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प्रश्न संख्य़ा 1714 शिखर सम्मेलन संबंधी कूटनीति

सितम्बर 21, 2020

लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्य़ा 1714
दिनांक 21.09.2020 को उत्तर देने के लिए

शिखर सम्मेलन संबंधी कूटनीति

1714. श्री टी.आर. बालूः

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :

(क) क्या इस बात के आलोक में कि शिखर-सम्मेलन की कूटनीति सावधानीपूर्वक संरचित विदेश नीति की जगह नहीं ले सकती, सरकार द्वारा हाल ही में परम्परागत विदेश नीति-निर्माण की जगह शिखर-सम्मेलन कूटनीति की परंपरा काफी अक्षम सिद्ध हुई है;

(ख) यदि हां,तो एशिया महाद्वीप के विशेष संदर्भ में तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ग) क्या भारत की शिखर-सम्मेलन कूटनीति में विदेश मंत्रालय को उचित महत्व नहीं दिया जा रहा है जिससे देश का अहित हो रहा है; और

(घ) यदि हां, तो इसके क्या कारण हैं?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)

(क) से (घ) सरकार कूटनीति के प्रति अपने पास उपलब्धष सभी साधनों एवं तंत्रों का उपयोग करते हुए एक समग्र और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाती है जो हमारे राष्ट्रीय हितों को आगे बढाती है। इन प्रयासों में हमारे राजनयिकों की नियमित वार्ताओं और विचार-विमर्शों की ही भांति नेतृत्व-स्तर पर की जाने वाली वार्ताओं की अहम भूमिका होती है। ये वार्ताएं एक-दूसरे की स्थिति को सुदृढ़ करती हैं और उन्हें अनन्या विकल्प नहीं समझा जाना चाहिए।

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