लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 1755
दिनांक 21.09.2020 को उत्तर देने के लिए
रिक्त राजनयिक पद
1755. श्री कार्ती पी. चिदम्बरमः
क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :
(क) वर्तमान में विदेशी दूतावास, उच्चायोग और स्थायी मिशनों में रिक्त राजनयिक पदों की संख्या और ब्यौरा क्या है;
(ख) आई.एफ.एस. काडर की कुल स्वीकृत संख्या और वास्तविक संख्या के बीच वर्तमान अंतर का ब्यौरा क्या है;
(ग) क्या सरकार ने विगत तीन वर्षों में इस अंतर को भरने हेतु कोई उपाय किए हैं;
(घ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं,तो इसके क्या कारण हैं;
(ड.) सरकार द्वारा पिछले दस वर्षों में की गई कॉडर समीक्षा का ब्यौरा क्या है;
(च) क्या सरकार ने देश में आई.अफ.एस. तथा कुल राजनयिक कॉडरों की कम संख्या से संबंधित चिंता पर कोई कार्यवाही की है; और
(छ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)
(क) से (घ) भारतीय विदेश सेवा में अधिकारियों की संस्वीकृत संवर्ग नफरी 978 है जिसके निमित्त 815 संवर्ग अधिकारी और 49 अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से सीधे भर्ती
और वर्तमान नियमों के अनुसार प्रदायक संवर्ग से पदोन्नति द्वारा नियमित रूप से रिक्तियों को भरता है। मंत्रालय ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 और 2020 के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग तथा संघ लोक सेवा आयोग को 48 का मांग-पत्र भेजा है।
विदेश स्थित भारतीय मिशनों में राजनयिक अथवा कौंसुली स्तर पर रिक्तियों की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है और अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है। सामान्यतः किसी पद से कार्यमुक्त व्यक्तियों के प्रस्थान तथा उन पदों पर नियुक्त व्यक्तियों के आगमन के बीच का अंतराल
न्यूनतम रखा जाता है। लेकिन, क्योंकि तैनाती श्रृंखला में कई अधिकारी शामिल रहते हैं, अतः कुछ अवसरों पर, विदेश स्थित मिशनों/केन्द्रों को अल्पावधिक रिक्तियों का सामना करना पड़ता है। कोविड-19 से जुड़ी परिस्थितियों के कारण भी कार्मिकों की आवाजाही में अस्थाई विलंब
हुआ है। विभिन्न देशों में भारत के 197 मिशन/केंद्र तथा 3 प्रतिनिधि कार्यालय हैं। रिक्तियों की सही संख्या निर्धारित करना संभव नहीं है क्योंकि यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें कुछ अधिकारी अपना कार्यभार छोड़ते हैं और अन्य अपना कार्यभार ग्रहण करते हैं।
हाल में, कोविड-19 की वैश्विक महामारी के कारण भारत सहित कई देशों ने कड़ा लॉकडाउन किया और आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया। इससे आवंटित स्टेशनों में तैनाती के लिए अधिकारियों की समयबद्ध तरीके से आवाजाही गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। आवाजाही में होने वाले विलंब के कारण
उत्पन्न रिक्तियाँ अस्थाई प्रकृति की हैं और मंत्रालय द्वारा वंदे भारत मिशन की उड़ानों के माध्यम से अथवा साझेदार देशों के साथ एयर-बबल व्यवस्थाओं के तहत अपने अधिकारियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
(ङ) शून्य। भारतीय विदेश सेवा के लिए पिछली संवर्ग समीक्षा 2004 में की गई थी।
(च) और (छ) भारत के बढ़ते राजनयिक संबंधों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए मंत्रालय ने 2008 की विदेश मंत्रालय विस्तार योजना को कार्यान्वित किया और 2018 से अफ्रीका में नए मिशन खोलकर अपनी संख्या का भी विस्तार किया है।
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