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प्रधानमंत्री की आगामी सऊदी अरब साम्राज्य की आगामी यात्रा पर सचिव (पूर्वी क्षेत्र) द्वारा विशेष ब्रीफिंग का प्रतिलेख (24 अक्तूबर, 2019)

अक्तूबर 25, 2019

आधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार : मित्रों, नमस्कार और इस माह के अंत में 29 अक्तूबर को प्रधानमंत्री की सऊदी अरब यात्रा के बारे में विशेष जानकारी प्रदान करने के लिए आपका स्वागत करते हैं। यह विशेष ब्रीफिंग मेरी साप्ताहिक ब्रीफिंग के बाद होगी; परिचय देने के लिए मेरे साथ सचिव (आर्थिक संबंध), श्री टी एस तिरुमूर्ति हैं, जो संयुक्त सचिव (खाड़ी), और श्री नागेन्द्र प्रसाद हैं। सचिव (पूर्वी क्षेत्र) पहले अपनी प्रारंभिक टिप्पणी देंगे और उसके बाद हम आप सभी से कुछ प्रश्नों के उत्तर लेंगे। महोदय, अब आपकी बारी है।

सचिव (पूर्वी क्षेत्र), श्री टी एस तिरुमूर्ति :
मित्रों, आज दोपहर यहाँ आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के राजा, महामहिम राजा सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सउद के निमंत्रण पर 29 अक्तूबर, 2019 को सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री 29 अक्तूबर, 2019 को रियाद में फ्यूचर इनवेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम के तीसरे सत्र में भाग लेंगे जहां वे अध्यक्षीय भाषण देंगे। उनकी यात्रा का एक द्विपक्षीय करक भी होगा जहां वे महामहिम, राजा से भेंट करेंगे और साथ ही सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे।

प्रधानमंत्री 28 अक्तूबर, 2019 को देर रात रियाद पहुंचेंगे। अगले दिन सऊदी अरब के कुछ मंत्रियों की प्रधानमंत्री से बात होगी। इसके बाद महामहिम, राजा द्वारा दोपहर में एक भोज का आयोजन किया जाएगा। प्रधानमंत्री महामहिम राजा के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, जहां सामरिक भागीदारी परिषद के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। उनकी शाही महामहिम, सऊदी अरब के युवराज के साथ अलग से प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी होगी। दोपहर बाद प्रधानमंत्री एफआईआई के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे शाही महामहिम, युवराज द्वारा आयोजित रात्रिभोज में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री उसी रात दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

एफआईआई का आयोजन राज्य के सॉवरेन वेल्थ फंड - पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड द्वारा किया जाता है। मंच भी लोकप्रिय रेगिस्तान में दावोस के रूप में जाना जाता है और इस क्षेत्र में इसे भविष्य के निवेश केंद्र के रूप में बनाने की मंशा है

पहले दो सम्मलेन 2017 और 2018 में आयोजित किए गए थे। एफआईआई सत्र विजन 2030 के तहत आयोजित किया जाता है जो अपनी तेल आधारित अर्थव्यवस्था के विविधीकरण के माध्यम से सऊदी अरब के आर्थिक परिवर्तन का खाका है और इसका उद्देश्य वैश्विक रणनीतिक भागीदारों और निवेश प्रबंधक के साथ काम करना है। इस दृष्टि को पूरा करने के लिए सऊदी अरब द्वारा अनेक पहलें की जा रही हैं। इसके अलावा, सऊदी अरब भी अगले साल जी-20 की अध्यक्षता करेगा।

आप जानते हैं कि 2016 में भारत के प्रधानमंत्री की सऊदी अरब यात्रा के दौरान अधिक मजबूत रणनीतिक निवेश की नींव रखी गई थी, जब महामहिम, राजा ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, नामत राजा अब्दुल अजीज सैश भी प्रदान किया था जो सऊदी अरब में हमारे संबंधों के महत्व को दर्शाता है। सऊदी अरब के शाही युवराज महामहिम, मोहम्मद बिन सलमान, की हाल की फरवरी 2019 में भारत की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने प्रधानमंत्री और युवराज के स्तर पर परिषद नियमित रूप से हमारी सामरिक भागीदारी को आगे बढ़ाने में प्रगति की निगरानी करने के लिए रणनीतिक भागीदारी के एक उच्च संस्थागत तंत्र स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की। । इस समझौते पर वर्तमान यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाएंगे।

अपने विजन - 2030 के अंतर्गत सऊदी अरब ने रणनीतिक भागीदारी बनाने के लिए आठ देशों का चयन किया है। इनमें भारत, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं। उनकी शाही महामहिम की यात्रा के बाद से, फरवरी 2019 में युवराज भारत आए, कई क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है।

ऊर्जा के क्षेत्र में सऊदी अरब के साथ हमारा सहयोग और घनिष्ठ हो गया है और दोनों पक्ष महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में पश्चिमी तट पर रिफाइनरी के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं जिसमें सऊदी के अरामको, संयुक्त अरब अमीरात के एडीएनओसी और भारती से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां का निवेश शामिल होगा। यह भारत में सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी होगी।

हम यह भी आशा करते हैं कि अन्य बातों के साथ-साथ सऊदी अरब में खुदरा बिक्री केन्द्र स्थापित करने के लिए डाउनस्ट्रीम सहयोग के लिए सऊदी अरब की अल-जेरी कंपनी के साथ इंडियन ऑयल मध्य पूर्व के बीच एक संयुक्त उद्यम पर हस्ताक्षर किए जाएं। ऊर्जा सुरक्षा सऊदी अरब के साथ भारत की भागीदारी का मुख्य क्षेत्र रहा है। हम इस क्षेत्र में क्रेता -विक्रेता संबंधों को एक बहुत बड़ा रणनीतिक भागीदारी में परिवर्तित करने के मार्ग पर चल रहे हैं। हम इस तथ्य की भरपूर सराहना करते हैं कि वे हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एक विश्वसनीय और टिकाऊ आधार प्रदान कर रहे है। हमने भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडारों में भाग लेने के लिए सऊदी पक्ष को भी आमंत्रित किया है और हम इस यात्रा के दौरान समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने की आशा करते हैं।

यात्रा के दौरान हम अपने राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश कोष में सऊदी अरब के निवेश को अंतिम रूप देने की भी आशा करते हैं। हम ब्यौरे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। हमने रोजगार के नियमों और शर्तों को विनियमित करके उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सामान्य श्रेणी के कामगारों के साथ-साथ घरेलू क्षेत्र के अंतर्गत कामगारों के लिए करारों पर हस्ताक्षर किए हैं। हमारी संबंधित ई-माइग्रेट प्रणालियों के प्रस्तावित संरेखण से उनकी रोजगार स्थितियों पर सुरक्षा प्रदान की जाएगी। हम इस यात्रा के दौरान हमारे ई-माइग्रेट और सऊदी पोर्टल का एकीकरण प्रारम्भ करने की आशा करते है।

दोनों पक्षों के बीच नागर विमानन पर द्विपक्षीय चर्चा हाल ही में हुई है और मुझे खुशी है कि हमारे वाहकों के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए एक व्यापक समझौता हुआ है। हम यात्रा के दौरान, इस बढ़े हुए कोटे पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की आशा करते हैं। यह स्मरण किया जाएगा कि हम फरवरी 2019 में उनके शाही महामहिम, युवराज की यात्रा के दौरान हमने प्रति सप्ताह 8000 सीटों की वृद्धि की थी। हम नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी विचार कर रहे हैं। सऊदी पक्ष ने पहले 300 मेगावाट के लिए भुज, गुजरात में एक पवन ऊर्जा बिजली परियोजना में निवेश किया है। हम इस यात्रा के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा पर समझौता ज्ञापन पर विचार करेंगे और आशा करेंगे कि हम सहयोग को आगे बढ़ाएंगे।

भारत और सऊदी अरब रक्षा उद्योगों के क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग पर विचार कर रहे हैं। हमने कुछ महीने पहले सऊदी अरब के सैन्य उद्योग प्राधिकरण का दौरा किया था जहां उन्होंने भारतीय रक्षा उद्योग के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। भारतीय रक्षा कंपनियों ने बाद में सऊदी अरब का भी दौरा किया। पहला भारत-सऊदी अरब संयुक्त नौसैनिक अभ्यास दिसंबर 2019 के अंत जनवरी 2020 के प्रारम्भ में आयोजित किया जाएगा। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विकास है।

सऊदी अरब भारतीय मुसलमानों का गंतव्य है जो वार्षिक हज और उमरा प्रदर्शन के लिए वहां जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अनुरोध पर, महामहिम राजा ने 2019 के लिए हज कोटा 1,75,025 से बढ़ाकर 2,00,000 करने पर सहमति व्यक्त की है। इसे इस वर्ष ही तत्काल कार्यान्वित किया गया है और हम इस सदभाव की सराहना करते हैं। हज के अलावा हर वर्ष तीन लाख से अधिक भारतीय उमरा के लिए आते हैं।

सऊदी अरब ने इस वर्ष फरवरी में युवराज की भारत यात्रा के दौरान लगभग 450 भारतीय कैदियों को रिहा कर दिया है। सऊदी अरब में रूपे कार्ड शुरू करने के लिए इस यात्रा के दौरान एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने की संभावना है जो न केवल बड़े भारतीय समुदाय के लिए बल्कि हज और उमरा तीर्थयात्रियों के लिए भी बहुत उपयोगी होगा।

भारत और सऊदी अरब लोगों से लोगों के ऐतिहासिक संपर्क से आनंदित हैं। सऊदी अरब में 2.26 लाख भारतीय समुदाय है जो सद्भाव से रह रहे हैं और सऊदी अरब के विकास और प्रगति में योगदान कर रहे है। सऊदी अरब से भारत को प्रतिवर्ष 11 अरब डॉलर या उससे अधिक की धनराशि भेजी जाती है। भारत और सऊदी अरब ने पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग के लिए फरवरी 2019 के दौरान समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। सऊदी अरब ने हाल ही में पर्यटन के लिए अपना द्वार खोला है जो इन संबंधों को और मजबूत करेगा। भारत ने इस वर्ष सऊदी नागरिकों को ई-वीजा सुविधा प्रदान की है। मैंने जो उल्लेख किया है उसके अतिरिक्त हम राजनयिक संस्थान सहयोग के क्षेत्रों अर्थात विदेशी सेवा संस्थान और सौद अल-फैसल इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमैटिक स्टडीज के बीच सुरक्षा सहयोग और नशीली दवाओं की तस्करी पर समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने की भी आशा करते हैं। । यह यात्रा एक छोटी यात्रा है लेकिन इसमें कई ठोस प्रदेय होंगे। इससे सऊदी अरब के साथ हमारे सामरिक भागीदारी को और मजबूत किया जाएगा। धन्यवाद। सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : बहुत बहुत धन्यवाद महोदय। अब मैं प्रश्न आमंत्रित करता हूँ। प्रश्न : मेरा प्रश्न आतंकवाद पर है। विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद पर कितना ध्यान दिया जाएगा और दूसरी बात, यह सिर्फ एक तथ्य की पुष्टि है प्रश्न नहीं है। खाड़ी क्षेत्र में सऊदी अरब तीसरा देश है जहाँ रूपे कार्ड की सुविधा है, क्या इस पर मैं सही हूँ?

प्रश्‍न : दोनों देश रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाएगें इस बारे में आपने जानकारी दी, इसको मौटे तौर पर अगर बताना चाहेगें कि किस-किस क्षेत्र में विशेषकर, अगर सेना, नौसेना और वायुसेना की बात करें या फिर रक्षा प्रापण की बात करें या फिर इस क्षेत्र में और जो बातें होने वाली है उनके बारे में जानकारी दे।

प्रश्न : आपने उल्लेख किया है कि सामरिक भागीदारी परिषद समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। अब इस परिषद में कौन होंगे, यह किस स्तर पर आयोजित किया जाएगा और पहली बैठक कब होगी?

सचिव (पूर्वी क्षेत्र), श्री टी एस तिरुमूर्ति :
देखिए, आतंकवाद का संबंध है, मैं समझता हूं कि आपने फरवरी में युवराज की यात्रा के दौरान जारी संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद के बहुत स्पष्ट संदर्भ देखे होंगे। आप यह भी जानते हैं कि सऊदी अरब ने पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा की थी और इससे पहले भी, यदि आपको स्मरण हो, तो मुझे लगता है कि 2016 में उन्होंने उरी में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की थी। इसलिए मुझे लगता है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे दोनों देश आतंकवाद के बारे में समान रूप से चिंतित हैं और आपको यह भी याद होगा कि भारत ने स्वयं अन्य बातों के साथ-साथ सऊदी तेल प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की निंदा की थी। इसलिए आतंकवाद हमारी चर्चाओं और हमारे सहयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।

रूपे कार्ड के बारे में, हाँ, आप सही हैं, मुझे लगता है कि यह तीसरा देश है। आप बिल्कुल सही हैं। पहला संयुक्त अरब अमीरात था, दूसरा बहरीन, प्रधानमंत्री की पिछली यात्रा में हमने बहरीन में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और यह तीसरा देश होगा जहां रुपए कार्ड होगा और विशेष रूप से सऊदी अरब के संदर्भ में इसका बहुत महत्व है।

जहां तक रक्षा सहयोग का संबंध है, हम जानते हैं कि सऊदी अरब के साथ हमारा पहले से ही रक्षा सहयोग समझौता है और दोनों देशों की ओर से रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की स्पष्ट मंशा है और इसके अलावा मैंने पहली बार संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के बारे में आपसे उल्लेख किया है जो वर्ष के अंत या अगले वर्ष के प्रारम्भ में होने जा रहा है और रक्षा उद्योग पर मैंने जिन परस्पर दौरों का उल्लेख किया था ; भारत सऊदी रक्षा कर्मियों को भी काफी प्रशिक्षण दे रहा है। वास्तव में सऊदी कैडेट अधिकारियों को पुणे में एन डी ए पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित किया जा रहा है और हम दिल्ली में एनडीसी और वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में भी उनके अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

26 सऊदी अधिकारी गुजरात में ग्रहकीकृत साइबर सुरक्षा पाठ्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जो गांधी नगर में गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में है। और आपने भी पिछला संयुक्त बयान देखा होगा, जिसमे समुद्री सुरक्षा के संदर्भ थे और यह भी तथ्य यह है कि वे हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा में इच्छुक थे और हिंद महासागर क्षेत्र में सऊदी अरब के हित को ध्यान में रखते हुए शाही नेवी फोर्स ने इस वर्ष अगस्त में भारत का दौरा किया था और वे हिंद महासागर क्षेत्र के इस सूचना संलयन केन्द्र में गए थे जो हमारी भारतीय नौसेना द्वारा स्थापित किया जा रहा है। इसलिए निश्चित रूप से इस क्षेत्र पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है और हम आशा कर रहे हैं कि अब रक्षा उद्योगों के क्षेत्र में हम इस सहयोग को आगे ले जा सकेंगे।

तीसरा प्रश्न रणनीतिक भागीदारी परिषद पर है, सामरिक भागीदारी परिषद की अध्यक्षता प्रधानमंत्री और युवराज करेंगे और शीर्ष के ठीक नीचे हमारे पास दो कार्यक्षेत्र होंगे। एक कार्यक्षेत्र की अध्यक्षता विदेश मंत्री करेंगे। दूसरे अन्य कार्यक्षेत्र की अध्यक्षता वाणिज्य और उद्योग/व्यापार मंत्री करेंगे। तो दो ऊर्ध्वाधर होंगे और इन ऊर्ध्वाधर के तत्वाधान में विभिन्न संयुक्त कार्य-समूह होंगे। मेरे विचार से यदि आप इसे देखें तो मैं विदेश मंत्री की ओर से सुरक्षा, रक्षा और अन्य क्षेत्रों का नेतृत्व करूंगा और नीति आयोग आर्थिक, व्यापार और निवेश संबंधों से संबंधित अन्य पहलू को संभालेगा। इसलिए यह मोटे तौर पर वह ढांचा है जिसे हम ध्यान में रखते हैं और अभी तक कोई तारीख का निश्चय नहीं हुआ है जब हम सामरिक भागीदारी परिषद शुरू करेंगे लेकिन महामहिम सऊदी अरब के राजा के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : मैं अगले तीन प्रश्नों का उत्तर दूंगा।

प्रश्‍न : ……. अश्रव्‍य…………

सचिव (पूर्वी क्षेत्र), श्री टी एस तिरुमूर्ति : हर दो वर्ष में।

प्रश्न : आपने दोनों पक्षों के बीच नागर विमानन पर द्विपक्षीय बात की थी। क्या आप सीट बंटवारे के बारे में और इसके अलावा विस्तार से बता सकते हैं?

सचिव (पूर्वी क्षेत्र), श्री टी एस तिरुमूर्ति : उन्होंने पिछले सप्ताह इस महीने की 17 तारीख को एक बैठक की थी। वे दोनों सहमत हो गए हैं अथवा बल्कि हम दोनों कोटा बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। इस समय मैं सटीक कोटा वृद्धि का खुलासा नहीं करना चाहता, लेकिन यह यात्रा के दौरान होगा। हम कोटा बढ़ाने की घोषणा करेंगे। लेकिन हमने भारतीय वाहकों की संवेदनशीलता का ध्यान रखा है और हम बढ़ी हुई कोटे के बारे में खुशी से समझौता करने में सक्षम हुए हैं।

प्रश्‍न : मेरा प्रश्न कश्‍मीर को लेकर था। आपको क्या लग रहा है कि कश्‍मीर पर साउदी अरब भारत के साथ कब तक खड़ा रहेगा क्‍योंकि बीच में काफी मतभेद दिखाई देते है।

प्रश्न : बस इस बारे में यह जोड़ना चाहूंगा कि अब हम 31 अक्तूबर आ रहे हैं, प्रधानमंत्री द्वारा कश्मीर में नवीनतम घटनाओं के बारे में सऊदी राजा को जानकारी देने की आशा है क्योंकि सऊदी नेतृत्व को पहले भी इस वर्ष अगस्त से सही जानकारी दी गई है, तो यह आशा है कि सऊदी अरब के शाह और सऊदी राजकुमार के साथ चर्चा के दौरान इस पर मुख्य रूप से चर्चा होगी?

सचिव (पूर्वी क्षेत्र), श्री टी एस तिरुमूर्ति : देखिए, मैं यह अनुमान नहीं लगाना चाहता कि प्रधानमंत्री युवराज के साथ क्या चर्चा करेंगे लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सऊदी अरब ने जम्मू और कश्मीर की हाल की घटनाओं के बारे में समझ दिखाई है और मुझे विश्वास है कि वे इस बारे में उनकी सोच का पाकिस्तान पर अच्छा प्रभाव पड़ा है।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार :
मुझे कोई और प्रश्न दिखाई नहीं देता। शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

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