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अबू धाबी के युवराज की भारत यात्रा पर सचिव (ईआर) द्वारा मीडिया वार्ता का प्रतिलेखन (24 जनवरी 2017)

जनवरी 24, 2017

सरकारी प्रवक्ता श्री विकास स्वरूपः सुप्रभात मित्रों और अबू धाबी के युवराज, महामहिम जनरल शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की राजकीय भारत यात्रा पर विशेष ब्रीफिंग में आपका स्वागत है।

आप जानते हैं कि हमारे गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि कौन बनने जा रहा है। वे आज देर शाम को आ रहे हैं और हम इस महत्वपूर्ण यात्रा से बहुत ही ठोस परिणामों की उम्मीद करते हैं। इस पर आपको पर जानकारी देने के लिए मेरे साथ सचिव (आर्थिक संबंध) श्री अमर सिन्हा और संयुक्त अरब अमीरात में हमारे राजदूत श्री नवदीप सूरी हैं।

एक व्यापक उद्घाटन वक्तव्य के माध्यम से हम आपको पूरा ब्यौरा देंगे और उसके बाद आप हमसे सवाल पूछ सकते हैं।

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः अबू धाबी के युवराज आज कई मत्रियों एवं कई व्यापारियों के एक बड़े शिष्ठ मंडल के साथ शाम को 4:30 बजे आ रहे हैं। व्यापार भाग एवं अर्थव्यवस्था मंत्री भी भाग लेंगे दिल्ली में होने वाले इवेंट्स के अलावा, हम 27 जनवरी को सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन के लिए विशाखापत्तनम भी जाएंगे।

कल यात्रा का आधिकारिक दिन है, अतः कल 25 जनवरी को वह फोर्स कोर्ट राष्ट्रपति भवन में आएंगे। फिर वह राजघाट जाएंगे और बाद में वह लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री के साथ आमने सामने बैठक करेंगे। उसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी जहां प्रधानमंत्री और कैबिनेट मौजूद होंगे। प्रधानमंत्री जी एक सामान्य प्रेस व्यक्तव्य और समझौतों के आदान प्रदान के बाद उनके लिए दोपहर के भोज का आयोजन करेंगे।

दोपहर में, उपाध्यक्ष उनसे मिलेंगे और फिर शाम में वह राष्ट्रपति जी से मुलाकात करेंगे और वहां कल राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति जी द्वारा भोज का आयोजन किया गया है।

एक दिन बाद यानि 26 जनवरी को, जैसा कि मैं पहले बता यूका हूंए अबू धाबी के युवराज गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि है। परेड, जहां वास्तव में संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना से भी एक दल होगा जो राज पथ पर हमारें बलों के साथ साथ परेड करेगा, के साक्षी होने के अलावा, वह दोपहर में हमारे राष्ट्रपति द्वारा आयोजित मिलनसार समारोह में भाग लेंगे। वहां से वह संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना होंगे और उनका बाकी प्रतिनिधिमंडल विजाग में रूकेगा।

जोड़ने की जरूरत नहीं है, यूएई ने अगस्त 2015 के बाद से तीव्र गतिविधियों और संबंधों को देखा है। दोनों नेताओं ने बहुत सारे व्यक्तिगत समय और ऊर्जा का निवेश किया है। आप केमिस्ट्री, मिलनसारिता और तालमेल को देख सकते हैं जो उनके बीच विकसित हुआ है। भारत के नजरिए से यूएई गल्फ में हमारे प्रमुख भागीदारों में से एक रहा है। मुझे लगता है कि यहां इससे अधिक कोई बेहतर व्याख्या नहीं हो सकती है कि हमें यूएई में राजदूत के रूप में सेवा करने के लिए अपने प्रतिभाशाली एवं प्रसिद्ध राजनयिकों को आगे लाना होगा। यही प्रमाण है कि हम इस रिश्ते को कैसे देखते हैं और इस रिश्ते का पोषण कैसे करते हैं।

जैसा कि आप जानते है प्रधानमंत्री जी ने अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था, उसके बाद फरवरी 2016 में राजकुमार जी ने दौरा किया था और एक वर्ष से भी कम समय में, वह यहां के मुख्य अतिथि है। इसलिए यह अपने आपे में दर्शाता है कि हम बहुत ध्यान दे रहे हैं। यह मुख्य रूप से चार महत्वपूर्ण कारकों द्वारा संचालित है जिसे मैं हमारे रिश्ते के स्तम्भ कहूंगा।

पहले व्यापार और वाणिज्य है। यूएई हमारे प्रमुख भागीदारों में से एक है। पिछले वर्ष 50 अरब डालर की प्रभावशाली संख्या थी। यह अफ्रीका और मध्य एशिया आदि के लिए हमारे अधिकतर निर्यात का द्वार है। फिर बेशक निवेश ही क्यों न हो। यूएई में भी सबसे बड़ी संप्रभु धन निधि है और हम निवेश के लिए देख रहे हैं। यहां एक समझौता है कि वे आने वाले कुछ वर्षों में भारत में लगभग 75 अरब अमरीकी डालर का निवेश करेगा। यात्रा के दौरान, हम उम्मीद कर रहे हैं कि उनके निवेश कोष और एनआईआईएफ (राष्ट्रीय संरचना निवेश कोष) के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे जिसे हमने हमारे पक्ष पर तैयार किया है और जो विचार विमर्श के अग्रिम चरण में है।

दूसरा तत्व जाहिर रूप से ऊर्जा सुरक्षा है, जो एक बड़ा स्तंभ है। यह तेल का पांचवां बड़ा निर्यातक है और हम उम्मीद करते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण भागीदार रहेगा। एक खरीदार होने के नाते, हम इस रिश्ते में एक नए तत्व को जोड़ रहे हैं, यानी कि यूएई ने ऊर्जा के क्षेत्र में हमारे सामरिक भागीदार बनने का फैसला किया है और दोनों निवेश करेंगे और हमारे एक महत्वपूर्ण रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को भरेंगे। हमें उम्मीद है कि वार्ता आज समाप्त होगी। पिछले कुछ मुद्दे शेष हैं और हम उस पर एमओयू को हस्ताक्षरित करने में सक्षम हो जाएंगा।

तीसरा समुदाय का कल्याण है। 2.6 मिलियन भारतीय यूएई में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। यह दोनों सफेद कॉलर और ब्लू कॉलर भारतीय कामगारों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण स्थल है। लोग वास्तव में दुबई में अचल संपत्ति में निवेश कर रहे हैं। ये सहयोग के सभी विशाल क्षेत्र हैं। पिछली यात्रा का एक अच्छा परिणाम यह रहा है कि उन्होंने निर्णय लिया है कि अबू धाबी एक मंदिर के लिए भूमि प्रदान करेगा। भारतीय समुदाय समिति इस बात को आगे ले जा रहा है।

रक्षा और सुरक्षा सहयोग के एक नए क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। यहां निश्चित रूप से यह साझे विचारों, आम खतरों के बारे में चिंताओं पर आधारित है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह यात्रा इस विचार को और मजबूत करेगी कि दोनों सरकारों ने काम किया है और आप सुरक्षा और रक्षा के इस विशेष क्षेत्र में यात्रा के अंत में पर्याप्त परिणाम देखेंगे।

परिणामों के संदर्भ में, पहले से ही निर्णय लिया गया था कि हम सामरिक भागीदारी के स्तर तक हमारे संबंध को बढ़ाएंगे, हालांकि हम अभी समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, जो कार्य योजना की तरह है, जो सामरिक भागीदारी के विचार को ताजा करता है और इस भागीदारी में दोनों पक्षों के प्रतिबद्ध मुद्दों के बारे में ठोस विचार लाता है। इस के अलावा, एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा जो कि वर्षों से उभरे इस संबंध पर दोनों नेताओं का नजरिया दिखाएगा।

मैं यह भी उल्लेख करूंगा कि कि यहां एनआईआईएफ और निवेश अधिकारियों पर एक समझौता ज्ञापन पर होगा। शायद यहां तेल क्षेत्र में सामरिक साझेदारी पर एक समझौता किया जाएगा। हमने सुरक्षा विशेष रूप से संयुक्त विनिर्माण, उपकरणों की खरीद पर केंद्रण में एमओयू किया है। हम हमारे सुरक्षा उद्योग के चिस्तार के कारण बाजारों को देख रहे हैं, परन्तु महत्वपूर्ण बात यह है कि यूएई भी एक भरोसेमंद साथी तलाश रहा है जो उन्हें बिना शर्त उपकरण प्रदान कर सके और उन्हें इसकी आपूर्ति तब कर सके जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत हो। विश्वसनीयता और स्थिरता कुछ ऐसी बाते हैं जिन्हें वे भारत के साथ साझेदारी में देख रहे है और हमें यह भी लगता है कि यूएई हमारे लिए एक बहुत महत्वपूर्ण भागीदार बना रहेगा।

ऊर्जा सुरक्षा के अलावा, यहां कुछ ओर भी है यानी व्यापार उपचार की निवार्यता। हम वाणिज्य एवं उनके जांच अधिकारियों के साथ एमओयू कर रहे हैं ताकि उत्पाद जिसका आदान प्रदान हम आपस में करते हैं, के लिए उम्मीद के मुताबिक कानूनी ढांचा बन सके और जब एंटी सब्सिडी या एंटी डंपिंग जांच हो, तो वहां विचारों के आदान प्रदान में घनिष्ठ सहयोग होगा और सबसे महत्वपूर्ण बात इस अर्ध न्यायिक पथ पर जाने से पहले, हम पारस्परिक रूप से स्वीकार्य आधार पा सकते हैं। यह एक और महत्वपूर्ण अनुरोध है जो हमें मिला है।

हम राजनयिक और विशेष पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा छूट चाह रहे हैं। हम समुद्री परिवहन पर एमओयू को भी देख रहे हैं। यह एक मुख्य एमओयू है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य जन संपर्क बढ़ाना और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इसलिए हम भारत और यूएई के पश्चिमी तटों के बीच और गल्फ देशों में अन्य स्थानों में क्रूज पर्यटन पर काम करना चाहते हैं।

यहां भूमि परिवहन पर एक द्विपक्षीय सहयोग होगा, लेकिन मैं इस सूची पर नहीं जाना चाहूंगा क्योंकि आपको यह सूची कल मिल जाएगी। अतः मुझे लगता है कि मुझे यहां रूकना होगा और अगर हमारे राजदूत इसमें कुछ जोड़ना नहीं चाहते हैं, तो आप प्रश्न पूछ सकते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि जैसा कि हमने तैयारी की है, पहली सामरिक वार्ता की अध्यक्षता 20 जनवरी को उनके राज्य मंत्रियों एवं हमारे अपने एमओएस एमजे अकबर द्वारा की गई है, जहां हमने रणनीतिक साझेदारी और हमारे संबंध के उतार चढ़ाव के विभिन्न तत्वों के बारे में चर्चा की है। धन्यवाद।

सरकारी प्रवक्ता श्री विकास स्वरूपः अब मंच प्रश्नों के लिए खुला है।

प्रश्नः जब प्रधानमंत्री यूएई गए थे तब यह बात आई थी कि यूएई भारत में लगभग 75 बिलियन डालर का निवेश करेगा। इस बात को डेढ़ साल बीत चुके हैं, अभी क्या स्थिति है और कितना निवेश आ चुका है?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः अभी तक उनका करीब 4 बिलियन डालर पहले से ही निवेशित हो चुका है। बहुत सारी कंपनियां हैं, जैसे ईएमएआर है।

जब हम लगभग 75 बिलियन डालर के बारे में बात करते हैं, तब हम निवेश कोष के बारे में बात कर रहे होते हैं। इस के अलावा, यहां कई प्रमुख कंपनियां है जिन्होंने निवेश किया है। उदाहरण के लिए, डीपी वल्र्ड भारत में प्रमुख निवेशक है, एतिसलात ने भी यहां निवेश किया है। इनमें से कुछ में विरासती मुद्दे हैं जिन्हें हम हल करना चाहते हैं ताकि उन्हें हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास को वो स्तर प्राप्त हो सके। और तथ्य यह है कि वे दोनों पोर्टफोलियो निवेश के साथ-साथ ग्रीन फील्ड परियोजनाओं में निवेश पर देख रहे हैं। वे पेट्रोलियम क्षेत्र में अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम उद्योगों को देख रहे हैं जिसपर वे निजी भारतीय खिलाड़ियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।

यूएई के राजदूत, श्री नवदीप सूरीः यदि मैं इसमें कुछ जोड़ना चाहूंगा, तो बस इतना ही कि जैसा कि सचिव ईआर ने कहा कि 75 बिलियन डालर का निवेश भारतीय अवसंरचना में उनके संप्रभु धन निधि द्वारा निवेश को संदर्भित करता है, परन्तु यदि आप इससे परे जाएं तो आप पाएंगे कि यहां यूएई निवेश की दो प्रमुख श्रेणियां हैं। उदाहरण के लिए, दुबई होल्डिंग कोच्छी स्मार्ट सिठी के लिए मुख्य भागीदार है जो अपनी तरह की पहली महत्वाकांक्षी परियोजना है। यहां यूएई की अन्य कंपनी है जिसने सम्पूर्ण पूर्व निर्मित संरचनाओं सुविधा स्थापित करने के लिए चेन्नई में निवेश किया है, इसे केईएफ इन्फ्रास्ट्रक्चर कहा गया है। अतः जब आप किफायती आवास और अस्पतालों और स्कूलों के बारे में बात करते हैं, तो वे पहले से ही भारत में पूर्व निर्मित संरचनाओं निर्माण कर रहे होते हैं।

यहां तक कि उनकी संप्रभु धन निधि, एडीआईए, अर्थात अबू धाबी निवेश प्राधिकरण ने पिछले साल भारतीय हरित ऊर्जा कंपनियों में अर्ध बिलियन डालर का निवेश किया है, उन्होंने रियल एस्टेट कंपनियों में भी निवेश किया है। अतः यहां कई अन्य निवेश कार्रवाईयां हैं जो बड़े टिकट आइटम के परे हो रही हैं।

नई प्रवृत्ति में मैं एक और बिंदु जोड़ना चाहूंगा जिसे हम देख रहे हैं, वो यह है कि यूएई में कुछ सबसे अच्छी स्थापित एनआरआई कंपनियों ने भी बहुत महत्वपूर्ण तरीके से भारत में निवेश करना शुरू कर दिया है और यह भारत में व्यापार आत्मविश्वास के बढ़ने का संकेत है। उदाहरण के लिए, लुलु ग्रूप ने कोची में भारत के सबसे बड़े हाइपर-मार्केट की स्थापना की है और वे तिरुवनंतपुरम में दूसरे का स्थापन करने जा रहे हैं। एनएमसी ग्रूप यूनिवर्सल अस्पताल ग्रुप भारत में अस्पतालों की स्थापना कर रहा है। अतः चाहे वो रियल एस्टेट खंड में हो या रीटेल खंड में हो और चाहे विनिर्माण में हो, अब आप दुबई की बड़ी एनआरआई कंपनियों को देख सकते हैं और और अबू धाबी भी भारत में अपने पैसे लगा रहा है।

प्रश्नः पिछले कुछ सप्ताहों में भारत द्वारा यूएई से उनकी भूमि पर दाऊद इब्राहिम की सम्पत्ति को जब्त करने की बात की जा रही है। क्या इस पर कोई विकास हुआ है खासकर तब जब सामरिक वार्ता की गई?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः आप चाहते हैं कि हम सभी को सचेत करें और उनकी सम्पत्ति एवं टाइटल्स को अंडरग्राउंड कर दें। मुझे लगता है कि कुछ होने तक इस पर कुछ भी न कहना ही सही होगा।

सरकारी प्रवक्ता श्री विकास स्वरूपः इस पर संवाददाता सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर द्वारा उत्तर दिया गया था, जहां उन्होंने कहा था कि हम सार्वजनिक क्षेत्र में विशिष्ट मामलों पर बात नहीं करते हैं और ऐसा ही रहेगा।

प्रश्नः एक स्पष्टीकरण चाहिए कि जब आप 75 बिलियन डालर की बात करते हैं, तब आप कहते हैं कि कि 4 बिलियन पहले ही आ चुके हैं, क यह 75 बिलियन डालर का भाग नहीं है। क्योंकि हमें यूएई अधिकारियों की बात से यही समझ में आया है कि 75 बिलियन डालर की संप्रभु धन निधि अभी तक सेट नहीं की गई है, इसे केवल डेढ़ वर्ष पहले घोषित किया गया था?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः अब एमओयू को एनआईआईएफ के साथ अंतिम रूप दिया जा रहा है। एनआईआईएफ की अपने आप में कोई प्रशासनिक संरचना नहीं है, जो केवल कुछ महीनों पहले ही आई थी और तब से सीईओ अबू धाबी है। उन्होंने एक दूसरे से बात की है और एमओयू का विनिमयन किया है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि वे अब इस पर हस्ताक्षर करेंगे।

प्रश्न निरंतरः भारत-यूएई सामरिक भागीदारी, जब आतंकवाद का मुकाबला करने की बात आती है, तो क्या यूएई भारत को आतंकवाद का मुकाबला करने विशेष रूप से मध्य पूर्व गठबंधन में आईएसआईएस खतरों से निपटने के लिए बलों में शामिल होने के लिए कहता है। क्या हम वहां किसी प्रकार की संयुक्त साझेदारी को देख रहे हैं?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः उनके 34 या 39 गठबंधन का हिस्सा होने के नाते, मुझे नहीं लगता कि इसे कभी भारत के साथ उठाया गया है और मुझे नहीं लगता है कि इसे कभी भी उठाया जाएगा। लेकिन हां खुफिया आदान-प्रदान, अन्य लोगों के खिलाफ विशेष कार्रवाई के संदर्भ में सामान्य सहयोग और मुझे लगता है कि हाल के कंधार इवेंट से तथ्य सामने आया है कि यह खतरा बहुत ही आम है क्योंकि यूएई राजनयिकों को भी मार डाला गया है। तो यह भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर यहां चर्चा की जाएगी।

प्रश्नः श्री सिन्हा क्या गल्फ देशों में ऐसी सुरक्षा व्यवस्था एवं रक्षा व्यवस्था है क्योंकि यहां होने वाले हर इवेंट में आपकी हिस्सेदारी है। क्या यहां भारत की ओर से कोई दूरदर्शिता है कि विश्व के इस भाग में स्थिरता एवं सुरक्षा को कैसे प्रबंधित किया जा रहा है जहां आप अपने स्वयं के साथ साथ क्षेत्रों के हितों की सुरक्षा कर सकें?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः जैसा कि मैंने कहा, हम उनके साथ मिलकर दोनों इंटेलिजेंट शेयरिंग एवं विशिष्ट आतंकवादी खतरों, परन्तु इसके अलावा वायु रक्षा क्षमता, पेट्रोलियम एंटी पाइरेसी, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा के मामले में एक बड़े सुरक्षा मुद्दे पर काम करेगी। क्योंकि अंत में सबसे बड़ा खतरा कट्टरता और विशेष रूप से ऑनलाइन कट्टरता से उभरता है। नीतियों को देखते हुए, हम यूएई को एक समाज के रूप में नहीं देखते हैं जो कट्टरता की ओर अपरदन कर रही हैं, वास्तव में नीतियां बिल्कुल विपरीत हैं। जाहिर है हमारी चर्चा इस आईएसआईएस वायरस से बचाने के लिए क्या करने की जरूरत है, उस पर केंद्रित होगी।

प्रश्नः आपने रक्षा समझौता ज्ञापन के बारे में उल्लेख किया है। क्या आप विस्तार से बता सकते हैं कि वो उत्पाद क्या हैं जिन्हें हम यूएई को बेचना चाह रहे हैं और हम किस प्रकार की सुरक्षा विनिर्माण एवं उत्पादन व्यवस्था चाह रहे हैं?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः गहराई में जा रहे हैं, लेकिन स्पष्ट है कि वे शस्त्रों, बख्तरबंद व्यक्ति वाहक, एयर क्राफ्ट का संयुक्त उत्पादन चाह रहे हैं। उदाहरण के लिए, मैं नहीं कह रहा कि यह ठोस है, राफेल एक एयर क्राफ्ट है जिसे हम खरीद रहे हैं, यूएई भी इसका उपयोग करेगा। अतः यहां यह हित है जिसे हम राफेल के हिस्से के मामले में एक साथ कर सकते हैं जिसका निर्माण भारत में किया जाएगा। ये वो क्षेत्र हैं जिन्हें हम पहचानने और उन पर मिलकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रश्नः कुछ हफ्ते पहले डीआरडीओ का एक प्रतिनिधिमंडल वहां ब्रह्मोस मिसाइल बेचने की संभावना पर चर्चा करने के लिए यूएई गया था। क्या आप हमें बता सकते हैं कि उस पर क्या हुआ है?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः विचार विमर्श हुआ है। मेरे पास सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन हम भी उन उत्पादों को देख रहे हैं जिन्हें डिजाइन किया गया है और भारत में विकसित किया गया है क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि इसे निर्यात करना आसान हो जाता है।

प्रश्न निरंतरः ब्रह्मोस एक अर्ध भारतीय मिसाइल है।

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः सही है, अर्ध भारतीय। हम पूर्ण भारतीय उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। अतः यदि यह त्रिपक्षीय या चतुर्भुज है, तो यह थोड़ा और अधिक मुश्किल हो गया है क्योंकि इसमें कई और देश शामिल हो गए हैं, परन्तु यहां ऐसे उत्पाद हैं जिसे भररत ने विकसित किया है और यहां कई ऐसे उत्पाद हैं।

प्रश्नः मैं संप्रभु धन निधि और एनआईआईएफ के बीच के एमओयू के बारे में जानना चाहता हूं जिस पर कल हस्ताक्षर किए जाने वाले हैं, परन्तु क्या यह प्रशासन संरचना स्थापित करता है? क्या आप हमें इस बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं?

यूएई के राजदूत, श्री नवदीप सूरीः एनआईआईएफ के साथ व्यवस्था के मुद्दे बहुत ही सक्रिय चर्चा के अंतर्गत रह चुके हैं। एनआईआईएफ को स्थापित करने के लिए हमें थोड़ी देर लगी है, उनकी टीम बनाने के लिए सीईओ की नियुक्ति में थोड़ी देर लगी है, जो पिछले साल सितंबर में की गई थी, जिसमें मुश्किल से पांच या छह लोग थे। एक बड़े निकाय के रूप में एनआईआईएफ से पहले इसके लिए कुछ समय लगेगा जो बुनियादी ढांचे में निवेश करेगा, और इसमें वास्तव में धन की महत्वपूर्ण राशि को अवशोषित करने की क्षमता है।

हम अबू धाबी निवेश प्राधिकरण को एनआईआईएफ के एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं। प्रमुख परियोजनाओं में अधिक समय को निवेशित करने के लिए तंत्र को अपने स्थान पर लाने और क्षमता को अपने स्थान पर लाने में समय लगेगा। मैं आपको बस यह कह सकता है कि आबू धाबी वाहक के रूप में एनआईआईएफ के साथ काम में एडीआईए से बहुत मजबूत दिलचस्पी दिखा रहा है और हमारी पूर्व बातचीत का अनुसरण कर रहा है और इस पर कल बातचीत करेगा। एडीआईए ने पहले ही हमें बता दिया है कि वे विशेष अवसरों पर देखने के लिए क्षेत्रीय प्रमुखों और उनके कार्यकारी निदेशकों के साथ फरवरी के अंत मेंएक शीर्ष स्तरीय टीम भेज रहे हैं।

मैं इसे कार्य प्रगति के रूप में देखता हूं। मैं इसे ऐसे इवेंट के रूप में नहीं देखता जो समय के एक बिंदु पर हुए हैं। आपके पास व्यापक व्यवस्था है, लेकिन बंदरगाहों, राजमार्गों, हवाई अड्डों, अक्षय ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में एनआईआईएफ के माध्यम से प्रवाहित 75 बिलियन डालर को आने में कुछ समय लगेगा और उसके लिए हमें वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य और विश्वसनीय परियोजनाओं को प्राप्त करने जरूरत है जिसे हम निवेशकों को पेश कर सकें। अतः यहां काम पूरा होना अभी बाकी है।

सरकारी प्रवक्ता श्री विकास स्वरूपः एमओयू एनआईआईएफ के लिए रूप रेखा और वो तौर तरीके प्रदान करेगा जिस पर काम किया जाना है और धन संसाधित होना शुरू हो गया है।

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः एमओयू आवश्यक प्रशासनिक संरचना का निर्माण करेगा यानि कि कैसे निधि को संयुक्त रूप से प्रशासित किया जाएगा। लेकिन इसका इंतजार किए बिना हमने अक्टूबर में, जब हमने आर्थिक मंच की बैठक की थी, दोनों रेलवे और राजमार्ग पर क्षेत्रीय प्रस्तुतियां बनाई थी। हमने पांच या छह परियोजनाओं को पहचाना है जिसमें से प्रत्येक एनआईआईएफ मार्ग के बिना निवेश के लिए परिपक्व है। इसलिए कहा गया कि उन्हें इसे वहां ले जाना चाहिए जहां वे इसे निवेशित करना चाहते हैं। लेकिन मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हम उन चार पारंपरिक स्तंभों के अलावा नए क्षेत्रों को भी देख रहे हैं जिसका मैंने उल्लेख किया था। बेशक सुरक्षा एवं रक्षा को काफी हद तक बढ़ाया जाएगा, लेकिन हम अंतरिक्ष सहयोग, नागरिक परमाणु ऊर्जा सहयोग और आईटी एवं आईटी सेवाओं में विस्तृत सहयोग चाह रहे हैं। अतः हमारे नजरिए से ये तीन नए केंद्रित क्षेत्र होंगे।

प्रश्नः आपने कहा कि दोनों देश ऊर्जा सुरक्षा में सामरिक भागीदारी कर रहे हैं। वर्तमान में क्या चल रहा है और इस क्षेत्र में भविष्य में क्या होने वाला है?

सरकारी प्रवक्ता श्री विकास स्वरूपः मुझे लगता है कि सचिव बहुत स्पष्ट थे। उन्होंने कहा कि यूएई हमारे लिए कच्चे तेल का पांचवां सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। वे हमारे रणनीतिक तेल भंडारों में से एक में निवेश करने जा रहे हैं। हमारे कई रणनीतिक स्थल हैं और वे उनमें से एक ऐसे स्थल में हमारे सहयोगी होंगे और यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए समग्र योगदान देगा। तो मुझे लगता है कि यह काफी स्पष्ट हो गया है।

प्रश्नः लंबे समय से यूएई को पाकिस्तान का एक बहुत ही करीबी दोस्त माना गया है। वो क्या कारण हैं जिसकी वजह से यूएई भारत की ओर बढ़ा और पाकिस्तान से दूर हो गया? यहां ऐसा भी विचार है कि सऊदी अरब और यूएई भारत के करीब आ रहा है क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने यमन में अभियान में भाग लेने से इनकार कर दिया है। क्या आप इस पर विश्वास करते हैं और क्या कारण है कि वे हमारे करीब आया है और पाकिस्तान से दूर गया है?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः मैं ऐसे कारकों का अंदाजा नहीं लगाना चाहता हूं जो अन्य देशों के साथ यूएई के संबंधों को प्रभावित करें, वे सभी अपनी गतिशीलता और वास्तविकताओं से प्रेरित हैं। मैं आपको यह बता सकता हूं कि भारत उनके लिए पसंदीदा गंतव्य या भागीदार क्यों है और मुझे लगता है कि उत्तर स्पष्ट है। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता का एहसास है। भारतीय ऐसे सबसे बड़े प्रवासी समूह का गठन किया है जिसने न केवल समाज में योगदान दिया, बल्कि समाज में शांति और स्थिरता को बनाए रखा है। शिक्षा, स्वास्थ्य आदि भारत इन सभी के लिए और अन्य गल्फ देशों के लिए महत्वपूर्ण गंतव्य है। मैं नहीं जानता कि क्या वे पाकिस्तान जा रहे हैं। क्या यह एक सचेत कदम है या एक प्राकृतिक कदम है, मुझे लगता है कि क्षेत्र की गतिशीलता को देखते हुए संबंधों की प्रगति का अंदाजा लगाना मैं आप पर छोड़ दूंगा।

प्रश्नः आपने यूएई के बड़े निवेशों के विरासती मुद्दों के बारे में बात की है। यूएई से विशिष्ट मांगे क्या हैं और भारत कैसे इसे हल करने के लिए जा रहा है? क्या इस के लिए कोई समय सीमा है?

सचिव (ईआर), श्री अमर सिन्हाः विशेष मांग यह है कि हमने इन मुद्दों को जल्दी हल कर लिया है। इसमें समय लगा क्योंकि हम पूर्वानुमान लगाने में असमर्थ हैं क्योंकि ये कार्यकारी निर्णय नहीं है, ये सभी मुद्दे विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। अतः हम देखने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या हम मुख्य केसों को कमजोर किए बिना उनके कुछ निवेशकों को घेर सकते हैं क्योंकि भारतीय इन केसों में शामिल हैं। इसलिए सरकार ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती है जिससे केस समग्र रूप से कमजोर हो जाए। प्रतिबंध और तथ्य यह है कि हमें अपनी न्यायपालिका के साथ काम करना होगा ताकि हम इन मामलों का शीघ्र समाधान कर सकें।

यूएई के राजदूत श्री नवदीप सूरीः मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि कई मामलों में हमने ठोस प्रगति की है और कई तथाकथित विरासती मामलों को उच्च स्तरीय टास्क फोर्स द्वारा हल किया गया है जिसे पिछली यात्रा के बाद स्थापित किया गया था। और यूएई में दोस्तों ने लंबे समय से खड़े कुछ मामलों के सरलीकरण में पिछले कुछ महीनों में की गई प्रगति को स्वीकार किया है।

सरकारी प्रवक्ता श्री विकास स्वरूपः मुझे नहीं लगता अब कोई सवाल बाकी है, अतः इस संवाददाता सम्मेलन के समापन का समय आ गया है। मैं आपको एक बार फिर याद दिला दूं कि 4 बजे एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस है जिसका संबोधन एमओएस जनरल वी के सिंह और एमओएस पोस्ट श्री मनोज सिन्हा द्वारा डाकघरों के साथ पासपोर्ट सेवा परियोजना के एकीकरण पर किया जाएगा। मुझे लगता है कि यह साधारण भारतीय नागरिकों के लिए पासपोर्ट आसानी से प्राप्त करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा।

आप सभी का धन्यवाद।
(समापन)



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