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प्रश्न संख्या 2659 उत्प्रवासियों की शिकायतें

दिसम्बर 04, 2019

लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 2659
04.12.2019 को उत्तर दिए जाने के लिए

उत्प्रवासियों की शिकायतें

2659. श्री राम मोहन नायडू किंजरापु:

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या धोखाधड़ी करने वाली एजेंसियों के बारे में उत्प्रवासियों की शिकायतें हाल के वर्षों में बढ़ी हैं और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ख) फर्जी उत्प्रवासन एजेंसियों की पहचान के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा क्या है;

(ग) कांगो गणराज्य में श्रीकाकुलम के 6 लोगों सहित संकटग्रस्त लगभग 50 उत्प्रवासियों को बचाने के लिए की-गई-कार्रवाई का ब्यौरा क्या है;

(घ) क्या सरकार उन प्रवासियों को पुनर्वास सहायता प्रदान करती है जिन्हें विदेश में काम करते समय शारीरिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ता है;

(ड.) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)

(क) विदेश मंत्रालय के पास जालसाज एजेंसियों के विरुद्घ दर्ज शिकायतों की संख्या इंगित करती है कि ऐसी शिकायतों की संख्या में हाल के वर्षों में बढ़ोत्तरी हुर्इ है। वर्ष 2016 से अक्टूबर 2019 के दौरान मंत्रालय में प्राप्त शिकायतों का आंकड़ा निम्नलिखित है।

वर्ष

प्राप्त शिकायतों की संख्या

राज्य सरकारों को कार्रवार्इ के लिए संदर्भित मामलों की संख्या

राज्य सरकारों द्वारा अभियोग चलाने के लिए मांगी गर्इ स्वीकृति

विदेश मंत्रालय द्वारा अभियोग चलाने के लिए दी गर्इ स्वीकृति

2016

231

231

42

42

2017

446

446

30

30

2018

350

350

15

15

2019#

610

610

34

34

#(31 अक्टूबर ,2019 तक )

(ख) उत्प्रवासन अधिनियम, 1983 की धारा 10 के अनुसार कोर्इ व्यक्ति वैध लार्इसेंस प्रमाण पत्र के बिना भर्ती एजेन्ट के रूप में कार्य नहीं कर सकता। इसलिए विदेश मंत्रालय से समुचित पंजीकरण प्रमाण पत्र के बिना प्रवासी रोजगार की किसी भी प्रकार की भर्ती में लिप्त कोर्इ भी एजेन्ट, अवैध एजेन्ट है। जब भी भर्ती में लिप्त किसी ऐसे व्यक्ति या एजेन्ट के विरुद्घ शिकायत प्राप्त होती है जो पंजीकृत नहीं है, तो उक्त मामले का मंत्रालय द्वारा तत्काल संज्ञान लिया जाता है। इन शिकायतों को संगत कानूनों के अधीन आगे कार्रवार्इ करने के लिए संबंधित कानून प्रवर्तन प्राधिकारियों के पास भेजा जाता है।

शिकायतें, संबंधित व्यक्तियों, उनके संबंधियों या जनता से किसी भी व्यक्ति द्वारा सीधे तौर पर संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास दर्ज किया जा सकता है।

सरकार विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों द्वारा सुरक्षित और विधिक माध्यमों से ही उत्प्रवासन प्रोत्साहित करती है। विभिन्न प्राधिकारियों और जनता को उत्प्रवासन का प्रस्ताव देने वाले किसी एजेंट के विषय में जांच-पड़ताल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यदि ऐसे एजेन्ट अवैध पाए जाते हैं तो जनता को संबंधित प्राधिकारियों के पास इनकी शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

(ग) लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (डीआरसी) में भारतीय मिशन द्वारा दी गर्इ जानकारी के अनुसार इस वर्ष में जुलार्इ और अगस्त में भारतीय समुदाय के एक प्रमुख सदस्य को ऐसे कुछ भारतीय नागरिकों द्वारा सहायता के लिए संपर्क किया गया था जिन्हें एक चीनी कंपनी द्वारा उस देश के पूर्वी भाग में खदानों में कार्य करने के लिए भर्ती किया गया था। ये कामगार भारत लौटना चाहते थे। मिशन ने आपातकालीन प्रमाण पत्र जारी करने सहित उन्हें सभी प्रकार की सहायता प्रदान की, जिससे वे सभी भारत वापिस लौट सकें। दूतावास से सहायता मांगने वाले लोगों की संख्या 42 थी, जिसमें 6 व्यक्ति श्रीकाकुलम से संबंधित थे।

(घ) और (ड़) भारतीय समुदाय कल्याण कोष (आर्इसीडब्ल्यूएफ) जिसे संकटग्रस्त भारतीय नागरिकों, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से शोषित व्यक्ति शामिल हैं, की सहायता के लिए सृजित किया गया है, के उपयोग की शर्तें सितम्बर 2017 से और अधिक उदार बना दी गर्इ हैं। संशोधित दिशा-निर्देशों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं :-

i. विदेशों में संकटग्रस्त पात्र भारतीय नागरिकों के लिए उनकी माली हालत के आधार पर बजट श्रेणी में आवास या मिशन/केन्द्र या मिशन के साथ पैनलबद्घ एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे आश्रय गृहों में खाने और ठहरने की सुविधा।

ii. असहाय प्रवासी भारतीय नागरिकों के लिए हवार्इ मार्ग द्वारा भारत वापसी।

iii. ऐसे पात्र प्रवासी भारतीय नागरिकों को जिन्होंने लघु श्रेणी के अपराध किए हों या उनके नियोक्ता द्वारा उन्हें झूठे मामलों में फंसा कर जेल में डाला गया माली हालत के आधार पर; संकटग्रस्त मछुआरें/मल्लाह/नाविक/भारतीय छात्रों को कानूनी सहायता प्रदान करना;

iv. एेसी भारतीय महिलाओं को (उनके विवाह के सात वर्ष तक) कानूनी/वित्तीय सहायता प्रदान करना जिन्हें उनके एनआरआर्इ/पीआर्इओ या विदेशी पतियों द्वारा परित्यक्त कर दिया गया/धोखा किया गया है/दुर्व्यवहार किया गया है ।

v. भारतीय नागरिकों के लघु श्रेणी के अपराधों के लिए लघु जुर्माने और शास्तियों; ऐसे मेजबान देश में अवैध रूप से निवास करना जहां प्रथम दृष्ट्या कामगार दोषी नहीं है और भारतीय नागरिकों को जेल/नजरबंद करने से रिहा करवाने के लिए भुगतान।

vi. मृतक भारतीय नागरिकों के पार्थिव शरीरों को भारत लाने के क्रम में आकस्मिकताओं पर व्यय वहन करने या ऐसे मामलों में मृतक का स्थानीय रूप से दाह-संस्कार करने/दफनाने पर व्यय, जहां नियोक्ता, प्रायोजक या बीमा कंपनी संविदा के अनुसार ऐसा करने में सक्षम न हो या अनिच्छुक हो और उसका परिवार इस व्यय का वहन करने में असमर्थ हो।

vii. ऐसे प्रवासी भारतीय नागरिकों को माली हालत के आधार पर आपातकालीन चिकित्सा सुविधा प्रदान करना जिनके साथ जीवन जोखिम में डालने वाली कोर्इ दुर्घटना (जीवन को संकट में डालने वाले गंभीर जख्म) गंभीर बीमारी या गंभीर विकलांगता हुर्इ है।

 


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