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कान्तिपुर और काठमांडू पोस्ट द्वारा राष्ट्रपति का साक्षात्कार

नवम्बर 03, 2016

प्र० 1: लगभग तीन दशकों के बाद भारत के कोई राष्ट्रपति नेपाल आये हैं| यह किस प्रकार से हुआ और आपकी यात्रा से हम क्या उम्मीद करते हैं?


उत्तर: भारत के राष्ट्रपति की आखिरी यात्रा 1998 में हुई थी जब स्वर्गीय श्री के० आर० नारायणन एक राजकीय यात्रा पर नेपाल आये थे| इस तरीके से, यह 18 वर्ष की अवधि का अंतराल है जब भारत से नेपाल तक कोई राष्ट्रपति यात्रा होगी। मैं आपके साथ सहमत हूं कि यह अंतराल बहुत ज्यादा है। मुझे प्रसन्नता है कि मैं नेपाल की राष्ट्रपति, महाआदरणीया बिद्या देवी भंडारी के निमंत्रण पर 2 से 4 नवंबर 2016 के बीच नेपाल की यात्रा करूंगा। मैं नेपाल में राजनीतिक नेताओं और मित्रों से मिलने तथा उनके साथ आपसी हितों के एक विस्तृत मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद करता हूं। मेरी यात्रा मैत्री का तथा नेपाल के साथ हमारे करीबी और बहुपक्षीय साझेदारी को और आगे बढ़ाने का एक मिशन है। मैं शीघ्रतम सुविधाजनक समय पर नेपाल के राष्ट्रपति की भारत की यात्रा की आशा करता हूं।

प्र० 2: आप नेपाल-भारत के संबंधों की वर्तमान स्थिति का वर्णन कैसे करेंगे?

उत्तर: हमारी साझा सांस्कृतिक परंपराएं, भूगोल और सभ्यतागत संबंध हमारे अद्वितीय द्विपक्षीय संबंधों को परिभाषित करते हैं। हम अपने दोनों ओर के लोगों और इस क्षेत्र के लिए आर्थिक समृद्धि और सतत विकास का एक सामान दृष्टिकोण साझा करते हैं। हमारी एक लोगों पर केंद्रित तथा बहुआयामी भागीदारी है। हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों के बारे में एक प्रकार की अनिवार्यता है। जैसा कि इस गहराई और तीव्रता के किसी भी संबंध में होता है, ऐसे समय होते हैं जब हमारी कुछ पहलुओं पर भिन्न धारणाएं भी हो सकती हैं| लेकिन संवेदनशीलता, सद्भावना और एक-दूसरे के महत्व के हितों की संपूर्ण समझ के साथ हम ऐसे मतभेदों को सुलझाया करते हैं। यही बात भारत-नेपाल संबंधों के सम्पूर्ण इतिहास में रही है। मेरे विचार में, भारत-नेपाल संबंधों की वर्तमान अवस्था उत्कृष्ट हैं और दोनों सरकारें अपने लोगों के बेहतर जीवन स्तर के लिए निरंतर बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए दृढ़संकल्प हैं।

प्र० 3: नेपाल में आप कुछ गिने-चुने भारतीय नेताओं के समकक्ष जाने जाते हैं जिनको नेपाल-भारत संबंधों से जुड़े मुद्दों की अच्छी पकड़ है, जिसमें शांति प्रक्रिया भी शामिल है, जो 2006 में शुरू हुई थी। आप नेपाल में जारी राजनीतिक प्रक्रिया का वर्णन कैसे करेंगे?

उत्तरः 2006 में शांति प्रक्रिया की शुरूआत के बाद से मैं नेपाल में हुए घटनाक्रम से प्रोत्साहित हुआ हूँ। अपने बहु-पक्षीय लोकतंत्र को मजबूत करने तथा शांति, प्रगति और आर्थिक समृद्धि के लिए प्रयासों के लिए मैं नेपाल के लोगों के कोशिशों और उपलब्धियों की सराहना करता हूं। करीबी मित्र के रूप में, भारत इन उद्देश्यों की पूर्ती के प्रयास के लिए नेपाल की जनता और सरकार की हर प्रकार की सफलता की कामना करता है।

प्र० 4: अब हम और समकालीन समय में आते हैं। जब श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, पड़ोस में बहुत उत्साह था। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी सार्क सदस्य देशों को आमंत्रित किया, उन्होंने ‘पड़ोसी पहले' की नीति का जोरदार समर्थन किया और उन्होंने नेपाल की एक वर्ष में दो यात्राओं के साथ एक विशाल सद्भावना उत्पन्न किया और नेपाल की संसद को भी संबोधित किया। दो वर्ष बाद, शुरुआती उत्साह अब सावधानी के साथ ही नहीं बल्कि निश्चित अविश्वास की एक हद से शांत पड़ गयी है| हम इस अवस्था में कैसे आ गये?

उत्तर: अगर मैं पिछले दो वर्षों के घटनाक्रम पर नज़र डालूँ, तो मुझे भारत और नेपाल के बीच संबंधों के विकास पर आशावादिता के कई कारण मिलते हैं। हमारे गहन उच्चस्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान हुए हैं| साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में हमारे कार्यात्मक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए हमारे द्विपक्षीय तंत्र नियमित रूप से मिल रहे हैं। हमने विद्युत् व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और भारत ने एक नई संचरण लाइन के माध्यम से नेपाल में बिजली का निर्यात शुरू कर दिया है। द्विपक्षीय व्यापार और साथ ही हमारे विकास सहयोग ने एक स्थिर प्रक्षेप पथ बनाए रखा है| हम भारत और नेपाल के बीच एक तेल पाइपलाइन परियोजना को कार्यान्वित करने की प्रक्रिया में हैं, जो दक्षिण एशिया में निर्मित होने वाली पहली सीमा पार पाइपलाइन होगी। हमने दो जल विद्युत परियोजनाओं के लिए परियोजना विकास समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हमने पंचेश्वर विकास प्राधिकरण भी स्थापित किया है, जो इस महत्वपूर्ण परियोजना पर सहयोग के लिए नियमित रूप से बैठक कर रहा है। इसके बावजूद, आत्मसंतुष्टता के लिए कोई जगह नहीं है| मेरा मानना है कि इन सभी क्षेत्रों में आगे के सहयोग विस्तार के लिए हमारे पास काफी अप्रयुक्त क्षमता है। ‘पड़ोसी-पहले' नीति का एक आवश्यक आयाम क्षेत्र में संयोजकता - भौतिक संयोजकता, डिजिटल संयोजकता - व्यापार और पारगमन सुविधाएँ और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। वास्तव में, हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के सभी क्षेत्रों में हमने पिछले दो वर्षों या इतने के दौरान प्रगति की है। और हम इस प्रगति को सुदृढ़ करने के लिए दृढ़संकल्प हैं। मेरा यह मानना है कि लोकप्रिय स्तर पर ये आगे की ओर बढ़ते कदम एक दूसरे के प्रति हमारी धारणा को आकार देंगे।

प्र० 5: हम ऐसी स्थिति में कैसे आ सकते जो दोनों के लिये लाभकारी हो?

उत्तर: मुझे लगता है कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारे दोनों देशों द्वारा लिए गए सभी पहलों ने हमारे दोनों देशों के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दिया है। यही वह स्थिति है जिसे आप दोनों के लिए लाभकारी या विजयी कहते हैं। भारत में चल रहे आर्थिक परिवर्तन तथा हमारी खुली सीमा और एक दूसरे के नागरिकों के लिए राष्ट्रीय व्यवहार के मद्देनज़र, विशेष रूप से भारत और नेपाल के बीच सहयोग के लिए नए अवसर खुले रहे हैं। वास्तव में, हमारे लोगों ने इन अवसरों का लाभ उठाने में तेजी दिखाई है| यह इससे साबित होता है कि लाखों नेपाली नागरिक सम्पूर्ण भारतीय क्षेत्रफल की लम्बाई और चौड़ाई में रहते और काम करते हैं। सरकारों के रूप में, हमें इस प्रक्रिया को और आसान बनाने की आवश्यकता है ताकि हम अपने परस्पर लाभ की साझेदारी को जारी रख सकें।

प्र० 6: नेपाल के नए संविधान पर भारतीय सोच क्या है?

उत्तर: एक निकट पड़ोसी के रूप में, हम नेपाल की शांति, स्थिरता और प्रगति में रुचि रखते हैं। हमने अपने स्वयं के अनुभव से सीखा है कि स्थायी सामाजिक-आर्थिक विकास केवल शांति, स्थिरता और एक सहभागी लोकतंत्र के वातावरण में प्राप्त की जा सकता है, और जहां समाज का प्रत्येक खंड राजनीतिक प्रक्रियाओं और उसके परिणामों में एक समान हिस्सेदार हों। ये सबक नेपाल के लिए लाभकारी हो सकते हैं जिस प्रकार वह लोकतंत्र के निर्माण के अपने मार्ग पर चलने वाला है।

प्र० 7: नेपाल और अन्य जगहों पर आलोचना हो रही है कि नए संविधान पर अपनी नाराजगी व्यक्त करने में भारत काफी आगे निकल गया, मुख्य रूप से जब उसने साढ़े चार महीने लम्बी अवधि तक अघोषित सीमा नाकाबंदी लगाये रखा?

उत्तर: हमारी साझा सीमा को देखते हुए, नेपाल के भीतर की घटनाएं वस्तुओं के आवाजाही के प्रवाह पर प्रभाव डाल सकती हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी एक विशिष्ट साझेदारी है, जो हमारे दोनों लोगों के बीच व्यापक संपर्कों से चलती रहती है। नेपाल की शांति, स्थिरता और विकास में भारत की एक स्थायी रूचि है। निकट मित्र होने के नाते, हम, नेपाल में स्थायी शांति और स्थिरता के लिए सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। जहाँ नेपाल एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की ओर आगे बढ़ रहा है हमारे समर्थन और शुभकामनाएं हमेशा उसके साथ रहेंगी|

प्र० 8: कई लोगों के विचार से, अघोषित नाकाबंदी ने केवल नेपाली समाज को और ज्यादा ध्रुवीकृत किया और भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ाया। भारत नेपाल पर बहुत अधिक प्रभावन क्षमता रखता है और इस प्रकार की बलप्रयोगी कारवाई नेपाली आबादी को केवल विमुख करने का काम करते हैं| भारतीय राष्ट्र के प्रमुख के रूप में, आप इस आलोचना का जवाब कैसे देते हैं|

उत्तर: मैं जोर देकर के बताना चाहता हूँ कि भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति का केंद्रीय सिद्धांत निकट संपर्क और साझा समृद्धि है। नेपाल के साथ हमारी सहभागिता को हमेशा दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। आगे बढ़ते हुए, मुझे दृढ़ता से विश्वास है कि भारत और नेपाल को हमारे दोनों तरफ के लोगों के विकास, शांति, आर्थिक समृद्धि और कल्याण के हमारे समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।

प्रश्न 9: नेपाल-भारत के संबंधों में एक और बड़ी परेशानी हमारे द्विपक्षीय व्यापार में भारत, जो हमारा प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, के पक्ष में बड़ी, और बढ़ती, व्यापार अधिशेष है। इस व्यापार असंतुलन का मुकाबला करने के लिए कुछ ठोस किया जा सकता है?

उत्तर: मेरा हमेशा से ये मानना है कि भारत और नेपाल, जो भूगोल से और सभ्यतागत संपर्कों से जुड़े हुए हैं को वैसी नीतियां अपनानी चाहियें जो पारस्परिक निवेश को बढ़ावा देने वाली हो, रोजगार का सृजन करे और राष्ट्रीय विकास में योगदान देने वाली हो। जहाँ हमने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में लगातार वृद्धि को बनाए रखा है, हम निश्चित रूप से व्यापारिक संबंधों को सुविधाजनक बनाने के लिए और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। हमारे निजी क्षेत्र को विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में संबंधों को बढ़ाने, क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में शामिल होने और भारत के विकास की कहानी से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह समान रूप से महत्वपूर्ण है कि हम बाजार प्रवेश अवरोधों को संबोधित करें और व्यापार और पारस्परिक निवेश को सुविधाजनक बनाने के उपाय करते रहें। इसके अलावा, हम यह मानते हैं कि भारत और नेपाल के बीच पनबिजली परियोजनाओं का तेजी से कार्यान्वयन और निवेश को बढ़ावा देने से केवल व्यापार अंतर कम करने में ही लाभ नहीं होगा बल्कि यह नेपाल में रोज़गार उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त उपायों में भी योगदान करेगा।

प्रश्न 10: नेपाल अपने व्यापार के लिए अभी भी अत्यंत व्यस्त कोलकाता/हल्दिया बंदरगाह पर निर्भर है, हालांकि हाल ही में विशाखापट्टनम का उपयोग करने की भी बात हुई है? अपने व्यापार और पारगमन को सुविधाजनक बनाने के लिए नेपाल को नई दिल्ली से क्या उम्मीद करनी चाहिए?

उत्तर: विशाखापट्टनम बंदरगाह की सुविधाओं को पहले ही नेपाल में माल की आवाजाही के लिए उपलब्ध करा दिया गया है। हमने भारत के रास्ते नेपाल और बांग्लादेश के बीच माल की आवाजाही की सुविधा के लिए नए उपाय भी लिए हैं। मुझे विश्वास है कि नेपाली व्यवसाय विशाखापट्टनम बंदरगाह के माध्यम से विस्तारित सुविधाओं का पूरी तरह उपयोग करेंगे। दोनों देश भारत-नेपाल सीमा पर नए एकीकृत जाँच चौकी और रेलवे संपर्क भी बना रहे हैं। हमें उम्मीद है कि भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित मामलों को जलविद्युत परियोजनाओं, एकीकृत जाँच चौकियों और सीमावर्ती रेलवे लाइनों के विकास के लिए जल्द से जल्द संबोधित किया जाएगा ताकि इन दोनों परियोजनाओं को हमारे दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए शीघ्र पूरा किया जा सके।

प्र० 11: नेपाल में एक मजबूत धारणा है कि चूंकि भारत मुख्य रूप से अपने सुरक्षा चिंताओं के चश्मे के माध्यम से हमें देखता है इसलिए हमारे व्यापार, संयोजकता और विकास वगैरह में बाधा आई है। क्या आप निकट भविष्य में इसमें परिवर्तन देखते हैं?

उत्तर: जहाँ भारत के स्वाभाविक रूप से हित जुड़े हुए हैं, हमारा विश्वास, कि ये नेपाल के लोगों के हितों के अनुरूप है, हमारा मार्गदर्शन करता है। यह एक बहु-आयामी दृष्टिकोण है| जबकि नेपाल में शांति और स्थिरता भारत के लिए महत्वपूर्ण है, नेपाल के सामाजिक-आर्थिक विकास कोई कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। यदि आप 1950 के दशक से नेपाल में बुनियादी ढांचे के विकास में भारत के योगदान को देखते हैं, तो आप स्वयं स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि भारत नेपाल का न केवल सबसे बड़ा निवेशक और व्यापारिक भागीदार है बल्कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सबसे बड़ा भागीदार भी है। भारत, नेपाल के साथ, उसकी प्राथमिकताओं के अनुसार, विकास, आर्थिक और संयोजकता परियोजनाओं पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है , जो व्यापार और निवेश के विकास को लाभान्वित करेगा और लोगों के आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा।

प्र० 12: हर आने वाले नेपाल सरकारों ने व्यापार, पारगमन और निवेश से जुड़े त्रिपक्षीय संबंधों के मूल्य पर बल दिया है जो हमारे विशाल पड़ोसियों, भारत और चीन को हमारे विकास के लिए मिलकर काम करने के लिए तैयार करेगा। जबकि चीनी नेतृत्व इस विचार के पक्ष में है, नई दिल्ली को इसके बारे में कुछ संदेह लगता है। इस पर भारत की क्या स्थिति है और यदि आपको संदेह हैं, तो वे क्या हैं?

उत्तर:
नेपाल के साथ भारत की सदियों पुरानी, बहुआयामी और समय-परीक्षित भागीदारी है। नेपाल के साथ हमारे संबंधों का अपना स्वाभाविक तर्क है| खुली सीमा इसकी सबसे खास विशेषता है| हम किसी भी विचार के लिए खुले हैं, जो परस्पर लाभप्रद हो और नेपाल के लोगों के आर्थिक विकास और कल्याण को सक्षम करे।

प्र० 13: काठमांडू सार्क मुख्यालय का निवास स्थान है और नेपाल और भारत दोनों वर्षों से सार्क के मजबूत समर्थक रहे हैं। भारत अब ज्यादातर वैकल्पिक क्षेत्रीय मंचों को प्राथमिकता दे रहा है जैसे बिम्सटेक, और बीबीआईएन| इन हालात में सार्क कहाँ की क्या स्थिति है?

उत्तर: भारत का सार्क के ढांचे में सहयोग को महत्व देना जारी है। परन्तु, आतंकवाद के माहौल में कोई सहयोग नहीं हो सकता। साथ ही, हम अलग-अलग क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के तहत सहयोग के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं देखते हैं। हमें किसी भी क्षेत्रीय या उप-क्षेत्रीय संगठन के ढांचे के तहत, जो कि सबसे उपयुक्त है, हमारे शीघ्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है। हमारी रुचि तेजी से विकास और वृद्धि में है| हम प्रक्रियाओं या प्रारूपों में उलझ कर नहीं रहना चाहते हैं।

प्र० 14: हमारे पाठकों के लिए इस यात्रा के बारे में और नेपाल और भारत के साझा इतिहास और संस्कृति द्वारा चिह्नित इस सम्बन्ध के बड़े पहलू के बारे में क्या आप कोई महत्वपूर्ण संदेश व्यक्त करना चाहते हैं?

उत्तर: मैं तिहार और छठ के इस उत्सव के मौसम में नेपाल की यात्रा करने पर अत्यंत प्रसन्न हूं। भारत नेपाल के साथ अपने संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। हमारे दोनों देशों की एक दूसरे की प्रगति और भलाई में महत्वपूर्ण दांव हैं| भारत नेपाल के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए और हमारे उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों के समस्त विकास के लिए सभी संभव समर्थन का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। दो संप्रभु राष्ट्रों के रूप में, हम पारस्परिक विश्वास और पारस्परिक लाभ के आधार पर अपना संबंध आगे ले जाना चाहते हैं। इसके अलावा, भारत नेपाल के लोगों के लिए एक स्वागत भूमि बनी रहेगी।

 

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