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प्रश्न सं. 2531 खाड़ी देशों का दौरा

दिसम्बर 04, 2019

लोक सभा
अतारांकित प्रश्न सं. 2531
04.12.2019 को उत्तर दिए जाने के लिए

खाड़ी देशों का दौरा

2531. डॉ. आलोक कुमार सुमन:

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :

(क) क्या गोपालगंज और पड़ोसी जिलों के बहुत सारे व्यक्तियों ने खाड़ी देशों का दौरा किया और बड़ी मात्रा में विदेशी राजस्व अर्जित किया है;

(ख) यदि हां, तो बिहार के गोपालगंज जिले के उन व्यक्तियों की कुल संख्या कितनी है जिन्होंने बहुधा खाड़ी देशों की यात्रा की है;

(ग) मंत्रालय द्वारा उन्हें प्रदान की गई सुविधाओं का ब्यौरा क्या है; और

(घ) बिहार के गोपालगंज जिले के उन व्यक्तियों की कुल संख्या कितनी है जो अपने घरों को लौटने में असमर्थ हैं?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)

(क) और (ख) मंत्रालय उत्प्रवासन जांच अपेक्षित (ईसीआर) देशों में रोजगार के लिए जाने वाले उन व्यक्तियों के आंकड़े संकलित करता है, जिनके लिए अनापत्ति आवश्यक है। ऐसे अधिकांश व्यक्ति ईसीआर पासपोर्टधारक हैं। उत्प्रवासन जांच अनपेक्षित अथवा ईसीएनआर पासपोर्ट धारकों को रोजगार हेतु जाने के लिए आमतौर पर अनापत्ति की आवश्यकता नहीं होती है। वे स्वेच्छा से पंजीकरण करा सकते हैं। इसलिए, विदेशों में गए भारतीय नागरिकों के सटीक आंकड़ें बताना मुश्किल है। ई-माइग्रेट प्रणाली, जिसके माध्यम से 2015 से गोपालगंज और पड़ोसी जिलों, नामतः सिवान, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर और सारण से खाड़ी देशों में रोजगार के लिए गए व्यक्तियों को अनापत्ति प्रदान की गई है, में कैप्चर किया गया डेटा निम्नानुसार हैं।

वर्ष

गोपालगंज

सिवान

पूर्वी चंपारण

पश्चिम चंपारण

मुजफ्फरपुर

सारण

2015

21620

24,894

4292

6040

2793

3774

2016

15636

16586

3193

4902

2426

2823

2017

15,646

15,187

2844

4187

2326

2345

2018

12211

12,593

2661

4061

2024

2361

2019 (31 अक्टूबर)

9074

8886

2208

3022

1489

1873

कुल

74,187

78,146

15,198

22212

11,058

13176

जहां तक विदेशी राजस्व आर्जित करने का संबंध है, खाड़ी देशों में कार्यरत भारतीय कामगार अपने रोजगार की अवधि के दौरान समय-समय पर भारत को धनराशि भेजते हैं।

(ग) सरकार ने खाड़ी और अन्य ईसीआर देशों में भारतीय उत्प्रवासियों के हितों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल है:

(i) ऑन-लाइन मदद पोर्टल, उत्प्रवासी कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों को अपनी कौंसुली शिकायतों को ऑन-लाइन दर्ज करने और उनके समाधान की स्थिति का पता लगाने में सक्षम बनाता है।

(ii) अधिसूचित उत्प्रवासन जांच अपेक्षित (ईसीआर) देशों में प्रवासी रोजगार से संबंधित शिकायतें उत्प्रवासियों/रिश्तेदारों द्वारा सीधे अथवा प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र, दिल्ली (पीबीएसके) के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं जो ई-माइग्रेट पोर्टल से जुड़ा है। इन शिकायतें का समाधान संबंधित उत्प्रवासी संरक्षक (पीओई) द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है।

(iii) प्रवासी भारतीय कामगारों से संबंधित सभी मामलों पर मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करने के लिए दुबई (यूएई), शारजाह (यूएई), रियाद, जेद्दा (सऊदी अरब अधिराज्य) और कुआलालंपुर (मलेशिया) में प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र (पीबीएसके) स्थापित किए गए हैं।

(iv) उत्प्रवासियों या उनके रिश्तेदारों की सहायता के लिए दिल्ली, कोच्चि, हैदराबाद, चेन्नई और लखनऊ में क्षेत्रीय प्रवासी सहायता केंद्र (केपीएसके) स्थापित किए गए हैं ताकि विदेश में रोजगार संबंधी उनकी समस्याओं/शिकायतों का निवारण किया जा सके।

(v) ट्विटर सहित सोशल मीडिया के माध्यम से मंत्रालय और मिशनों के संज्ञान में लाई गई शिकायतों का तुरंत समाधान किया जाता है।

(vi) मिशनों ने भारतीय कामगारों की सहायता के लिए 24x7 हेल्पलाइन और टोल फ्री हेल्पलाइन शुरू की हैं।

(vii) संकट के समय में प्रवासी भारतीय नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए मिशन भारतीय सामुदायिक कल्याण कोष (आईसीडब्ल्यूएफ) का उपयोग करते हैं। कल्याण उपायों के दायरे में विस्तार करने और तीन प्रमुख क्षेत्रों, अर्थात् संकटपूर्ण परिस्थितियों में प्रवासी भारतीय नागरिकों की सहायता करने, सामुदायिक कल्याणकारी कार्यकलापों और कांसुली सेवाओं में सुधार को शामिल करने के लिए भारतीय समुदाय कल्याण कोष के दिशा-निर्देशों को हाल ही में संशोधित किया गया है।

(viii) छह खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों के साथ श्रम और जनशक्ति सहयोग समझौता ज्ञापन/करार मौजूद हैं जो श्रम संबंधी मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा और समीक्षा करने के लिए संस्थागत ढांचा प्रदान करते हैं। श्रम और जनशक्ति सहयोग /करार के अनुसार, विभिन्न श्रम संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं।

(घ) खाड़ी देशों में हमारे मिशनों द्वारा भेजी गई जानकारी के अनुसार, उनमें से किसी के पास इस तरह के मामले दर्ज नहीं किए गए हैं।

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