सामान्य स्थिति कैसे बहाल हुई है। अगस्त में, अनुच्छेद 370 से संबंधित घटनाक्रम और इस उद्देश्य के प्रति स्थानीय प्रशासन द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। यह कार्यक्रम आतंकवादियों द्वारा उत्पन्न सुरक्षा खतरे को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था और इसलिए कार्यक्रम को चाक-चौबंद करते समय पर्याप्त सावधानी बरती गई। इस यात्रा का आयोजन हमें अतीत में अनेक राजदूतों से प्राप्त अनुरोध के आधार पर किया गया था। वे जम्मू-कश्मीर की यात्रा करना चाहते थे। हमने अतीत में निर्णय लिया था कि हम एक यात्रा का आयोजन तभी करेंगे जब हम मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर स्थानीय प्रशासन प्राप्त जानकारी से संतुष्ट हों।

अब मैं प्रश्नों के उत्तर दूंगा। सबसे पहले, मैं इस विषय पर सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगा और फिर हम बाद में अन्य विषयों पर बात करेगें।

प्रश्न : महोदय, आपने कहा राजनीतिक नेताओं से भी बातचीत हुई तो वो तमाम नेता कौन थे जिनसे इन लोगों की मुलाकात हुई?

प्रश्न : क्या ऐसी और यात्राएं होंगी विशेषकर जब यूरोपीय संघ के राजदूतों की बात आती है तो क्या हम निकट भविष्य में भी जाने की आशा कर सकते हैं? प्रश्न :इस यात्रा को लेकर जब योजना हुई उसके बाद क्या सुरक्षा स्थितियां वहां पर रहीं विशेषकर, क्या खतरे की आशंका है, क्या किसी आंतकवादी गुट की तरफ से भी यह जानकारी प्राप्त हुई है कि जो यात्रा है उसे खतरा हो सकता है, आंतकी हमले का कोई खतरा हो सकता है?

प्रश्न : क्या राजदूतों ने जेल में बंद नेताओं उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला के साथ भी बैठकें करने की मांग की हैं और क्या इस प्रकार की बैठकों का आयोजन किया जा रहा है? हमारा मानना है कि दो या तीन और ऐसी यात्राओं का आयोजन किया जाएगा, क्या यह सही है?

प्रश्न : यह समाचार प्राप्त हुआ है कि यूरोपीय संघ के जो राजनयिक थे उन्होंने मना किया, वे किसी निर्देशित यात्रा के मुकाबले ज्यादा आजादी के साथ वहां जाना चाहते थे, इस पर आपका क्या कहना है?

प्रश्न : इस समूह के गठन का आधार क्या था क्योंकि यह कहा गया था कि यह अधिक व्यापक होगा, क्या यही कारण है कि यूरोपीय संघ के राजदूतों का एक अलग समूह हो सकता है जो बाद में भेजा जाएगा, लेकिन केवल यह समझना चाहता था कि इसका आधार क्या था,क्या यह केवल मुद्दों का निर्धारण करना था और कुछ राजदूत समूह नहीं बना पा रहे थे?

प्रश्न : पिछले प्रश्नके क्रम में, चयन के लिए कसौटी क्या था? अमेरिका पी5 में शामिल है लेकिन रूस वहां नहीं है जो भारत के बहुत करीब है और जिसने कश्मीर और ब्रिटेन और फ्रांस पर भारत का समर्थन किया है। मैं यूरोपीय संघ के मापदंड के कारण समझ सकता हूं, लेकिन चीन के बारे में क्या चीन को भी कोई निमंत्रण दिया गया था?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मैं पहले इन प्रश्नों का उत्तर देता हूं और फिर मैं दूसरे दौर में आऊंगा। इस बैठक में भाग लेने वाले राजनेताओं का यह दौरा अभी समाप्त नहीं हुआ है। यात्रा का कुछ ब्योरा बाद में साझा किया जाएगा। वास्तव में, हम बहुत अधिक विवरण साझा नहीं कर रहे हैं। हमने केवल कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में आपको बताया है।मात्रा पूरी हो जाने के बाद अधिक जानकारी प्राप्त होगी। आपने टेलीविजन पर जारी कुछ दृश्य देखें होगें, लेकिन यात्रा के अधिक विवरणकि वास्तव में नागरिक समाज की बैठक के भाग के रूप में कौन थे, राजनीतिक स्तर की बैठक में वहां कौन थे, हम सारी जानकारी आपको देंगे, हम इस यात्रा के समाप्त हो जाने पर आपके साथ साझा करने का प्रयास करेंगे।

यूरोपीय संघ के इस प्रकार के अधिक दौरों पर, मुझे लगता है कि वहां दो समान प्रश्न हैं। मुझे लगता है कि इस धारणा को ठीक करने की आवश्यकता है कि यूरोपीय संघ के राजदूत वहां इसलिए नहीं गए थे क्योंकि यह एक निर्देशित दौरे था। हमारी सोच बहुत अलग है। एक यह है कि हम चाहते थे कि यह समूह व्यापक हो किंतु इसकी संख्या में प्रतिबंध था। जब आप आगे बढ़ रहे हैं और बैठकों का आयोजन कर रहे होते हैं तो आप बहुत बड़ी संख्या में नहीं ले सकते हैं, इसलिए हम चाहते थे कि यह समूह प्रबंधनीय आकार में हो। हम यह भी चाहते थे कि यह समूह विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करे और इस प्रकार हमने यह चुनने का प्रयास किया था कि निसंदेह इसका अर्थ है कि बाद में हम जम्मू और कश्मीर की ऐसी ही यात्राओं को आयोजित करने का प्रयास करेंगे।

यूरोपीय संघ के बारे में जब हमने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने इस निर्णय का स्वागत किया क्योंकि उनके कई राजदूतों ने स्वयं जम्मू-कश्मीर की यात्रा का अनुरोध किया था। हमारी समझ यह है कि वे एक समूह में यात्रा करना चाहते थे और आप जानते हैं कि कई मुद्दों पर वे एक समूह की स्थिति लेते हैं। समूह के सभी सदस्यों को निमंत्रण नहीं भेजा गया था क्योंकि इससे समूह वास्तव में बड़ा हो जाता। हमें कुछ सदस्यों ने यह भी बताया कि यह एक अल्प सूचना पर आयोजित किया जा रहा है। किसी भी स्तर पर हमने उन्हें नहीं बताया कि एक निश्चित बैठक आदि का आयोजन नहीं किया जा सकता है। हमने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि इस समय स्थिति को देखना ऐसा है और वास्तव में राजदूतों को आतंकवादियों से खतरे की आशंका के बारे में इस समय जानकारी है। मैंने अपने रीडआउट में भी उल्लेख किया था। इसलिए जब हमने इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने का प्रयास किया तो हमने उस पहलू को ध्यान में रखा और जो रिपोर्टें मुझे श्रीनगर से मिली हैं, मुझे लगता है कि वे काफी सकारात्मक हैं। बातचीत काफी स्पष्ट रही है। हम वास्तव में भविष्य में यूरोपीय संघ के राजदूतों द्वारा एक यात्रा के आयोजन की संभावना कर रहे हैं। चलो देखते हैं कि यह कैसे काम करता है।

खतरे की आशंका के बारे में, आप देखते हैं कि आप इस क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति के बारे में जानते हैं और जैसा कि मैंने उल्लेख किया है कि सुरक्षा बल सभी पर्याप्त कदम उठा रहे थे जो यहां से एक उच्च प्रोफ़ाइल शिष्टमंडल का दौरा करते समय आवश्यक थे।

समूह के गठन का आधार, मैंने उल्लेख किया था कि विभिन्न क्षेत्रों के राजदूतों और प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए इसे व्यापक आधार देने का विचार था। मैंने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हो तो भविष्य में इसी प्रकार की यात्राओं का आयोजन किया जा सकता है। हम उन राजदूतों से भी जानकारी प्राप्त करेंगे जो अब दौरा कर रहे हैं और देखेंगे कि क्या हम भविष्य के किसी भी कार्यक्रम में उनके द्वारा प्राप्त कुछ जानकारी को शामिल कर सकते हैं।

प्रश्न :(अश्रृव्य)

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : जैसा कि मैंने उल्लेख किया है कि देखो कार्यक्रम कई कारकों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था और मूल रूप से हम स्थानीय अधिकारियों द्वारा किए गए आकलन से पता चला, लेकिन मुझे लगता है कि मैं आप में से कुछ को मैंने उल्लेख किया था कि वहां कोई विशिष्ट मांग है कि इस तरह की बैठक का आयोजन किया जाना है। हमने उनसे कहा और उन्हें एहसास हुआ कि यह एक शुरुआत है, हम एक शुरुआत कर रहे थे। लगभग पांच महीनों के बाद हम इस समूह को जम्मू और कश्मीर ले जा रहे थे और मुझे लगता है कि इस बात की सराहना की जा रही थी कि इसका आयोजन किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि स्थिति को उत्तरोत्तर सामान्य बनाने के साथ ही दिल्ली के राजदूतों द्वारा अधिक बातचीत, अधिक मुक्त बातचीत का आयोजन किया जा सकता है। कृपया यह समझने का प्रयास करें कि यह एक शुरुआत है, यह पहली बार है जब हमने ऐसा किया है लेकिन यदि इस यात्रा से हमें प्राप्त होने वाले अनुभव से और यदि स्थिति में प्रगतिशील सामान्यीकरण होता है, तो मेरा अर्थ यह है कि हम ऐसे और अधिक कार्यक्रम कर सकते हैं, जम्मू और कश्मीर में समाज के एक वर्ग के साथ बहुत मुक्त बातचीत।

प्रश्न :………….. अश्रृव्य……………

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : नहीं, मैं यही कह रहा हूं। मुझे लगता है कि ऐसे कई देश हैं जो यहां नहीं हैं, मेरा मतलब है कि अगर आप मुझसे पिन पॉइंट करने के लिए कहें कि यह देश वहां क्यों था और वह देश वहां नहीं था। न सिर्फ पी5, जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, यह केवल एक ही यात्रा से नहीं है। संख्याओं की कमी थी और चूंकि यह अल्प सूचना पर हो रहा था, इसलिए हो सकता है कि कुछ राजदूतों के लिए मुख्यालय से मंजूरी प्राप्त करना संभव नहीं हो सकता है और शेड्यूलिंग की समस्याओं जैसे विभिन्न कारण भी हो सकते हैं। हमारे पास जो संख्या थी वह सिर्फ सही संख्या थी और हम देखेंगे कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों का संचालन कैसे किया जाए। मुझे लगता है कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि यदि हम एक प्रगतिशील सामान्यीकरण देखते हैं, यदि हम और अधिक सामान्य स्थिति की ओर बढ़ते हैं और यदि इसे कार्यक्रम बनाते समय में ध्यान में रखा जाता है, तो हम उन समूहों के साथ शायद अधिक विविध बातचीत देखने जा रहे हैं जो जम्मू और कश्मीर का दौरा करेंगे।

प्रश्न : क्या यूरोपीय संघ के देशों ने एक तथाकथित निर्देशित दौरे पर ले जाने पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : उसके बारे में मैं यह बताना चाहूंगा कि जो यह समाचार चल रहा था कि वे नहीं जाना चाहते है क्योंकि ये एक निर्देशित यात्रा है, यह समाचार गलत है और गलत इसलिए है क्योंकि हमारी जो सोच थी, हमने कुछ यूरोपीय संघ के राजदूतों को आमंत्रित किया था क्योंकि हम एक साथ सबको आमंत्रित नहीं कर सकते थे, हमारे पास संख्या का प्रतिबंध था। यूरोपीय संघ राजदूतों ने इस पहल का स्वागत भी किया था और कहा था बहुत अच्छी पहल है लेकिन उसके साथ-साथ यह भी था कि यूरोपीय संघके राजदूत समूहों में जाना चाहतें थे और उनका समूह काफी बड़ा है और हमें यह भी पता चला कि कुछ ऐसे राजदूत है जो इस अल्पावधि नोटिस के कारण नहीं जा पा रहें हैं तो इसीलिए हमनें कहा कि चलिए आगे देखते है, अगर ऐसी कोई यात्रा हम आगे आयोजित कर सकें तो उसमें हम इसकों समायोजित कर लेगें।

प्रश्न : यदि कोई विदेशी पर्यटक वहां जाना चाहता है तो क्या तरीका है, क्या जा सकते हैं और यदि कुछ विदेशी राजनयिक निजी यात्रा पर वहां जाना चाहते हैं, तो क्या वे जा सकते हैं?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : विदेशी पर्यटकों के बारे में, आपने जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा अधिसूचना देखी होगी कि उन्होंने इसे विदेशी पर्यटकों के लिए खोला है। मुझे लगता है कि कुछ महीने पहले कुछ और विदेशी पर्यटकों का दौरा किया गया है।

प्रश्न : क्या उन्हें किसी अनुमति की आवश्यकता है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : नहीं, उन्हें किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। हां, मुझे लगता है कि कुछ श्रेणी के विदेशी पर्यटकों के संदर्भ में प्रतिबंध हैं, उन्हें यात्रा करने से पहले अनुमोदन प्राप्त करना होगा। उन्हें वहां की स्थिति के बारे में पता है और इसीलिए यह सलाह दी जाती है कि वे हमें बता कर रखें।

प्रश्न : 5 अगस्त के बाद कुछ ऐसे देश थे जो सरकार के फैसले को लेकर काफी मुखर रहें हैं। जिसमें चीन, मलेशिया और टर्की शामिल है। तो क्या भविष्य में उनको भी दृष्टिगत किया जाएगा कि वे भी जाकर देखे कि वास्तव में हालात कैसे है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : भविष्य में क्या होगा यह मैं भी नहीं जानता हूं। अभी पहली यात्रा हुई है, इन्हें कल वापस आने दें, और इनसे हमें क्या जानकारी मिलती है उसको देखते है। इसके बाद कुछ और यात्राएं आयोजित करेगें, उसमें कौन होगा, क्या होगा, कितने लोग आएंगे, कितने लोग अंत तक नही आएंगे, देखते है। अभी एक को तो हो जाने दीजिए।

प्रश्न : केवल श्रीनगर?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : नहीं, आज श्रीनगर और वे आज रात जम्मू पहुंचेंगे और कल जम्मू में कार्यक्रम होगा और उसके बाद वे वापस दिल्ली आ जाएंगे।

प्रश्न : क्या आप इस यात्रा के जम्मू घटक के बारे में ब्यौरा साझा कर सकते हैं?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : जम्मू के कार्यक्रम के लिए, जो कल है, कल जानकारी साझा की जाएगी।

प्रश्न : क्या आप कृपया स्पष्ट कर सकते हैं कि क्या भारत ने कश्मीर पर अपनी टिप्पणियों के लिए मलेशिया पर व्यापार का अंकुश लगाया है, और यदि यह व्यापार पर अंकुश लगाया गया है जो पाम तेल आयात पर प्रतिबंधों का रूप लेता है, तो यदि यह मलेशिया के लिए है तो नेपाल, इंडोनेशिया और थाईलैंड इससे क्यों आहत हो रहे हैं?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मुझे विश्वास है कि आप इस अधिसूचना का उल्लेख कर रहे हैं, अब यदि आप अधिसूचना देखते हैं तो यह देश विशिष्ट नहीं है, यह उत्पाद विशिष्ट है। कृपया समझने का प्रयास करें और मुझे लगता है कि जब आप किसी भी देश से किसी उत्पाद के आयात से संबंधित मुद्दे को देख रहे हैं, तो मूल रूप से दो कारक हैं। एक वाणिज्यिक निर्णय है और दूसरा व्यापार नीति द्वारा भी परिभाषित किया जा सकता है। इसलिए, यदि आप वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से बात करते हैं तो आपको पता चल जाएगा कि मूल रूप से तीन अलग-अलग श्रेणियां हैं जिनके तहत आप वस्तुओं का आयात कर सकते हैं।एक मुक्त श्रेणी है, दूसरी प्रतिबंधित है और तीसरी निषेध है। यह निषेध श्रेणी में नहीं है। तो आप क्यों मान लेते हैं कि इसका तात्पर्य यह है कि आयात बंद कर दिया जाएगा। यह केवल यह है कि कुछ प्रक्रियाएं लागू होंगी और इस श्रेणी के अंतर्गत सैकड़ों उत्पाद हैं। इसके साथ ही, किसी भी वाणिज्यिक व्यापार के लिए स्वाभाविक रूप से, किन्हीं भी दो देशों के बीच संबंधों की स्थिति,देखी जाती है।

प्रश्न जारी तो आप कह रहे हैं कि चूंकि रिश्ते की स्थिति है

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मैं कुछ नहीं कह रहा हूं। मैं कह रहा हूं कि ऐसा एक कारक होता है। यदि मैं आयातक हूं और मुझे एक निश्चित उत्पाद को एक ऐसे देश से आयात करना होगा जिसे मैं निश्चित रूप से अपने विचार से रखूंगा कि दोनों देशों के बीच किस प्रकार के संबंध हैं। लेकिन इस विशेष मामले में क्योंकि यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना है, और यह सारी प्रक्रियाकिस प्रकार होगी, इस बारे में वे आपको बेहतर तरीके से समझापाएंगे क्योंकि अब व्यापार के संचालन में प्रक्रियाएं शामिल हैं और जिसका उत्तर देने में वे ही सक्षम होगें।

प्रश्न : मेरा प्रश्न फिर से पाम तेल से जुड़ा है। इस प्रतिबंध के कारण नेपाल का निर्यात बुरी तरह प्रभावित होगा। नेपाल के कुल निर्यात में पाम तेल का 24-25 प्रतिशत है। क्या नेपाल सरकार के साथ बात करने की कोई संभावना है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मुझे लगता है कि हम फिर से भविष्य में बहुत ज्यादा देख रहे हैं। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है और यदि आप अधिसूचना को बहुत सावधानी से देखते हैं तो आपको एहसास होगा कि यह देश विशिष्ट नहीं है, यह उत्पाद विशिष्ट है। मैं फिर आपके साथ साझा कर रहा हूं कि इसका अर्थ यह नहीं है कि इसे निषिद्ध सूची में रखा गया है, यह प्रतिबंधित श्रेणी में है। इसलिए हमें यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि इसके कारण व्यापार किस प्रकार प्रभावित होने वाला है। इसलिए हमें प्रतीक्षा करनी होगी और देखना होगा लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि व्यापार नीति आदि से संबंधित मामले वाणिज्य मंत्रालय द्वारा शासित होते हैं और मुझे लगता है कि वे ही इस नीति के तहत शामिल बारीकियों को बेहतर ढंग से समझाने में सक्षम होंगे।

प्रश्न : कल ईरान के राजदूत ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि चाबहार परियोजना पर काम चलेगा। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत की ओर से किसी भी शांति पहल का स्वागत किया जाएगा। तो क्या ईरान और अमेरिका के साथ संबंधों को देखते हुए इस दिशा में कोई कार्रवाई की जा रही है।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मुझे विश्वास है कि इस संबंध में प्रश्न होगें।

प्रश्न : ईरान, इराक और फारस की खाड़ी वायु क्षेत्र का उपयोग करने के लिए भारतीय वाहक के लिए कोई दिशानिर्देश या कोई सलाह?

प्रश्न : वहां पर बहुत सारे भारतीय भी है। यदि उनकी निकासी होती है तो क्या उनके निकासी योजना पर भी आप लोग काम कर रहे हैं?

प्रश्न : ईरान के विदेश मंत्री का रायसीना वार्ता में भाग लेने के लिए अगले सप्ताह दिल्ली आने का कार्यक्रम था, क्या वह आ रहे हैं?

प्रश्न : ईरान की ओर से कहा गया कि अगर भारत कोई भी मध्यस्था करता है तो वह इसका स्वागत करेगा।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मैं इस मामले पर पहले प्रश्नका उत्तर देने के साथ शुरूआत करूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि इस समय हमारी स्थिति को कवर किया जाएगा। पहला, हम स्थिति की बहुत बारीकी से निगरानी कर रहे हैं जो तेजी से घटित हो रही है क्योंकि परिवर्तन हो रहे हैं। दूसरी बात, जैसा कि हमने अतीत में व्यक्त किया है, क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में हमारे महत्वपूर्ण हित हैं और हम चाहेंगे कि स्थिति यथाशीघ्र शांत हो जाए। हम इस क्षेत्र मेंअनेक हितधारकों से बात कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र के भागीदारों से बात की है, उन्होंने ईरान, यूरोपीय संघ, ओमान, कतर और जॉर्डन के विदेश मंत्री से बात की है। उन्होंने अमेरिका से अपने समकक्ष के साथ विचार-विमर्श भी किया था और स्थिति पर दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया था। तो हां, हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और हम देखेंगे कि यह अगले कुछ दिनों में कैसे घटित होती है।

ईरान के राजदूत की टिप्पणी पर उन्होंने स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने यह नहीं कहा कि वास्तव में उनका क्या मतलब है और इसलिए अब यह काल्पनिक प्रश्न की श्रेणी में आता है अन्यथा मुझे इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए बाध्य किया जाता। लेकिन एक ही समय में विदेश मंत्री और अन्य देशों के साथ हमारी बातचीत में, हम पहले से ही कह रहे हैं भारत इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को लेकर जो महत्व और प्राथमिकता देता है, उससे अवगत कराया जाना चाहिए। इसलिए मुझे लगता है कि आपको इस संदर्भ में दूसरों के साथ हमारी भूमिका और हमारी चर्चाएं देखनी होगी।

किसी ने निकासी योजनाओं के बारे में पूछा, यदि हमें एहसास होता है और यदि हम देखते हैं कि ऐसा करने की आवश्यकता है, तो ऐसा किया जाएगा। हम निसंदेह पूरी दुनिया में भारतवंशियों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस क्षेत्र में भी रह रहे हैं और जब भी स्थिति की मांग की जाएगी तो उचित परामर्श जारी किया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी। आपने देखा होगा कि इराक में हुए घटनाक्रमों के बाद जो इराक की यात्रा करना चाहते थे,उन लोगों के लिए एक परामर्श जारी किया गया था और इराक में भारतीय नागरिक भी मौजूद थे, इसलिए आपको यह बताया जा रहा है कि हम स्थिति पर बहुत बारीकी से नजर रखे हुए हैं।

प्रश्न : विदेश मंत्री ने कुछ देशों के अपने समकक्षों से बात की थी, क्या विदेश मंत्री ईरान के संबंध में घटनाओं पर अन्य देशों के मंत्रियों से बात करेगें?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : यह बात है, मेरा मतलब है कि यह मेरे पास सूची के अनुसार है। इसलिए ये वे देश हैं जिनके साथ विदेश मंत्री ने बात की थी। इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य देशों के साथ बातचीत नहीं की जाएगी। मुझे लगता है कि कई मामलों में आप निर्धारित बातचीत के बावजूद आवश्यक होने पर बातचीत की जाएगी। एयर स्पेस का देखिए, यह बहुत ही संजिदा मामला है मेरा अनुरोध है कि ऐसे मामलों में आप, जो इसके अधिकृत मंत्रालय है, उससे जानकारी प्राप्त करें। देखिए आप कुछ भी लिखेगें इस मामलें में, यदि आप सूत्रों के हवाले से लिखेगें, स्रोत आधारित जानकारी लिखेगें, इससे आंतक हो सकता है, तो मेरी यह सलाह है और यह अनुरोध भी है कि आाप इसके संबंधित मंत्रालय,नागरिक उड्डयन मंत्रालय से संपर्क करें, उनसे पूछें की क्या ऐसी सलाह हुई है और उसी के अनुसार अपनी खबर बताएं।

इसके अलावा, ईरान के विदेश मंत्री की रायसिना वार्ता के दौरे पर, मेरी श्रेष्ठ जानकारी के अनुसार कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं है। कार्यक्रम में कहा गया है कि वे आ रहे हैं और वह कार्यक्रम यथावत है, इसमें कोई बदलाव नहीं है।

प्रश्न : मूल रूप से चाबहार परियोजना पर विशेष रूप से क्या प्रभाव पड़ने वाला है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मुझे लगता है कि हमें देखना होगा। अतीत में अमेरिका ने हमारे लिए चाबहार परियोजना के महत्व और अफगानिस्तान से निरंतर संपर्क के बारे में समझ दिखाई है। अफगानिस्तान को आर्थिक सहायता प्रदान करने के मामले में भी यह बहुत महत्वपूर्ण है और आपने पिछले कई महीनों में कहा होगा कि भारत और चाबहार बंदरगाह के बीच दो प्रकार के यातायात हो रहे है। हम अमेरिका की समझ की सराहना करते हैं, पूरी बात पर किस प्रकार प्रभाव पड़ने वाला है, मुझे लगता है कि यह फिर से काल्पनिक है, हमें देखना होगा। लेकिन हम चाबहार बंदरगाह को प्रतिबंधों से छूट देने में अमेरिका द्वारा दिखाई गई समझ की सराहना करते हैं।

प्रश्न : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कल घोषणा की है कि वो ईरान के विरूद्ध अतिरिक्त आर्थिक प्रतिबंध की घोषणा कर रहें हैं। क्या उस पर भारत को कोई स्पष्ट जानकारी मिली है कि क्या यह आर्थिक प्रतिबंध है क्या हमने अमेरिका से पूछा है कि आर्थिक प्रतिबंध आगे क्या होगें और भारत पर उनका क्या असर पड़ सकता है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : देखिए, पहले तो उनको खुद बताना पड़ेगा कौन से प्रतिबंध है। यह भारत-प्रशांत नहीं है और ऐसी कोई चीज नहीं है तो भारत को प्रत्यक्ष रूप में असर करेगा। उन्होंने घोषण की है,वेउसके विवरण पहले घोषित करेगें कि इसमें क्या-क्या शामिल होगा और फिर हम देखेगें की किस ढ़ग से और क्या प्रभाव हो सकता है। मुझे लगता है कि अभी टिप्पणी करना, समय से पहले होगा।

सबसे पहली बात तो यह है कि जो वहां के हालात है और जो हालात इतनी तेजी से बदल रहे हैं, उस पर हमारी नजर है। वहां की शांति, वहां की स्थिरता और वहां की सुरक्षा हमारे लिए और हमारे संबंध के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उस क्षेत्र में, हमारे जो संबंध है,उनके बारे में सबको पता है। हम यह चाहेगें कि जो वहां के हालात है, जितनी जल्दी हो सकें, वो सामान्य हो जाएं, वो कम हो जाए।

आपको पता होगा की अनेक देशों से हमारी बातचीत चल रही है। हमारे विदेश मंत्री अपने समकक्ष से बात कर रहे हैं, उनकी बातचीत ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, जोर्डन और कतर के विदेश मंत्रियों से बात हुई हैं। हमारे विदेश मंत्री की बात अमेरिका के जो समकक्ष है उनसे भी हुई है। और जो हालात है वहां पर उसके परिप्रेक्ष्य में काफी विचारों का आदान-प्रदान हुआ है। तो फिलहाल अभी यही है कि हम देख-रेख कर रहे है और आशा कर रहे हैं कि जो स्थिति है वह जल्दी सामान्य हो जाए।

प्रश्न : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने, जेएनयू और दीपिका की घटना को लेकर कुछ अनुचित टिप्पणी की है,आप इसके बारे में कुछ बोलेगें?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : आप क्यो पूछते है, क्योंकि आप देखिए की यह उनकी आदत है। आपकों पता है कि वहां क्या चल रहा है और अपना काम छोड़ कर वो हर बार भारत में क्या चल रहा है, दूसरे देशों में क्या चल रहा है, इसके बारे में टिप्पणी करते रहते हैं। मुझे नहीं लगता की हर बार, उनके हर ब्यान पर मुझे टिप्पणी करने की आवश्यकता है। अपने घर में देखिए, जो उनके लोग है, जो उनके अल्पसंख्यक है, जो सह-धर्मवादी है, जिनके खिलाफ अत्याचार हो रहे है, उसे संभालें, उनको न्याय दे और मुझे लगता है जो घटना हुई, एक तो नानकाना साहिब में जो हुआ और जो हमारे सिख युवा थे, उनकी जान गई वह उनके लिए एक आईना है कि जो दूसरे को भाषण करते रहते थे कि क्या करना है वह उनके लिए एक आईना है।

प्रश्न : हमारे विदेश मंत्री और श्रीलंका के विदेश मंत्री के साथ बैठक हुई थी, कोई परिणाम था?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : यह बैठक कुछ घंटे पहले संपन्न हुई थी। श्रीलंका के विदेश मंत्री डॉ दिनेश गुंबादेने दो दिन के दौरे पर हैं। वे कल पहुंचे थें, वे आज यहां हैं, वे कल जा रहे हैं। श्रीलंका के विदेश मंत्री का पद ग्रहण करने के बाद से यह उनकी पहली विदेश यात्रा थी। भारत के विदेश सचिव श्री विजय गोखले ने आज सुबह उनसे मुलाकात की और इसके बाद विदेश मंत्री के साथ बहुत व्यापक ठोस बैठक हुई।

यह यात्रा उनके राष्ट्रपति की भारत यात्रा के ठीक बाद की गई है। जहां तक चर्चाओं की बात है, यह द्विपक्षीय आर्थिक परियोजनाओं के इर्द-गिर्द रही और भारत और श्रीलंका के बीच मानव संसाधन विकास सहयोग पर भारत की विकास सहायता के संबंध में काफी कुछ है। इसके साथ ही,विदेश मंत्री ने भारतीय मछुआरों और नौकाओं के मामले को उठाया जो श्रीलंका की हिरासत में हैं। हमें श्रीलंका के विदेश मंत्री ने बताया था कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अपनी यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि सभी नौकाएं और इस समय नौकाओं की संख्या 52 नौकाएं हैं, उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। हम बातचीत से समझते है कि नौकाओं को रिहा करने की प्रक्रिया जारी है और मुझे लगता है कि बहुत जल्द पूरी हो जानी चाहिए। हम श्रीलंका सरकार के साथ भी बातचीत कर रहे हैं ताकि 15 भारतीय मछुआरों की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित की जा सके जो अभी भी उनकी हिरासत में हैं।

प्रश्न : 2020को लेकर पाकिस्तान लगातार कोशिश कर रहा था कि वह खालिस्तान एजेंडा को आगे बढ़ाए, लेकिन जो शुरूआत में जो घटना हुई है,विशेष रूप से नानकाना साहिब में और पेशावर में जिस प्रकार से सिख युवा की हत्या हुई है। आपको लगता है कि पाकिस्तान को कैसे एक बड़ा झटका लगा है या यूं कहे कि अल्पसंख्याकों की सुरक्षा के संबंध में पाकिस्तान ने कोई कदम नहीं उठाया है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : देखिए, यह जो एजेंडा था पाकिस्तान का, यह शुरू से ही सफल हाने वाला नहीं था। हमने पहले भी कहा है कि जो खालिस्तान का एजेंडा है और जो पाकिस्तान बाहर देशों में इसकी कोशिश करता है, अपने देश में भी, ये एक हाशिये का कारक है। लेकिन ये हमें यह पता है उसके साथ-साथ की सिख समुदाय की जो बहुमत है वो हमारे साथ है। वो इसमें विश्वास करती है कि कैसे आपस में साथ रहें, शांति से रहे। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि उस एजेंडा में कभी भी दम था और जहां तक घटनाओं का प्रश्न है, वो जाहिर सी बात है कि जो देश अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल नहीं कर सकता है, अपने उनके देश में जो सिख समुदाय है उसका ख्याल नहीं कर सकता है, तो वह दूसरे लोगों को क्या बताएंगा, दूसरे देशों को क्या बताएंगा की कैसे ख्याल रखना है?

प्रश्न : आप इस बिंदु पर भारत-मलेशिया संबंधों की स्थिति का वर्णन कैसे करेंगे?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : देखिए, मुझे लगता है कि अतीत में मलेशिया के प्रधानमंत्री द्वारा ऐसे वक्तव्य दिए गए हैं जिन पर हमने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हमने उनसे कहा है कि हमारे सदियों पुराने संबंध हैं।आप जानते हैं कि हमारे संबंध बहुत लंबे समय से चले आ रहे हैं और हमारे संबंध बहुत अच्छे रहे हैं, हमने उनसे कहा है कि उन्हें इनमें से कुछ विषयों पर हमारे पास जो संवेदनशीलता है, उसे ध्यान में रखना चाहिए। दुर्भाग्य से, हमारे बयानों के बावजूद उनकी ओर से इसी तरह के बयान आते रहते हैं। हमें आशा है कि किसी स्तर पर वे महसूस करेंगे कि यह उचित बात नहीं है।

प्रश्न : क्या जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे की यात्रा का कोई नया शेड्यूल बनाया गया है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : नहीं, उत्तर वही है जो आखिरी ब्रीफिंग में दिया था। हम राजनयिक माध्यमों से संपर्क में हैं। जब भी नई तारीखें निश्चित होती हैं, एक प्रक्रिया होती है और हम यात्रा की घोषणा करेंगे।

प्रश्न : बस आपसे स्पष्टीकरण चाहते हैं कि प्रतिबंधित सूची क्या है?

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : मैं ऐसा कर सकता हूं लेकिन सबसे अच्छा है कि इसका समाधान वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा दिया जाए। यह अधिसूचना भी उन्होंने जारी की है लेकिन एक आम आदमी के रूप में मेरी समझ के लिए, वहां सूचियों तीन प्रकार की होती हैं। एक मुक्त है, दूसरीप्रतिबंधात्मक है और तीसरी निषेधात्मक है। और उत्पाद के स्वरूप पर, उत्पाद इन श्रेणियों में से एक में आता है।

शामिल होने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

(समापन)

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