मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (21 नवंबर, 2019)

नवम्बर 22, 2019

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार: मित्रों,नमस्कार। मेरे पास कोई घोषणा नहीं है इसलिए मैं प्रश्न आमंत्रित करता हूं।

प्रश्न: सोमवार को हमने पाकिस्तानी मीडिया से रिपोर्ट देखी कि उन्होंने दो भारतीयों को गिरफ्तार किया है,उस पर कोई अपडेट?क्या भारत ने कांसुलर एक्सेस के लिए पाकिस्तानी सरकार से संपर्क किया है?

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार : क्या इससे संबंधित कोई प्रश्न है?

प्रश्न: उनके पिता भी,

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार: आप हैदराबाद के एक भारतीय नागरिक के बारे में बात कर रहे हैं।

प्रश्न:एक भारतीय दंपति के जर्मनी से आने की ऐसी ही रिपोर्ट है,जिन पर जासूसी का आरोप है और उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है। क्या आपके पास इसका कुछ विवरण है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :आपको मुझे कम से कम,नाम और कब कुछ विवरण देना होगा।

प्रश्नक्रमश: उन पर कुछ सिख समुदाय के लोगों की जासूसी करने का आरोप है।

प्रश्न : मैं बस सोच रहा था कि क्या कुलभूषण जाधव के लिए कांसुलर एक्सेस पर किसी अन्य प्रकार का अपडेट था और अगर हम अन्य भारतीय कैदियों के लिए कॉन्सुलर एक्सेस का व्यापक अवलोकन प्राप्त कर सकते हैं,तो क्या कोई अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :इस विशेष मामले पर,आपने रिपोर्ट देखी है कि दो भारतीय नागरिक,श्री प्रशांत वैदंम और वारिलाल थे।हम मानते हैं कि वे अनजाने में 2016 - 17 में किसी समय पाकिस्तान को पार कर गए थे और जब हमें बताया गया था इस घटना के बारे में हमने वास्तव में नोट-वर्बल के माध्यम से पाकिस्तानी पक्ष को सूचित किया था,जिसका अर्थ है कि हमने आधिकारिक तौर पर उनके साथ मामला उठाया था और उन्हें बताया कि यदि इन दो व्यक्तियों का पता लगता है,और यदि अन्य व्यक्ति भी हों, तो हमारे संज्ञान में लाया जाना चाहिए।

तब से हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और अगर मैं विशेष रूप से इन दो व्यक्तियों के बारे में बात कर रहा हूं। श्री प्रशांत वैंदम के लिए,हमने मई 2019 की शुरुआत में बताया था और श्री वरिलाल के लिए हमने उन्हें दिसंबर 2018 में सूचित किया था।

अब मीडिया के माध्यम से इन दो लोगों की गिरफ्तारी की अचानक घोषणा हमारे लिए आश्चर्य का विषय है। हम आशा करते हैं कि ये दो भारतीय नागरिकों का गलत उपयोग नहीं किया जाएगा और ये पाकिस्तानी प्रचार का शिकार नहीं बनेगें। हमने उस क्षण की भी घोषणा की और यह मीडिया में सामने आया।सर्वप्रथम पाकिस्तानी मीडिया मेंहमने उसी दिन पाकिस्तान की सरकार से संपर्क किया और हमने तत्काल कांसुलर एक्सेस के लिए अनुरोध किया। हमने उन्हें दो भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनका शीघ्र प्रत्यावर्तन भी सुनिश्चित करने के लिए कहा ताकि वे भारत में अपने परिवारों के साथ एकजुट हो सकें।

इस बारे में किए गए अनुरोध के बारे में मुझे विशिष्‍ट रूप से मैं अवगत नहीं हूं। यदि विदेश मंत्री के कार्यलय के आधार पर कोई अनुरोध किया गया है तो मैं समझता हूं कि उस पर विचार किया जाएगा, किंतु इस बारे में मेरे पास अपडेट नहीं है।

अब तक हमें प्रेस रिपोर्टों से ज्ञात हुआ है कि वे पाकिस्‍तान में अवैध रूप से रह थे। हमने इस संबंध में अधिक जानकारी देने का अनुरोध किया है और गिरफ्तारी के प्रकृति पर अधिक जानकारी प्राप्‍त होने पर हम इसका पता लगाएगें।

प्रश्न :…………अश्रव्य……….

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :देखिए,ऐसे मामलों में समय सीमा को परिभाषित करना बहुत कठिन है। मेरा तात्‍पर्य है कि यह केवल श्री प्रशांत वैदंम का प्रश्न नहीं है,एक अन्य व्यक्ति है जो वहां भी शामिल है और कई अन्य भारतीय भी हैं,जिनसे हम अनुरोध कर रहे हैं कि वे अनजाने में पाकिस्तानी सीमा को पार कर गए होंगे। ये सभी अलग-अलग मामले हैं और समय-समय पर हमें कभी-कभी परिवार के सदस्यों द्वारा,कभी-कभी हमारे अपने सुरक्षा बलों द्वारा बताया जाता है कि यह संभव है कि एक व्यक्ति सीमा पार करके चला गया हो। जब इस प्रकार की घटना को हमारे संज्ञान में लाया जाता है तो हम तुरंत पाकिस्तानी पक्ष को लिखते हैं कि यह बहुत संभव है कि एक निश्चित व्यक्ति सीमा पार कर गया हो।

और इन दोनों के अलावा, अन्य मामले भी हैं। वास्तव में कम से कम पाँच भारतीय नागरिक और सैकड़ों भारतीय मछुआरे हैं और ये ऐसे मामले हैं जहाँ उनकी राष्ट्रीयता को सत्‍यापित किया गया है। कई मामलों में,उनमें से कुछ ने अपनी सजा पूरी कर ली है। उनमें से दो वे 5 अगस्‍त को प्रत्यावर्तित होने वाले थे,आप जानते हैं,और वे अटारी बॉर्डर तक पहुंच गए थे,लेकिन आखिरी समय में यह काम नहीं किया।

तो कहने का तात्‍पर्य यह है कि ऐसे मामलों में जहां हमें संदेह है कि व्यक्तियों ने पाकिस्तानी सीमा को पार कर लिया है,तुरंत हम उन्हें आधिकारिक तौर पर सूचित करते हैं। हम उनसे आशा करते हैं कि यदि उन्हें हिरासत में लिया जाता है,तो हमें उसकी सूचना दी जानी चाहिए और हमें कांसुलर एक्सेस दिया जाना चाहिए। हम उन्हें नुकसान न पहुंचाने का भी अनुरोध करते हैं,इससे कोई नुकसान नहीं होता है और उनकी जल्दी वापसी भी होती है।

प्रश्न :……… .. अश्रव्य ……… ..

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :हां,बिल्कुल। मुझे लगता है कि उसी दिन,जिस दिन हमें प्रेस के माध्यम से पता चला कि इन दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है,हमने पाकिस्तानी पक्ष को सचेत किया था।

इसके अलावा,मैं जर्मनी की घटना के बारे में विशेष रूप से जागरूक नहीं हूं। मुझे लगता है कि यह सब व्यक्तियों की राष्ट्रीयता पर निर्भर करता है,चाहे वे भारतीय नागरिक हों या भारतीय मूल के लोग जो मामलों को स्पष्ट करेंगे। चूंकि मेरे पास नाम और विवरण नहीं है,इसलिए मैं आपके प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता।

जैसा मीडिया में आया है कि दो भारतीय नागरिक जिनके नाम प्रशांत वैदंम और वरिलाल है, हमें यह अदांज था कि ये गलती से पाकिस्‍तान की तरफ क्रास कर गए होगें और यह घटना 2016-17 की बताई जाती है। जिस समय यह हमें पता चला,जिस समय हमारी जानकारी में लाया गया उसी समय हमने पाकिस्‍तानी सरकार को बताया कि ये व्‍यक्ति आपकी सीमा में हो सकते हैं। और अगर आपको इनके बारे में जानकारी मिलें तो आप हमें इनकी सूचना दें।

उस समय से और जैसे मैने कहा हकि प्रशांत वैंदम का मामला हमने मई, 2019 में उठाया था और वरिलाल का मामला दिसंबर में। जिस समय हमने पहले नोट वर्बल लिखा और उसके बाद जितने भी अनुस्‍मारक भेजे गए उनमें से किसी का भी उत्‍तर हमें प्राप्‍त नहीं हुआ है। इसलिए जब अचानक इसकी घोषणा हुई,पाकिस्‍तान प्रैस में कि दो भारतीय गिरफ्तार हो गए है तो थोड़ा सा हमें आश्‍चर्य हुआ।

हमारी उम्‍मीद यही है कि ये जो दो निर्दोष भारतीय नागरिक हैं, पाकिस्‍तान इन्‍हें भ्रामक प्रचार का साधन न बनाए। उस दिन जिस दिन हमने इसकी जानकारी मिली, हमने यह मांग भी की है कि हमें इन दोनों भारतीयों के लिए कांसुलर पहुंचा दी जाए और सुरक्षा का उत्‍तरदायित्‍व भी पाकिस्‍तान का है और जितनी जल्‍दी हो सके इनका प्रत्‍यार्पण किया जाए ताकि ये अपने परिवार वालों से मिल सकें।

प्रश्न : हाल ही में वाशिंगटन में यूएसटीआर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच वार्ता हुई और उन्होंने फोन पर भी बातचीत की। ऐसी खबरें आ रही हैं कि व्यापार वार्ता लगभग हो चुकी है। तो कूटनीतिक रूप से आप क्‍या बड़ा संदेश देखते हैं और अभी क्या स्थिति है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :आप जानते हैं कि इसके लिए विवरण वाणिज्य मंत्रालय के पास उपलब्ध होगा। दोनों नेताओं के बीच चर्चा चल रही है क्योंकि दोनों नेताओं ने दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों को समाधान खोजने का निर्देश दिया है। तब से वे चर्चा कर रहे है। आप जानते हैं कि ये जटिल मामले हैं,हमने यह पहले भी कहा है,हम आशावादी हैं कि समाधान बहुत शीघ्र मिल जाएगा,लेकिन जब हमारे वाणिज्य मंत्री अमेरिका में अपने समकक्ष से मिले तो बैठक में क्या हुआ,इसके विवरण के लिए आपको वाणिज्य मंत्रालय से संपर्क करना होगा।

प्रश्न : लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे पाकिस्तानी नागरिक अल्ताफ हुसैन ने भारत से राजनीतिक शरण मांगी है। क्या भारत सरकार अनुरोध पर विचार कर रही है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :आप जानते हैं कि शरण का अनुरोध और शरण से संबंधित मामले विदेश मंत्रालय के पास नहीं हैं। हम ऐसे मामलों से नहीं निपटते हैं इसलिए मैं इस प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम नहीं हो सकता।

प्रश्न : हमने विदेशी प्रेस और मीडिया में हमारे विदेश मंत्री के निवर्तमान साक्षात्कारों को देखा है,जहां उन्होंने एक आतंकवादी उद्योग चलाने और सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है। पाकिस्तान ने कहा है कि ये निराधार हैं और भारत कश्मीर से ध्यान हटाने का प्रयास कर रहा है।

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :आपने देखा है कि विदेश मंत्री ने जो किया है,उन्होंने कुदाल को कुदाल कहा है और इसने स्वाभाविक रूप से पाकिस्तान की रूह को छुआ है।इससे वे आहत हुए है। संभवत: वे इससे सर्वाधिक आहत हुए है,एक अनौपचारिक रूप से प्रतिक्रिया करने के स्‍थान पर,बहुत ही पूर्वानुमानित तरीके से मुझे लगता है कि पाकिस्तान को कुछ ऐसे बिंदुओं पर कार्रवाई करनी चाहिए जो विदेश मंत्री ने अपने साक्षात्कार में कई विदेशी मीडिया के साथ उठाए हैं।

प्रश्न : यह भारत-जापान मंत्री2 + 2वार्ता के बारे में है जो इसी महीने होने वाला है। पहले क्‍या आप तारीखों की पुष्टि कर सकते हैं और दूसरा,यह देखते हुए कि प्रधानमंत्री आबे को भी दिसंबर में जाना है,भारत और जापान के बीच इस विशेष2 + 2 बैठक के विशिष्ट एजेंडे क्या हैं?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :मैं आज तारीखों की पुष्टि नहीं कर पाऊंगा। मैं केवल आपके साथ यह साझा कर सकता हूं कि हम इस महीने के अंत में होने वाली2 + 2विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय वार्ता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम अगले सप्ताह कुछ समय के लिए सटीक तारीखबता पाएगें। यह भारत और जापान के बीच बढ़ते सामरिक विश्वास का स्पष्ट प्रतिबिंब है।जहां तक ​​शिखर सम्मेलन का संबंध है,तो आप जानते हैं कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन है।हम पुन: इस शिखर सम्मेलन की प्रतीक्षा कर रहे हैं,जो दिसंबर के मध्य में कुछ समय के लिए होगा। हमें विश्वास है कि इस शिखर सम्मेलन से भारत-जापान सामरिक साझेदारीऔर वैश्विक साझेदारी को और मजबूती मिलेगी और2 + 2 संवाद वास्तव में मुख्य शिखर का हिस्‍सा बनेगें। इसलिए मुझे लगता है कि2 + 2 से बाहर होने वाली चर्चा शिखर सम्मेलन के दौरान मुख्य परिणाम क्या होगा इसका एक महत्वपूर्ण कारक बनेगा।दोनों तारीखों के लिए,
2 + 2 के साथ-साथ शिखर सम्मेलन के लिए, मुझे लगता है कि हमें थोड़ा धैर्य रखना होगा, शायद अगले सप्‍ताह या उसके अगले सप्ताह तक।

प्रश्न :मेरा प्रश्न श्रीलंका में नई सरकार की स्थापना से संबंधित है। कई रिपोर्टें हैं कि भारत और श्रीलंका के संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि नई स्थापना चीन के करीब है,हालांकि भारत ने अपनी तरफ से पहल की है। यहां बड़ा प्रश्न यह है कि भारत श्रीलंका में तमिलों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेगा?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :देखिए, आपके दो-तीन प्रश्‍न है। पहला तो यह है कि राष्‍ट्रपति गोटभाया के आने से हमारे ऊपर क्‍या असर पडेगा। सबसे पहली बात जानने की यह है कि जो हमारा रिश्‍ता है श्रीलंका के साथ्‍, वह किसी दूसरे देश के प्रिज्‍म में नही देखा जा सकता है। वह हमारी साख है। श्रीलंका हमारा पुराना करीबी मित्र है और इनके साथ हमारे बहुत ही ऐतिहासिक सभ्‍यता के संबध हैं।

जैसा आपने देखा कि जैसेकि नए राष्‍ट्रपति का चुनाव हुआ है, हमारे प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया था, बधाई दी थी। उसके बाद उनका उत्‍तर भी आया था और उसके बाद हमारे मंत्री भी उनके साथ वार्ता करने के लिए गए थे, तो हमें लगता है कि हमें भारत और श्रीलंका का जो संबंध है उसे स्‍वत: आधारपर देखना चाहिए, किसी दूसरे देश के प्रिज्‍म में नहीं देखना चाहिए। जहां तक जो आपने बताया,तमिल मुद्दें के बारे में आपको पता यह है कि दो-तीन दिन पहले हमारे विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में कोलंबो गए थे और उन्‍होनें वहां जाकर जो हमारे प्रधानमंत्री की इच्‍छा थी, उससे नए राष्‍ट्रपति को अवगत करवाया था। हमारे मंत्री ने प्रधानमंत्री को बधाई पत्र भी उन्‍हें सौंपा और उसी समय उन्‍हें भारत आने का निमंत्रण दिया और जैसाकि आप सभी को पता है कि जो नए प्रधानमंत्री हैं वो 20-30 को राजकीय यात्रा पर भारत का दौरा कर रहे हैं।

मैं यह भी बताना चाहूंगाकि जो हमारे विदेश मंत्री की राष्‍ट्रपति राजपक्ष के साथ बैठक हुई उसमें सबसे पहला मुद्दा था कि जो हमारे द्विपक्षीय संबंध हैं उन्‍हें किस प्रकार दृढ़ किया जाए, कैसे सशक्‍त किया जाए। उसके साथ-साथ हमारे विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वे श्रीलंका सरकार से आशा करते है कि जो प्रक्रिया राष्‍ट्रीय समाधान की थी उसे आगे बढ़ाया जाए और उस जगह पर ले जाए जाएं जहां पर जो तमिल समुदायकी आकांक्षाएं है, जो समानता, न्‍याय, शांति और स्‍वाभिमान की आकांक्षाएं है, वे उन्‍हें मिल सके।

उसके बाद आपने गोटाभाया राजपक्ष के वक्‍तव्‍य भी देखें होगें जिसमें उन्‍होनें कहा कि श्रीलंका निवासी, चाहे वो किसी भी धर्म के हों, किसी भी जाति के हो, वे सभी के राष्‍ट्रपति हैं और उन्‍होनें यह भी कहा था कि चाहे इन लोगों ने उन्‍हें वोट दिया हो या नहीं दिया हो, वे सबके लिए काम करेगें। राष्‍ट्रपति गोटाभाया राजपक्ष ने यह भी कहा कि जब वो काम शुरू करेगें तो उत्‍तरी श्रीलंका और पूर्वीश्रीलंका के जो प्रांत हैं उनके विकास पर वे ध्‍यान देगें और उसमें उन्‍होनें यह भी कहा कि भारत इस मामले में बहुत ही महत्‍वपूर्ण और मूल्‍यवान साझेदार होगा।

प्रश्न के दो भाग हैं, मुझे लगता है कि मैं दूसरा भाग पर पहले बोलूंगा। तमिल मुद्दे पर और प्रस्ताव पर भी,आप सभी जानते हैं कि विदेश मंत्री ने कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में कोलंबो का दौरा किया था ताकि प्रधानमंत्री और श्रीलंका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति को शुभकामनाएं दी जा सकें। विदेश मंत्री ने बधाई पत्र दिया और श्रीलंका के राष्ट्रपति को भारत आने का निमंत्रण दिया। आप सभी जानते हैं कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत के प्रधान मंत्री के भारत आने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है और वह इस महीने के अंत में29 और 30 नवंबर को भारत की राजकीय यात्रा पर आएंगे।श्रीलंका के नए राष्ट्रपति,राष्ट्रपति गोतभाया के साथ मुलाकात के दौरान,चर्चा का पहला हिस्सा निश्चित रूप से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित था। विदेश मंत्रालय की भी उम्मीद थी और उन्होंने राष्ट्रपति राजपक्षे को भारत की अपेक्षा से अवगत कराया कि श्रीलंका सरकार एक समाधान पर पहुंचने के लिए राष्ट्रीय सामंजस्य की प्रक्रिया को आगे ले जाएगी जो समानता, न्याय, शांति और गरिमा के लिए तमिल समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करती है और तब से आपको चाहिए राष्ट्रपति राजपक्षे के बयान को देखा है जहां उन्होंने पुष्टि की है कि वे सभी नस्लीय या धर्मों के बावजूद श्रीलंका के राष्ट्रपति होंगे और इस बात पर ध्यान दिए बिना कि उन्होंने उनके लिए वोट किया है या नहीं।नए श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह उत्तरी और पूर्वी प्रांतों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और भारत को इस प्रयास के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार मानते हैं। भारत जिस रिश्ते को देख रहा है,उसके दूसरे पहलू पर मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट है कि भारत हमारे पुराने पुराने संबंधों को गहरा करने में दिन की सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। आप जानते हैं कि दोनों नेताओं के बीच अभिवादन का आदान-प्रदान हुआ है। श्रीलंका के साथ या किसी अन्य देश के साथ इस मामले के लिए हमारा संबंध किसी तीसरे देश पर निर्भर नहीं है,यह स्वतंत्र रूप से खड़ा है। हम श्रीलंका के साथ ऐतिहासिक और बहुत करीबी रिश्ते का आनंद लेते हैं और हम आगे देख रहे हैं और हम नई श्रीलंकाई सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे।

प्रश्न : करतारपुर कॉरिडोर अब चालू है और आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या काफी कम है,हालांकि यह कहा गया था कि5000तीर्थयात्री यात्रा करेंगे। हमें यह भी जानकारी दी गई थी कि पाकिस्तान ने भारत के साथ एक प्रस्ताव साझा किया है,जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि पासपोर्ट की आवश्यकता को दूर किया जाएगा और एडवांसिस की कोई आवश्यकता नहीं होगी। उस प्रस्ताव का क्या हुआ,उस पर बैठक कब होगी,आगे का रास्ता क्या है?

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :(देखिए,जहां तक ​​हमारी जानकारी है,तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ रही है और हमने विशेष रूप से सप्ताहांत के दौरान देखा है कि वहाँ आगंतुकों की संख्या में वृद्धि हुई है। जहाँ तक प्रक्रिया का प्रश्‍न है, आपको यह समझने की आवश्‍यकता है कि यह एक द्विपक्षीय दस्तावेज है जिसे भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच चर्चा के बाद अंतिम रूप दिया गया था। यदि आपको इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता है तो इसे एक ट्वीट या एक बयान के बजाय औपचारिक रूप से किया जाना चाहिए।

एक अधिकार प्राप्त समिति है जिसके अध्यक्ष गृह सचिव हैं जहाँ ऐसी सभी बातों पर चर्चा की जाती है। जहां तक ​​विदेश मंत्रालय का संबंध है क्योंकि पासपोर्ट प्राप्त करने में कठिनाइयों के बारे में एक मुद्दा उठाया गया था। उस मोर्चे पर मैं आपको सूचित करना चाहूंगा कि अभी पंजाब में तीन पासपोर्ट कार्यालय, पांच पासपोर्ट सेवा केंद्र और छह डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र हैं। इसके अलावा हम डेरा बाबा नानक में पीओपीएसके खोल रहे हैं। हमने छह पासपोर्ट शिविरों का आयोजन किया है क्योंकि लोगों ने कहा कि उन्हें पासपोर्ट प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और द्विपक्षीय समझौते के अनुसार पासपोर्ट, यात्रा की आवश्यकता है और हम इसे सुविधाजनक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

दूसरा मुद्दा,पाकिस्तान द्वारा लगाए गए 20 अमेरिकी डॉलर के सेवा शुल्क से संबंधित है, जिसे हम पाकिस्तान से हटाने का अनुरोध कर रहे हैं। आप जानते हैं कि पाकिस्तान इसके लिए सहमत नहीं था और हम इसे हटाने के लिए उनसे अनुरोध कर रहे हैं और यदि वे इसे हटा देते हैं तो यह प्रतिबंध को कम करने में बहुत मदद करेगा जिसका कुछ तीर्थयात्रियों का सामना कर रहे हैं.

प्रश्न : भाजपा सांसद तापिर गाओ ने एक बार फिर दावा किया है कि अरुणाचल में चीन द्वारा लगभग50-60 किमी भूमि पर कब्जा कर लिया गया है और अगर भारत सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है तो डोकलाम जैसे हालात पैदा हो सकते हैं।

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :देखिए,आप जानते हैं कि यह मुद्दा संसद में उठाया गया है। इसलिए दो चीजें हैं,एक यह संसद में उठाया गया है और दूसरा यह कि यह रक्षा मंत्रालय से संबंधित है।इसलिए मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं।

प्रश्न : कल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना कलकत्ता आ रही हैं। अब से ठीक पांच हफ्ते पहले हमारे एक बीएसएफ हेड कांस्टेबल को बांग्लादेश की सीमा पर गार्ड गोलीबारी में गोली मार दी गई थी और वह मर गया था और मेरा मानना ​​है कि एक भारतीय नागरिक, एक मछुआरा,जो उस घटना में शामिल था,अभी भी बांग्लादेश की हिरासत में है। मुझे यकीन है कि भारत ने उचित अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है,इसलिए उस पर नवीनतम अपडेट क्या है?

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :आप देखते हैं कि आपने उस घटना पर कब बात की थी। स्पष्टीकरण दिया गया है। हमारी संबंधित सीमा एजेंसियों से भेंट हुई है और मूल रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है कि इस घटना को भविष्य में खुद को दोहराना नहीं जाना चाहिए। यह उस तरह की समझ है जो दोनों पक्षों के बीच होनी चाहिए।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की यात्रा पर, आप जानते हैं कि वे कल कोलकाता का दौरा कर रही हैं। वे हमारे प्रधानमंत्री के अनुरोध पर दौरा कर रही हैं और यह अनुरोध भारत-बांग्लादेश टेस्ट की ऐतिहासिक प्रकृति को देखते हुए किया गया था। यह भारत की धरती पर खेला जाने वाला पहला डे-नाइट टेस्ट मैच है और हमने महसूस किया कि यह सबसे उपयुक्त था कि भारत में पहले दिन-रात टेस्ट मैच का उद्घाटन भारत के अच्छे मित्र द्वारा किया जाए और यही कारण है कि कल बांग्लादेश की मंत्री कलकत्ता का दौरा कर रही हैं।

प्रश्न :अयोध्‍या मसले के बाद आपने अनेक देशों को उसके बारे में बताया, तो जो मुस्‍लिम देश हैं और क्‍यूआइसी देश है उनका क्‍या नज़रिया था या उनकी क्‍या चिंताएं थीं। और दूसरा कई देशों में कम से कम तीन देशों के राजदूतों ने इच्‍छा जताई है कि वे अयोध्‍या जाना चाहते हैं, तो क्‍या वे वहांजा सकते हैं, आपकी क्‍या प्रतिक्रिया है।

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :एक तो मैं यह बताना चाहूंगा कि यह विदेश मंत्रालय का काम है कि यदि कोई भी महत्‍वपूर्ण घटना भारत में होती है तो उसके बारे में हम बात करेगें और यदि राजनयिक समुदाय से कोई अनुरोध प्राप्‍त होता है, कि हमें आप बताएं कि क्‍या हुआ कि क्‍या हुआ, क्‍यों हुआ,तो हमारा यह काम है कि हम उनसे वार्ता करें और उस मामले में आपना दृष्‍टिकोण उनके समक्ष रखें। तो इसी के तहत हमें कुछ देशों के साथ चर्चा की है। यहां भी की है और कुछ हमारे जो मिशन थे, जो महत्‍वपूर्ण देशो में हमारे मिशन है, उनके माध्‍यम से भी कुछ देशों के साथ हमारी चर्चा हुई।

जहां तक मेरा ख्‍याल है जितने भी लोगों के साथ हमारी वार्ता हुई है हमने यही तर्क दिया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। यह उच्‍चतम न्‍यायालय का निर्णय है। उच्‍चतम न्‍यायालय, शीर्ष न्‍यायालय है और इसे इस नजरिए से देखा जाए। जहां तक मेरी जानकारी है कि ऐसा कहीं से भी कोई टिप्‍पणी नहीं आई है जिससे हमें लगे कि जो यह चीज हम उनको बताना चाह रहे थे उसमें कहीं चूक हुई हो। तो मुझे लगता है जो वार्ता थी वो काफी हद तक सफल रही है।

प्रश्न :ओआईसी ने क्‍या बोला?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :यह हमारी तरफ से जो वार्ता होती है हमें बताना होता है कि यह जो हुआ है उसका प्रयोजन क्‍या था और यह राजनयिक वार्ता का नियमित रूप है और हमने वार्ता की थी।

आप किसी देश के किसी विशेष हिस्से की यात्रा पर प्रतिबंध देखते हैं,कुछ प्रतिबंध हैं जो लागू होते हैं यदि वे प्रतिबंधित क्षेत्र या संरक्षित क्षेत्र में हैं,तो ये सभी गृह मंत्रालय के नियमों द्वारा शासित हैं। मैं स्पष्ट रूप से इस समय परिचित नहीं हूं यदि अयोध्या आने वाले राजनयिक दूतों के मामले में इस प्रकार का कोई प्रतिबंध है।

प्रश्न :2 नवंबर को भारत सरकार द्वारा जारी हालिया राजनीतिक मानचित्र पर मेरा प्रश्न है। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री ओली ने कहा है कि नेपाल किसी को भी अपने क्षेत्र में एक इंच भी अतिक्रमण नहीं करने देगा और उसने यह भी कहा कि वो भारत को कालापानी से अपनी सेनाएँ हटाने के लिए कहेगें। इस पर आधिकारिक बयान क्या है?और दूसरा है,ऐसी खबरें हैं कि नेपाल ने भारत से पहले ही विदेश सचिव स्तर की बैठक के लिए कहा है,उस बैठक की कब आशा है और अंत में, ईपीजी को हल करने के लिए और सभी बकाया मुद्दों पर सुझाव देने के लिए गठित किया गया था जिसमें सीमा मुद्दे भी शामिल है,लेकिन रिपोर्ट को अंतिम रूप दिए हुए डेढ़ साल हो चुका है,लेकिन भारत ने इसे जारी करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है,वास्तव में मुद्दा क्या है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :आइए अंतिम प्रश्‍न से शुरुआत करते हैं। मुझे नहीं लगता कि यह सही है कि भारत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। आप जानते हैं कि दोनों पक्षों के सदस्य हैं जो ईपीजी का हिस्सा हैं और निर्णय यह है कि दोनों सरकारें रिपोर्ट पर विचार करेंगी, यदि वे दोनों सरकारों को प्रस्तुत की जाती हैं। इसलिए हम इसकीप्रतीक्षा कर रहे हैं।मुझे नहीं लगता कि यह तथ्यात्मक रूप से सही है कि भारत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

पहले प्रश्‍न पर, नक्शे पर ही, मैंने दो सप्‍ताह पहले एक बयान दिया था। हमारे पास इस मामले पर एक सुसंगत स्थिति है और हम उस स्थिति पर दृढ़ हैं और उस स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

विदेश सचिव स्तर की वार्ता पर, हां एक मौजूदा तंत्र है और जब आप किसी बैठक को पूरा करने का प्रयास करते हैं,तो कुछ तारीखें होनी चाहिए,जिस पर सभी को सहमत होना होगा। मैं इस समय इस बात को समझता हूं कि दोनों पक्ष तारीखों का निश्‍चय करने के लिए संपर्क कर रहे हैं,जब और जब तारीखों को अंतिम रूप दिया जाएगा,तो मैं आपको बता दूंगा।

प्रश्न :………अश्रव्य… ……… ..

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :जैसा कि मैंने कहा कि जब हम इस मामले पर संपर्क करते हैं,तो हम इस मामले में संपर्क करते हैं कि भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया है। अब जब भी इस प्रकार की घटना होती है तो हम बांग्लादेश के साथ इस मामले को उठाते हैं।इसे विभिन्न स्तरों पर उठाया जाता है और इस मामले में हमने बांग्लादेश से मछुआरों की जल्द रिहाई और प्रत्यावर्तन सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया है।

प्रश्न : भारत-जापान शिखर सम्मेलन कहाँ हो रहा है?

सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :देखिए,अगर मैं तारीखों को साझा नहीं कर रहा हूं,तो क्या आप मुझसे शिखर सम्मेलन स्थल को साझा करने की आशा करते हैं। बसआप जहां चाहें उस स्थान और तारीख का अनुमान लगा सकते हैं,इसके लिए आपको कुछ और समय तक प्रतीक्षा करनी होगी।

आप सभी अनुमान लगाते रह सकते हैं, जो मैं आपको बता सकता हूं,केवल एक चीज जो आज मैं आपको दे सकता हूं वह यह है कि यह अगले महीने के बीच मेंहो रही है। तारीख और स्थल पर दोनों पक्षों के बीच चर्चा हो रही है और मुझे लगता है कि हमें आपसे मुखातिब होना चाहिए।

प्रश्न : अमेरिका में अवैध रूप से रहने के कारण भारतीयों को निकाल दिया गया है।

सर, आप लोग थोड़ा बोल दीजिए उन लोगों को कि हाथ पैर बांधकर नहीं भेजें।

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :देखिए,समय-समय पर जब भी उन भारतीयों को हिरासत में लिया जाता है जिन्‍हें अमेरिका में रहने का अधिकार नहीं है,प्राय: दूतावास या वाणिज्य दूतावास द्वारा यह कार्य किया जाता है कि हम मामले को अमेरिका में उपयुक्त अधिकारियों के साथ प्राथमिकता पर लेते हैं। नंबर दो,हम बंदी के अधीन आने वाले लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास करते हैं।हम भी,कभी-कभी,बंदी केंद्रों पर जाकर देखते हैं कि क्या वे ठीक कर रहे हैं। साथ ही हम उन भारतीय नागरिकों और भारतीय प्रवासियों के प्रत्यावर्तन की सुविधा भी देते हैं,जिनके पास दस्‍तावेज नहीं हैं।

अब ऐसे मामलों में, यह महत्वपूर्ण है कि उनकी राष्ट्रीयता को सत्यापित किया गया है। जिस तरह से यह होता है कि जब यह हमारे ध्यान में लाया जाता है,तो उनकी राष्ट्रीयता को सत्यापित किया जाता है और फिर उन्हें भारत वापस भेज दिया जाता है। हम,निश्चित रूप से,ऐसे सभी मामलों पर,हम प्रवासी भारतीयों से संबंधित सभी मुद्दों पर अमेरिकी सरकार के साथ बहुत निकटता से जुड़े हुए हैं,जिनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं,जो बिना दस्‍तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं।

प्रश्न : मेरा रूस के संबंध में प्रश्‍न है। भारत ने रूस को कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर साइबर हमले के बारे में अवगत कराया,यह कब किया गया था?उसी समय साइबर सुरक्षा पर भारत के साथ रूस के बीच सहयोग बढ़ाया गया है,क्‍या आप कुंदनकुलम के बाद इसके बारे में अधिक जानकारी साझा कर सकते हैं तो?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :मैं संबंधित एजेंसी से क्या समझ पाया हूं,हमने उनसे कुछ जानकारी मांगी है। हमें बताया गया कि हमले के मामले की जांच चल रही है।इसलिए यह कानून और व्यवस्था या कानून प्रवर्तन मामला हो जाता है और मैंने रिपोर्ट नहीं देखी कि यह कैसे हुआ। तो इस समय वह कहाँ है। मुझे लगता है कि साइबर सुरक्षा पर सहयोग के मामलों पर,मुझे लगता है कि यह एक सतत सहयोग है जो हमारे कुछ निकटतम सहयोगियों के साथ है, और रूस उनमें से एक है। इस मुद्दे पर चर्चा के अगले दौर में यह आंकड़ा होगा। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है,हम देखेंगे कि क्या यह कवर होता है।

प्रश्न : बिम्‍सटेक राष्‍ट्रों पर एक छोटा सा प्रश्‍न,अगली साइबर सुरक्षा वार्ता कब हो रही है।

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :मुझे पता नहीं है। मैं जांच करने के बाद बताऊंगा

प्रश्न :ऐसी खबरें हैं कि नित्‍यानंद देश से बाहर गए हैं और गुजरात की राज्‍य नीति ने विदेश मंत्रालय केा उनके प्रत्‍यावर्तन के लिए संपर्क किया है। तो क्‍या इस बारे में आपके पास कोई अपडेट है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :पहली बात यह है कि जहां तक मेरी जानकारी है मुझे नहीं लगता कि हमारे पास अभी तक चाहे वो गुजरात पुलिस हो, चाहे गृह मंत्रालय हो, हमारे पास कोई औपचारिक समाचार इस बारे में नहीं आया है।

दूसरी बात, यह जानना बहुत जरूरी है कि इसमें विदेश मंत्रालय की क्‍या भूमिका होती है। भूमिका यह होती है कि एक तो स्‍थान का पता होना चाहिए कि कहां पर है क्‍योंकि हमारी भूमिका है कि यदि हम प्रत्‍यार्पण का अनुरोध करते हैं तो उस देश को तो उससे पहले हमें यह पता होना जरूरी है कि इनकी राष्‍ट्रीयता के साक्ष्‍य वहां है या नहीं। तो एक स्‍थान और दूसरा जरूरी है कि इनकी राष्‍ट्रीयता क्‍या है और जब तक इन दोनों चीजों के बारे में, मैं सामान्‍यत: बता रहा हूं, ये दोनों चीजें पता करने के बाद ही विदेश मंत्रालय किसी भी ऐसी घटन में अपना हाथ डालता है। किंतु, फिलहाल स्‍थिति यह है कि हमारे पास नही गुजरात पुलिस द्वारा और न ही गृह मंत्रालय द्वारा इसकी कोई औपचारिक जानकारी दी गई है।

प्रश्न :………अश्रव्य…………

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :नहीं,मेरा मतलब है कि आप जानते हैं कि पहली2 + 2वार्ता सितंबर2018 में हुई थी। हम इस आयोजन के लिए तारीखों का निश्‍चय करने के लिए अमेरिकी पक्ष के साथ संपर्क में हैं और जब यह निश्‍चय हो जाएगा,हम आपको बताएंगे।

प्रश्न : क्‍या उस सचिव स्‍तर की बैठक में नेपाल की ओर से कोई औपचारिक संवाद है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :नहीं,जैसाकि मैंने कहा कि अगर हमें औपचारिक संचार मिलता है तो दोनों पक्ष संपर्क करेंगे। आप जानते हैं कि इस प्रकार की आधिकारिक वार्ता कैसे आयोजित की जाती है। हमें अगली वार्ता,अगली विदेश सचिव स्तर की वार्ता के बारे में एक प्रस्ताव मिलता है जो कई कारकों पर निर्भर है जिसके बाद दो प्रधानों की बैठक का कार्यक्रम तय किया जाता है।

प्रश्न : प्रतिनिधि सभा में,कल रात टेक्सास से रिपब्लिकन थे,पीटर ओल्सन,जिन्होंने कई मुद्दों पर बात की थी,क्या आप हमें बता सकते हैं कि हमारी प्रतिक्रिया क्या रही है?

आधिकारिक प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार :हमने भारत के संविधान के अनुसार जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार के निर्णय के पीछे तर्क को मान्यता देते हुए कांग्रेसी ओल्सन द्वारा दिए गए बयान को देखा है। जैसाकि हमने पहले कहा है कि हम अमेरिका में विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़े हुए हैं,जिनमें प्रशासन,कांग्रेस,नागरिक समाज और अन्य शामिल हैं जो उनके प्रश्नों का समाधान उत्‍तर देगें। हमें पूरे राजनीतिक परिवेश से ज्ञात हुआ है कि अनुच्छेद370 से संबंधित प्रश्न और निर्णय पूरी तरह से भारत का संप्रभु और आंतरिक मामला है।

कोई और प्रश्न?

और कोई प्रश्‍न नहीं है। मेरे साथ जुड़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

(समापन)

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