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प्रश्न संख्या 2538 कक्षाथीवू द्वीप

दिसम्बर 04, 2019

लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 2538
दिनांक 04.12.2019 को उत्तर देने के लिए

कक्षाथीवू द्वीप

2538. श्री एसo जगतरक्षकनः

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या कक्षाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंपने का कार्य एक उपयुक्त संवैधानिक संशोधन के तहत किया गया था;(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ग) यदि नहीं, तो इसके क्या कारण है; और

(घ) सरकार द्वारा उस द्वीप के आस-पास मत्स्ययन करने वाले भारत के मछुआरों जिनके साथ श्रीलंकाई नौ सेना द्वारा अत्याचार किए गए को संरक्षण प्रदान करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)

(क) से (ग) भारत सरकार ने 1974 और 1976 में श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा करार संपन्न किए। इन करारों के तहत, कक्षाथीवू द्वीप भारत-श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के दूसरी ओर श्रीलंका में पड़ता है। वर्तमान में, कक्षाथीवू द्वीप मुद्दे से संबंधित मामला भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीन है।

(घ) सरकार भारतीय मछुवारों की सुरक्षा एवं सलामती को उच्चतम प्राथमिकता प्रदान करती है। जैसे ही भारतीय मछुवारों के पकड़े जाने की रिपोर्टें प्राप्त होती है सरकार राजनयिक माध्यम से मामले को श्रीलंकाई प्राधिकारियों के साथ उठती है। मछुवारों संबंधी मुद्दों को भी श्रीलंका के साथ उच्चतम राजनीतिक स्तर पर उठाया गया है। पुन: इस पर जोर दिया गया है कि श्रीलंकाई सरकार मछुवारों के मुद्दे पर पूर्णतः मानवीय और आजीविका से जुड़ा मुद्दा मानकर विचार करे और दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करें कि किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। सतत राजनयिक प्रयासों के कारण सरकार ने मई 2014 से अब तक श्रीलंका की हिरासत से 2082 भारतीय मछुवारों और मछली पकड़ने की 380 नौकाओं को रिहा करा लिया है। वर्तमान में, श्रीलंका की हिरासत में 50 नौकाएँ और एक भारतीय मछुवारा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री गोटाबाया राजपक्षा की हाल की भारत यात्रा के दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपनी हिरासत से भारतीय मछुआरों की नौकाओं को रिहा करने के लिए कदम उठाएगा।

नवंबर 2016 में नई दिल्ली में हुई दोनों देशों के विदेश एवं मत्स्यपालन मंत्रियों की मुलाक़ात के बाद श्रीलंका के साथ मछुवारों के मुद्दों का समाधान करने के लिए एक द्विपक्षीय संयुक्त कार्य समूह तंत्र और दोनों देशों के मत्स्यपालन मंत्रियों की बैठक को संस्थागत रूप प्रदान किया गया। अब तक संयुक्त कार्य समूह की तीन दौर की बैठकें तथा दो दौर की मंत्रीस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। सरकार संयुक्त कार्य समूह के चौथे दौर की बैठक तथा तीसरे दौर की मंत्रीस्तरीय बैठक निर्धारित करने के लिए श्रीलंका सरकार के साथ नियमित संपर्क में है।

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